ब्लू बनाम ग्रीनः ताइवान में मध्यावधि चुनाव का विश्लेषण
Dr Teshu Singh

बीते वर्ष 24 नवंबर को ताइवान में स्थानीय निकाय और मध्यावधि चुनाव संपन्न हुए। इन चुनावों में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) 13 शहरों और काउंटी में चुनाव हार गई। उसे ताइचुंग और का सोंग जैसे दो प्रमुख शहरों में भी उसे मात खानी पड़ी। पार्टी के पास अब केवल छह शहरों और काउंटियों में ही बहुमत रह गया है। ताइपे शहर में भी एक निर्दलीय प्रत्याशी को ही जीत हासिल हुई। दूसरी ओर कुओमिनटैंग पार्टी (केएमटी) को 15 शहरों और काउंटियों में जीत हासिल हुई जिनमें तीन म्युनिसिपैलिटी भी हैं।

हार की जिम्मेदारी लेते हुए साई इंग-वेन ने डीपीपी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह वर्ष 2020 तक ताइवान के राष्ट्रपति पद पर बनी रहेंगी। ये चुनाव नतीजे वर्ष 2014 में हुए मध्यावधि चुनावों के परिणामों से एकदम उलट आए। 2014 में डीपीपी ने जहां 13 सीटें जीती थीं और केएमटी को 6 जबकि 3 स्थानों पर निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली थी।

स्थानीय चुनावों के अलावा इस दौरान दस सवालों को लेकर जनमत संग्रह भी हुआ। ये सवाल भी तीन भागों में विभाजित थे। एक ताइवान का दर्जा, दूसरे हिस्से में एलजीबीटी अधिकारों और तीसरे हिस्से में पर्यावरण एवं खाद्य सुरक्षा से जुड़े प्रश्न थे।

चाइनीज ताइपे का नाम बदलकर ताइपे करने का प्रस्ताव ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिहाज से खारिज हो गया। ताइवानी लोग इस बात को लेकर चिंतित थे कि देश का नाम बदल देने से कहीं वे ओलंपिक खेलों में भाग लेने से वंचित न रह जाएं।1

समलैंगिक विवाह अधिकार और शिक्षा से जुड़े दो प्रस्ताव भी खारिज कर दिए गए। जनसांख्यिकीय, सांस्कृतिक और संस्थागत कारक भी इस जनमत संग्रह के खारिज होने की अहम वजह रहे। दुनिया में सबसे कम जन्म दर (1.13 प्रतिशत)2 वाले देशों में ताइवान तीसरे पायदान पर आता है। ऊर्जा नीति से जुड़े प्रस्ताव पारित हो गए जहां मतदाताओं ने कोयले के इस्तेमाल में कमी के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। साथ ही उन्होंने परमाणु ऊर्जा उत्पादन को वर्ष 2025 तक रोकने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। यह जनमत संग्रह संकेत करता है कि वायु प्रदूषण का मुद्दा ताइवानियों के लिए बहुत मायने रखता है।3

पहले ताइवान में जनमत संग्रह को पारित कराने के लिए कुल मतदाताओं के 50 प्रतिशत मतों की जरूरत होती थी। दिसंबर, 2017 में जनमत संग्रह अधनियम में संधोधन कर योग्य मतदाताओं की 50 प्रतिशत सीमा के दायरे को घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया।4

हार के कारण

कथित तौर पर चीन ने भी दुष्प्रचार के जरिये चुनावों को प्रभावित किया। इसमें सोशल मीडिया से लेकर चीन के समर्थन में मुहिम चलाने वाले प्रकाशकों की भी इसमें भूमिका रही।5 सेवानिवृत्त सरकारी कर्मियों की पेंशन कम करने के डीपीपी के कदम से भी लोगों में नाराजगी थी।6 इसके अलावा केएमटी के आक्रामक चुनाव प्रचार और प्रांतों में सही प्रत्याशियों का चयन भी एक अहम पहलू रहा। का शोंग प्रांत में प्रत्याशी के रूप में उसने हान कुओ-यू को चुना। उन्होंने स्थानीय मुद्दे उठाए और स्थानीय जनता से वादा किया कि वह ‘प्रांत को फिर से महान’ बनाएंगे और इसने जनता को व्यापक रूप से प्रभावित किया।7

आम चुनाव से उलट मध्यावधि चुनावों में स्थानीय महत्व के मुद्दे जोर-शोर से उठाए गए। इस जनादेश का अर्थ है कि समाज में कुछ विशेष मुद्दों को लेकर एकमत का अभाव है और अर्थव्यवस्था के सुस्त पड़ने, सामाजिक कल्याण की योजनाओं में कटौती और नई नीतियों की सीमित सफलता और कूटनीतिक साथियों के साथ रिश्तों में कटौती जिससे ताइवान के लिए कूटनीतिक गुंजाइश कम हो रही है, इन सभी से भी लोगों में गहरा असंतोष व्याप्त हो रहा है।

मध्यावधि चुनावों के दौरान डीपीपी के लिए बाहरी परिदृश्य भी प्रतिकूल ही था और डीपीपी द्वारा अपनी नीतियों के खराब क्रियान्वयन ने भी उसकी हार तय कर दी। इसमें एलजीबीटी अधिकारों का मुद्दा अहम था। वहीं अपनी नीतियों को लेकर डीपीपी की अक्षमता ने भी उसके लिए मुश्किलें पैदा कर दीं। इसके अलावा डीपीपी के चुनाव अभियान में गड़बड़ी, गलत समय, नीतियों में उतार-चढ़ाव और तमाम ऐसे पहलुओं के कारण भी जनता का सरकार से मोहभंग हुआ। 8

अमेरिका और चीन से प्रतिक्रिया

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने और ‘लोकतंत्र को पुनः सशक्त बनाने के लिए’ अमेरिकी विदेश विभाग ने ताइवान के लोगों की प्रशंसा की।9 28 नवंबर, 2018 को एक अमेरिकी नौसैनिक और एक रसद आपूर्ति जहाज ताइवान स्ट्रेट से गुजरे। इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए चीन के प्रवक्ता ने कहा कि, “हमें उम्मीद है कि अमेरिकी पक्ष ताइवान से जुड़े मुद्दों को लेकर एहतियात बरतेगा जिससे चीन-अमेरिका संबंधों पर कोई आंच न आए और ताइवान स्ट्रेट के इलाके में शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित हो।10” जी-20 बैठक के दौरान ताइवान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई जिसमें शी चिनफिंग ने ताइवान पर चीन के रुख को दोहराया तो अमेरिका ने सहमति जताई कि वह ‘वन-चाइना नीति’ पर निरंतर अडिग रहेगा।11 अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को देखते हुए चीन की प्रतिक्रिया गूढ़ नजर आती है।

जून 2018 में अमेरिका ने ताइवान में डी-फैक्टो दूतावास को और समृद्ध बनाया। इसे अमेरिका और ताइवान के बीच संबंधों में मजबूती और गतिशीलता के प्रतीक के रूप में दर्शाया। ताइवान में अमेरिकन इंस्टीट्यूट (एआईटी) को अपग्रेड करने में अमेरिका ने 25 करोड़ डॉलर खर्च किए। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी उद् घाटन समारोह में शामिल भी हुए। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन ने कहा, “हम अमेरिका से निवेदन करते हैं कि वह चीन से जताई गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करे और ताइवान स्ट्रेट में शांति एवं चीन-अमेरिकी को नुकसान पहुंचाने वाली गलती को सुधारे।12” उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में अमेरिका और ताइवान के बीच 87 अरब डॉलर की वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार हुआ। अमेरिका ताइवान का 12वां सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।

चुनाव नतीजों पर चीन ने बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। राज्य परिषद में ताइवान मामलों के प्रवक्ता ने कहा, “जनादेश ताइवानी लोगों की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है कि जो ताइवान स्ट्रेट में शांति का लाभ उठा रहे हैं। वे इस द्वीप की अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन स्तर में सुधार की इच्छा रखते हैं।”13 चीन ने आगे यह भी कहा कि अगर ताइवान संवाद सुधारने में बाधाओं को दूर करे तो वह भी ताइवान के साथ कदम बढ़ाने को तैयार है।14 कुल मिलाकर स्थानीयी चुनावों में केएमटी सरकार की सफलता चीन के लिए फायदे की बात है।

ताइवान की प्रतिक्रिया

मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल (एमएसी) ने कहा कि चीन को चुनाव नतीजों और उसके साथ ही आए जनमत संग्रह के परिणामों की एकतरफा व्याख्या नहीं करनी चाहिए। बेहतर से बेहतर यह ‘लोकतांत्रिक राजनीति के परिपक्व विकास’ का परिचायक है। आखिरकार चुनाव नतीजे शांतिपूर्ण संबंधों से अधिकांश लोगों उम्मीदों को ही दर्शाते हैं।15

2020 के आम चुनावों के लिए निहितार्थ

वर्ष 2016 में साई इंग-वेन ने ताइवान और चीन के बीच गहराते आर्थिक जुड़ाव का विरोध करते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। उन्होंने ‘न्यू साउथबाउंड पॉलिसी’ को नए सिरे से पेश करने का वादा भी किया था। एक तो उनकी नीति को सीमित सफलता ही मिल पाई और दूसरे चीन अभी भी ताइवान का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना हुआ है। इस प्रकार आर्थिक मोर्चे पर विविधता लाने का बुनियादी वादा ही पूरा नहीं हो पाया।

लेखाचित्र (चार्ट) से भी पता चलता है कि चीन-ताइवान व्यापार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मार्च 2018 में यह 44.8 प्रतिशत था। वहीं नई साउथबाउंड पॉलिसी में बीते दो वर्षों के दौरान निर्यात के लिए चीन पर ताइवान की निर्भरता और बढ़ी है। नई साउथबाउंड पॉलिसी के साथ साई इंग-वेन ने ताइवान के अंतरराष्ट्रीय कद में इजाफे का वादा किया था, लेकिन ऐसा भी नहीं हो पाया। इसके उलट बीते दो वर्षों में ताइवान को छह कूटनीतिक साथियों को गंवान पड़ा। वर्ष 2018 में अल सल्वाडोर, बरकिना फासो, डोमिनिकन रिपब्लिक ने तो वर्ष 2017 में पनामा और वर्ष 2016 में जांबिया और साओ टोम एंट पिनिकल ने उससे नाता तोड़ा।

ताइवानी लोगों ने साई इंग-वेन के दौर में अर्थव्यवस्था के जितनी तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद लगाई थी, अर्थव्यवस्था उतनी तेजी से नहीं बढ़ी। वर्ष 2017 में ताइवान की आर्थिक वृद्धि दर 2.89 प्रतिशत थी जो 2016 में साई के सत्ता संभालने के वक्त से तेज थी। वर्ष 2018 में भी वृद्धि दर 2.48 प्रतिशत रहने का अनुमान है।16 यूबीएस रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में ताइवान का जीडीपी 3 प्रतिशत से घटकर 2.6 प्रतिशत पर आ सकता है। हालांकि केएमटी के उभार से ब्लू वेव के आभास का अर्थ यह नहीं है कि ताइवानी लोग चीन से निकटता को तरजीह दे रहे हैं। आरेख दर्शाता है कि 55.8 प्रतिशत आबादी ताइवानी पहचान को ही वरीयता देती है जबकि एकीकरण के समर्थकों की संख्या में तेजी से कमी (3.5 प्रतिशत) आई है।

मध्यावधि चुनावों में मात खाने के बाद साई इंग-वेन को क्रॉस-स्ट्रेट रणनीति सहित अपनी नीतियों की नए सिरे से समीक्षा करनी होगी। चुनाव नतीजों ने वर्ष 2020 के चुनाव में साई इंग-वेन की दोबारा जीत को लेकर संदेह पैदा कर दिए हैं। इससे उनके राजनीतिक भविष्य के साथ ही डीपीपी की पुनः सत्ता में वापसी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आम चुनाव के लिहाज से इस मुद्दे पर गहन आत्ममंथन की आवश्यकता है। जनवरी, 2018 में हुए सर्वेक्षण के अनुसार 28 प्रतिशत लोगों ने डीपीपी और 24 प्रतिशत लोगों ने केएमटी को अपनी पसंद बताया था, लेकिन 43.4 प्रतिशत लोग निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थन में रहे।17 एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में ताइवान के भविष्य के दृष्टिकोण से अगला आम चुनाव उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

डीपीपी सरकार के दौर में भारत-ताइवान रिश्तों में भारी सुधार हुआ। वर्ष 2001 में जो द्विपक्षीय व्यापार 1.19 अरब डॉलर था वह न्यू साउथबाउंड पॉलिसी के तहत 2017 में बढ़कर 6.4 अरब डॉलर हो गया। भारत में ताइवानी निवेश भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अभी तक तो डीपीपी सरकार ने निवेश के लिए भारत को प्राथमिकता दी है। जेम्स हुआंग ने कहा है, “व्यापार और निवेश के दृष्टिकोण से भारत हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अतीत में हमने भारत पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।” यह स्पष्ट नहीं है कि अगर 2020 में केएमटी सत्ता में आई तो क्या वह निवेश में विविधता को ऐसे ही प्राथमिकता देगी या नहीं।

References:
  1. https://www.scmp.com/news/china/politics/article/2174828/taiwan-set-high-election-turnout-voters-queue-deliver-their
  2. https://www.scmp.com/comment/insight-opinion/united-states/article/2175733/three-reasons-why-same-sex-marriage-still-no
  3. https://www.nytimes.com/2018/11/26/world/asia/taiwan-election.html
  4. https://nationalinterest.org/feature/blue-wave-kmt-wins-big-taiwans-midterms-37152
  5. https://www.washingtonpost.com/world/taiwanese-president-quits-party-leadership-after-pro-china-rivals-claim-ballot-landslide/2018/11/25/46ce7fa4-f078-11e8-9236-bb94154151d2_story.html?utm_term=.d64872e058ce
  6. https://www.japantimes.co.jp/news/2018/11/26/asia-pacific/politics-diplomacy-asia-pacific/taiwanese-pro-china-partys-big-win-puts-tsai-ing-wens-future-doubt/
  7. https://www.scmp.com/news/china/politics/article/2174915/rank-outsider-mayor-kaohsiung-meet-man-who-wooed-taiwans
  8. https://taiwaninsight.org/2018/11/30/a-blue-wave-or-a-green-flop-making-sense-of-taiwans-2018-local-elections/
  9. https://www.washingtonpost.com/world/taiwanese-president-quits-party-leadership-after-pro-china-rivals-claim-ballot-landslide/2018/11/25/46ce7fa4-f078-11e8-9236-bb94154151d2_story.html?utm_term=.d64872e058ce
  10. http://www.chinadaily.com.cn/a/201811/30/WS5c008b52a310eff30328bf24.html
  11. http://www.chinadaily.com.cn/a/201812/03/WS5c042c82a310eff30328e85f.html
  12. https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/xwfw_665399/s2510_665401/t1568234.shtml
  13. http://www.chinadaily.com.cn/a/201811/26/WS5bfaff73a310eff30328aeb2.html
  14. http://www.chinadaily.com.cn/a/201811/29/WS5bfeff5aa310eff30328ba50.html
  15. http://www.taipeitimes.com/News/front/archives/2018/11/26/2003704939
  16. https://chinapost.nownews.com/20181129-469224
  17. http://focustaiwan.tw/news/aipl/201801280013.aspx

Translated by Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: https://gdb.voanews.com/F1603BF7-494E-4583-B785-2ED4E5CDD97D_w1023_r1_s.jpg

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