टीकाकरण पर ध्यान देने का समय: कुछ सुझाव
(VIF Experts Group Report)

आज देश ऐसी अभूतपूर्व महामारी से गुजर रहा है जिसने इतनी जिंदगियों को अपना शिकार बनाया है जो पिछले 100 वर्षों में भारत के सभी युद्धों में गईं जिंदगियों से भी ज्यादा है। इस संकट सेयुद्धस्तर पर निपटने की जरूरत है।

यह संक्रमण अब ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहा है। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए टीकाकरण ही हमारा आखिरी हथियार है। अब तक 18 करोड़ से अधिक लोगों काव्यवस्थित तरीके से किया गया टीकाकरण हालांकि प्रशंसनीय है परंतु फिर भी देश की बड़ी जरूरतों के हिसाब से यह नाकाफी है। टीकाकरण रणनीति इस तरह बनाई जानी चाहिए कि देश की पूरी आबादी में सबकाकम से कम समय मेंटीकाकरण हो जाए। टीके उपलब्ध होने पर घर-घर जाकर टीकाकरण करना इसका समाधान हो सकता है। जैसा कि अब साफ हो रहा है कि हमें महामारी के साथ ही जीना है,इसलिए हमें नए टीके तैयार करने होंगे और पूरी आबादी में सब को नियमित रूप से टीके लगाने होंगे। ऐसे में टीकाकरण के मोर्चे पर नई सोच की जरूरत है।

कोविड-19 की दूसरी लहर की पृष्ठभूमि में संभावित वैक्सीन रणनीति पर चर्चा करने के लिए व्यापार, उद्योग जगत, आपदा प्रबंधन विषयों और रणनीतिक क्षेत्रों के विशेषज्ञ समूह ने 14 मई 2021 को वीआईएफ में वर्च्युल चर्चा की। चर्चा के दौरान सामने आईं कुछ सिफारिशें और सुझाव विचार के लिए नीचे सूचीबद्ध हैं।

वैक्सीन उत्पादन

कोई भी प्रभावी टीकाकरण रणनीति घरेलू उत्पादन या आयात के माध्यम से टीकों की पर्याप्त उपलब्धता पर निर्भर करेगी। टीकों का स्वदेशी उत्पादन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय दुनिया भर में टीकों की कमी है और आयात करने में कई मुश्किलें सामने आ सकती हैं।

सरकार ने विश्वास दिलाया है कि इस वर्ष के अंत तक 216 करोड़ टीके उपलब्ध हो जाएंगे। हालांकि यह स्वागत योग्य समाचार है परंतु एक सच यह भी है कि ऐसा करना अगर असंभव नहीं है तो भी यह बेहद मुश्किल काम है। इसके लिए मौजूदा उत्पादन को कई गुना बढ़ाना होगा और नई निर्माण क्षमताएं स्थापित करनी होंगी। कुछ टीके अभी भी परीक्षण के चरण में हैं। यह जरूरी है कि सरकार इनकी प्रगति की बारीकी से निगरानी करे और बाद में निराशा से बचने के लिए निर्माताओं से सख्त समयसीमा के पालन का अनुरोध करे।

सरकारी प्रतिनिधियों और संभावित निर्माताओं के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक कार्य दल का गठन किया जाना चाहिए जो ऐसी संभावित समस्याओं की पहचान कर सके जिनसे भविष्य में समयसीमा के अनुसार उत्पादन करने में दिक्कतें पैदा होने की आशंका हो। उत्पादन योजना का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को वित्त, प्रौद्योगिकी,आईपीआर, मानवीय संसाधनों, उत्पादन को सुगम बनाने और आपूर्ति व्यवस्थाओं आदि के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए विस्तृत योजना बनाने और इसे लागू करने की जरूरत होगी।

भारत टीकों का बेहद बड़ा बाजार है और ऐसी संभावना है कि निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। नए म्यूटेंट उभरने की आशंका भी बनी हुई है। इनसे निपटने के लिए मौजूदा टीकों में छिटुपट बदलाव करने पड़ सकते हैं। नए टीके बनाए जाने की भी जरूरत पड़ सकती है। हमें अनुसंधान एवं विकास पर धन खर्च करना होगा। इस तरह टीकों पर व्यापक रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

कोविड-19 बेशक एक बड़ा संकट है परंतु इस संकट को भी अवसर में बदलने का प्रयास किया जाना चाहिए। भारत में स्थानीय वैक्सीन उत्पादन परितंत्र को दोबारा जीवंत बनाने और टीकों एवं इससे जुड़ी अन्य निर्माण इकाइयों को मजबूत बनाने के लिए इस अवसर का उपयोग किया जाना चाहिए। अगले पांच वर्ष की योजना बनाने के लिए एक कार्य दल का गठन किया जाए। इसे प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का उपयोग किया जा सकता है।

भारत आयात-निर्यात की भी अनदेखी नहीं कर सकता। टीकों के उत्पादन के लिए कई कच्चे माल और अन्य उत्पादों का आयात करना होगा। आयात इत्यादि पर कई प्रतिबंध हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रहना होगा कि इन चीजों की आपूर्ति बाधित नहीं हो। इसके लिए सक्रिय कूटनीति का सहारा लेना होगा।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक देश है, ऐसे में टीकों की आपूर्ति के लिए दुनिया भारत की ओर देखेगी। भारत को भी इस महामारी के विरुद्ध अन्य देशों से मिलकर लड़ना होगा। इस तरह भारत को घरेलू खपत के साथ-साथ निर्यात के लिए भी उत्पादन करना चाहिए।

टीकों की खरीद, वितरण और पहुंच

वैक्सीन की केंद्रीय स्तर पर खरीद जारी रहे – भारत में टीकों की आपूर्ति में मौजूदा कमी के साथ-साथ स्थानीय उत्पादन या आयात के माध्यम से टीकों की उपलब्धता बढ़ाने में लगने वाले समय को देखते हुए हमारा सुझाव है कि केंद्र सरकार टीकों की खरीद और वितरण को वापस अपने नियंत्रण में ले अर्थात केंद्र सभी उपलब्ध चैनलों से सभी टीके खरीदे, संक्रमण दर में वृद्धि के आधार पर विभिन्न राज्यों को इनका न्यायसंगत आवंटन करे और फिर राज्यों को इन्हें आगे संबंधित राज्यों में कार्यरत निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी वितरित करने का निर्देश दे।

विभिन्न सरकारों/संस्थाओं द्वारा टीके खरीदने के लिए वैक्सीन निर्माताओं से सीधे व्यवहार करने से टीकों की आपूर्ति कुछ टीकाकरण एजेंसियों के हाथ में केंद्रित हो सकती है। इस तरह से खुराकों की आपूर्ति प्रशासन के माध्यम से करने से यह सुनिश्चित होगा कि देश के सभी हिस्सों में सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को टीके उपलब्ध हो पाएंगे। निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं सहित सभी स्वास्थ्य संस्थाएं जिला अधिकारियों को अपनी आवश्यकताओं के बारे में बता सकते हैं और निर्धारित आवंटन के अनुसार खुराकें प्राप्त कर सकते हैं।

सैद्धांतिक रूप से टीकों का खरीद मूल्य केंद्र और राज्य सरकारों के लिए समान होना चाहिए। सरकार यदि ऐसा उचित समझे तो गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए अलग मूल्य हो सकता है।

विशेषज्ञों के सुझावों पर आधारित पूर्व-निर्धारित फार्मूले के अनुसार खपत का पूर्वानुमान करते हुए और सभी जिलों के लिए न्यायसंगत आपूर्ति को प्राथमिकता दी जाए।

इसके लिए हमारा यह भी सुझाव है कि सरकार निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं द्वारा वसूले जाने वाले प्रशासनिक शुल्क की अधिकतम सीमा फिर से तय कर दे अन्यथा इससे एक अन्य कृत्रिम कमी पैदा हो जाएगी जिसमें केवल वही लोग टीका लगवा पाएंगे जो इसके लिए भुगतान करने में सक्षम हों। इससे अधिकाधिक वयस्क आबादी के टीकाकरण का समग्र उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा।

हम आगे सुझाव देते हैं कि कोविन (CoWIN)ऐप चूंकि सभी के पास उपलब्ध नहीं है,इसलिए सभी वयस्कों के लिए वॉक-इन पंजीकरणों की अनुमति दी जानी चाहिए। अधिक से अधिक वयस्क भारतीय आबादी के टीकाकरण को सुगम बनाने के लिए, हम सरकार से सिफारिश करते हैं कि दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने के लिए मोबाइल टीकाकरणवैन चलाने की अनुमति देने पर विचार करने के साथ-साथ भारतीय स्वास्थ्य तकनीकी कंपनियों को घरेलू टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध करवाने की अनुमति दी जाए।

मानव संसाधन

वर्तमान में टीकाकरण स्थलों को कई गुना बढ़ाने की जरूरत है। जैसे-जैसे टीकों की उपलब्धता बढ़ती है, घर-घर जाकर टीकाकरण का लक्ष्य भी तय किया जा सकता है। हमें टीकाकरण में सक्षम कार्मिकों की कमी को भी शीघ्रता से दूर करना होगा। अपेक्षित कार्मिकों की कमी पूरी करने के लिए उन्हें बड़ी संख्या में प्रशिक्षित/तत्पर करने और व्यस्थित करने के लिए कार्यबल का गठन किया जा सकता है। इसके लिए सशस्त्र बलों, नागरिक सुरक्षा संगठनों, अर्धसैनिक बलों, प्रादेशिक सेना आदि की सहायता ली जा सकती है।

केंद्रीय परिसंपत्ति मैपिंग नियंत्रण दल बनाना

हम यह भी अनुरोध करते हैं कि विभिन्न आवश्यक महत्वपूर्ण देखभाल वस्तुओं की आपूर्ति पर निगरानी रखने के साथ-साथ इनकी कमी की संभावित घटनाओं का पूर्वानुमान करने और ऐसा होने से पहले ही रसद के साथ-साथ परिवहन सुविधा बढ़ाकर संबंधित राज्य की क्षमता को बढ़ाने के लिए केंद्रीय परिसंपत्ति मैपिंग नियंत्रण दल बनाया जाए।

हमने पहली लहर में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया। वैक्सीन का आविष्कार किया गया। स्वदेशी उत्पादन शुरू हुआ। परंतु दूसरी लहर पहले की तुलना में कहीं ज्यादा खतरनाक निकली है। अब तीसरी लहर की आशंका है। वायरस अपनी प्रकृति बदल सकता है। आबादी के प्रत्येक वर्ग पर इसका खतरा मंडरा रहा है। यह समय वैक्सीन के विकास, उत्पादन, वितरण और इसे आम जनता तक पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित करने का है। हम टीकाकरण में असमानता सहन नहीं कर सकते। हमें टीकारण के लिए व्यापक रणनीति तैयार करने की जरूरत है।

Translated by Shiwanand Dwivedi(Original Article in English)


Image Source: https://www.indiatvnews.com/news/india/covid19-vaccines-in-india-covishield-covaxin-sputnik-v-emergency-use-coronavirus-dcgi-697534

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