भारतीय सभ्यता और संविधान
पारंपरिक भारत ही आज के भारत का उद्भव और स्रोत है। यही भारत के अस्तित्व की रीढ़ है। दार्शनिक स्तर पर यही उसकी आत्मा है। यदि अत्यधिक आधुनिकता से अंधे हो गए ‘आधुनिक’ भारतीय सभी परंपराओं को पिछड़ी बताकर खारिज नहीं करते और उनका असर महसूस करने से चूक नहीं...
August 21 , 2017