भारत चीन के बीच घटते व्यापार ने इन दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में खटास पैदा कर दी है। कई भारतीय उद्योगों के इससे खोखले होने की चिंता भी जताई जा रही है। इस पृष्ठभूमि के बीच 14 अप्रैल 2018 को भारत-चीन रणनीतिक आर्थिक संवाद संपन्न हुआ है। 2017-2018 में भारत-चीन के बीच 63.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात हुआ तो वही 10.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ जिससे भारत को 52.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार भारत-चीन के बीच 2007-08 से 2016-17 तक व्यापार सम्बन्धी घाटे में 219 प्रतिशत इजाफ़ा हुआ है। वर्ष 2007-08 में भारत को 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा हुआ था, जिसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ते हुए 2016-17 में 51 बिलियन डॉलर11 तक पहुँच गयी है। 1988 में एक संयुक्त आर्थिक समूह संवाद, वाणिज्य और उद्योग के लिए स्थापित किया गया था जिसका कार्य कारोबार सम्बन्धी मसलों से निबटना था और साथ ही केवल चीन के लिए पैदा हो रहे बेहतरीन अवसरों को नियंत्रित करना था। इस संवाद का आयोजन पहली बार 1988 में दिल्ली में किया गया था।
साथ ही, दिसम्बर 2010 में वेन जीआबो के दौरे के समय रणनीतिक-आर्थिक संवाद की स्थापना भी की गयी थी जिसका उद्देश्य बृहत-अर्थशास्त्र के स्तर पर दोनों देशों के बीच सामंजस्य पैदा करना और आपसी विकास के स्तर को समझना और उसकी प्राप्ति में सहयोग करने का था। इस तरह का संवाद चीन ने अमेरिका के अलावा केवल भारत के साथ किया है। इस संवाद से दोनों ही पक्षों की ओर से यह सामने आया कि कारोबारी घाटे का यह मसला चिंताजनक है और इसके लिए उन्हें उचित प्रयास करने होंगे। दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौतों से आगे बढकर सोचने और कारोबार में स्थिरता लाने की बात इस संवाद के दौरान सामने आई। अब तक रणनीतिक एवं आर्थिक संवाद के तहत सितम्बर 2011, नवम्बर 2012, मार्च 2014 और दिसम्बर 2016 में चार बैठक हो चुकीं है।
पंचम रणनीतिक एवं आर्थिक संवाद में भारत का प्रतिनिधित्व नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने किया था तो वहीँ चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के विकास एवं सुधार आयोग के अध्यक्ष हे लिफेंग ने किया था। डोकलाम में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद यह पहला संवाद था। इस संवाद की तिथि से केवल एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल 12-13 अप्रैल 2018 को चीन में अपने आधिकारिक दौरे पर थे जहाँ उन्होंने पोलिट ब्यूरो के सदस्य और सीपीसी केंद्रीय समिति की विदेशी-सम्बन्ध आयोग के निदेशक यांग जेईची से शंघाई में मुलाकात की थी।
संवाद के परिणाम
यह संवाद मुख्य रूप से पांच कार्यकारी क्षेत्र, जैसे आधारभूत संरचना, उच्च-स्तरीय ऊर्जा स्त्रोत, संसाधन संरक्षण और नीति सहयोग पर केन्द्रित था। दोनों ही पक्षों ने सम्बंधित विषयों पर वर्तमान परिस्थितियों का मुआयना किया और आगे के लिए सहयोग एवं सम्मति के लिए बातचीत की थी।
निवेश के मामले में, दोनों पक्षों ने यह तय किया कि जिन उद्योगों में उनका देश, अन्य देश में पिछड़ रहा है उन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया जायेगा। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमती जताई की अपनी समस्यायों के निबटारे हेतु उन्होंने उपयुक्त प्रणाली का निर्माण करना होगा। आधारभूत संरचना के मामले में यह तय किया गया की चीनी कंपनियों को भारतीय कंपनियों को सामान बेचने के बजाये भारत में ही अपनी इकाइयाँ स्थापित करनी चाहिए।
सूचना तकनीक और विद्धुतीय हार्डवेयर के मामले में भारत और चीन की अलग-अलग विशेषताएं हैं जिसके माध्यम से दोनों ही देशों के लिए बेहतरीन अवसरों का निर्माण किया जा सकता है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ सॉफ्टवेर एंड सर्विसेज कम्पनीज (नैसकॉम) ने भारत और चीन के बीच सहयोग की उच्च-स्तरीय तकनीक के क्षेत्रों में काफ़ी संभावनाओं का जिक्र किया जिनमें स्मार्ट सिटी, डिजिटल भुगतान, बेहतर उत्पादन आदि शामिल है।
ऊर्जा-सम्बंधित मामलों में दोनों ही देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा के श्रोतों को अधिक बढ़ावा देने पर सहमती दर्ज की और साथ ही सोलर ऊर्जा की भारत में उत्पत्ति अधिक करने के लिए भी दोनों पक्ष राजी हुए। उन्होंने संसाधन संरक्षण पर भी आपस में सहमती बनाई। नीति सहयोग में दोनों पक्षों ने मेक इन इंडिया और मेड इन चाइना 201522 को संयुक्त रूप से आगे की सम्भावना पर बातचीत शुरू की। इस सुअवसर का लाभ उठाते हुए भारतीय पक्ष ने चीनी कारोबार, विशेषकर की निर्यतौर आयात से सम्बंधित फ़र्क पर अन्य पक्षों का ध्यान केन्द्रित किया33 और चीनी आवश्यकताओं के अनुरूप भारतीय माल का निर्यात होने की भी बात की गयी जिसपर चीन को ध्यान देने की आवश्यकता है।
संवाद के दौरान भारत ने कार्यकारी समूहों की संख्या में बढ़ोतरी की बात कही और फार्मास्युटिकल्स और संस्कृतिक आदान-प्रदान को भी संवाद के अहम मसलों में शामिल करने के लिए जोर दिया। भारत ने सामान्य आवास योजनाओं के लिए चीनी निवेश को आम्नात्रित किया और बंगलौर-चेन्नई रेल कॉरिडोर को 150 किमी प्रति घंटे के रफ़्तार और बढ़ाने के लिए और झाँसी, आगरा रेलवे स्टेशन के आधुनिकरण के लिए चीनी सहयोग को आमंत्रित किया44।
चीनी पक्ष ने बेल्ट और रोड परियोजना का विषय भी इस बीच रखा जिसपर भारत अपने मूल रूप पर कायम रहते हुए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के लिए आपत्ति दर्ज करवाई और राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित पक्षों को इस मौके पर बखूबी सामने रखा। चीनी पक्ष ने भारतीय पक्ष को बेल्ट एवं रोड परियोजना से जुडे फायदे बताये पर उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का इसमें जिक्र नहीं किया। बांग्लादेश, भारत, चीन, म्यांमार गलियारे से जुडी परियोजना पर भी बातचीत की गयी। चीन, बेल्ट एवं रोड परियोजना में इस गलियारे को महत्वपूर्ण मान रहा है जो की वास्तविक रूप से भारतीय पहल है। लेकिन भारतीय पक्ष ने एशियाई ट्राईलेटरल हाईवे55 के लिए पहले की तरह इस बार भी अपनी स्थिति साफ़ कर दी।
अमेरिका-चीन के बढ़ते कारोबारी रिश्तों के बीच भरता ने चीन को सोयाबीन और चीनी बेचने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव की असल वजह अमेरिका द्वारा चीन पर थोपी गया आयात शुल्क है।66 वर्तमान में चीन 5.82 मिलियन टन सोयाबीन अमेरिका से आयात करता है (कुल आयात का 67 प्रतिशत)77 । मगर हाल ही में स्टील और एल्युमीनियम पर शुल्क लगाने के अपने इस जवाबी कदम में चीन ने सोयाबीन पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। इस कारण भारत ने उसे यह प्रस्ताव दिया है। यह पहली बार है जब भारत ने चीन को अमेरिका-चीन के बिगड़ते संबंधों के दौरान कोई ख़रीद सम्बंधित प्रस्ताव दिया है।
रणनीतिक-आर्थिक संवाद के अलावा भी संयुक्त आर्थिक समूह के 11वें सत्र की बैठक 26 मार्च 2018 को नई दिल्ली में हुई थी। चीनी प्रतिनिधित्वों ने भारतीय कृषि-उत्पाद जैसे गैर-बासमती चावल, रेपसीड मील, सोया मील्स, अनार और अनार बीजचोल, ओकरा, केला व अन्य फल एवं सब्जियाँ आदि को चीनी बाज़ार में बेहतर ढंग से बाज़ार की उपलब्धी सुनिश्चित करवाने का भरोसा दिया है।88 भारत ने फर्मास्यूटिकल के क्षेत्र में विस्तार और द्विपक्षीय समझौतों पर भी जोर दिया, साथ ही, चीनी नाशपाती, गेंदा के बीज और सेब को भारतीय बाज़ार में जगह दिलाने पर भी स्वीकृति बनी99।
हमें पता होना चाहिए की पिछले वर्ष डोकलाम विवाद के कारण रणनीतिक एवं आर्थिक संवाद नहीं हुआ था। डोकलाम विवाद के निबटारे के पश्चात् दोनों देश आगे बढ़ना चाहते है और कारोबार और वाणिज्य के क्षेत्र में हो रहे नये एवं महत्वपूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए आगे कार्य करना चाहते है। 16 अप्रैल 2018 को द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर चीनी विदेश मंत्री ने कहा, “11वां भारत-चीन संयुक्त आर्थिक समूह और 5वा चीन-भारत रणनीतिक आर्थिक संवाद सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि मंडल ने आधिकारिक दौरे को पूरा किया।” उन्होंने आगे कहा, “हम भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है। इसके लिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच सहमती बनने की आवश्यकता है। हम अपने द्विपक्षीय समझौतों के निर्देशों का पालन करेंगे और सही दिशा में कार्य करेंगे। इससे सकारात्मकता बढेगी और हम नये क्षेत्रों में विस्तार कर पाएंगे जिससे द्विपक्षीय संबंधों को भी मजबूती प्राप्त होगी।”
अतः यह जरुरी है की भारत-चीन के महत्वपूर्ण आर्थिक एवं जटिल संबंधों को बखूबी समझा जाए और इनके बीच जुडाव की चुनौतियों का निवारण किया जाए। इससे कारोबार को बल मिलेगा। इस नई बढ़त से प्रधानमंत्री की चीनी नेतृत्व से आगे की बातचीत को नये आयाम मिलेंगे।
सन्दर्भ:
1। https://www।bloombergquint।com/global-economics/2018/04/16/indias-trade-।।।।
2। http://indianembassybeijing।in/economic-dia।php।
3। http://indianembassybeijing।in/economic-dia।php।
4। https://economictimes।indiatimes।com/industry/transportation/railways/in।।।।
5। https://www।hindustantimes।com/india-news/india-says-will-not-take-sides।।।।
6। https://economictimes।indiatimes।com/news/economy/foreign-trade/india-pi।।।।
7। https://www।reuters।com/article/us-china-economy-trade-grains/brazil-gra।।।।
8। http://pib।nic।in/newsite/pmreleases।aspx?mincode=16।
9। http://www।business-standard।com/article/economy-policy/india-china-to-r।।।।
(लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से वीआईएफ का सहमत होना जरुरी नहीं है)
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