वेनेज़ुएला के संसदीय चुनाव: तिकड़मबाज़ी की जीत के बाद क्या?
Amb JK Tripathi

पिछले 5 दिसंबर को हुए वेनेज़ुएला की नेशनल असेंबली के चुनावों ने एक बार फिर से यह दिखा दिया कि किसी तानाशाह के लिए सत्ता में बने रहना कितना आवश्यक हो जाता है और वह इसके लिए किस हद तक चालें चल सकता है। वर्तमान राष्ट्रपति निकलस मादुरो अपनी सत्ता को केवल येन केन प्रकारेण बचाने में ही नहीं अपितु देश पर अपनी पकड़ और मज़बूत करने के प्रयास में अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति और राजनीतिक गुरु दिवंगत ह्यूगो चावेज़ से भी आगे निकल गए हैं। यह चुनाव प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा अमान्य कर दिया गया जिन्होंने वहां के सर्वोच्च न्यायालय (टीएसजे) द्वारा अवैध रूप से राष्ट्रीय चुनाव परिषद गठित किए जाने के विरोध में चुनावों का बहिष्कार किया।

वस्तुतः सत्ता पर क़ाबिज़ रहने की इन चालबाज़ियों की शुरुआत वर्ष 2015 के अंतिम महीनों में ही हो गयी थी जब सत्ताधारी दल यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ वेनेज़ुएला (पीएसयूवी) की राष्ट्रीय असेंबली के आम चुनावों में करारी हार हुई। सत्ताधारी दल के बहुमत वाली इस असेंबली का कार्यकाल 15 दिसंबर, 2015 को समाप्त हो गया और संविधान के अनुसार नई असेंबली द्वारा 5 जनवरी, 2016 को शपथ ग्रहण करना था I सामान्यतः कोई भी संसद अपने अंतिम दिनों में,खास तौर पर जब नई संसद के चुनाव के नतीजे आ चुके हों, कोई बड़ी नियुक्ति नहीं करती। किन्तु वेनेज़ुएला की निवर्तमान राष्ट्रीय असेंबली ने सारे नियमों और नैतिक मूल्यों को दरकिनार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के लिए सारे 33 न्यायाधीशों की नियुक्ति,जिनका 12 वर्षीय कार्यकाल शीघ्र ही समाप्त हो रहा था,अपनी एक ही बैठक में कर ली, जबकि इसकी एक विस्तृत प्रक्रिया है। ये सारे न्यायाधीश सत्ताधारी दल के वफ़ादारी थे। इस प्रकार सत्तारुढ़ दल ने एक सोची समझी नीति के तहत अपनी समर्थकों से भर कर सर्वोच्च न्यायालय की रही सही निष्पक्षता नष्ट कर दी। स्पीकर के पद पर चुने गए विपक्षी नेता जुआन गाइडो के नेतृत्व में नई असेंबली ने इन नियुक्तियों को मान्यता नहीं दी और यहीं से राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के सीधा टकराव शुरू हो गया। 2018 में हुए राष्ट्रपति के चुनावों में व्यापक धांधली के आरोपों के बीच निकलस मादुरो फिर चुनाव जीते जिसे नेशनल असेंबली ने खारिज करते हुए स्पीकर जुआन गाइडो को तदर्थ राष्ट्रपति नियुक्त किया I गाइडो की नियुक्ति को संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और आर्गेनाईजेशन ऑफ़ अमेरिकन स्टेट्स (OAS) ने भी मान्यता दे दी। पिछले वर्ष होने वाले चुनाव के लिए नेशनल इलेक्शन कॉउन्सिल (जो हर चुनाव का प्रबंधन करता है) के चयन की प्रक्रिया नेशनल असेंबली को मई में ही महामारी के कारण स्थगित करनी पड़ी जिसको असेंबली की अक्षमता बताते हुए न्यायालय ने यह अधिकार अपनी हाथ में ले कर नई कॉउन्सिल का गठन कर दिया, जिसके पांच सदस्यों में अधिकाँश राष्ट्रपति के समर्थक थे। इस प्रकार निकलस मादुरो ने असेंबली के चुनाव का संचालन भी परोक्ष रूप से अपने हाथ में ले लिया। समस्त विपक्ष के बहिष्कार के बीच चुनाव कराए गए जिसमे मादुरो की पार्टी 90% सीटों पर क़ाबिज़ हुई और देशव्यापी विरोध के बावजूद नई असेंबली ने 5 जनवरी को शपथ ग्रहण कर लिया।

नेशनल असेंबली के इन चुनावों का विरोध वेनेज़ुएला के बाहर भी हो रहा है। यूएसए और यूरोपीय संघ ने इन्हें अमान्य करार दिया है हालाँकि यूरोपीय संघ ने विपक्ष के नेता गाइडो को राष्ट्रपति न कह कर निवर्तमान असेंबली का स्पीकर कहा है। निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बार बार दोहराया है कि मादुरो एक तानाशाह हैं, इस लिए अमेरिका अन्य देशों के साथ मिल कर वेनेज़ुएला में निष्पक्ष चुनाव करने की दिशा में काम करेगा, लेकिन बाइडेन ने इस विषय में अभी तक किसी योजना की रूपरेखा नहीं बताई है। 17 सदस्यीय लीमा ग्रुप और वेनेज़ुएला पर बने 12 सदस्यीय इंटरनेशनल कॉन्टैक्ट ग्रुप ने भी कहा है कि ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे।

वेनेज़ुएला इस समय अपने इतिहास की सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुज़र रहा हैI विगत 25 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी किए गए "वर्ल्ड इकनोमिक आउटलुक" नामक दस्तावेज़ की अनुसार,2020 में वेनेज़ुएला में मुद्रास्फ़ीति 3332% रही जबकि बेरोज़गारी बढ़ कर 44.3% तक पहुँच गयीI चालीस लाख से भी अधिक लोग रोज़ी रोटी की तलाश में वेनेज़ुएला छोड़ कर जाने को मज़बूर हो गएI ग़रीबी की सीमा रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों का अनुपात बढ़ कर 87% हो गयाI इसी दस्तावेज़ की मुताबिक़ वेनेज़ुएला के सकल घरेलू उत्पाद में पिछले साल 25% की गिरावट दर्ज़ की गयीI अगले दो वर्षों में भी गिरावट के जारी रहने के अनुमान है जो क्रमश 10 और 5 प्रतिशत तक हो सकती हैI

इस अभूतपूर्व संकट के कारण ढूंढने के लिए दूर जाने की ज़रुरत नहीं हैI इस शताब्दी के पहले दशक में अमेरिकी प्रतिबंधों के बावज़ूद तेल से पैदा हुई समृद्धि के बूते पर चावेज़ की सरकार ने तमाम लोकलुभावन कार्यक्रम चलाए जिससे बेरोज़गारी तो कम हुई लेकिन तेल की कीमतों में भविष्य में कमी की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक निवेश के विषय में सोचा भी नहीं गयाI न तो रोज़गार के नए अवसर तलाशे गए और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कोई ठोस कदम उठाया गयाI परिणामस्वरूप तेल की कीमतों में 2008 के बाद आई गिरावट ने वेनेज़ुएला को संकट में डाल दियाI इसके बावजूद सरकार ने अपनी एकमात्र दुधारू गाय पीडीवेसा (राष्ट्रीयकृत तेल कंपनी) के बजट को सामाजिक लाभ (सोशल वेलफेयर) की योजनाओं की लिए दुहना जारी रखा जो कालांतर में लगातार हानि से गुज़रने लगीI विगत दशक में वेनेज़ुएला का आर्थिक संकट तब और गहरा गया जब पहले से ही आर्थिक संकट से गुज़र रहे वेनेज़ुएला पर महामारी के रूप में दोहरी मार पड़ी। वेनेज़ुएला में व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार भी इस संकट का एक बड़ा कारण है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा 2017 में प्रकाशित "करप्शन परसेप्शन इंडेक्स" में 178 भ्रष्ट देशों में वेनेज़ुएला 166वां यानी 12वां सर्वाधिक भ्रष्ट देश था। इसके अतिरिक्त पड़ोसी महाशक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका से सीधे सीधे झगड़ा मोल लेना भी वेनेज़ुएला के लिए भारी पड़ा क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों ने वेनेज़ुएला के तेल निर्यात की कमर तोड़ दी। निर्यात में भारी कमी आने से विदेशी मुद्रा का आगमन बंद हुआ जिससे सारी आर्थिक गतिविधियाँ ठप पड़ गईं। समाजवादी राज्य की स्थापना के नारे पर काम करने वाली सरकार ने निजी क्षेत्र के व्यवसायों का भी सहयोग न ले कर उन्हें शत्रु मानते हुए उनकी उपेक्षा ही नहीं की बल्कि उनको दबाने का हर संभव प्रयास किया, जबकि समझना यह चाहिए था कि आज की परस्पर निर्भर अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का बड़ा हाथ होता है।

अब प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति में वेनेज़ुएला का भविष्य क्या होगा? तीन ही प्रमुख विकल्प देश के सामने बचते हैं- या तो इस संकट से उबरने के लिए विपक्ष को वार्तालाप का आमंत्रण दे और कुछ सहूलियतों के साथ विपक्ष को भी एक राष्ट्रीय सरकार में शामिल करे या फिर राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव फिर से किसी निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय प्राधिकरण के निर्देशन में कराके विजयी दल को सत्ता सौंपी जाए या निकलस मादुरो की सरकार विपक्ष को पूरी तरह धराशायी करके अपना निरंकुश शासन चलाती रहे, जब तक कि सशस्त्र सत्ता परिवर्तन न हो जिसके उदाहरणों की वेनेज़ुएला के इतिहास में कमी नहीं रही है। पहला विकल्प,जो सबसे अच्छा हो सकता है, न तो सरकार को मान्य होगा न ही विपक्ष को।जहां सरकार विपक्ष को अमेरिका का पिट्ठू मानते हुए झुकने को तैयार नहीं है,वहीँ विपक्ष (जिसके पास अधिकांश अमेरिकी देशों और यूरोपीय संघ का समर्थन है) सरकार और नेशनल असेंबली भांग करने से कम किसी बात पर राज़ी नहीं है। दूसरा विकल्प भी सरकार को मान्य नहीं होगा जैसा कि पिछले साल के सरकारी रुख से पता चलता है जब वेनेज़ुएला ने गयाना के साथ सीमा विवाद के मामले में हुए अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय के निर्णय को यह कह कर अमान्य कर दिया था कि वेनेज़ुएला इस न्यायलय के अधिकार क्षेत्र को ही मान्यता नहीं देता। तीसरा विकल्प ही बचता है जिसके लिए अमेरिका प्रयास कर ही रहा है। ऐसा नहीं लगता कि नया अमेरिकी प्रशासन वेनेज़ुएला के प्रति कोई नरमी दिखाएगीI जैसा कि जो बाइडेन के कथन से स्पष्ट ही है, अमेरिका का प्रयास रहेगा कि वेनेज़ुएला में नई सरकार की स्थापना हो। अभी फिलहाल तो निकलस मादुरो के तेवरों में भी कोई कमी नहीं आई है। कुछ ही दिन पूर्व गयाना के समुद्र में हुए यूएसए और गयाना के संयुक्त सैन्याभ्यास को भड़काऊ और धमकी बताते हुए वेनेज़ुएला की उपराष्ट्रपति देलसी रोड्रिगेज ने विरोध जताया था।

अमेरिकी प्रतिबंधों को तोड़ते हुए ईरान का तेल वाहक पोत गुलशन वेनेज़ुएला पहुंचा है। वेनेज़ुएला के अमेरिका विरोध को अब स्वाभाविक रूप से चीन और रूस का भी साथ मिल रहा है। ऐसे में यह सोचना स्वप्न देखने के बराबर है कि वेनेज़ुएला में सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्ण रूप से होगा I सशस्त्र क्रांतियों के इतिहास वाला वेनेज़ुएला संभवतः फिर किसी तख्ता पलट की प्रतीक्षा कर रहा है, जो या तो देश में स्वतः स्फूर्त होगा या फिर अमेरिका आदि से आयातित होगा क्योंकि मादुरो के व्यक्तित्व में लोगों को देर तक बांधे रखने का वह करिश्मा नहीं है जो सारी ख़ामियों के बावजूद उनके गुरु ह्यूगो चावेज़ में था। इसलिए वेनेज़ुएला को इस संकट से निकलने के लिए कुछ और इन्तिज़ार करना पड़ेगा पर कब तक, यही एक

(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>


Image Source: https://usoas.usmission.gov/oas-resolution-condemns-the-fraudulent-elections-in-venezuela/

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