स्किल इंडिया अभियान : सामयिक पहल
Dr Teshu Singh

आर्थिक वृद्धि पर आयु का प्रभाव हमेशा ही बहस का विषय रहा है। युवा कामकाजी वर्ग में बढ़ोतरी किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि के लिए फायदेमंद होती है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अभी भारत की आबादी 1,342,763,001 है। भारत दुनिया का सबसे युवा देश हो जाएगा, जिसमें माध्य आयु 29 वर्ष होगी। इस समय भारत का ‘जनांकिक लाभांश’ अनुकूल है, जिसका अर्थ है कि उसके पास जो श्रम शक्ति है, वह उस पर आश्रित जनसंख्या की तुलना में अधिक है। इस अनुकूल या सकारात्मक जनांकिकी लाभांश को विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण देकर मानव संसाधन में बदला जा सकता है।

इसी विचार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के साथ अलग से ‘कौशल विकास मंत्रालय’ का गठन किया और उसे 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी दी गई। पहली बार किसी सरकार ने कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया था। 15 जुलाई, 2015 को उन्होंने पहले विश्व युवा कौशल दिवस पर स्किल इंडिया कार्यक्रम आरंभ किया। उन्होंने कहा, “आने वाले वर्षों में भारत दुनिया को श्रमशक्ति देने वाले सबसे बड़ा देश होगा।” पाना (स्पैनर) और पेंसिल पकड़ा हुआ हाथ कार्यक्रम का प्रतीक चिह्न है। यह कौशल के जरिये व्यक्ति के सशक्तिकरण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। कार्यक्रम का ध्येय वाक्य ‘कौशल भारत, कुशल भारत’ बताता है कि भारतीयों को कौशल प्रदान करने से राष्ट्र संपन्न बनेगा। कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है; ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, यूरोपीय संघ, ईरान और बहरीन के साथ कौशल विकास के लिए विभिन्न सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

स्किल इंडिया अभियान

कार्यक्रम आरंभ होने के बाद से ही सरकार ने प्रयासों को दिशा देने के कई प्रयास किए हैं। 15 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री ने चार नई पहलों का उद्घाटन किया; राष्ट्रीय कौशल विकास अभियान, राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता योजना 2015, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और कौशल ऋण योजना। इन पहलों का उद्देश्य 2022 तक 40 करोड़ लोगों को विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण प्रदान करना है। इनमें से पीएमकेवीवाई स्किल इंडिया कार्यक्रम की रीढ़ है। यह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की सबसे प्रमुख योजना है। कौशल प्रमाणन की इस योजना का मकसद भारी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योगों के अनुकूल कौशल का प्रशिक्षण देना है ताकि उन्हें बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद मिल सके। पहले ही सीख चुके या कौशल प्राप्त कर चुके लोगों का भी पूर्व प्रशिक्षण मान्यता कार्यक्रम के अंतर्गत आकलन और प्रमाणन किया जाएगा। इसमें समय-समय पर विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम जोड़े जाते हैं। अभियान के दो वर्ष पूरे होने पर 100 जीएसटी प्रशिक्षण केंद्रों, 51 प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों तथा 100 योग प्रशिक्षण केंद्रों का उद्घाटन किया गया।

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक महत्वपूर्ण योजना बनकर उभरी है, जहां इससे पुनर्वास तथा रोजगार सृजन का दोहरा उद्देश्य पूरा होता है। देश में वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित लगभग 34 जिलों (तेलंगाना में 1, बिहार में 6, छत्तीसगढ़ मे 7, झारखंड में 10, मध्य प्रदेश में 1, महाराष्ट्र में 2, ओडिशा में 5, उत्तर प्रदेश में 1 और पश्चिम बंगाल में 1) में रोजगार प्रदान करने के मकसद से ‘रोशनी’ जैसी योजनाओं के जरिये व्यावसायिक कौशल प्रदान किया जा रहा है। इससे भटके हुए नौजवानों को आत्मनिर्भर बनने और सम्मानजनक जीवन के जरिये मुख्यधारा में शामिल होने में मदद मिलती है। इसके अलावा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने अपना भौगोलिक दायरा बढ़ाते हुए असम में अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्र खोलने में दिलचस्पी दिखाई है। इससे भारत की एक्ट ईस्ट नीति को बढ़ावा मिलेगा और दक्षिण पूर्व एशिया के पड़ोसी देशों के साथ नई सीमाएं खुलेंगी।

2017-18 के केंद्रीय बजट में इस कार्यक्रम के लिए बजट आवंटन 16 प्रतिशत बढ़ाया गया है। तीन प्रमुख योजनाओं प्रधानमंत्री कौशल केंद्र, ‘आजीविका के लिए कौशल संवर्द्धन एवं ज्ञान जागरूकता कार्यक्रम’ (संकल्प) तथा ‘औद्योगिक मूल्य वर्द्धन हेतु कौशल विकास कार्यक्रम’ (स्ट्राइव) के अगले चरण का प्रस्ताव रखा गया।

मूल्यांकन

जुलाई 2016 तक 1 करोड़ लोग प्रशिक्षित हुए। यह 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य का केवल एक चौथाई है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने 14 अन्य मंत्रालयों के साथ समझौते किए हैं और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के धन का भी इस्तेमाल करने में वह सक्षम रहा है। यह सरकार का महत्वाकांक्षी प्रयास है और पहली बार किसी सरकार ने ऐसा प्रगतिशील कदम उठाया है। हालांकि कार्यक्रम धीमी गति से आगे बढ़ा है, लेकिन प्रशिक्षण की प्रक्रिया तेज करने के साथ प्रशिक्षण की गुणवत्ता भी बरकरार रखे जाने की जरूरत है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थाना तथा जवारहलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को शामिल करने से गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही प्रशिक्षित श्रमशक्ति के लिए रोजगार भी तैयार होने चाहिए। कौशल से संबंधित ऐसे सभी कार्यक्रमों को ‘स्टार्ट अप इंडिया’ और ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजनाओं जैसे उन उद्यमिता संवर्द्धन कार्यक्रमों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, जो अभी शुरू ही हो रहे हैं।

2015-16 में विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत कुल 1.04 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया गया था। किंतु 2022 तक 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए गति भी बढ़ानी होगी और स्तर भी बढ़ाना होगा। अभी तक परियोजना को सीमित सफलता ही मिली है। कार्यक्रम की समग्र सफलता के लिए निजी क्षेत्र को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्मार्ट सिटी’ जैसे अन्य कार्यक्रम भी तभी सफल होंगे, जब श्रमशक्ति कुशल होगी। यदि हम युवा कार्यशक्ति वाले इस अनूठे जनांकिक लाभांश को सतत आर्थिक एवं विकास संबंधी परिणामों में तब्दील नहीं कर पाए तो इसके राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव होंगे।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: http://www.developmentnews.in/wp-content/uploads/2017/07/skill-india-logo.jpg

 #

Nice

 

Post new comment

The content of this field is kept private and will not be shown publicly.
3 + 10 =
Solve this simple math problem and enter the result. E.g. for 1+3, enter 4.
Contact Us