चीन और शी जिनपिंग के लिए आगे का समय मुश्किल
Jayadeva Ranade

चीन एक कठिन समय की तरफ बढ़ रहा है। इस समय को डावांडोल करने के लिए कई कारकों का एक जगह जुटान हो गया है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीसीपी) की 20वीं कांग्रेस के मुश्किल से छह महीने रह गए हैं, इसको देखते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए यह विशेष चिंता करने का समय होगा। खास तौर पर इसलिए कि वे अपने देश की आर्थिक नीति एवं विदेश नीति के कर्ता-धर्ता रहे हैं, और ये दोनों क्षेत्र ऐसे हैं, जहां प्रमुख समस्याएं बनी हुई हैं। चीनी शिक्षाविद और रणनीतिकार अमेरिका के साथ पिछले कुछ वर्षों से चीन के बिगड़ते संबंधों के लिए शी जिनपिंग को जिम्मेदार मानते हैं। पेइचिंग में 4 फरवरी को शी-पुतिन शिखर वार्ता के बाद से इसमें एक और आयाम जुड़ गया है। माना जाता है कि शी निजी रूप से रूस और पुतिन को समर्थन दे रहे हैं, और इस तरह से वे चीन-अमेरिका संबंधों में तनाव ही बढ़ा रहे हैं। इसको देखते हुए चीनी रणनीतिकार एवं सीसीपी के सदस्य अमेरिका एवं पश्चिम देशों की तरफ से प्रतिबंध के जरिए चीन को निशाना बनाने की संभावना को लेकर असहज हो उठे हैं।

चीन की आर्थिक स्थिति में 2018 के बाद से गिरावट आती गई है तथा कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ यह प्रवृत्ति और तेज हुई है। लोगों के जीवनयापन की लागत बढ़ रही है, बीए पास बेरोजगारों की तादाद 14 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है, और वह लगातार बढ़ रही है। बेरोजगारी ग्रामीण इलाकों में फैल गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में ही लाखों लोग बेरोजगार पड़े हैं। देश के निजी कारोबारी, छोटे तथा मध्यम उद्यमी-जो 2019 में अनुमानित 80-90 फीसदी गैर-सरकारी नौकरियां प्रदान करते रहे हैं-वे सबके सब ऐसे वक्त में सख्त नए नियामक नियंत्रणों का दबाव झेल रहे हैं, जबकि उनके सामने नकदी की समस्या बनी हुई है। शी ने पहले तकनीक क्षेत्र पर कार्रवाई की और अब संपत्ति क्षेत्र पर उनका चाबुक चला है, जिसका चीन की अर्थव्यवस्था में लगभग 29 फीसदी की हिस्सेदारी है, जिसकी वजह से देश की आर्थिक प्रणाली में अस्थिरता का इजाफा हुआ है। चीन में बढ़ती बेरोजगारी और पर्याप्त नौकरियां पैदा करने में सरकार के नक्कारेपन की वजह से ही प्रधानमंत्री ली केकियांग को अपने नागरिकों से खोमचा लगाने और उस पर पकौड़ी बेचने का आग्रह करना पड़ा है, जब वे अगस्त 2020 में चोंगकिंग के दौरे पर गए थे। इस पर चीन के आधिकारिक मीडिया से एक मजबूत पुश-बैक शुरू हुआ, जिससे जाहिर होता है कि सीसीपी की मंडली में वैचारिक मतभेद मौजूद है।चीन की धीमी अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवनस्तर में गिरावट से सीसीपी की नैतिक वैधता में गिरावट का खतरा उत्पन्न हो गया है।

इनके अलावा भी, चीन की गंभीर आर्थिक समस्याओं के कुछ संकेतक हैं, जिन पर विचार किया जाना लाजिमी है। 2020 में मंत्रालयों की बजट राशि में कटौती की गई थी,उसको अभी पूरी तरह से बहाल नहीं किया गया है। इस वर्ष कर्मचारियों, जिनमें अधिक समृद्ध प्रांत के कर्मचारी भी शामिल हैं, को दिए गए बोनस लौटा लिए गए हैं, और लगभग सभी प्रांतों में कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है। इससे लोगों में व्यापक असंतोष पैदा हो गया है, जो स्वाभाविक है।

यद्यपि राज्य परिषद के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) ने इस अप्रैल में खपत पर महामारी के प्रभाव को कम करने की मांग की, लेकिन यह स्वीकार किया कि "कुछ कारक जो अपेक्षाओं से अधिक हैं, वे खपत पर भारी दबाव डाल रहे हैं", लेकिन उसने यह दावा भी किया कि यह प्रभाव"चरणबद्ध"है, और महामारी पर प्रभावी नियंत्रण पा लेने के बाद खपत धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने वाली उच्च स्तरीय बैठकों की श्रृंखला ने इस दावे को झुठलाया है।

फिर भी, इस मामले पर पोलित ब्यूरो, और शी एवं उनके निकटतम पक्षों में से एक उप प्रधानमंत्री लियू हे की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों का एक अग्रणी समूह का गंभीर रूप से गौर कर रहा है। शी की अध्यक्षता वाली आर्थिक नीति मामलों की एक शीर्ष समिति केंद्रीय वित्त और अर्थशास्त्री समिति की इस साल पहली बार 26 अप्रैल को बैठक हुई। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि "विकास और सुरक्षा के दो प्रमुख मुद्दों को समन्वित करने, बॉटम लाइन थिंकिंग को दृढ़ता से स्थापित करने, प्रमुख जोखिमों के अनुमान लगाने और प्रारंभिक चेतावनी की क्षमता को प्रभावी ढंग से मजबूत करने और व्यावहारिक और प्रभावी प्रतिक्रिया योजना और विशिष्ट कार्रवाई योग्य उपाय करने आवश्यक हैं"। इसने सभी क्षेत्रों और विभागों से केंद्रीय वित्त और आर्थिक आयोग के निर्णय लेने की भावना को ठीक-ठीक समझने, उसकी जिम्मेदारी लेने और सक्रिय रूप से कार्य करने, बाजार की अपेक्षाओं का मार्गदर्शन करने तथा उसके आत्मविश्वास को बनाए रखने का आग्रह किया।

इसके बैठक के दो-तीन दिनों के भीतर, 29 अप्रैल को शी ने, "वर्तमान आर्थिक स्थिति और आर्थिक कार्य का विश्लेषण और अध्ययन करने" के लिए पोलित ब्यूरो की एक बैठक की। इसमें रेनमिन विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष लियू युआनचुन ने भी उपस्थित लोगों को "चीन में कानून के अनुसार पूंजी के स्वस्थ विकास को विनियमित करने और उसका मार्गदर्शन करने" के बारे में अपने विचार रखे। बैठक में अर्थव्यवस्था के आकलन पर भी चर्चा की गई। बाद में, शिन्हुआ (29 अप्रैल) ने बताया कि बैठक में कहा गया है कि "निमोनिया महामारी के नए अवतार ने और यूक्रेन संकट ने जोखिम और चुनौतियों, जटिलता और गंभीरता को बढ़ाया है, चीन के आर्थिक विकास-पर्यावरण की अनिश्चितता बढ़ गई है, और वह स्थिर विकास, रोजगार और बढ़ी कीमतों की नई चुनौतियों का सामना कर रहा है।" शिन्हुआ की रिपोर्ट के 9वें पैराग्राफ में कहा गया है कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि “सभी स्तरों पर अग्रणी कैडरों में जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए” और “हमेशा अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, सचाई की तलाश करनी चाहिए, और उन्हें व्यावहारिक होना चाहिए, और सभी प्रकार की “ब्लैक स्वान” (अप्रत्याशित या कभी न देखे गए अति दुष्परिणामों वाली घटनाओं) और “ग्रे राइनो”(घटनाओं के नजरअंदाज किए जाने के स्पष्ट नतीजों) को घटित होने से रोकना चाहिए।” सभी स्तरों पर पार्टी समितियों और सरकारों को "कैडर और जनता का नेतृत्व करने" और "व्यावहारिक कार्यों को सम्पन्न करने के साथ 20वीं पार्टी कांग्रेस की जीत का स्वागत करने" के लिए ठोस प्रयास करने का निर्देश दिया गया। इसको और अधिकार सम्पन्न बनाते हुए बैठक में चेतावनी दी गई कि भ्रष्टाचार के अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इस बैठक की क्या अहमियत है, इसके बारे में पीपुल्स डेली और चीन के प्रमुख आधिकारिक प्रांतीय समाचार पत्रों में व्यापक कवरेज में बताया गया था।

हालांकि शी के चीन की सत्ता में आगमन के बाद से, राज्य परिषद और प्रधानमंत्री ली केकियांग को आम तौर पर आर्थिक नीति-निर्माण की पृष्ठभूमि में रखा गया था, परंतु गंभीर आर्थिक समस्याओं को देखते हुए उन्हें और अधिक सक्रिय होने के लिए कहा गया है। इसी के मद्देनजर चीनी प्रधानमंत्री ने 5 मई को कार्यकारी राज्य परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। "शून्य कोविड " नीति के पालन के लिए लॉकडाउन की सीरिज के कारण शहरों और क्षेत्रों की ठप पड़ी गतिविधियों को सुचारु करने का उपाय तलाशा गया। बैठक में लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्यमों और व्यक्तिगत औद्योगिक और वाणिज्यिक परिवारों को आगे राहत देने के उपायों पर चर्चा की गई, ताकि बाजार के खिलाड़ियों के स्थिर रोजगार को सुनिश्चित किया जा सके, और अर्थव्यवस्था और औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने में मदद करने के लिए विदेशी व्यापार की स्थिरता एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उपायों का निर्धारण किया जा सके। इसमें गौर किया गया कि "मौजूदा समय में बाजार जैसी संस्थाओं की दिक्कतें काफी बढ़ी हैं।" लिहाजा, कर छूट देने, करों में कटौती करने, शुल्क में कटौती करने, रसद गारंटी देने तथा उद्यमों के काम और उत्पादन को फिर से शुरू करने जैसे कई निर्णय किए गए। सभी इलाकों को छोटे, मध्यम और सूक्ष्म उद्यमों तथा व्यक्तिगत औद्योगिक और वाणिज्यिक परिवारों की राहत के लिए विशेष धन की व्यवस्था करने को कहा गया। साथ ही, जिन लोगों को कारोबार परिचालन में कठिनाइयां आ रही हैं, उन्हें किराया, गारंटी शुल्क, ऋण ब्याज और अन्य सब्सिडी के लिए सब्सिडी प्रदान करने के निर्देश दिए गए। विदेशी व्यापार उद्यमों को कठिनाइयों का सामना करने में मदद करने के लिए, बैठक में फैसला किया कि पहले ऑर्डर सुरक्षित करने और प्रमुख उद्योगों और श्रम-सघन उद्योगों के आयात-निर्यात को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। दूसरा, बंदरगाहों और हवाई अड्डे पर तथा एयर कार्गो क्षमता का बेहतर से बेहतर उपयोग करना चाहिए आदि। इसने यह भी कहा कि आरएमबी विनिमय दर को मूल रूप से स्थिर रखा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ली केकियांग ने 7 मई को पेइचिंग में रोजगार स्थिरीकरण पर एक राष्ट्रीय वीडियो और टेलीफोनिक सम्मेलन के साथ इसका उदघाटन किया। ली ने बताया कि "स्थिर रोजगार अधिकांश परिवारों की आजीविका से संबंधित है और उचित सीमा में आर्थिक संचालन के लिए महत्वपूर्ण समर्थन है। वर्तमान में रोजगार की स्थिति जटिल और गंभीर है।” उन्होंने चीन में बार-बार लॉकडाउन लगाए जाने की जरूरत को देखते हुए रोजगार की स्थिति "जटिल और गंभीर" होने की चेतावनी दी। इस बैठक में पोलित ब्यूरो के सदस्य और उप प्रधानमंत्री हू चुनहुआ भी मौजूद थे।

चीनी प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि चीन"2020 से भी बदतर कठिनाइयों का सामना कर रहा है"। उन्होंने "आर्थिक स्थिरीकरण की नीतियों के कार्यान्वयन को ठोस रूप से बढ़ावा देने, और उचित सीमा के भीतर आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने" की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें "उचित आर्थिक विकास" और 2022 की दूसरी तिमाही में बेरोजगारी दर में गिरावट सुनिश्चित करनी चाहिए। यह बैठक राज्य परिषद द्वारा चीनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए 33 सूत्री कार्यक्रम शुरू करने के दो दिन बाद हुई, जो कोविड-19 के लिए बार-बार लॉकडाउन लगने से दबाव में है।

कोविड महामारी और विशेष रूप से "जीरो कोविड" नीति और अलगाव की कठोर प्रक्रियाओं ने लोगों में असंतोष बढाने में काफी योगदान दिया है। पेइचिंग सहित अन्य क्षेत्रों में 340 मिलियन से अधिक लोग, जो चीन के सकल घरेलू उत्पाद बनाने में लगभग 40 फीसदी योगदान करते हैं, कोविड से संबंधित लॉकडाउन से पीड़ित हुए हैं। बंदरगाहों और कार्यालयों के पूर्ण या आंशिक रूप से बंदी ने रसद को गंभीर रूप से अव्यवस्थित कर दिया है। भोजन और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित किया है, जिसके परिणामस्वरूप क्वरेन्टाइन में रहने वाले उनसे वंचित हो गए हैं या उन्हें भूखा रहना पड़ा है। शंघाई इसका ज्वलंत उदाहरण है। उसकी हालत को देखते हुए पेइचिंग निवासियों में भी घबराहट है। चीन का सोशल मीडिया सख्त सेंसरशिप के बावजूद नागरिकों द्वारा सरकार की कठोर, असंवेदनशील उपायों और उसकी कोविड-शून्य नीति के कारण उन्हें होने वाली वित्तीय कठिनाइयों के बारे में शिकायतों से अंटा पड़ा है।
यहां तक कि ग्लोबल टाइम्स के पूर्व मुख्य संपादक रहे और शी जिनपिंग के समर्थक माने जाने वाले हू शिजिन ने कहा "शंघाई ध्वस्त हो गया है," और "पेइचिंग को या तो इसके प्रकोप से निपटने के कम खर्चीले तरीके खोजने होंगे "या "पूरे चीनी समाज को सच्चाई बताना होगा" कि विघटनकारी परिणाम से बचा नहीं जा सकता। रायटर के हवाले से यह खबर 5 मई को दी गई है। "इसमें पहले उपाय करने में बुद्धिमानी की आवश्यकता है, और दूसरे के लिए साहस की।" लेकिन हू के इस पोस्ट को तेजी से हटा दिया गया और उन्होंने अपने Weibo खाते में भेजी गई टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध का जवाब भी नहीं दिया।

हालांकि, 5 मई को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता में पोलित ब्यूरो स्थायी समिति की बैठक में जोर देकर कहा गया कि "गतिशील जीरो कोविड " नीति आगे भी जारी रहेगी। बैठक में घोषित किया गया कि “सातत्यता ही विजय है।” इसने जोर देकर कहा:"लगातार के व्यवहार ने साबित कर दिया है कि हमारी रोकथाम और नियंत्रण नीति पार्टी की प्रकृति और उद्देश्य से निर्धारित होती है, हमारी रोकथाम और नियंत्रण नीतियां इतिहास की कसौटी पर खरी उतर सकती हैं, और हमारे रोकथाम और नियंत्रण उपाय वैज्ञानिक और प्रभावी हैं। हमने वुहान की रक्षा करने के लिए लड़ाई जीती है, और हम निश्चित रूप से शंघाई की रक्षा की लड़ाई जीतने में सक्षम होंगे।” इस बैठक में कोविड की रोकथाम के उपायों और गिरती अर्थव्यवस्था को सम्हालने की कवायद के बीच संतुलन बिठाने का कोई उल्लेख नहीं किया गया।

पार्टी कैडर में अधिक असंतोष होने का संकेत देते हुए, बैठक में एक तीखी चेतावनी दी गई:"हमें पार्टी केंद्रीय समिति द्वारा निर्धारित महामारी की रोकथाम एवं नियंत्रण नीतियों की गहन, पूर्ण और व्यापक समझ होनी चाहिए। इसके बारे में अपर्याप्त समझ, अपर्याप्त तैयारी और अपर्याप्त काम की दिक्कतों को दूर करना चाहिए। इसके प्रति अवमानना, उदासीनता और आत्म-धार्मिकता के विचारों को दृढ़ता से दूर करना चाहिए। हमेशा एक स्पष्ट सोच रखनी चाहिए। असमान रूप से गतिशील जीरो कोविड की सामान्य नीति का पालन करना चाहिए, और सभी विकृतियों, संदेहों और इनकार का दृढ़ता से विरोध करना चाहिए। हम उन सभी शब्दों और कर्मों के खिलाफ दृढ़ता से संघर्ष करेंगे जो हमारी महामारी रोकथाम नीतियों को विकृत करते हैं, उन पर संदेह करते हैं और उनको मानने या उन पर अमल करने से इनकार करते हैं। "

चीन की चिंता का कारण बनने वाला एक अन्य प्रमुख मुद्दा यूक्रेन में लंबे समय से जारी संघर्ष है, जिसके लगभग 100 दिनों के बाद भी समाप्त होने का कोई संकेत नहीं दिखता है। इससे चीन की स्थिति और अधिक कठिन हो गई है। रूस को दिए जा रहे अपने समर्थन में शी ने किसी बदलाव के प्रति अनिच्छा जाहिर की है। इसको देखते हुए सीसीपी के भीतर गंभीर चिंता है। उसको लगता है कि शी के इस रवैये से चीन के खिलाफ प्रतिबंध लगने की पूरी संभावना है। यदि प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो कम से कम 300 मिलियन सीसीपी सदस्य इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। पूरे चीन में विभाग प्रमुख के स्तर या उससे ऊपर के स्तर के सीसीपी कैडर के 70 प्रतिशत बच्चे अमेरिका एवं पश्चिमी देशों में पढ़ रहे हैं, और उनका विदेशों में बड़ी मात्रा में 'अवैध' धन जमा है। चीनी नागरिकों को प्रमुख बहुराष्ट्रीय उपभोक्ताओं और अन्य आउटलेट्स की मौजूदगी की आदत हो गई है, और अगर वे यहां से लौट जाते हैं तो इससे चीन का आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से ह्रास होगा। इससे चीनी नागरिक भी अपने देश की आर्थिक शक्ति होने पर सवाल उठाना शुरू कर देंगे। यह दबाव बढ़ाएगा, क्योंकि कोविड महामारी के दौरान इसका सबक मिल गया है, जब वैश्विक स्तर पर चीन विरोधी भावना में वृद्धि के मद्देनजर अमेरिका और पश्चिमी जगत ने अपने बाजारों तक चीनी समानों की पहुंच को प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया है। व्यक्तिगत जोखिम के बावजूद, शिक्षाविदों और सीसीपी कैडर सहित चीनी नागरिकों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन में उनके आक्रमण के लिए चीनी समर्थन की आलोचना की है। यह इंगित करते हुए कि इस तरह की आलोचना व्यापक है और वह शी को चिंतित करने वाली है,चीन भर में "राजनीतिक शिक्षा"अभियान की बाढ़ आई हुई है। किउ शि (सत्य की तलाश), पीपुल्स डेली और गुआंगमिंग डेली जैसे पार्टी पत्र-प्रकाशनों में ‘ऐतिहासिक शून्यवाद' पर कई लेख लिखे गए हैं। इसके साथ ही, इस कठिन समय में चीन के प्रति सीसीपी एवं शी जिनपिंग के “नेतृत्व के योगदान”, ‘आम समृद्धि’ आदि पर लेख लिखे गए हैं। चीन में सुरक्षा और निगरानी संबंधी नियंत्रण बढ़ा दिए गए हैं और चीन का आधिकारिक मीडिया, जो लगभग हर दिन अमेरिका की गंभीर आलोचना करता रहा है, अक्सर "रंग क्रांति" से होने वाले खतरे को दर्शाता है। इस बारे में अंतिम बार 4 फरवरी के शी-पुतिन के संयुक्त वक्तव्य में भी जोर दिया गया था। चीन के सोशल मीडिया पर अधिकांश पोस्ट, हालांकि, सरकार, पुतिन और रूस का समर्थन करना जारी रखे हुए हैं, और अमेरिका और पश्चिम को खलनायक बनाते हैं।

हाल के दो घटनाक्रम बताते हैं कि रूस के प्रति इस स्पष्ट व्यामोह को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ रही हैं और वह पार्टी नेतृत्व को प्रभावित कर रही है। एक सभी डैनवई या कार्य इकाइयों को निर्देशित किया गया था कि वे 1 मई तक अपने कंप्यूटर और बाह्य उपकरणों को वापस कर दें जिससे कि घरेलू उपकरणों से उन्हें रिप्लेस किया जा सके ताकि विदेशी हैकिंग या साइबर जासूसी स्नूपिंग की संभावना को खत्म किया जाए। दूसरे,3 मई को पीपुल्स डेली में जारी की गई चीनी नागरिकों को चेतावनी उपाय सूक्ष्म है, लेकिन अचूक है। इसमें यह प्रचारित किया गया कि एक चीनी नागरिक को "राज्य शक्ति को विभाजित करने और लोगों को विनाश लिए उकसाने" के संदेह पर आरोप लगाया गया था! इसने उन पर विदेशी चीन विरोधी शत्रुतापूर्ण ताकतों द्वारा ऑनलाइन "ब्रेनवॉश" करने, विदेशी शत्रुतापूर्ण ताकतों के घरेलू एजेंट के रूप में कार्य करने और "देश को विभाजित करने के लिए उकसाने" आदि का आरोप लगाया। यह कहते हुए कि उनकी गतिविधियों ने "चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचाया है," पीपुल्स डेली ने घोषणा की "जो कोई भी राष्ट्रीय विकास के हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, वह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है, या मातृभूमि और राष्ट्र के साथ विश्वासघात करता है, उसे कानून द्वारा गंभीर रूप से दंडित किया जाएगा"।

इसके अतिरिक्त, पुतिन और रूस पर शी की नीति का मजबूती से समर्थन करने और चीन को यूक्रेन-रूस संघर्ष से मिलने वाले लाभों को सूचीबद्ध करने वाले कम से कम तीन प्रमुख लेख हाल ही में प्रकाशित किए गए हैं। इनमें एक लेख पीपुल्स डेली की सिचुआन संस्करण के प्रमुख का था, दूसरा पीएलए से संबद्ध कुनलुन संस्थान के एक वरिष्ठ शोधकर्ता का, और तीसरा प्रसिद्ध चीनी अंतर्राष्ट्रीय संबंध शैक्षणिक संस्थान यान सेकांग का लिखा था। यह उपक्रम शी की नीतियों का समर्थन एवं सराहना करने के लिए अधिकांश प्रांतीय प्रमुखों द्वारा एक उल्लेखनीय प्रयास के रूप में किया गया।

जाहिर है, 20 वीं पार्टी कांग्रेस में कैरियर की उन्नति पर नजर रखने के साथ, चोंगकिंग जैसे प्रांतों में राजनीतिक गतिविधियों में एक उल्लेखनीय उछाल आया है, जहां पोलित ब्यूरो सदस्य और पार्टी सचिव चेन माइनर की नजर पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी (PBSC) में एक पद पर है, वहीं तियानजिन में पार्टी सचिव ली होंगझोंग PBSC के लिए प्रोन्नत होने की उम्मीद कर रहे हैं, और हुनान पेजहां मौजूदा पार्टी सचिव झांग किंगवेई को केंद्रीय समिति में अगले चार पारी के लिए नामित किया गया है, वे पोलित ब्यूरो में प्रोन्नत किए जाने की उम्मीद करेंगे। पेइचिंग, गुआंग्शी, गुइझोउ, जिआंगसू, और जियांग्शी जैसे अन्य प्रांतों ने भी ‘वफादारी' और 'राजनीतिक विश्वसनीयता' पर जोर दिया गया है और शी की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन किया है।

हालांकि, पीपुल्स डेली के सिचुआन एडिशन के प्रमुख लिन ज़िबो के लेख में एक दिलचस्प वाक्य शामिल था, जो शी को इंगित कर लिखा गया हो सकता है। यूक्रेन युद्ध में रूस की असफलताओं की एक-एक कर गिनती करते हुए, उन्होंने कहा: “वे (पुतिन) जो जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वह अनिवार्य रूप से एकतरफा हो सकता है। कोकून रूम की इस तरह की जानकारी रणनीतिक निर्णय लेने में अवांछनीय है, और यहां तक कि वह खतरनाक भी है।”.

चीनी नेता शी जिनपिंग के प्रति 2017 में भी जनअसंतोष देखा गया था, वह 2019 -2020 में अत्यधिक रूप से बढ़ गया है। देश के कामयाब अरबपति उद्यमियों ने शी को संबोधित एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें उनसे अपना पद छोड़ने की अपील की गई है और ‘प्रिंसलिंग्स', जो आम तौर पर अपना सुर नीचे रखता है, उसने भी शी से पद छोड़ने के अनुरोध के साथ सोशल मीडिया पर एक पत्र पोस्ट किया है। इस पत्र में उनकी जगह पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के कुछ सदस्यों को नामित करने का सुझाव दिया है। यह कम नहीं हुआ है, और 20वीं पार्टी कांग्रेस से ठीक पहले सीसीपी में गुटबाजी की अफवाहों के बीच बढ़ते असंतोष शी जिनपिंग के लिए बहुत बड़ी चिंता का कारण बन जाएगा।

यदि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं या, स्थिति आगे खराब हो जाती है और वे (भारत-प्रशांत रणनीति, क्वाड और AUKUS द्वारा) दबाव महसूस करते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में शी एक 'मजबूत' नेता के रूप में अपनी घरेलू छवि को मजबूत करने और ताइवान के एक बाहरी द्वीप, या दक्षिण चीन सागर या भारत के खिलाफ एक सैन्य अभियान का आदेश देने का विकल्प चुन सकते हैं। पहले दो मामलों में शी को अमेरिकी हस्तक्षेप का खतरा है। भारत के साथ ऐसा कोई जोखिम नहीं है, लेकिन चीन आश्चर्य का तत्व खो चुका है और इस बार एक मजबूत सैन्य प्रतिरोध का सामना करेगा। इस लिहाज से, चीन के सभी पड़ोसियों के लिए आने वाले महीने उच्च जोखिम वाले हैं।

(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>


Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
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