बदतमीजी
जब कुलीनों के अधिकार मानकर मांगे जाएं विशेषाधिकार

क्या भारत में लोकतंत्र का अर्थ विशेषाधिकार वालों के अधिकारों के जरिये, विशेषाधिकार वालों के द्वारा और विशेषाधिकार वालों के लिए शासन है? यह बात अतिशयोक्ति भरी लग सकती है और हास्यास्पद भी। और लगनी भी चाहिए क्योंकि देश को सत्तर वर्ष पहले जब आजादी मिली...

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