चीनी कोशिशों के बेहद मामूली नतीजे
Jayadeva Ranade

बौद्ध धर्म के अनुयायियों की बढ़ती संख्या के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 14वें दलाई लामा के तिब्बत के अंदर औऱ बाहर बने प्रभामंडल को कम करने या उसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए हाल के महीनों में अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि निर्वासित दलाई लामा के पुनर्जन्म की स्थिति जब भी उत्पन्न होगी, उनका पालन-पोषण चीनी कम्युनिस्ट शासन के अनुरूप प्रशिक्षण द्वारा किया जाएगा और बाद में भी उन पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का मजबूत नियंत्रण रहेगा। दो दलाई लामाओं का साया चीन को परेशान करता है। इनमें से एक तो पेइचिंग के दखल से ही बाहर हैं तो मौजूदा पंचेन लामा मामले की तरह, हालांकि उन्हें चीन की1.4 अरब की आबादी के बीच कहीं छिपाया गया है।

पेइचिंग को डर यह है कि सीसीपी के नियंत्रण से बाहर एक दलाई लामा वर्तमान में तिब्बतियों और अन्य चीनी बौद्धों के पूज्य बने रहेंगें, उनका श्रद्धेय बने रहेंगे। दलाई लामा के पुनर्जन्म का विचार तिब्बतियों की स्वतंत्रता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों को उठाने के बीच भी जारी रह सकता है, और चूंकि पश्चिम तथा यूरोप के साथ चीन के संबंध उत्तरोत्तर तनावपूर्ण होते जा रहे हैं, इसलिए चीन पर दबाव बढ़ रहा है। पेइचिंग के नामित दलाई लामा को भी तिब्बती लोगों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा, जैसे कि चीनी नामांकित पंचेन लामा, ग्याल्त्सेन नोरबु को उसके घोषित किए जाने के 25 साल बाद अब जाकर कहीं स्वीकार किया जाने लगा है, लेकिन वह भी जन्मजात नहीं एक "गढे गए सीखा हुए भिक्षु" के रूप में!

पेइचिंग की आशंकाएं इस साल जनवरी के अंत में जारी किए गए नए नियमों, और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के सात प्रशासनिक जिलों और आसपास के प्रांतों में तिब्बती क्षेत्रों पर लगाए गए नए नियमों में परिलक्षित होती हैं। 25 जनवरी को, टीएआर के सभी जिलों और नगरपालिकाओं को एक निर्देश जारी किया गया कि तिब्बती सरकारी कार्यालयों, स्कूलों या अस्पतालों में कार्यरत श्रमिकों को "भरोसेमंद और विश्वसनीय नागरिक" होना चाहिए और उन्हें सीसीपी के प्रति वफादार रहना चाहिए। इसने उन्हें दलाई लामा और उनके अनुयायियों को तज देने का निर्देश दिया और उनके आसपास के समर्थकों के समूह को उनका "गुट" करार दिया। ऐसी ही घोषणा लोगों के रोजगार और कर्मचारियों की पदोन्नति के मामले में की गई है, और उसे सशर्त बना दिया गया है।

टीएआर प्राधिकरण ने जनवरी में ही अधिकारियों को सीसीपी के प्रति वफादार रहने की अपनी चेतावनी दोहराई। 13 -14 जनवरी को ल्हासा और शिगात्से में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में, अधिकारियों (रिटायर अधिकारियों समेत) और नेताओं से आग्रह किया गया कि उन्हें “अलगाववाद” का विरोध करने, राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने और “दलाई क्लाइक” से दूर रखने के मामले में स्पष्ट एवं दृढ़ राजनीतिक रुख अपनाना चाहिए। उन्हें बताया गया कि पार्टी 'दोमुंहे' लोगों को बर्दाश्त नहीं करेगी।

दलाई लामा की पूजा पर अंकुश लगाने के लिए चीन द्वारा नियमित अंतराल पर प्रयास किए जाते रहे हैं। इसके तहत, तिब्बतियों को अपने घरों में दलाई लामा की तस्वीरें नहीं रखने पर मजबूर किया गया है। यही वजह है कि दलाई लामा के प्रति अपनी वफादारी को छुपाते हुए "डबल-फेस" लिए ये कैडर, या टीएआर सरकार के लिए काम करने वाले कर्मचारी बाहर निकलने पर मजबूत होते हैं। इतना ही नहीं, तिब्बतियों को दलाई लामा को देखने-सुनने के लिए भारत पार जाने से रोका जाता है। जुलाई 2021 में शी जिनपिंग की तिब्बत यात्रा से पहले 'अलगाववादी' तत्वों और 'डबल-फेस' वाले इन कैडर्स के खिलाफ टार नेताओं की चेतावनियों में जबरदस्त बढोतरी हुई है। हालांकि उनके इन प्रयासों को नगण्य या बहुत सीमित सफलता मिली है। परंतु इस दंड की धमकी देने वाले नियमों को अधिक कड़ाई से लागू किए जाने की संभावना है,क्योंकि इस वर्ष के अंत में 20वीं पार्टी कांग्रेस होनी है, जो शी के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।

जनवरी के अंत में एक और नया कानून "इंटरनेट धार्मिक सूचना सेवाओं के प्रशासन के लिए उपाय" लाया गया था। इसके 1 मार्च से प्रभावी होने के कारण, यह कानून ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से धर्म फैलाने या धार्मिक शिक्षाओं का प्रसार करने के प्रयासों को प्रतिबंधित करता है। तिब्बती बौद्ध विचारधारा में ‘उपदेश' देने वाले भिक्षुओं पर प्रतिबंध झिझियांग और अन्य प्रांतों में पहले से ही लागू है। नवीनतम विनियमन तिब्बती सोशल मीडिया समूहों के धर्म से संबद्ध होने पर उन्हें प्रतिबंधित करता है या उन्हें दंडित करता है। इस कानून की खुली घोषणा है,"धार्मिक गतिविधियों और उससे संबंधित घटनाओं के सभी ऑनलाइन समन्वय पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा"।

चीनी नेता एक साथ ग्याल्त्सेन नोरबु को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्हें उन्होंने 1995 में पंचेन लामा नियुक्त किया था। पंचेन लामा की पुनर्जन्म लेने वाले दलाई लामा के ट्यूटर के रूप में महत्त्वपूर्ण पारंपरिक भूमिका होती है। दलाई लामा पंचेन लामा के लिए भी ऐसे ही एक समारोह आयोजित करते हैं। ग्याल्त्सेन नोरबु ने धीरे-धीरे बौद्ध पादरी और विश्वासियों को शामिल किए जाने की मांग की। 2006 में उन्होंने चीन प्रायोजित वर्ल्ड बुद्धिस्ट फोरम में भाग लिया था। यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय सभा में उनकी पहली भागीदारी थी। इस आयोजन में बौद्ध धर्म और राष्ट्रीय एकता पर तिब्बती भाषा में एक भाषण दिया था। 2012 में उन्होंने हांगकांग में विश्व बौद्ध मंच (World Buddhist Forum) में भाग लेने के लिए पहली बार मेनलैंड चाइना के बाहर यात्रा की थी। अभी उन्होंने 4 मई 2019 को उन्होंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा की और थाईलैंड का दौरा किया था।

हालांकि, इसमें अधिक महत्त्वपूर्ण बात है कि तिब्बती लोगों द्वारा ग्याल्त्सेन नोरबु को स्वीकार किया जाना। चीन में रहने वाले और निर्वासन में रहने वाले तिब्बतियों ने गेदुन चोएक्यी न्यिमा को मान्यता देना जारी रखा, जिनका जन्म 25 अप्रैल 1989 को हुआ था और 14 मई 1995 को14वें दलाई लामा द्वारा उन्हें 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता दी गई थी। चीन के कम्युनिस्ट शासकों ने 17 मई 1995 को गेधुन चोएक्यी न्यिमा को हटा दिया और तब से उनका कोई बयान नहीं आया है। 3 फरवरी, 2010 को, नोरबू को चीन के बौद्ध एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

नोरबू को 2018 में पंचेन लामा के रूप में अपनी 'स्थापना' के बाद से पहली बार टार लाया गया था। तीन महीने की यात्रा के दौरान उन्होंने ल्हासा, ल्होका और पंचेन लामा की पारंपरिक धार्मिक सीट शिगत्से का दौरा किया था। उन्होंने ल्हामो ल्हात्सो की पवित्र झील का भी दौरा किया। उन्होंने इन तीन प्रान्तों के लोगों से मुलाकात की और बौद्ध धर्म की धार्मिक गतिविधियों का संचालन किया। ग्याल्त्सेन नोरबू ने 2019 और 2020 में प्रत्येक अवसर पर दो महीने के प्रवास के लिए फिर से तिब्बत का दौरा किया था। 2019 में, उन्होंने पहली बार नागचू और नगरी की यात्रा की और वहां 20 दिन बिताए थे। उनकी धार्मिक शिक्षाओं में भाग लेने वाले तिब्बतियों की संख्या हर बार बढ़ी है, लेकिन वह तादाद अभी भी उनके पूर्ववर्ती 10वें पंचेन लामा के समय की तुलना में काफी कम है। ग्यालत्सेन नोरबू का तिब्बत में अब तक का सबसे लंबा प्रवास 2021 में हुआ था, जब वे वहां तीन महीने तक रहकर विभिन्न बौद्ध धार्मिक गतिविधियों का संचालन किया और गांवों, मठों और उद्यमी केंद्रों का दौरा किया था।

वह विभिन्न संप्रदायों के 11मठों में गए, जिनमें नार्थंग मठ, ग्यांत्से पालकोर चोडे मठ, रालुंग मठ, शालू मठ और युंगड्रंगलिंग शामिल हैं। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित पेइचिंग के अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ 'तिब्बत की मुक्ति' की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में भी भाग लिया था। 26 अक्टूबर, 2021 को, उन्हें तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों के मठवासी शिक्षकों के 800 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में "Ka - Chen" की उपाधि प्रदान की गई, जो डॉक्टरेट की बराबर है। वे अक्टूबर के अंत में पेइचिंग लौट आए।

चीन द्वारा नियुक्त पंचेन लामा ग्याल्त्सेन नोरबु भी यह प्रचारित करते रहे हैं तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और ननों को "राष्ट्र से प्यार" करना चाहिए और "चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद के लिए बौद्ध धर्म को अनुकूलित करना चाहिए।" मठों की अपनी यात्राओं के दौरान, ग्याल्त्सेन नोरबु ने दोहराया है कि "पार्टी, देश और धर्म से प्यार तिब्बती बौद्ध धर्म की निरंतर विरासत है और वह अगली शताब्दी में प्रवेश की कुंजी है"। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि "कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने सभी चीनी लोगों को एक खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जीने के अवसर दिए हैं, और एशिया और दुनिया को शांति की बेहतर गारंटी दी है। यह बिल्कुल वही है, जिसकी शिक्षा बौद्ध धर्म हजारों वर्षों से देता रहा है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने 100 वर्षों में यह उपलब्धि हासिल की है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बिना न तो कोई शांतिपूर्ण नया चीन होगा और न ही आज कोई खुशहाल नया तिब्बत होगा।”

परंतु चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व के लगातार इन प्रयासों के बावजूद, तिब्बती बौद्ध पादरी और साधारण तिब्बतियों द्वारा टीएआर और आसपास के प्रांतों में विरोध प्रदर्शन जारी है। दलाई लामा के खिलाफ लगातार अभियान चलाने और तिब्बती बौद्ध धर्म को 'पाप' करार देने की कोशिशों के न के बराबर नतीजे मिले हैं। टीएआर में तिब्बतियों के विरुद्ध ‘राज्य सुरक्षा' को खतरे में डालने के आरोप में बड़ी संख्या में मुकदमा चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत,
उन्हें तोड़फोड़, 'विभाजन', तोड़फोड़ या विभाजन के लिए उकसाना, जासूसी करना, और राज्य के गोपनीय तथ्यों को उजागर करने के मामले में निरुद्ध किए जाने की घटनाएं 2018 के बाद से बढ़ गई हैं। ‘राज्य सुरक्षा' को खतरे में डालने के आरोप में टीएआर में तिब्बतियों पर मुकदमा चलाने की संख्या 2019 में 37 से बढ़कर 2020 में 74 हो गई है। पश्चिमी सिचुआन में गंजी तिब्बती प्रान्त में अन्य 15 तिब्बतियों को सजा सुनाई गई है। सिचुआन, गांसु, निंग्ज़िया और युन्नान प्रांतों में अन्य तिब्बती क्षेत्रों के आंकड़े ज्ञात नहीं हैं।

14वें दलाई लामा के पुनर्जन्म, या 'उद्भव' की अवधि के दौरान चीन के लिए स्थिति और जटिल होने की संभावना है। तब उम्मीद है कि तिब्बत सहायता समूहों, तिब्बत सूचना नेटवर्क और तिब्बत संसदीय समूहों के दोस्तों के विश्वव्यापी नेटवर्क से 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी और उनकी नीतियों को पेश करने में अधिक सक्रिय हो सकते हैं। निर्वासन में रह रहे तिब्बती युवा अपनी स्वतंत्रता के लिए एक जोरदार प्रयास करेंगे, जिससे चीन के भीतर रह कर तिब्बत पर चीनी कब्जे का विरोध करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। इस मामले में एक और जटिलता होगी, जैसा कि संभव है, वह यह कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी का भारत में खोज लिया गया है!

(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>

Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)

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