रूस-यूक्रेन युद्ध: हवाई शक्ति का विश्लेषण
Air Marshal Diptendu Choudhury (Retd), PVSM, AVSM, VM, VSM, Distinguished Fellow, VIF

वोज़्दुश्नो-कोस्मिचेस्की सिली (वीकेएस) यानी रूसी एअरोस्पेस फोर्स की अब तक की विवश भूमिका ने उन लोगों को भ्रमित कर दिया है, जो इस युद्ध पर शुरू से नजर रखते रहे हैं। रूस की अपेक्षाकृत बड़ी वीकेएस की पोविट्रीनी सिली उक्रेयनी (पीएसयू) या यूक्रेनी वायु सेना के बीच इंवेंटरी साइज और गुणवत्ता के क्षेत्र में कोई सानी ही नहीं है। लिहाजा, इस असमानता को देखते हुए, सबको उम्मीद थी कि रूस की वायु सेना अधिकाधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएगी। लेकिन मिली सूचनाओं से यही पता चलता है कि रूसियों ने अपनी वायु सेना की पर्याप्त क्षमता का किसी कारण से या कई कारणों से समुचित उपयोग नहीं किया है, हालांकि वह कारण क्या है, इसका अभी पता नहीं चला है। रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध की शुरुआत 300 से अधिक बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के हमलों से की थी, जो पश्चिमी सैन्य शक्तियों की मौजूदा क्षमता के अनुरूप ही थी, उसने यूक्रेन की प्रारंभिक चेतावनी वायु रक्षा रडार और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल एस300पी ने काफी नुकसान किया था। शुरुआती हमलों ने यूक्रेन के हवाई क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को भी अपना निशाना बनाया था, जिससे पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों ने तर्कसंगत रूप से यह मान लिया था कि वीकेएस तो पीएसयू को मटियामेट कर देगा, और यूक्रेन पर अपनी हवाई श्रेष्ठता को स्थापित करेगा। पर रूस की चौथी पीढ़ी के विमानों समेत वीकेएस के लड़ाकू विमानों को बड़ी संख्या को आक्रामकणकारी ताकत के रूप में नियोजित नहीं किया जा रहा है, हमले में शामिल हेलीकॉप्टरों, एअरबोर्न असाल्ट ट्रांसपोर्ट एअरक्रॉफ्ट और यूक्रेनी वायुरक्षा क्षेत्र को भेदने वाले विमानों के नुकसान, और पीएसयू हमलों से पर्याप्त सुरक्षा कवच का प्रबंध किए बिना ही रूसी मैकेनाइज्ड फोर्स और उसकी पैदल सेना को तैनात किए जाने से हुए भारी नुकसान को समझना किसी के लिए भी मुहाल है।

कई विश्लेषकों ने हालांकि इसके कई कारणों का उल्लेख किया है,जिनमें सटीक लक्ष्य को साधने वाले हथियारों की सूची की अपर्याप्तता से लेकर रूसी वायु सेना और रूसी सेना के SAM एसएएम (सतह से हवा में मिसाइल दागने की) प्रणालियों के बीच प्रतिस्पर्धा वाले हवाई क्षेत्रों का प्रबंधन करने में असमर्थता, उड़ान के कम घंटों के कारण रूसी पायलटों के प्रशिक्षण के खराब मानक, बड़े पैमाने पर आक्रामण मिशन को पूरा करने में असमर्थता, थल एवं वायुसेना के बीच खराब समन्वय और वीकेएस नेतृत्व की ओर से ऑपरेशन में संलग्न होने की अनिच्छा तक की कई वजहें गिनाई हैं। इनमें सुधार लाने से उनकी क्षमता में रह गई कसर दूर हो जाएगी। ये सभी व्यवहार्य कारण हैं लेकिन इनसे यह खुलासा नहीं होता कि वीकेएस युद्ध क्षेत्र के करीब 300 से अधिक तादाद में आधुनिक लड़ाकू विमानों को क्यों तैनात करेगा। क्या यह केवल सत्ता का प्रक्षेपण था या बलपूर्वक किया गया विफल प्रतिरोध था? जबकि पश्चिम अप्रत्याशित रूप से रूसी युद्ध मशीनरी की क्षमताओं को कम आंकने में उतना तत्पर नहीं है, इस मामले में किसी को भी तीन पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए-रूसियों के हमले के बारे में उनकी धारणा,जो वे निश्चित रूप से पश्चिमी सैन्य हस्तक्षेप की कार्रवाइयों को ध्यान में रखते बनाते हैं और उनसे सबक लेते हैं, वह अभी भी ऑपरेशन की पश्चिमी अवधारणाओं से काफी अलग हैं; यूक्रेन की सेना रूसी सेना के मुकाबले अभी भी विशेष रूप से मानक एवं प्रशिक्षित है, इसलिए उसके ऑपरेशनल स्ट्रेटेजी फिलहाल दिख रही क्षमता की तुलना में बहुत अधिक हो सकती है; और ऐतिहासिक रूप से सिद्ध इच्छा एवं नुकसान को निगलने और उन्हें पचा जाने की रूसी सेना की क्षमता तथा कठिनाई की चरम परिस्थितियों में लड़ने की उसकी क्षमता। इन तीनों पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।

इसके अलावा, रूसी वायुसेना की तैनाती की रणनीति पर विचार करते हुए हमें कुछ बड़े राजनीतिक और सैन्य कारकों पर भी गौर करने की आवश्यकता है। यूक्रेन की नागरिक आबादी और बुनियादी ढांचे की समानांतर क्षति में वृद्धि रूसी सैन्य आक्रामण लक्ष्य के लिए प्रतिकूल होगी, जो कि स्पष्ट रूप से यूक्रेनी सेना पर हमले के लिए ही निर्देशित हैं, बजाए लोगों को निशाना बनाने के। आखिरकार यूक्रेन में एक बड़ी आबादी रूसी समर्थकों की भी रहती है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय धारणा यह बना दी गई है कि यूक्रेन के अधिक समर्थक हैं और यहां की बड़ी आबादी रूस-विरोधी है, इसको देखते हुए, रूस के लिए पूरी क्षमता के साथ हवाई हमले करने के तर्कों में कोई मदद नहीं करेगा। उलटे यह नागरिकों की जिंदगी का भारी नुकसान करेगा,जो एकदम अस्वीकार्य है। यूक्रेन की नागरिक आबादी पर रूसी हमले के वर्तमान दुष्प्रभावों पर अपने नैतिक आक्रोश जताने के लिए, पश्चिम को यह बात अच्छी तरह से याद होगी कि फारस की खाड़ी में छह हफ्ते तक चले युद्ध में 100,000 नागरिक मारे गए थे, पांच मिलियन लोग बेघरबार हो गए थे और एक अनुमान के मुताबिक 200 अरब डॉलर से अधिक परिसंपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। ऐसे में, अंतरिम युद्धविराम की घोषणा, नागरिकों को युद्ध क्षेत्र को खाली करने का अवसर देना, एक रणनीतिक रूप से मास्टरस्ट्रोक हो सकता है। यह न केवल यूक्रेनी आबादी और दुनिया के लिए नागरिकों के समानांतर नुकसान से बचाने के रूसी संयम को प्रदर्शित करता है। इसके बाद भी एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध के लिए मंच तैयार करता है। स्थिति तब और जटिल हो जाती है, जब बचाव बल समानांतर दुविधा को बढ़ाने के लिए नागरिकों की उस क्षेत्र से निकासी को रोकने लगते हैं। यह संभवतः यह भी बताता है कि रूस क्यों शहरों के बाहर बलों को इकट्ठा करता है, क्योंकि इसकी पारंपरिक सैन्य रणनीति हमेशा घातक बल के बहु-क्षेत्र में अनुप्रयोग करने की रही है। युद्धविराम का समय जब एक बार समाप्त हो जाता है तो यह एक पूर्ण पैमाने पर जमीनी और हवाई स्तर पर आक्रामण हो सकता है, जैसा कि रूसी दृष्टिकोण कहता है कि निशाने की जद में आने वाले क्षेत्र से निर्दोष नागरिकों से हटाया जाना चाहिए, और फिर भी यहां जो रह जाते हैं, उन्हें शत्रु माना जाएगा।

एक और महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि यूक्रेनी हवाई अड्डों और उसकी हवाई संपत्तियों का समस्त विनाश रूस की एक रणनीतिक गलती होगी, क्योंकि ऐसा करते हुए रूस अपने कब्जाए हवाई क्षेत्रों में वीकेएस वायुसेना को तैनात करने का अवसर खो देगा, जिससे वह भौगोलिक रूप से नव-नाटो सदस्य राष्ट्रों के केंद्र में आ जाएगा, जो पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य थे। यही कारण हो सकता है कि इसने एयरफील्ड्स और ऑपरेटिंग सतहों को अधिक दृढ़ता के साथ लक्षित नहीं किया है। इन आधारों पर रूसी बलों की तैनाती निस्संदेह इन देशों और शेष यूरोप की सुरक्षा चिंताओं के लिहाज से एक बहुत बड़ा असर डालेगी। राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सेना को परमाणु हथियारों को उच्च युद्ध चेतावनी और एक ‘हमले करने विशेष क्षेत्र' पर रखने के आदेश दिए हैं, जो युद्ध को अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने वाली और यूक्रेन पर कब्जे के बाद की रूस की सुविचारित रणनीति लगती है। इसका मकसद यूरोप और नाटो की सैन्य कमजोरी को रेखांकित करने और संयुक्त राज्य अमेरिका की सक्रिय भागीदारी को हतोत्साहित करना है। यह घोषणा, शीत युद्ध के बाद पहली बार, सीधे अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के लिए बहुत कम जगह छोड़ती है, और उसके कार्यों को रूस के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंधों और यूक्रेन के प्रति सहानुभूतिपूर्ण बयानबाजी तक ही सीमित कर दिया है। रूस के विरुदध व्यापक रूप से पांच हजार से अधिक संख्या में प्रतिबंध लगाए गए हैं, पर यह रूस की मर्जी को उस तरह से नहीं बदलेगा जैसे कि व्यापारिक यूरोपीय मानसिकता आस लगाए बैठी है। इसलिए कि रूस लंबे समय से ऐसे प्रतिबंधों और आर्थिक कठिनाइयों को झेलने का आदी रहा है, जिन्हें वह नेटसोनल 'नाया गॉर्डोस्ट यानी अपने राष्ट्रीय गौरव हासिल करने की तुलना में तुच्छ समझता है। इसके विपरीत, यह विचार करना लाजिमी है कि आर्थिक दुष्प्रभाव उन देशों में पूर्ण युद्ध का अधिप्लाव कर सकता है या यहां तक कि उसे घटित कर सकता है, जिन्होंने 1945 के बाद से यूरोपीय धरती पर एक भी युद्ध नहीं लड़ा है।

रूसी वायुसेना की ताकत बड़े धक्के का इंतजार कर सकती है,जिसकी जल्द ही घटित होने की संभावना है। वायु श्रेष्ठता स्थापित नहीं करने और हवाई नियंत्रण के बिना, रूसी वायुसेना के हेलीकॉप्टरों और विमानों के नुकसान मुख्य रूप से मैन पोर्टेबल एसएएम और कम ऊंचाई वाले हमले के कारण अभी कम स्तर पर रहे हैं। तो रूसी वायु सेना के लक्ष्य में रुकावटें क्या हैं? चेचन्या में पहले और दूसरे युद्धों में इसके प्रदर्शन और जॉर्जिया के छोटे अभियान ने इसकी इंवेंटरी और परिचालन प्रशिक्षण की समीक्षा के तकाजे को रेखांकित किया है। 2015 में रूस ने अपनी वायु शक्ति को पुनर्गठित किया था। तब इसने वीकेएस को सेना की एक स्वतंत्र शाखा के रूप में स्थापित किया, जिसमें वायु सेना, एयरोस्पेस और मिसाइल रक्षा बल और अंतरिक्ष बल, सबको शामिल किया गया था। इसने अपनी स्वतंत्र वायु रक्षा बल PVO Strany को भी हटा दिया था।

विगत के विपरीत, विचारधारा अब पीछे हो गई है क्योंकि रूस ने खाड़ी युद्ध में इस्तेमाल की गई पश्चिमी अवधारणाओं से सबक लिया है, और इसने नए सिरे से तैयार की गई वायु सेना की क्षमता का सीरिया में सामरिक स्तर पर परीक्षण किया है। लेकिन यह बात सीरिया से प्रासंगिक रूप से अलग है कि यह एक केंद्रित और सक्षम वायु सेना के खिलाफ एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धा वाले प्रतिकूल हवाई क्षेत्र में लड़ रहा है। रूस जब तक अपने स्वयं के वायु रक्षा रडार को तैनात नहीं कर लेता है और सी2 नेटवर्क को स्थापित नहीं करता है, तब तक यह यूक्रेनी हवाई क्षेत्र पर हावी नहीं हो पाएगा। दूसरी ओर, यूक्रेन को अमेरिका द्वारा अंतरिक्ष से खींची गई तस्वीरें और खुफिया सूचनाएं प्रदान किए जाने को देखते हुए इस स्तर पर वीकेएस संसाधनों की आगे की तैनाती निश्चित रूप से जवाबी हवाई हमले को न्योता देगी। यह याद रखना चाहिए कि वीकेएस में अधिक लड़ाकू क्षमता है और पीएसयू के विपरीत, वह नुकसान को झेलने का जोखिम उठा सकता है।

यूक्रेनी नेतृत्व का पश्चिम देशों से लड़ाकू विमान हासिल करने की उन्मत्त अपील न केवल इस तथ्य को रेखांकित करती है, बल्कि महत्त्वपूर्ण रूप से उनकी इस स्पष्ट समझ को भी सामने लाती है, कि जब तक यूक्रेन आसमान में लड़ता रहता है, तब तक जमीन की रक्षा के मौके उसके पास बहुत कम हैं। रूसी परिप्रेक्ष्य से, अपनी उच्च गुणवत्ता वाली हवाई क्षमता को उच्च दबाव वाले संघर्ष के चरण से बाहर रखने का लाभ उसे मुख्य आक्रामण के लिए अपनी शक्ति को संचित-संरक्षित करने में मिल जाता है, जिसका तत्काल उपयोग किए जाने के तमाम संकेत हैं। यूक्रेनी वायु सेना की युद्ध क्षमता और स्थितिगत जागरूकता में काफी कमी आने के बाद उन्हें मुकाबले में फंसाना, और फिर सुनिश्चित करना कि आखिर में नाटो के खिलाफ जबरदस्त प्रतिरोध के लिए उसके पास पर्याप्त संख्या है, रूस की इस वर्तमान रणनीति को उचित ठहराएगा।

जबकि कई विश्लेषकों ने रूसी आक्रामणकारी सेना और वायु सेना के बीच खराब समन्वय को उजागर किया है, यह माना जाना चाहिए कि रूसी परिप्रेक्ष्य से युद्ध को संभवतः को लंबे समय तक चलने की उम्मीद थी, पश्चिम के इस जबरदस्त नैरेटिव के विपरीत जो उसकी त्वरित जीत का गलत अनुमान लगा बैठे थे। यूक्रेन के स्वतंत्र ऐतिहासिक दृष्टिकोण और इसके विशाल रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए, रूसियों ने निश्चित रूप से युद्ध के वॉकओवर की उम्मीद नहीं की थी। रूस अपने इतिहास को जानता है और ग्रेट वॉर की याद करते हुए मौजूदा जंग को भी गली-गली में और घर-घर में लड़े जाने की उम्मीद की होगी। जब आपकी वायुसेना उन विवादित शहरों में तैनात होगी तो व्यापक भाईचारे का और दोस्ताना फायर से होने वाले नुकसान के बगैर आप उसका इस्तेमाल आक्रामक तरीके से कैसे कर सकते हैं? इसका जवाब युद्ध में सेना के उतरने के पहले शत्रु पर एक तूफानी हवाई हमले में निहित है। सैन्य कार्रवाई को आगे बढ़ाने के स्पष्ट संकेतों के साथ, हवाई हमले में वृद्धि होने की एक बहुत ही उच्च और तार्किक संभावना है, जिसे केवल समय ही बताएगा।

नो-फ्लाई जोन स्थापित करने से इनकार करना क्योंकि यह नाटो वायु सेना को रूसी वायुसेना के साथ सीधे मुकाबले में धकेल देगा, और यह निश्चित रूप से राष्ट्रपति पुतिन की तय की गई लाल रेखा को पार करने के लिए संघर्ष को बढ़ाएगा, पीएसयू को उसके हाल पर छोड़ देगा। पोलैंड और स्लोवाकिया ने एफ-16 की समान तैनाती के बदले यूक्रेन को मिग-29 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, यह घटना बताती है कि यूक्रेन के पड़ोसी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि ऐसा कुछ न किया जाए जिससे उन्हें सीधे-सीधे युद्ध का समर्थक मान लिया जाए और रूस का कोपभाजक बनना पड़े। पोलैंड के बाद, और उसके पड़ोसियों का अचानक अपने रुख में बदलाव करते हुए अपने जेट विमानों को मुफ्त में सौंपने की अपनी इच्छा की घोषणा करना अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन करने के इच्छुक नहीं होने के उनके दोहरे रवैये के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन ऐसा लगता है कि अमेरिका को अपने पहले के प्रस्ताव को लेकर गलतफहमी रही है, जिसे उसने खुद ही अरक्षणीय बताया है।

हालांकि अमेरिका और नाटो वायु सेना आईएसआर (खुफिया, निगरानी, टोही) और सामरिक ब्योरे प्रदान कर अपना समर्थन जारी रखे हुई है, पर यह स्पष्ट है कि अमेरिका किसी भी तरह की प्रत्यक्ष कार्रवाई को लेकर इच्छुक नहीं है। उनका मानना है कि ऐसा किया गया तो रूस को नाटो के प्रतिरोध पर मजबूर कर सकता है, और फिर इसे किसी भीषण स्थिति से बाहर रहने के लिए बातचीत की गुंजाइश नहीं रहेगी। किसी भी मामले में लड़ाकू विमानों आपूर्ति जो अलग-अलग एवियोनिक्स के हैं और वे पुराने यूक्रेनी मॉडल के साथ असंगत हैं, इसकी अपनी अलग चुनौतियां हैं। एंटी-टैंक और मैन पोर्टेबल एसएएम जैसे सतह पर मार करने वाले हथियारों के विपरीत, पश्चिमी हवाई हथियारों को यूक्रेनी प्लेटफार्मों पर तैनात नहीं किया जा सकता और उनके प्रशिक्षित विमानन स्टाफ को गहन और निरंतर मुकाबला स्थितियों में रखा जा सकता है। किसी भी तरह से यह बहुत कम निरोधक उपाय है और इसके लिए बहुत देर हो चुकी है। यूक्रेनी लोगों की सहायता के लिए एक अंतरराष्ट्रीय हवाई स्क्वाड्रन की तैनाती की बात करना, पीएसयू के साथ मंच की उपलब्धता और परिचालन एकीकरण की चुनौतियों को देखते हुए एक रोमांटिक धारणा है, इसके राजनीतिक और कानूनी निहितार्थों की तो बात ही छोड़िए।

दोनों तरफ से लड़ाकू विमान गिरने के महत्वपूर्ण दावे और प्रति-दावे किए गए हैं, और युद्ध के अभी जोर पक़ड़ने पर ऐसे दावों की संख्या में वृद्धि ही होगी। युद्ध में यह कोई नई बात नहीं है और नुकसान की वास्तविक संख्या को स्वतंत्र सत्यापन के बिना प्रमाणित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में यह होना तो असंभव है। अंतिम सत्य हर पक्ष के दावों के बीच कहीं न कहीं निहित रहेगा। लेकिन थल सेना के मनोबल पर वायु शक्ति की जीत का प्रभाव पड़ने की बात ऐतिहासिक रूप से स्थापित है, और अपुष्ट पीएसयू और ‘कीव के भूत' जैसे वायु मिथक से इस पर प्रकाश डाला गया है। इसकी दिलचस्प समानताएं भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1965 और 1971 के युद्धों से की जा सकती हैं। इसमें पश्चिमी देश पाकिस्तानी वायुसेना का योगदान मानते हैं। लेकिन युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना की कम बताई गई उपलब्धियों को युद्ध के अंतिम परिणामों से मिलाकर बारीकी से जांच नहीं की गई, जिसमें वायुसेना विजयी रही थी। वायु शक्ति जब तक पूर्व योजना, परिचालन स्वतंत्रता और एक समन्वित सैन्य रणनीति से तालमेल के साथ नियोजित नहीं होती है, तब तक लड़ाई तो जीती सकती है, लेकिन युद्ध नहीं।

जैसे-जैसे युद्ध तेज होता है, यूक्रेनी वायु सेना अपने विमानों और प्रशिक्षित एयरक्रू के नुकसान, विमानन ईंधन, पुर्जों एवं हवाई हथियारों की कमी और मुकाबले की थकान की ‘बैटल ऑफ ब्रिटेन मूवमेंट' से अनिवार्य रूप से प्रभावित होगी। यह संभवतः एक और कारक है जिस पर वीकेएस ने सावधानीपूर्वक विचार किया होगा, क्योंकि वे जितना लंबा युद्ध खींचेंगे, पीएसयू के हिम्मती और बहादुर वायु योद्धा लस्त-पस्त हो जाएंगे। यूक्रेन-रूस युद्ध का नतीजा अब जो भी हो, भारत के सैन्य प्रतिष्ठान में सतही दबदबे वाली मानसिकता और हेलीकॉप्टर और हवाई बलों के नियोजन की अवधारणाओं के लिए गंभीर सबक हैं, यह देखते हुए कि भविष्य के संघर्ष विरोधियों की मजबूत वायु सेनाओं के साथ अत्यधिक प्रतियोगी मोर्चों पर होंगे।

(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>


Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
Image Source: https://cdn.dnaindia.com/sites/default/files/styles/full/public/2022/02/24/1022834-1022788-ukraine-russia-attack.jpgeg

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