शी जिनपिंग का पीएलए का उन्नयन करना और भारत के लिए उसके निहितार्थ
Jayadeva Ranade

शी जिनपिंग के 2012 में चीन के आधिकारिक सत्ता (कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव, केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष, और राष्ट्रपति पद) संभालने के बाद से ही देश की अपने बाहरी परिवेश के प्रति धारणा में लगातार बदलाव आ रहा है। सरकारी दस्तावेजों में हाल के विवरणों से और चीनी नेताओं के लगभग रोजाना के बयानों से इस बढ़ती चिंता का पता चलता है कि चीन का बाहरी वातावरण अप्रत्याशित होता जा रहा है और अब वह पहले जैसा शांतिपूर्ण नहीं है। चीनी नेताओं एवं सरकार के बयानों में भारत का नाम आना शुरू हो गया है। चीन की यह बदलती अवधारणा, जो शी जिनपिंग की चीन को एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की घोषित महत्त्वाकांक्षा के साथ मेल खाती है, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तैयारियों को आकार देगी, जिसकी तैयारी शुरू हो गई है।

सरकारी पीएलए डेली में 13 जनवरी को प्रकाशित एक लेख में पीएलए नानजिंग आर्मी कमांड कॉलेज के चेन हांगुई ने यह अनुमान लगाया कि "महान शक्तियों का सैन्य खेल 2022 में और अधिक तेज हो जाएगा"। इसमें कहा गया है, "रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी और भारत जैसी प्रमुख शक्तियों ने अपनी "उच्च-स्तरीय युद्ध क्षमताओं" को बढ़ाने के लिए प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अपने सैन्य रूपांतरण के प्रयासों को तेज कर दिया है। इसमें उल्लेखनीय यह है कि भारत को भी उन देशों की पंक्ति में शामिल किया गया है, जिन पर पीएलए खास ध्यान दे रहा है। हालांकि इस टिप्पणी में अमेरिका, रूस, जापान और, कुछ हद तक फ्रांस और जर्मनी पर फोकस किया गया था, पर इसमें कहा गया था कि भारत "अपने पहले घरेलू विमान वाहक की वास्तविक लड़ाकू तैनाती को बढ़ावा देना जारी रखेगा"। इसमें कहा गया है कि "फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, भारत और अन्य देशों की सेनाओं ने भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी पर अपने शोध-अनुसंधान को मजबूत करने का काम किया है, इस तकनीक को खुफिया टोही, संबंधित सहायक निर्णय लेने और नेटवर्क सुरक्षा के क्षेत्र में अधिक व्यापक रूप से लागू करने की कोशिश कर रहा है"।

इसी तरह, चीनी सैन्य टिप्पणीकारों ने भी जोर देकर कहा है चीन की सुरक्षा का जोखिम बढ़ रहा है क्योंकि यह कई देशों के दबाव में है। चीनी सैन्य टिप्पणीकार लियू यांटोंग ने कहा, "अभी, हम युद्ध के खतरे का सामना कर रहे हैं। सेना को तत्काल जागरूक होने की जरूरत है कि रातोंरात युद्ध शुरू हो सकता है। लिहाजा, हमें पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। हर समय मुकाबले के लिए तैयार रहना चाहिए।" पेइचिंग के एक थिंक टैंक युआन वांग मिलिट्री साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक शोधकर्ता झोउ चेनमिंग ने कहा, "देश के विदेशी हितों का विस्तार होने के साथ पहले समुद्र की तरफ से, फिर आसमान से और अब साइबर दुनिया में सुरक्षा का प्रमुख खतरा सामने आ रहा है।"

सीमा मामलों के विशेषज्ञ और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त पीएलए के वरिष्ठ कर्नल ओयांग वेई की 'चीन की सीमा और तटीय रक्षा के निर्माण और विकास में वर्तमान स्थिति' शीर्षक वाली रिपोर्ट में भी इन्हीं चिंताओं को प्रतिबिंबित किया गया था। इस टिप्पणी को एक निजी ग्रैंडव्यू संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट पर 12 अक्टूबर को पोस्ट किया गया था, इसमें कहा गया है कि चीन "लगभग हर तरफ अपनी भूमि और समुद्री सीमाओं पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है और इन क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा को तत्काल मजबूत करना चाहिए"। औयंग वेई ने आकलन किया कि "चीन कुछ सीमावर्त्ती क्षेत्रों में अतिक्रमण, अलगाव और आतंकवाद का सामना कर रहा था"।

औयंग वेई ने इस बारे में भारत का विशेष रूप से उल्लेख किया और इशारा किया कि वर्तमान सैन्य तनाव के अगले कुछ समय में कम होने के आसार नहीं हैं। उन्होंने कहा, "भारत चीन को अपना एक रणनीतिक प्रतियोगी मानता है और उसका दृष्टिकोण उत्तरी सीमा की रक्षा करने और पूर्व की ओर बढ़ने का है।" उन्होंने कहा कि भारत ने विवादित भूमि सीमा क्षेत्रों में चीन के खिलाफ बड़ी संख्या में बलों को तैनात किया था, "चीन के क्षेत्र पर अपने अतिक्रमण अभियान को तेज कर दिया"। वेई ने अनुमान लगाया कि भारत-चीन के बीच संघर्ष तो हो सकता है, लेकिन इससे सीमा की समग्र स्थिरता को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत ने अपनी नौसेना के बजट में वृद्धि की है और अपनी "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" को प्रशांत महासागर में लागू की है और वह संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिंद महासागर में चीन को विस्तार करने से रोक रहा है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि "क्षेत्र के बाहर से प्रमुख शक्तियों द्वारा हस्तक्षेप की संभावना बढ़ रही है"।

व्यापक सैन्य सुधारों के तकाजों के बारे में चीन की बदलती धारणाएं भारत के संदर्भ में अधिक मौजू हो जाती हैं, जैसा कि शी जिनपिंग द्वारा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के चाक-चौबंद करने की तरफ ध्यान दिया गया है। चीन का आधिकारिक मीडिया शी के पेइचिंग के बाहर प्रांतों और शहरों के दौरे क्रम में पीएलए प्रतिष्ठानों एवं इकाइयों के उनके दौरे और प्रमुख सैन्य सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति को नियमित रूप से कवर करता है। शी जिनपिंग पीएलए को उच्च तकनीक से संपन्न एक वैज्ञानिक बल बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के अनुप्रयोग एवं उपयोग पर जोर दे रहे हैं। इसके साथ ही उसके पेशेवरकरण और आधुनिकीकरण की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। इसे एक उच्च तकनीक वैज्ञानिक बल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। वास्तविक युद्ध स्थितियों के तहत युद्ध की तैयारी करना अब पीएलए के नियमित प्रशिक्षण अभ्यासों में शुमार हो गया है।

पीएलए डेली (11 नवम्बर) ने प्रचारित किया कि शी जिनपिंग, जो युद्ध की तैयारियों और युद्ध क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, उन्होंने सैन्य उपकरणों की खरीद पर नियमों के एक नए सेट पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए सबसे अच्छे हथियारों और उपकरणों को तेजी से जुटान किया जा सके।

अधिकाधिक सैन्य सुधारों की संभावना की ओर इशारा करते हुए, सीसीपी के आधिकारिक समाचार पत्र पीपुल्स डेली द्वारा नवम्बर के मध्य में कुछ लेखों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। इस पुस्तक में सेना की संरचनात्मक समस्याओं के बने रहने का उल्लेख किया है। इसमें सैन्य टिप्पणीकार झोंग शिन को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, "सेना की कमान प्रणाली व्यवस्थित नहीं है, सेना की संरचना पर्याप्त नहीं है, और पिछड़ी नीति प्रणाली, पीएलए के रक्षात्मक कार्यों को गंभीर रूप से सीमित कर देती है। यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो चीन को विश्वस्तरीय आधुनिक सेना बनाने की योजना केवल कोरा गप है।”

इस बीच, ऐसे संकेत हैं कि पीएलए की योजना प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संशोधित और उन्नत करने के साथ-साथ सैनिकों की नियुक्ति के संबंध में अपनी नीति में सुधार करने की है। पीएलए डेली (28 नवम्बर) ने खुलासा किया कि बटालियनों को रंगरूटों के लिए उपयुक्त नौकरी खोजने, या सही व्यक्ति को सही नौकरी में रखने की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह देखा गया है कि सैन्य हथियारों और उपकरण प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास, तेजी से जटिल होती प्रणाली, गहन ज्ञान के बढ़ते स्तर और विशेष पदों के लिए तेजी से उच्च आवश्यकताओं के साथ यह और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया था। हाल के वर्षों में भर्तियों में तकनीकी रूप से योग्य या कॉलेज के स्नातकों का प्रतिशत अधिक है और यह उनके काम के असाइनमेंट से संबंधित होगा। पीएलए डेली के अन्य लेखों में युवा रंगरूटों के साथ 'समायोजन' और अनुशासन की समस्याओं का उल्लेख किया गया है, जिनमें से कई स्नातक हैं या आम तौर पर बेहतर शिक्षित हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 4 जनवरी को केंद्रीय सैन्य आयोग के आदेश (सं. 1/2022) पर दस्तखत किए, जो सेना के प्रशिक्षण और उसकी लामबंदी से संबंधित आदेश है, जो सेना के प्रशिक्षण पर जोर देता है। यह आदेश पूरी सेना के "सैन्य प्रशिक्षण के रूपांतरण और उनके उन्नयन को व्यापक रूप से बढ़ावा देने, और कुलीन सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए है, जो अच्छी तरह से लड़ सकते हैं।" यह निर्दिष्ट करता है कि इन "कुलीन सैनिकों को सर्दियों के दौरान प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें जलवायु का सामना करने के लिहाज से सख्त बनाया जाना चाहिए"। पीएलए डेली में एक कमेंटेटर का लेख (5 जनवरी) ने समझाया कि केंद्रीय सैन्य आयोग का आदेश "सैन्य प्रशिक्षण और युद्ध की तैयारी के लिए समय के स्पष्ट आह्वान की आवाज है।" इसे तत्काल किए जाने की जरूरत मानते हुए शी की टिप्पणी के हवाले से कहा कि "आज की दुनिया में, सत्ता की राजनीति और जंगल का कानून अभी भी प्रबल है। इसके मद्देनजर विभिन्न संभावित और अप्रत्याशित जोखिम एवं चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। युद्ध का खतरा एक वास्तविकता बन गया है।"

इस मोबिलाइज़ेशन ऑर्डर में "कुलीन सैनिकों" का उल्लेख नया है और ऐसे सैनिकों के लिए न केवल विशेष प्रशिक्षण और उपकरण बल्कि एक विशिष्ट भूमिका निभाने का सुझाव देता है, हालांकि उस भूमिका का खुलासा नहीं किया गया है। यह निर्देश कि कुलीन सैंनिकों को "सर्दियों के दौरान प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें सख्त बनाया जाना चाहिए" से यह अर्थ निकलता है कि उन्हें संभवतः भारत के साथ लगी सीमा पर पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड में तैनात किया जाएगा। पहले की रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में देखा गया कि सैन्य अधिकारी उच्च ऊंचाई वाले तिब्बती पठार में तैनाती के लिए आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र से मंगोलियाई युवाओं की भर्ती कर रहे हैं। यह निर्देश भी संकेत देता है कि सीमाओं पर पहले से ही तैनात सैनिकों की अनुकूलन क्षमता में वृद्धि के लिए और उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए सुधार की जरूरत है।

गहन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ शी सेवारत सैनिकों के वेतन-भत्तों पर ध्यान रखने के साथ ही 56 लाख सेवानिवृत्त एवं वयोवृद्ध सैनिकों के रहन-सहन की स्थितियों पर भी गौर फरमा रहे हैं। चीनी नेतृत्व को इसका भान है कि रिटायर सैनिकों का असंतोष पीएलए में भी फैल सकता है। इसलिए 4 जनवरी को नियमित वेतन वृद्धि के अलावा, चीन के वयोवृद्ध मामलों के मंत्रालय ने "सेवानिवृत्त सैनिकों की मासिक सेवानिवृत्ति के भुगतान और पुनर्वास के उपाय" जारी किए। इसने सेवानिवृत्त सैनिकों की नियुक्ति के लिए एक नई प्रणाली और पेंशन के मासिक भुगतान के साथ-साथ उन्हें समाज में "सम्मान" देने जैसे कदमों की शुरुआत की।

चीनी रक्षा श्वेत पत्र 2019 में पीएलए का कार्य वर्णित है, जो पहली बार कहता है कि चीन "एकमात्र प्रमुख देश है, जो अभी तक पूरी तरह से फिर से एकजुट नहीं हुआ है", जिससे यह पुष्टि होती है कि उसका पुनर्मिलन एक राजनीतिक और सैन्य आकांक्षा है। इस संदर्भ में, प्रसिद्ध पुस्तक चाइना ड्रीम के लेखक सेवानिवृत्त पीएलए कर्नल लियू मिंगफू द्वारा मई 2019 में असाही शिंबुन का दिया गया एक साक्षात्कार भारत के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है। चीन की क्षेत्रीय महत्त्वाकांक्षाओं और इसकी सीमाएं क्या होंगी, की बाबत पूछे जाने पर लियू मिंगफू ने जवाब दिया कि "वर्तमान चीनी सरकार द्वारा इस्तेमाल किया गया नक्शा राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्र के लिए स्पष्ट मानक है"। वर्तमान चीनी सरकार के नक्शे का संदर्भ पूर्वी सागर या जापान के सागर, सेनकाकू द्वीप या डियाओयू द्वीप समूह, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और भारत के लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में चीनी महत्त्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। उन्होंने संभवतः ताइवान के संदर्भ में सेना के संभावित उपयोग का संकेत देते हुए कहा कि "जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, चीन के साथ राष्ट्रीय शक्ति में अंतर अमेरिका के लिए कम होता जाएगा"।


Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
Image Source: https://commons.wikimedia.org/wiki/File:China-india.png

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