‘और चीन के पास अकूत धन है,’ यह एक गारंटी वक्तव्य है, जिसे चीन पर आयोजित होने वाले हर सेमिनार या विमर्श में किसी को भी सुनने को मिल जाता है। किंतु चीन के मालदार होने और उसकी लुभावनी कवायदों के बावजूद कई सवाल खड़े होते हैं। चीन आर्थिक रूप से ताकतवर कैसे बना रह सकता है, जबकि उसके अर्थशास्त्री एवं नीति-निर्माता ही मानते हैं कि चीनी अर्थव्यवस्था की दशा सवालों के घेरे में है? चीन विश्व के सबसे बड़े कारोबार वाले देश के रूप में विकसित हो सकता था जबकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में उसकी मार्केट इकनोमी को चुनौती दी गई हो? एकपक्षीय होने के बावजूद चीन अपने ज्यादातर द्विपक्षीय या क्षेत्रीय संबंधों में आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों को अलहदा रख सकता था , जबकि चीनी कम्पनियां जीडीपी और गैर-कॉरपोरेट कर्ज के तय अनुपात के बजाय विश्व की सबसे ऊंची ब्याज दर पर बड़े संरचनागत कार्यक्रमों के लिए करार कर सकती हैं।1 2018 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद उसके कमजोर प्रतियोगी देशों के प्रक्षेपण पथ को देखते हुए चीन का आर्थिक उद्भव अत्यधिक ही नाटकीय हो गया है। यूरोजोन संकट और मुद्रास्फीति वाले जापान से लेकर, त्वरित तकनीकी विकास और नये क्षेत्रवाद तक चीन ने अपने संरचना के निर्माण और सस्ती मैन्युफैक्चरिंग में निवेश के द्वारा कई अंतरालों को पाटा है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन की सत्ता की हिचक को छोड़ने के बाद बहुत सारे देश यह महसूस करने लगे हैं कि चीन केवल बाजार और एक बड़ी फैक्ट्री ही नहीं है। अपने विदेश मुद्रा भंडार को एक रणनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल करते हुए चीन विश्व के कारोबारी मंच पर पश्चिमी जगत के दायरे से बाहर निवेश और तकनीक के वैकल्पिक स्रोत के रूप में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाने लगा है। वह अपने भू-राजनीतिक लक्ष्यों को साधने के लिए देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लागू करने से भी नहीं डरता है। हाल के समय में, ऑस्ट्रेलिया के चीन में कोरोना वायरस फैलने की जांच की मांग किए जाने के बाद चीन ने उसके खिलाफ 80 फीसद प्रति कर (एंटी डंपिंग कर) थोप दिया है, जो सालाना 500 मिलियन डॉलर बनता है। इसी तरह, अफ्रीकी उपमहाद्वीप में ढेर सारा चीनी निवेश के बावजूद ये देश इस कवायद को नये उपनिवेश के तरीके के रूप में देखते हैं, जिसकी नजर अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों पर है। एक पूर्ण विकास क्रम में, यहां तक की नाटो के नेताओं ने दिसंबर 2019 में लंदन में हुए शिखर सम्मेलन में चीन के बढ़ते दखल को लेकर अपनी चिंता जताई थी। इसके 29 सदस्य देशों ने चीन की बढ़ती वैश्विक भूमिका के मद्देनजर “अवसर और चुनौतियों” को औपचारिक रूप से स्वीकार किया था।
यहां तक की कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी और अमेरिकी दबाव के पहले चीन के आर्थिक प्रभाव में विकास-क्रम जारी था। चीन के विदेशी मुद्रा विनिमय प्रशासन के मुताबिक उसका विदेशी कर्ज, जिसमें अमेरिकी कर्ज भी शामिल है, 2019 के अंत तक इसकी पहली तिमाही की तुलना में 2.05 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था। चीन का घरेलू उधार 2018 की अंतिम तिमाही की तुलना में 2019 के अंत में, जीडीपी का 54.3 फीसद तक हो गया था।2 चीन में मध्य वर्ग का 75 फीसद हिस्सा निम्न मध्य वर्ग की श्रेणी में तब्दील हो गया है।3 पहले से ही रोजगार बाजार में कायम सिकुड़न के बीच कोरोना की वजह से बढ़ती बेरोजगारी ने प्रस्तावित दोहरे वितरण की कार्यनीति की वहनीयता को कमतर कर दिया है, जो घरेलू खपत में बढ़ोतरी के जरिए बेरोजगारी को थामने पर भरोसा जताता था। मुख्यधारा का मीडिया यह रिपोर्ट कर रहा था कि वायरस के संक्रमण का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, किंतु घरेलू प्राथमिकताएं चीन के हाथ बांध सकती हैं। इसके अलावा, पूरे विश्व में बाल्कन से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की आधी अधूरी प्रतिबद्धताओं ने उसकी अपेक्षाओं को धूमिल कर दिया है। कई देशों ने अपने साथ किये गये उसके करार को “अनुचित” मानते हुए इस पर फिर से विचार करने की मांग की है। उनका कहना है चीनी निवेश के चलते उनके देशों में भ्रष्टाचार फैला है और घरेलू असंतोष को ही बढ़ावा मिला है।
चीन ने दावोस में उदारवादी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में खुद के चैंपियन होने का महिमामंडन किया। इसके बावजूद चीन ने उस प्रणाली को ही कमतर किया है या उसमें बाधा डाला है, जो उसकी प्रगति और समृद्धि के जिम्मेदार रहे हैं। एक केस डब्लूटीडीएस 5/516/1 ने विश्व व्यापार संगठन और बहुपक्षीय कारोबार प्रणाली में एक तबाही का संकेत कर दिया है। चीनी डब्ल्यूटीओ एक्शन प्रोटोकॉल के प्रावधान 15 के मुताबिक यह कहा गया था कि गैर बाजार वाली अर्थव्यवस्था (एनएमई) के प्रावधान अधिग्रहण की तारीख से 15 साल बाद समाप्त हो जाएंगे। चीन ने इसका मतलब यह निकाला कि प्रतिकर (एंटी-डंपिंग ड्यूटिज) की गणना में एनएमई प्रविधि 10 दिसंबर 2016 के बाद जारी नहीं रह सकेगी। हालांकि 11 दिसंबर 2016 को न अमेरिका और नहीं यूरोपियन यूनियन ही इस प्रावधान को छोड़ने के लिए राजी थे क्योंकि चीनी दाम मुक्त बाजार वाली दूसरी-दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अविश्वसनीय थे। लिहाजा चीन-डब्ल्यूटीओ एक्शन प्रोटोकॉल की धारा 15 (डी) की व्याख्या का प्रतिवाद करते हुए चीन ने अमेरिका और यूरोपियन यूनियन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध 12 दिसंबर 2016 को डब्ल्यूटीओ में एक अलग केस दायर किया। कारोबार में नुकसान के भय से चीन ने खुद के बाजार आधारित अर्थव्यवस्था होने का दावा करते हुए जून 2019 में डब्ल्यूटीओ में अपने मामले को रोक दिया और 2020 में इस पैनल की कार्य अवधि बीत जाने के बाद इस ऐतिहासिक केस को गंवा दिया।
डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों में यह व्यापक धारणा है की चीन ने डब्ल्यूटीओ की शर्तों के मुताबिक अपने बाजार में लगातार सुधार नहीं किया है। हालांकि ट्रंप प्रशासन इसको लेकर अत्यधिक आलोचक रहा है, लेकिन इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि चीन के अनुचित कारोबारी व्यवहारों के प्रति डब्ल्यूटीओ अनावश्यक रूप से उदार रहा है। कारोबार में चीन के साझीदार देश डंपिंग, भेदभावकारी गैर करों के प्रावधान, बलपूर्वक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अधि-क्षमता और औद्योगिक सब्सिडी को लेकर डब्ल्यूटीओ में मामला दर्ज कराने के लिए जद्दोजहद करते रहे हैं। उदाहरण के लिए, एंटी ट्रस्ट लॉ डब्ल्यूटीओ का उल्लंघन नहीं है क्योंकि डब्ल्यूटीओ अंतरराष्ट्रीय एंटी ट्रस्ट लॉ से कम ही सरोकार रखता है। फिर चीनी बाजार तक व्यापक पहुंच बनाने के एवज में किसी विदेशी कंपनी को बौद्धिक संपदा की लाइसेंस देने की मांग भी डब्ल्यूटीओ के किसी नियम का उल्लंघन नहीं है।4 फरवरी 2020 में अमेरिकी सरकार ने चीन को विकासशील देश के बजाए “विकसित” श्रेणी में शुमार कर दिया और कारोबार में मिलने वाले कुछ लाभों में कटौती कर दी।5 डब्ल्यूटीओ समझौता विकासशील देशों को कारोबार में कुछ विशेष लाभ और अधिकार देता है, जिसमें, समझौतों और प्रतिबद्धताओं को दीर्घ अवधि में लागू करने की रियायत भी शामिल है।
यद्यपि चीनी आर्थिक प्रणाली के कई पहलू संदेह के घेरे में है, ऐसे में चीन के अपने राज्य स्वामित्व वाले उद्यम (एसओईएस) के प्रति मुक्त समर्थन विवादास्पद रहे हैं। कई देशों ने इस व्यवस्था का यह कहते हुए विरोध किया है कि घरेलू और तीसरे बाजारों में अपनी राष्ट्रीय कंपनियों की प्रतियोगितात्मकता को नुकसान पहुंचा कर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को विदेशों में आसानी से कंपनी खरीदने के लिए अंतहीन अनुदान कैसे दिया जा सकता है। 1990 में जब चीन के कई एसओईएस विदेशी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने लगे तो उन्होंने चीनी सरकार के साथ अपने संबंधों को गोपनीय रखा। कारोबार के क्षेत्र में चीनी कानून में यह प्रावधान है कि देश की सभी सरकारी और निजी कंपनियों, यहां तक कि चीन में स्थापित विदेशी कंपनियों की अगुवाई चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के वरिष्ठ सदस्यों की कमेटी करेगी। इंटरनेट के जरिए कारोबार करने वाली विशालकाय कंपनी अलीबाबा के सह-संस्थापक जैक मा ने 2018 में सीसीपी की अपनी सदस्यता का खुलासा कर पूरे विश्व को चौंका दिया था। तब व्यापक रूप से कयास लगाए जा रहे थे कि 2014 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में अलीबाबा के सूचीबद्ध होने तक उसने सीसीपी से अपने जुड़ाव को गुप्त रखा था। वास्तव में चीन के तीनों विशालकाय प्राइवेट इंटरनेट बायडू, अलीबाबा और टेन्सेंट के संस्थापक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के सदस्य हैं और अब जाकर चीनी अर्थव्यवस्था की कि चप्पे-चप्पे में उनकी पहुंच उजागर हो गई है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में बौद्धिक संपदा मामलों के कार्यकारी सलाहकार और लेखक केविन रिविटे ने डेविड क्लाइन के साथ “रीब्रांड इन एटिक अनलॉकिंग: रिटर्न वैल्यू ऑफ पैरंट्स” एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने किसी कंपनी को कारोबार के लिए चीन जाने के पहले अपनी कार्यनीति बनाने की महत्ता पर जोर दिया है। उनका कहना है कि जो कंपनियां ऐसा करने में विफल हो जाती हैं, वे स्वयं को मुसीबत में फंसा लेती हैं।6 बलात तकनीकी हस्तांतरण विवाद से जुड़ा एक ऐसा ही मुद्दा है, जो चीन द्वारा विकास की योजनाओं को लक्षित कर बनाए गए सेक्टर में ज्यादा जोर पर है। उदाहरण के लिए चीन संयुक्त या साझा उपक्रम के जरिए कारोबार करता है। वह ऑटोमेकर्स और एविएशन के आपूर्तिकर्ताओं को अपनी खास अन्वेषित तकनीकी जानकारी चीनी साझेदारों के देने के लिए विवश करता है। 2014 में कावासाकी हेवी इंडस्टरीज तथा जापान एवं यूरोप की बुलेट ट्रेन बनाने वाली कंपनियों को अपनी जानकारियां और प्रौद्योगिकी चीन के रेल मंत्रालय और चीनी कंपनियों को हस्तांतरित करना पड़ा था।7
इसके अलावा, चीन विदेश की प्रौद्योगिकी लाइसेंस देने वालों से सभी तरह की क्षतिपूर्तिजोखिम लेने की मांग करता है। लाइसेंस पाने वाली चीनी कंपनियों को उच्च प्रौद्योगिकी में सुधार के लिए आदेशित करता है और आम तौर पर साझा चीनी उपक्रमों को 10 साल बाद उस प्रौद्योगिकी के शाश्वत उपयोग के लिए अधिकृत कर देता है।8 यद्यपि चीन बौद्धिक संपदा, एयरोस्पेस, बायोटेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर आदि क्षेत्रों में “मेड इन चाइना” नीति के अधिकारी उल्लेख को कम कर सकता है, पर उसके 100 से अधिक राज्यों में विदेशी प्रौद्योगिकी तकनीक हासिल करने की योजना है।9 वास्तव में, कथित मिलनसारिता के बावजूद रूस अपने मित्र चीन की रिवर्स इंजीनियरिंग को लेकर चिंतित रहता है। यही वजह है कि सन 2000 के मध्य में दोनों देशों के बीच हथियारों की खरीद-बिक्री में त्वरित ह्रास हुआ था। 2005 में चीन 60 फ़ीसदी हथियार रूस से खरीदता था, वही यह आंकड़ा 2012 में घटकर 8.5 फीसद रह गया।10
चीन में काम करने वाली कंपनियां अपनी साइबर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा कराए जाने और उसे अगले साल लागू करने के लिए प्रमाणित किए जाने के दबाव झेलती हैं। चीन का ड्राफ्ट डाटा सिक्योरिटी लॉ विदेशों में काम करने वाली चीनी कंपनियों से अपने नेटवर्क सुरक्षा इंतजामों को साझा करने की मांग करता है। इसके पीछे चीन का मकसद डाटा को, जिसे वह “खास डाटा” कहता है, सुरक्षित रखना है। यदि वह यदि लीक हो गया तो यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और जन स्वास्थ्य को सीधे-सीधे प्रभावित कर सकता है। समझा जाता है कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ऑफ चाइना की स्थाई कमेटी द्वारा प्रकाशित किए गए कानून अपने नियंत्रण क्षेत्र के बाहर की कंपनियों को वैधानिक अधिकार रखने का प्रयास है। कोविंगटन एंड बर्लिंग इन बीजिंग कानूनी संस्था में भागीदार यान लू कहते हैं, “चीन कानून को एक अतिरिक्त क्षेत्रीय प्रभाव देने पर विचार कर रहा है, जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा है।” यह ड्राफ्ट लॉ मौजूदा समय और 2021 में जब इसे लागू किया जाएगा, वह उन परिस्थितियों और तकाजों के मुताबिक बदलेगा। चीन में काम करने वाली कंपनियां को सरकार द्वारा नियुक्त प्रमाणीकरण निकाय की तरफ से साइबर सुरक्षा प्रमाण पत्र पहले से ही लेकर रखना होगा।11
सीसीपी की विचारधारा की जड़ें और वैधता कम्युनिज्म के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता से खुराक ग्रहण करती हैं, जबकि समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था से मिलने वाले लाभों को भी स्वीकार करती है। इसके बावजूद एक सुधारक के रूप में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में पश्चिमी देशों का आकलन है कि उनकी नीतियां केवल पार्टी को प्रमुखता देने के लिए और राज्यों के स्वामित्व वाली इकाइयों को आगे भी बढ़ावा देती है। बारूदी सुरंगें परंपरागत अन्य हथियारों से अलग होती हैं। जब जंग खत्म हो जाती है, तब जमीन में छुपी बारूदी सुरंगें लोगों को दशकों तक मारना जारी रखती हैं। चीन के संदिग्ध बाजार नियमनों और कंपनियों को उसके पुलों और बंदरगाहों में उसकी तरह प्रत्यक्ष निवेश के लिए दबाव डालने को देखते हुए चीन से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। चीनी लंबे समय तक के लिए सत्ता के खेल में संलग्न हैं।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
Image Source: https://www.ft.com/content/0c7ecae2-8cfb-11e8-bb8f-a6a2f7bca546
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