चीन के इतिहास में 2020 एक “अति असाधारण वर्ष” के रूप में दर्ज किया जाएगा। उस गुजरे साल के शुरू में ही पूरे चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई और फिर इसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया। (2019 के नवंबर में कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत हुई थी।)
चूंकि चीन से ही कोरोना वायरस की अभूतपूर्व तरीके से शुरुआत हुई थी, इसलिए वहां इससे संक्रमित होने वाले लोगों की तादाद भी ज्यादा थी। इसे देखते हुए चीन ने अपने कई प्रांतों में लॉकडाउन लागू किए, उसकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई, 27 प्रांत बाढ़ से आप्लावित हो गए, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) की 19वीं सेंट्रल कमिटी के पांचवें सत्र का विस्तृत आयोजन हुआ, अमेरिका-चीन के बीच पहले चरण का कारोबार-करार हुआ,“दि लॉ ऑफ द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ऑन सेफगार्डिंग नेशनल सिक्योरिटी इन हॉंग कॉंग स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन” पारित किया गया और दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर, ताइवान गलियारा, तथा भारत के साथ लगी वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन ने आक्रामक रुख अख्तियार किया; ये सारी घटनाएं सन 2020 में हुईं।
नया साल 2021 चीन के लिए बहुत मुश्किल भरा होने जा रहा है। उसकी 14वीं पंचवर्षीय योजना 2021-2025 का यह पहला साल है। चीन सभी मामलों में “पूरी तरह आधुनिक समृद्ध समाज” (जियाओकांग) बनने के अपने पहले शताब्दी लक्ष्य को प्राप्त कर लेने की अपेक्षा करता है और यहां से, आधुनिक समाजवादी देश के निर्माण की दिशा में अपनी यात्रा प्रारंभ करना चाहता है। इसके अलावा, 2021 के जुलाई में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) का शताब्दी वर्ष पूरा होता है।1 राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए वर्ष के अवसर पर दिए अपने भाषण में उल्लेख किया : “पार्टी ने एक विशालकाय जहाज के रूप में चीन को सतत और दीर्घकालीन विकास की तरफ देश को ले गई है।” उन्होंने आगे कहा: “सीपीसी के निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 2020 में चीन को सभी दृष्टिकोण से एक अत्याधुनिक समृद्ध समाज बनाने के बाद, वह 2021 में विकास की एक नई यात्रा की शुरुआत करेगा और 2035 तक एक अत्यधिक समाजवादी देश होने के लिए प्रयास करेगा।”
चीन में, कोरोना वायरस का उभार 2021 की शुरुआत में फिर से देखने को मिला है। उसके हेबै, सिचुआन प्रांत के अलावा अन्य प्रांतों में भी कोरोना वायरस से संक्रमण के कई मामले पाए गए हैं। चीन के स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, 31 जनवरी 2021 तक 22 संक्रमित मामले हेइलोंगजियांग में, जिलिन में 10 और हेबै में 1 मामला मिला था। चीनी प्राधिकरण ने, नए चीनी वर्ष पर लोगों को घरों में ही रहने और छुट्टियों में यात्रा के पूर्व अपने नियोक्ताओं से इजाजत लेने की हिदायत के साथ पहले ही एक सर्कुलर जारी किया था।1 कोरोना पीड़ितों की तादाद बढ़ने के अलावा, चीन इसके वायरस के उद्गम स्थल और वहां से उसके फैलने के बारे में आवश्यक सूचनाओं को लगातार छिपाते आ रहा है। इसके पहले, चीन के अधिकारियों ने इसकी तहकीकात के लिए दौरे पर आने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम को वीजा देने से ही इनकार कर दिया था। काफी कठिनाइयां झेलती हुई यह टीम किसी तरह वुहान पहुंची थी लेकिन तब उसके सदस्यों को वहां 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन में रख दिया गया था। ऐसे में उनकी जांच में कोई उल्लेखनीय प्रगति होनी ही नहीं थी। 2021 में चीन को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख आंतरिक और बाहरी घटनाक्रमों की गणना की जाएगी
राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पार्टी में कद बढ़ाने के लिए विगत वर्ष में काफी प्रयास किया गया है। उन्होंने इस बारे में क्वैशि जनरल में प्रकाशित आलेख में अपना विचार रखा है। इसमें कहा गया है: चीनी तर्ज के समाजवाद की सर्वाधिक अपरिहार्य विशेषता कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन का नेतृत्व है।”3 इसी विचार को बाद में 6 अन्य प्रकाशित आलेखों में भी दोहराया गया है।4
शी जिनपिंग ने स्वयं ही 2021 को चीन के लिए एक कठिनाई वाले वर्ष के रूप में निरूपित किया है। उनकी स्थिति को आगे और मजबूत करने के लिए पर्याप्त ध्यान देना होगा, असंतुष्टों से निपटना होगा, विचारधारा पर जोर देना होगा, सेना पर अपना नियंत्रण कड़ा करना होगा क्योंकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बीसवीं कॉन्ग्रेस के आयोजन का साल भी है। इसके लिए इस वर्ष बहुत कुछ संरचनागत काम करना होगा। अक्टूबर 2020 में सीसीपी के पांचवां विस्तृत अधिवेशन हुआ था, जिसमें शी जिनपिंग को अपनी हैसियत बढ़ाने और पार्टी पर अपने प्रभुत्व वृद्धि करने के लिए काफी प्रयास करना पड़ा था।5 13वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के दो सत्र और चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसलटेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) की 13वीं राष्ट्रीय कमेटी का चौथा वार्षिक सत्र क्रमशः 4 और 5 मार्च को आयोजित किया जाएगा। (पिछले साल 2020 को यह सत्र मई में आयोजित किए गए थे और कोविड-19 की वजह से उसका स्वरूप संक्षिप्त रखा गया था)
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा निर्गत किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार 2020 में चीनी अर्थव्यवस्था 2.3 फीसदी के हिसाब से बढ़ी है। उस वर्ष चीन का जीडीपी 101.59 ट्रिलियन युवान (15.58 अमेरिकी डॉलर) था। जीडीपी तीसरी तिमाही के 4.9 फीसदी से बढ़ कर साल दर साल चौथी तिमाही में 6.5 फीसदी बनी रही थी।6
सेंट्रल इकोनामी वर्क कॉन्फ़्रेंस 16 से 18 दिसंबर, 2020 को हुआ था, जिसमें देश का आर्थिक लक्ष्य तय किया गया था। इसमें मजबूत घरेलू बाजार, प्रौद्योगिकी नवाचार, और हरित विकास को एक बड़े लक्ष्य के रूप में खुलने की वकालत की गई थी। मई 2020 में, अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए चीन ने एक नई पहल “दोहरे वितरण” जैसी नई कार्य नीति का सूत्रपात किया था और सुधारों को बढ़ावा देने तथा एक उच्च प्रारंभिक बिंदु पर खोलने का प्रयास किया था।7 इस अवधारणा के दो अवयव समान रूप से मजबूत हैं: "आंतरिक वितरण" जिसका संदर्भ घरेलू आर्थिक गतिविधियों से है, और "बाह्य वितरण", जिसका मतलब चीनी अर्थव्यवस्था का दूसरी दुनिया से संबंध है। इसका संकेत है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय भूमिका को कम करना चाहता है और अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहता है।8 उसकी इस अवधारणा में व्यवधान पहुंचाने वाले कई कारक हैं, मसलन कोविड-19, अमेरिका-चीन के बीच कारोबारी जंग और उभरता संरक्षणवाद। कुल मिलाकर, 2021 में चीनी अर्थव्यवस्था के लिए सूत्र वाक्य मजबूत वापसी, हरित वृद्धि, नवाचार निर्देशित, पुनराम्भ और उन्नयन और शुरुआत की प्रतिबद्धता है।9 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)0 ने चीन की अर्थव्यवस्था में 10.1 फीसदी के विस्तार की संभावना जताई है,10 जबकि नोमूरा ने चीन के जीडीपी में 9 फ़ीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया है।11
चीन की विदेश नीति को विगत वर्ष मास्क डिप्लोमेसी, क्लाउड डिप्लोमेसी और वुल्फ वैरीयर्स डिप्लोमेसी (इसका मतलब कूटनीति की उस नई कार्यशैली से है, जिसमें चीनी राजनयिक आक्रामक तरीके से अपने देश-हित की रक्षा करते हैं।) के रूप में निरूपित किया गया है। कोविड-19 के दौरान चीन ने अपने आप को स्वास्थ्य मामलों में अग्रणी और नेता के रूप में रखना शुरू कर दिया था और इसका उपयोग हेल्थ सिल्क रोड को प्रचारित करने के अवसर के रूप में करता था। शी जिनपिंग ने इटली के प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे के साथ बातचीत में हेल्थ सिल्क रोड की घोषणा की थी। इतना ही नहीं, शी ने कोरोना वायरस से निपटने के काम में विश्व से सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी।12
चीन का दुनिया के बड़े और क्षेत्रीय देशों के साथ राजनयिक संबंध 2021 में “सकारात्मक किंतु निरंतर चुनौतीपूर्ण” होंगे। वैक्सीन डिप्लोमेसी के साथ चीनी विदेश नीति का जोर अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, रूस, आसियान और अफ्रीका पर रहेगा।
अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी संबंध को लेकर पहले चरण की बातचीत 14 फरवरी 2020 को हुई थी। समझौते के मुताबिक चीन 2017 के बुनियादी वर्ष के साथ 200 बिलियन डॉलर मूल्य की बहुत सारी अमेरिकी वस्तुएं और सेवाएं 2020-21 में खरीदने पर राजी था। अतिरिक्त व्यापार में अमेरिका के सकल निर्यात और चीन के आयात का डेटा : 12.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (यूएसडी), कृषि क्षेत्र में, 32.9 बिलियन यूएसडी वस्तुओं के विनिर्माण में और ऊर्जा में 18.5 बिलियन डॉलर था।13 पहले चरण में पहुंचा समझौता 2021 में भी जारी रहने वाला है।
चीन का नेतृत्व यह विश्वास करता है कि अमेरिका और चीन का संबंध एक “नए चौराहे” पर पहुंच गया है और जॉय बाइडेन के आने के साथ “उम्मीद की एक नई खिड़की” खुल रही है। नए वर्ष की शुरुआत में ही चीन की तीन विशालकाय टेलीकॉम कंपनियां न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो चुकी हैं। अमेरिका-चीन संबंधों का मूल्यांकन अल्प अवधि और दीर्घावधि के परिप्रेक्ष्य में किया जा सकता है। अगर जॉय बाइडेन मुठभेड़ के बजाय संवाद को तरजीह देते हैं तो चीन उन पर अपना दृष्टिकोण थोपने की कोशिश करेगा। अपनी दीर्घअवधि की नीति पर अमल करते हुए चीनी नेतृत्व कम से कम एक साल तक देखो और इंतजार करो की नीति पर चलेगा। बाइडेन के राष्ट्रपति पद पर काबिज हो जाने के बाद चीन संभवत: जल्दी ही अपना एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजेगा। अमेरिका-चीन संबंध काफी उबड़-खाबड़ रहने वाला है, कम से कम प्रारंभिक चरण में। बाइडेन प्रशासन की तरफ से कई ऐसे वक्तव्य आ रहे हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों के एकदम खराब नहीं रहने का संकेत दे रहे हैं।
2020 में चीनी यूरोपियन यूनियन के बीच स्थापित संबंधों का 45 वां वर्ष पूरा हो गया। दोनों देशों ने एक “समग्र निवेश समझौता” किया है, जो एक दूसरे के बाजार में व्यापक पहुंच का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह द्विपक्षीय संबंध विभिन्न क्षेत्रों में और विस्तृत होने जा रहा है, जिनमें कोविड-19 से लड़ने पर्यावरण संरक्षण में सहयोग आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और अंकरूपण (डिजिलिटिकरण) भी शामिल हैं। इसके साथ, चीन-यूरोप-अफ्रीका प्रोजेक्ट जैसे बहुआयामी सहयोग के क्षेत्र में तीसरे पक्ष को भी शामिल होने का न्योता दिया जा रहा है।
रूस के साथ चीन के संबंध इस साल महत्वपूर्ण होंगे। 2020 में दोनों देशों के संबंध समय पर खरे उतरे हैं और सभी मायनों में एक ऐतिहासिक मकाम पर पहुंचे हैं। वांग यी ने कहा: “ चीन तथा रूस के संबंध में यह नया साल 2021 खास अहमियत रखता है, इसलिए कि दोनों देश नए विकास के चरण में पहुंचेंगे। विकसमान चीन-रूस रणनीतिक सहयोग संबंध में, हम कोई सीमा नहीं देखते हैं, न कोई निषिद्ध क्षेत्र पाते है, और यह सहयोग कहां तक जा सकता है, इसकी कोई हद नहीं है।” यहां उल्लेखनीय है कि 2021 में “चीन-रूस ट्रिटी ऑफ गुड-नेबरलिनेस एंड फ्रेंडली कोऑपरेशन” की 20वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। हालांकि चीन-रूस के बीच सैन्य और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के मामले में अमेरिकी फैक्टर की भूमिका लगातार बनी रहेगी।
आसियान और चीन इस साल अपने संबंधों की 30वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत, वांग यी ने म्यांमार, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और फिलीपींस का दौरा किया था। अमेरिका में नई सरकार के पदारूढ़ होने के पहले ही वांग यी ने इन देशों की यात्रा की थी। इस दौरे का मकसद दक्षिणी-पूर्वी एशिया के देशों के साथ साल की शुरुआत में ही अपने संबंधों को सघन बनाना था ताकि पूरे साल यह रिश्ता सकारात्मक बने रहे। अपनी यात्रा के दौरान वांग यी ने द्विपक्षीय संबंधों की सरजमीन तैयार करने में सफल रहे।
ये दोनों देश इस साल सेनेगल में चीन-अफ्रीका सहयोग बैठक करेंगे। वे दोनों एक साथ वरीयता के तीन क्षेत्रों, वैक्सीन सहयोग, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा एकजुटता पर नई रजामंदी बनाने के लिए रूपांतरित विकास करने, और लोगों में नए लाभ को वितरित करने में काम करेंगे।14 वास्तविकता है कि वांग यी की पहली विदेश यात्रा ने एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि चीन आने वाले वर्ष में इस उपमहाद्वीप को अपने से जोड़े रखेगा। अनेक समझौते पर दस्तखत किए गए थे, जो द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करेंगे, परस्पर विश्वास बढ़ाएंगे, सहयोग को बढ़ावा देंगे और आम सहमति जुटाएंगे।15
दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन लगातार अपनी पैठ बनाता रहेगा। पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ तीसरी बहुपक्षीय बातचीत 6 जनवरी 2021 को हो चुकी है। इस बैठक का एजेंडा कोविड-19 से निबटने के साथ उनकी अर्थव्यवस्था के मुद्दों के साथ तालमेल बिठाना था। यह भी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ सकती हैं क्योंकि इसने ग्रीस, जिबूति और पाकिस्तान के बंदरगाहों में अपने कारोबारी हित देखता है।16
कोविड-19 के दरमियान, चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना या तो बुरी तरह या आंशिक रूप से सही पर प्रभावित हुई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कोरोना महामारी के चलते ओबीओआर के 20 फ़ीसदी हिस्से को “गंभीर रूप से प्रभावित” होने की बात कही है।17 परियोजना के “40 फ़ीसदी हिस्से पर आंशिक प्रभाव पड़ा है और शेष 30 से 40 फ़ीसदी हिस्सा किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है”। कुल मिलाकर परियोजना का 60 फ़ीसदी हिस्सा कोरोना वायरस से प्रभावित हुआ है और 40 फ़ीसदी हिस्से में सुधार दिखाई देता है।18 बेल्ट एंड रोड इंटरनेशनल कॉरपोरेशन पर एक उच्चस्तरीय वीडियो कांफ्रेंसिंग18 जून 2020 को हुई थी, जिसमें 25 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। कोविड-19 ने कुछ परियोजनाओं पर काम ठप कर दिया है। हालांकि परियोजनाओं की गति धीमी हुई है लेकिन इसे अल्पकालीन व्यवधान के रूप में ही देखा जाना चाहिए। थोड़े हेर-फेर के साथ बीआरआई परियोजना जारी रहेगी।
2021 में, चीन बहुपक्षीय मंच पर सक्रिय रहेगा। उसने,“ नए युग में चीन के अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग (चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इन न्यू एरा)” नाम से एक श्वेत पत्र जारी किया है। इसके मुताबिक चीन द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवादों को लेकर सक्रिय रहेगा तथा अंतरराष्ट्रीय पद्धति की चौकसी में अंतर्राष्ट्रीय विकास में अपने सहयोग का विस्तार करेगा। शी जिनपिंग ने दावोस में दिए गए अपने भाषण में कहा था: “बहुपक्षीयतावाद के मायने संवाद के जरिए अंतरराष्ट्रीय मसलों का हल किया जाना है और विश्व का भविष्य सभी को एक साथ मिलकर काम करने से निर्धारित होता है।”
इन तमाम व्यवस्थाओं के अलावा, चीन 2021 में तीन बड़े खेलों का आयोजन करेगा; जिनमें वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स, बीजिंग विंटर ओलंपिक्स और एशियन गेम्स शामिल हैं।
वुल्फ बैरियर डिप्लोमेसी को अमल में लाने से चीन के दोस्त से ज्यादा तो दुश्मन हो गए हैं। नए साल की शुरुआत में ही चीन के भारत, इंडोनेशिया, मलयेशिया और जापान से संबंध शत्रुतापूर्ण हो गए हैं। ऐसा वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा (एलएसी), पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में उसकी आक्रामक नीतियों की वजह से हुआ है। इन क्षेत्रों में चीन की बढ़ी हुई आक्रामकता ने स्थापित क्षेत्रीय प्रणाली के महत्व को कमतर कर दिया है। लिहाजा, यहां तनावपूर्ण संबंध आगे भी बना रहेगा, लेकिन चीन को बड़ी चुनौती अमेरिका में नए प्रशासन की तरफ से मिलेगी। शिनजियांग में मानवाधिकार की गिरती दशा ने चीन पर पहले ही अंतरराष्ट्रीय दबाव बना रखा है।
कुल मिलाकर, चीन के लिए यह वर्ष महत्वपूर्ण रहने वाला है क्योंकि उसने जियाओकांग की तरफ कदम बढ़ा दिये हैं और उसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2049 ( चीन की 100वीं वर्षगांठ) तक पूरी तरह “विकसित, समृद्ध और ताकतवर राष्ट्र” होना है। शी जिनपिंग ने दोहराया: “आगे का रास्ता लंबा है, और आगे बढ़ते रहने के लिए कोशिश करते रहना ही एकमात्र उपाय है।" इन तथ्यों के आलोक में 2021 चीन के लिए सामान्य नहीं होगा और उसे बेशुमार चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
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