पीपुल्स डेली ने 25 मार्च 2021 को चे डलहा के 3975 शब्दों का एक विशालकाय लेख प्रकाशित किया था। चे तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (TAR/टार) के अध्यक्ष हैं। अपने इस महत्वपूर्ण आलेख, जिसमें चे ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का 9 बार उल्लेख किया है, वह निश्चित रूप से तिब्बत में हो रही गतिविधियों पर केंद्रित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि तिब्बत एक कठिन दौर की तरफ बढ़ रहा है।
चे डलहा के आलेख की केंद्रीय थीम “मातृभूमि की एकता” की आवश्यकता के साथ, तिब्बत एवं चीन के बीच कभी अलगाये न जा सकने वाले सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक संबंध है। संयोगवश, इस लेख का प्रकाशन 11 मार्च को सम्पन्न हुए चीन के ‘लिआनगुई’ अथवा कहें कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) और चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसलटेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के विस्तृत अधिवेशन के बाद किया गया है। इस लेख में दोहराया गया है कि राजकुमारी वेनचेंग ने 641 एडी में तिब्बत में प्रवेश किया था। यह दावा किया गया है कि उस समय “उनके हाथों में बुद्ध की प्रतिमा और बौद्ध अभिलेख था। राजकुमारी ने तिब्बत में बौद्ध संस्कृति की स्थापना की जैसे कि मंदिर निर्माण की विधियां और उसके नियम-कायदे तय किए”। दूसरी बात यह कही गई है कि इस बात के लिए बड़ी कोशिश की जाएगी कि : मंदारिन भाषा को स्कूलों में शिक्षा-निर्देशन की मुख्य भाषा बनाई जाएगी; ताकि जातीय कैडर, विशेषकर अग्रणी कैडरों में “चीनी राष्ट्र के समुदायों की भावना विकसित की जाए”; “चीनी खासियतों के साथ तिब्बती बौद्ध धर्म से लेकर समाजवाद को अपनाने”; और ‘जीवित बुद्धों’ की मान्यता में चीन की भूमिका की स्वीकृति सुनिश्चित की जाएगी-विशेष कर दलाई लामा और पंचेन लामा की; और अन्य लोगों के साथ जातीय तिब्बतियों के महान विलय को सुनिश्चित किया जाएगा।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में एक सर्वाधिक वरिष्ठ जातीय तिब्बती के रूप में चे डलहा एक गतिशील कैडर में शामिल हैं। वह 1979 में कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हुए थे और सीसीपी में 1982 में। चे युन्नान प्रांत (पहले उसे झोंगडियन कांउटी के रूप में जाना जाता था) के शांगरी ला से ताल्लुक रखते हैं। युन्नान के तिब्बती क्षेत्र में विभिन्न पदों पर काम करने के बाद उन्हें नवंबर 2010 के लगभग टार में पार्टी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के प्रमुख के रूप में भेजा गया था। बाद में उनकी पदोन्नति करके लहासा नगरपालिका के पार्टी सचिव के पद पर बैठाया गया था। यहां उन्होंने किन यजी, जो एक हान थे, उनसे पदभार ग्रहण किया था। किन इस पद पर 2006 के सितम्बर से ही थे। तिब्बतियों ने चे की इस नियुक्ति का स्वागत किया था। उनकी ख्याति आर्थिक विकास के प्रति एक समर्पित व्यक्ति की है। इसका ताजा उदाहरण है कि उन्होंने ब्रह्मपुत्र के ऊपर एक विशालकाय बांध बनाने के लिए तत्काल धन आवंटन की अपील की थी, जिसे हालिया संपन्न हुए एनपीसी के विस्तृत अधिवेशन में स्वीकृति भी मिल गई है। उन्होंने उत्तरी तिब्बत में संरक्षित व प्राकृतिक गैस के दोहन की भी वकालत की थी।
चे डलहा ने “14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास के लंबी अवधि के लक्ष्यों को 2035” तक पा लेने से तिब्बत को होने वाले योजनागत लाभों को रेखांकित किया था। इन योजनाओं को एनपीसी और सीपीपीसीसी के हालिया संपन्न हुए विस्तृत अधिवेशन में स्वीकृति दी गई थी। अभियंताओं, तकनीशियनों और मुख्य भूमि से मजदूरों के आवकों को चे ने रेखांकित करते हुए दावा किया कि विभिन्न परियोजनाएं तिब्बत में विकास को बढ़ावा देंगी और उनके लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी करेंगी। उन्होंने आह्वान किया कि विशाल आधारभूत ढांचा और लोक सेवा-सुविधा की सुविधाएं सिचुआन-तिब्बत रेलवे निर्माण के आसपास विकसित की जाएंगी और अन्य परियोजनाएं आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देंगी। इन सब का मिलाजुला लक्ष्य 2025 तक तिब्बतियों को गांव और शहर में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय की बराबरी तक पहुंचाना है।
तिब्बतियों, हान और अन्य जातीय राष्ट्रवादियों के अनुपात में संभावित परिवर्तन का संकेत देते हुए चे ने शहरों, गलियों और जियाओकांग के मॉडल सीमा रक्षा गांवों में रहने वाले हान और तिब्बतीय जातीय अल्पसंख्यकों को एक में मिल जाने पर जोर दिया। एनपीसी के 200 नए सीमा रक्षा गांवों को बसाने के फैसले की चर्चा करते हुए चे ने अपने लेख में सीमावर्ती क्षेत्रों को और मजबूत करने का आह्वान किया है। चे डलहा ने अपने लेख में “जोरशोर से आबादी को बढ़ावा” देने की जरूरतों बल दिया। साथ ही, सीमा क्षेत्रों में बसी या बसायी गई आबादी को समर्थन देने के लिए सुविधाएं जुटाने, उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने और सेवाएं मुहैया कराने पर जोर दिया। इसका नतीजा यह है कि जैसा कि वर्तमान में मॉडल वेलऑफ बॉर्डर डिफेंस विलेजेज के साथ किया जा रहा है, इन सीमा गांवों में रहने वाले कुछेक लोग एक या तीन परिवारों से औसतन लगभग 20-30 तक हो जाएंगे। कहा गया है कि इन गांवों में रहने वाली आबादी में सामंजस्य बढ़ाने के लक्ष्यों के साथ तिब्बत के विभिन्न भागों में रहने वाले तिब्बतियों और संभवत: विभिन्न तिब्बती बौद्ध संप्रदायों के लोग आपस में घुल मिल जाएंगे। यह संभव है कि अन्य जातीय राष्ट्रीयताएं भी ‘वेल ऑफ बॉर्डर डिफेंस विलेज’ में संबंधित किए जाएं।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एनपीसी और सीपीपीसीसी के विस्तृत अधिवेशन में मंगोलिया से आए हुए शिष्टमंडलों से बातचीत में कहा, “सांस्कृतिक पहचान पहचान की सबसे गहरी संरचना है। यह जातीय एकता और सद्भाव की जड़ और आत्मा है।” जिनपिंग के इस संदेश के बाद चेक डलहा ने “जोरशोर से समाजवाद के मुख्य मूल्यों को बढ़ाने और उन पर अमल करने” की आवश्यकता पर विशेष बल दिया और लोगों को यह समझाया कि “चीनी राष्ट्र एक साझा भविष्य वाला एक समुदाय है”। उन्होंने लिखा कि समाजवाद के मूल मूल्यों को बढ़ाने और उन पर अमल करने; ‘चीनी राष्ट्र की परियोजना’ का क्रियान्वयन करने और ‘राष्ट्रवादी शिक्षा आधार’ को निर्मित करने के लिए बहुआयामी उपायों को करने की आवश्यकता है ताकि ‘तिब्बत में रहने वाले सभी जातीय समूहों में चीनी संस्कृति के प्रति सांवेगिक जुड़ाव और आध्यात्मिक लगाव उत्पन्न हो सके।’
चे डलहा ने लिखा कि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में स्कूलों में तिब्बती के बजाय मंदारिन को शिक्षण-निर्देशों की प्राथमिक भाषा बनाने का पूरे उत्साह से प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदारिन को बोलने और लिखने की भाषा के रूप में सतत बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया औऱ इसका खुलासा किया कि क्षेत्र में पुतगहुआ (मंदारिन) बोलने-लिखने की क्षमता की जांच के लिए 18 केंद्र स्थापित किये जाएंगे। टार से बाहर जातीय तिब्बती इलाकों के मंदारिन 2015 से ही स्कूलों की भाषा बनी हुई है। इस प्रक्रिया में इस साल 20 जनवरी से और तेजी आई जब इन एनपीसी के कानूनी मामलों की कमेटी के निदेशक शेन चुंगयो ने एनपीसी की स्थाई समिति की बैठक के दौरान यह घोषणा की “अल्पसंख्यक इलाकों” के स्कूलों में उनकी अपनी भाषाओं में शिक्षा की इजाजत नहीं दी जाएगी।” उन्होंने ऐसी शिक्षा को “असंवैधानिक” माने जाने की घोषणा की। इस मामले में अपनी प्रस्तुत रिपोर्ट में शेन ने जोर दिया कि कुछ मामलों में स्थानीय नियमन जो जातीय स्कूलों में दिए जा रहे शिक्षकों में जातीय भाषाओं के उपयोग की अनुमति देते हैं, वह चीनी संविधान के मुताबिक देश में पुतगहुआ को बढ़ावा देने के विचार से अनुचित है। चे डलहा का आलेख स्पष्ट करता है कि जैसा कि शिंजियांग और इनर मंगोलिया के स्वायत्त क्षेत्रों में किया गया है, अब टार के अंतर्गत तिब्बती स्कूलों की प्राथमिक भाषा में तिब्बती के उपयोग को रोकने की शुरुआत की जाएगी और उनकी जगह मंदारिन लेगी।
बड़ी संख्या में इंजीनियरों, कामगारों और मजदूर की आवक की संभावना को भांपते हुए चे ने सभी जातीय समूहों में व्यापक विनिमय और एकता की वकालत की। चेन्नई तिब्बती कॉलेज के स्नातकों को मुख्य भूमि में आकर काम करने और व्यवसाय करने के लिए आमंत्रित किया और मुख्य भूमि उद्यमों और लोगों को तिब्बत में व्यवसाय शुरू करने का आह्वान किया। यह कहते हुए कि इससे ‘उभयपक्षीय अंतर्निहित सामाजिक संरचना और सामुदायिक पर्यावरण’ और एक ‘‘बहुजातीय सद्भाव गली-नुक्कड़ (समुदाय, परिवार)’’ के निर्माण में मदद मिलेगी, चे डलहा ने खुलासा किया कि “टार में (2021-25) जातीय एकता औऱ प्रगति के लिए मॉडल क्षेत्र की स्थापना की योजना” का क्रियान्वयन किया जाएगा। सभी सातों प्रशासकीय प्रांतों में राष्ट्रीय एकता और प्रगति के प्रदर्शन क्षेत्रों की एक कालबद्ध योजना तैयार की गई है, जो 2025 तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि प्रशासकीय प्रांतों और 80 फ़ीसदी काउंटिज (जिलों) पहले से ही जातीय एकता और प्रगति के लिए स्वायत्त क्षेत्र स्तर पर मॉडल के रूप में विकसित किए जा चुके हैं।
यह तिब्बती लोगों के ऊपर चीनी इतिहास और संस्कृति को विशेष रूप से थोपेगा। चे डलहा ने खुलासा किया कि यह काम “एनसाइक्लोपीडिया ऑफ एथनिक यूनिटी एंड प्रोग्रेस (तिब्बत वॉल्यूम)” के संग्रहण से शुरू किया जाएगा। तिब्बती इतिहास का चीनी संस्करण, जिसका उल्लेख चे डलहा के आलेख किया गया है, उसे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाये जाने की संभावना है।
यह दावा करते हुए कि “तिब्बत में सभी जातीय समूहों के लोग देश में तमाम जातीय समूह के लोगों के साथ अपने दिल को साझा करते हैं” और “राष्ट्रीय एकता को मानते हैं”, उन्होंने कहा कि“ चीनी राष्ट्र समुदाय की चेतना तिब्बत में रहने वाले सभी जातियों समूहों के लोगों के खून में गहराई में मिली हुई है।” जातीय क्षेत्रों में कैडर, खासकर जातीय अल्पसंख्यक अग्रणी पंक्ति के कैडर “चार प्रबोधनों” को मजबूती दे रहे हैं, “चार आत्म-विश्वासों” को दृढ़ता दे रहे हैं और उन्होंने “दो लक्ष्यों” को हासिल किया है। इसके साथ, वे लगातार राजनीति फैसलों को, राजनीतिक समझदारी को और राजनीतिक निष्पादन क्षमता में सुधार करते हैं। चे डलहा ने कहा कि वे अवश्य ही “जवाबदेही को समझ रहे हैं और चीनी राष्ट्र समुदाय की भावना का पालन कर रहे हैं।” उन्होंने उनसे कहा कि “वे हमेशा कामरेड शी जिनपिंग के साथ, पार्टी सेंट्रल कमिटी के साथ लगातार उच्चस्तरीय संपर्क बनाए रखें। नया तिब्बत क्षेत्र में पार्टी की प्रशासनिक कार्य नीति का पालन करें और स्थिरता, विकास, पारिस्थितिकी और सीमांत के इलाके को मजबूत करने का बेहतर काम करें।”
चे डलहा ने अपना एक समूचा पैराग्राफ तिब्बती बौद्ध धर्म के ‘चीनीकरण’ के मसले और दलाई लामा के अवतरण की मान्यता देने में समर्पित कर रखा है। उन्होंने “अलगाववाद से संघर्ष में भागीदारी के लिए लोगों से बड़ी संख्या में लामबंदी” का आह्वान किया और कहा कि “स्थिरता कायम रखने के लिए तांबे एवं लोहे की दीवारें” बनाई जाए। उन्होंने कहा कि “समाजवादी समाज को अंगीकार करने के लिए तिब्बती बौद्धवाद को सक्रिय रूप से निर्देशित” करने की जरूरत है। “तिब्बती बौद्धवाद को चीनीकरण” किए जाने के महत्व पर जोर देते हुए चे ने कहा कि “धार्मिक रीति रिवाज और जीवित बुद्ध के अवतार की ऐतिहासिक रस्में”, ताकि जीवित बुद्ध के अवतरण/पुनर्जन्म की “घरेलू खोज, स्वर्ण फूलदान, और केंद्रीय मान्यता” के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का अवश्य ही पालन किया जा सके।
चे डलहा का आलेख यह संकेत करता है कि हालिया संपन्न हुए विस्तृत अधिवेशन में चीन की जातीय अल्पसंख्यक राष्ट्रीयताओं के बारे में कुछ निर्देश दिए गए हैं। टार अब एक सर्वाधिक उद्यम के रूप में दिखाई देता है, जैसा कि शिंजियांग और इनर मंगोलिया में यह दिखता है। यह तिब्बती लोगों पर हान संस्कृति और इतिहास को लादने का उपक्रम है। अलगाववाद-दलाई लामा के समर्थकों और अनुयायियों के लिए उपयोग में लाया जाने वाला कूट शब्द-के विरुद्ध तिब्बतियों की भारी लामबंदी के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही तिब्बतियों और तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों को दलाई लामा और पंचेन लामा के पुनर्जन्म की मान्यता देने में पेइचिंग प्रशासन की अवधारणा को स्वीकार कराने का प्रयास किया जाएगा।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
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