टोक्यो ओलम्पिक के निरस्तीकरण का मामला
Prof Rajaram Panda

इस लेख के लिखे जाने के समय (9 जून 2021), टोक्यो में ओलम्पिक खेलों के आयोजन की बात हो रही थी पर असाधारण वैश्विक स्थिति में लोगों की जान बचाने में कहीं देर न हो जाए, इसको देखते हुए इसको स्थगित किए जाने का एक मजबूत आधार है। भयंकर महामारी की क्रूरता में तत्काल कोई कमी होती नहीं दिखाई दे रही है, इसकी आती लहरों ने पूरे विश्व में लाखों जिंदगियां लील ली हैं। इसमें सबसे अधिक जो चिंता करने वाली बात है, वह विभिन्न देशों में कोरोना के नए रूपों (वैरिएंट्स) का प्रकोप और उनका तेजी से सीमा पार कर दूसरे देशों को भी अपनी चपेट में ले लेना तथा विश्व मानवता के समक्ष नए-नए खतरों को उत्पन्न करना है। हालांकि अनेक देशों ने अपने लोगों की जान बचाने के लिए टीके विकसित कर लिए हैं, लेकिन पूरी आबादी का शत-प्रतिशत टीकाकरण दुष्कर और समय साध्य कार्य तो है ही। तो यह मौजूदा परिस्थिति टोक्यो ओलम्पिक खेलों के स्थगन किए जाने का एक मजबूत आधार है क्योंकि ऐसे अनेक व्यर्थ के काम करने पड़ सकते हैं, जिसके लिए यह विश्व इस समय तैयार नहीं है।

चिर प्रतीक्षित ओलम्पिक को जब जुलाई 2020 में स्थगित किया गया था, तब सर कीथ मिल्स, जो 2012 के समर गेम्स के पूर्व सीई थे, ने 2021 में भी ओलम्पिक के योजना मुताबिक हो सकने में संदेह जाहिर किया था।2 तब जो अहम तर्क था और वह अब भी है कि यह वैश्विक महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और इसलिए यह खेलों के आयोजन का सही समय नहीं है। उन्होंने जापान की यशोहिदे सुगा सरकार से अनुरोध किया कि वह खेलों का आयोजन स्थगित कर दे क्योंकि संक्रमण महज स्थानीय नहीं है बल्कि यह बहुत तेजी से फैल कर खेलों में भाग लेने वाले अनेक देशों के खिलाड़ियों एवं उनसे जुड़े लोगों को संक्रमित कर सकता है। इस प्रकार वह संदेह कई महीने पहले से बना हुआ है कि क्या खेलों का आयोजन संभव है। विशेषकर, पैरालम्पिक, खेलों जिनमें एथलीटों की मेडिकल-स्थिति जुड़ी होती है, उन पर अतिरिक्त खतरा का अंदेशा लगा रहता है, यह कहा गया था।

कोविड-19 के प्रोटोकोल का पालन किए जाने के बावजूद जैसे खिलाड़ियों के बीच भौतिक दूरी, किसी मानवीय स्पर्श का अभाव और मॉस्क का उपयोग नहीं किया जा सकता है। कुछ खेल ऐसे हैं, जैसे पहलवानी और जूडो, जिनमें शरीर से शरीर का संपर्क होना ही होना है, वहां प्रोटोकोल का उल्लंघन हो जाना लाजिमी है।

हालांकि, अनेक जनमत सर्वेक्षणों में खेलों के आयोजन न कराए जाने के लिए जाहिर स्थानीय विचारों और जापान के लोकप्रिय अखबार असाही शिम्बुन में 26 मई 2021 को लिखे गए एक कड़े संपादकीय2 के बावजूद जिसमें सुगा सरकार से खेलों के आयोजन के बारे में दोबारा सोचने का आग्रह किया गया था, प्रधानमंत्री सुगा ने अपने राजनीतिक भविष्य का जोखिम उठाया और खेलों के साथ जाने का फैसला किया। रिकॉर्ड के लिए, हालिया क्योडो न्यूज पोल ने दिखाया कि 80 फीसदी लोग जापान के खेलों का आयोजन न करने देने के पक्ष में हैं।

यहां तक कि सुगा के मौजूदा पद के लिए प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले और देश के प्रभावी नेता तारो कोनो ने भी खेलों के आयोजन करने के सरकार के फैसले का विरोध किया है। पिछले साल खेल के स्थगन के बाद, लागतें 22 फीसदें बढ़ गई हैं। फिर कुछ न दिखाई देने वाली लागतें भी हैं, जैसे सुरक्षा और ठेके पर फिर से बातचीत करने आदि में। इंश्योरेंस के निरस्तीकरण की लागत भी एक अन्य समस्या है। अब यह प्रतीत होता है कि सुगा प्रशासन इस उम्मीद के साथ अंतिम क्षण की प्रतीक्षा कर रहा है कि कोरोना महामारी की दशा में कुछ सुधार होगा। लेकिन तब टीकाकरण के मसले का अंतिम रूप से समूचा हल निकालना बाकी रह जाता है। इसीसे जुड़ा है, टीके की खरीद, उसका भंडारण, उसका वितरण, टीका लगाने वाले पेशेवर मेडिकल स्टाफ की तैनाती, प्राथमिकता के आधार पर टीका लगवाने वाले व्यक्ति-समूहों की पहचान करना तथा इससे संबंधित अनेक अन्य मसलें।

ओलम्पिक आयोजन के शुरू होने के एक महीने पहले उसके स्थगन की घोषणा उन लोगों के प्रति एक तरह से निष्ठुरता होगी, जो इसमें भाग लेने के लिए अभ्यास-प्रशिक्षण में दिन-रात अपना पसीना बहा रहे हैं। सच में,अगर खेल निरस्त होता है तो यह उनके लिए भयानक होगा। लेकिन तब खेल जीवन में एक बार होने वाला आयोजन नहीं है। अगर किसी को इस बार अवसर नहीं मिलता है तो वह हमेशा चार साल पर दूसरी बार नये प्रतिद्वंद्विदियों के साथ शरीक होने का मौका मिल सकता है। इसलिए, खेल जारी रहना चाहिए लेकिन इस समय नहीं क्योंकि यह बेहद असामान्य समय है। पहले भी तीन मौकों पर ओलम्पिक का आयोजन स्थगित हुआ है: 1916, 1940 and 1944 में और हर बार विश्वयुद्धों के चलते तो स्थगित होने से क्या खेल की अहमियत कम हो गई है?

अगर टोक्यो में इस बार खेल नहीं होता है तो इस पृथ्वी से सिटिअस, एलटिअस, फोर्टिअस की भावना मिट नहीं जाएगी। पहले ही, कोविड-19 के काले साये से स्थानीय लोग डरे हुए हैं, एथलीट्स खतरे में हैं, प्रशिक्षण छिन्न-भिन्न हो गया है, कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं और अगर अंतिम रूप से खेल का फैसला होता है तो यह लोगों की जान से खेलने वाली राजनीतिक अपरिपक्वता और भारी जोखिम वाला जुआ साबित होगी। क्या सुगा सरकार लोगों की सेहत की सुरक्षा की गारंटी दे सकती है, और यह भी कि ये खेल कोरोना-संक्रमण को तेजी से नहीं फैलाएंगे? अगर इसका अंत इस रूप में होता है तो टोक्यो ओलम्पिक का आयोजन विश्व युद्धों के बाद के मानवीय इतिहास में महान मूर्खता का एक उदाहरण होगा, जिसके सबसे बड़े वास्तुकार सुगा होंगे।

अगर खेलों का आयोजन होता है, टोक्यो में विश्व के 200 देशों के 11,000 से ज्यादा एथलीट्स जमा होंगे। जापान अब भी विदेशी नागरिकों को अपने यहां न आने देने के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा रखा है। क्या यह समय पर्याप्त शर्तों के साथ इसमें बदलाव करने का है? यह वैसे तो संभव लगता है। यद्पि जापान के ओलम्पिक मंत्री सेको हाशिमोतो जिनका इस पद के लिए किए गए चयन को स्त्री सशक्तिकरण के नजरिये से प्रशंसा की गई थी, उन्होंने कहा कि “किसी भी कीमत” पर खेल अवश्य होगा। उनका वक्तव्य भी उनके दंभ को दर्शाता है क्योंकि थोड़े से बच गए समय में अनके दुष्कर कामों को निबटाना है। इस तरह, खेलों के आयोजन के साथ जाने का सरकार का निर्णय खेलप्रेमियों और जापान के बाहर के उसके मित्रों को जंच नहीं रहा है-वह अनुचित, असंबद्ध, अतार्किक और यहां तक कि जापान के लोगों के साथ विश्वासघाती भी लग रहा है। लिहाजा, यह सुगा के लिए पुनर्विचार करने का है।

हाशिमोतो के पास वजह है कि जापान आए विदेशी एथलिट्स को यहां की संस्कृति का जानने का मौका मिलेगा और इसलिए उन्होंने जापानी संस्कृति के बारे में ऑनलाइन आयोजन की तैयारी भी कर रखी है। अब कोई भी पूछ सकता है कि क्या ऐसे विचार बेचने का यह उपयुक्त समय है? होशिमोतो का यह तर्क सामान्य पाठकों को भी हास्यास्पद लगेगा। यह भी खबर है कि प्रत्येक एथलीट्स को 14 कंडोम दिए जाएंगे लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। हालांकि वे इसे सोवेनियर के रूप में अपने देश ले जा सकेंगे, यह निरी हास्यास्पद है। क्या इसका मतलब एथलीट्स सेक्स की प्रतियोगिता में भाग लेने या सेक्स की तलाश में ओलम्पिक खेलों में भाग लेने जाते हैं? ऐसी खबरें अजीबोगरीब मानवीय कल्पना के नमूने हैं। ऐसी खबरों से खेलों की छवि में बट्टा लगता है।

तब अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक्स कमेटी (आइओसी) के प्रेसिडेंट थॉमस बाख कहते हैं कि आगे का स्थगन कोई विकल्प नहीं हैं। क्या वे समझते हैं कि इस अति असामान्य परिस्थिति में जापान के समक्ष कितना बड़ा जोखिम है? सच में, जापान को बहुत नुकसान होगा क्योंकि इसमें निवेश काफी बड़ा है। लेकिन तब क्या होगा जब वायरस के फैलने से भारी संख्या में लोग हताहत होते हैं; क्या बाख इन महामारी में मरने वालों की जानें लौटा सकते हैं? ये कुछ गंभीर मसले हैं जिन्हें कालीन के नीचे नहीं दबाया जा सकता। ओलम्पिक के आयोजन से जापान एवं टोक्यो की जुड़ी प्रतिष्ठा एवं उसके चर्चा में आ जाने की दलील दी जाती है। कहा जाता है कि अगर खेलों की मेजबानी करने से जु़ड़े जोखिम की तुलना में इसके आयोजन को कम अहम मान कर उसे स्थगित कर दिया जाता है, तब प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा।

चार जनवरी को, सुगा ने दावा किया था कि खेलों के आयोजन का मायने होगा कि “मानवता ने वायरस को परास्त” कर दिया है। लेकिन इसके पांच महीने बाद वायरस के संक्रमण के अति घातक प्रसार एवं इसमें होने वाली मानवीय क्षति को देखते हुए सुगा का वह वक्तव्य कितना अपरिपक्व प्रतीत होता है। तब इसके प्रकोप से निबटने के लिए आवश्यक घोषणा करनी पड़ी थी और आपातकाल को आगे बढ़ाना पड़ा था। इसके अलावा, इमरजेंसी लागू करना और इस पर लोगों की सहमति पा लेना, दूसरे देशों की तरह तुलना में जापान में उसके कानूनों के मुताबिक अन्य देशों से भिन्न है।

जेन्स डिफेंस वीकली कोसुके ताकाहाशी की दलील है कि खेलों को अवश्य ही स्थगित किए जाने का मुख्य कारण वायरस का तेजी से फैलना, वैश्विक वैक्सीनों की सीमित उपलब्धता और खेलों के आयोजन पर बढ़ती लागतें हैं।3 इसके अलावा, कोरोनावायरस के विभिन्न रूपों के साथ निबटने की चिंता है, जैसा कि कई देशों में वह उजागर हुआ है और जिसने जापान समेत कई देशों की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर प्रचंड प्रभाव डाला है। वर्ल्ड मीटर के अनुसार 7 जून 2021 तक 760, 323 संक्रमण के मामले आए थे, जिनमें 13, 523 लोगों की मौत हो गई थी और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। यह दुस्वप्न का अनुभव केवल जापान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसलिए विश्व के हर एक कोने को हिला कर रख दिया है। इसीलिए सुगा का आशावाद अनुपयुक्त लगता है। इससे के अलावा, सुगा के आशावाद को लोगों ने देश में कराई गई अनेक रायशुमारियों में खारिज कर दिया है। 80 फ़ीसदी लोग चाहते हैं कि खेल का आयोजन स्थगित कर दिया जाए। खेल शुरू होने मैं मात्र 6 सप्ताह रह गए हैं, अभी कई अंतरालों को पाटने का काम बाकी है, जो असंभव है। 11,000 से अधिक एथलीट्स और उनके सहयोगी स्टाफ टोक्यो में होंगे, टोक्यो ओलंपिक जापान को कोरोनावायरस फैलाने वाले भी सूची एक सुपर प्रसारक देश के रूप में शुमार कर सकता है। विश्व के सामने जापान की साख खतरे में पड़ जाएगी। सुगा के आकांक्षित जापान के गौरव और महानता उसके अपमान में तब्दील हो जाएगी, देश के इतिहास में पीछा करती रहेगी। क्या यह अपेक्षित विकल्प है?

दिसंबर 2020 से ही,खेल को खारिज करने का जापान के लोगों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। दिसंबर में जहां 63 फ़ीसदी लोग खेलों को स्थगित किए जाने के पक्ष में थे, वहीं मई 2021 में उनकी तादाद बढ़कर 80 फीसद हो गई है। लोग लागत मूल्यों को भी वहन करने के लिए तैयार नहीं हैं, जो 3 ट्रिलियन येन ($29 बिलियन), से ही अधिक हो गया है और यह ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के इतिहास में सर्वाधिक महंगा है।

जापान के लिए एस्टॉनोमिकल कॉस्ट, यदि कोरोनोवायरस से संबंधित आर्थिक प्रोत्साहन के लिए जारी किए गए जापान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की लगभग 60 फीसदी धन राशि 307 ट्रिलियन येन को ओलम्पिक आयोजन की लागत में जोड़ा जाता है तो यह लागत समझ से परे होगी। पहले ही यह आंकड़ा जी-7 देशों के बीच सबसे अधिक है। जापान का राष्ट्रीय बजट घाटा और व्यापक होने वाला है। क्या सुगा और उनके वित्त मंत्री ने इस पहलू पर गौर किया है?

जापान की समर्थक नायिका और स्थानीय ओलंपिक कमेटी की एक सदस्या तथा जूडो में पदकधारी, काओरी यामागुची ने कहा कि कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी के दौरान 2020 में लोगों की रायों के विरुद्ध ओलम्पिक के आयोजन पर आमादा हो कर जापान “अलग-थलग” पड़ गया था। उनके मुताबिक जापान पहले ही इसे स्थगित करने का अवसर पहले ही गंवा चुका है और “हम इस स्थिति में आ गए हैं, जहां हम अब रुक भी नहीं सकते। हम आयोजन करते हैं तो निंदित होते हैं और न करते हैं तो निंदित होते हैं।”4

प्रतीत होता है कि सुगा ओलम्पिक के चक्रव्यूह में फंस गए हैं और इससे बाहर निकल पाने में सक्षम नहीं हैं। वह इसके प्रायोजकों जैसे टोयटा मोटर, कोका-कोला और इस तरह की अन्य बड़ी कम्पनियों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकते, जिनसे ओलम्पिक के आयोजन में विशाल धनराशि जमा की गई है। सुगा ओलम्पिक के मार्केटिंग एजेंट देन्त्सु के हितों की हिफाजत करने में भी दिलचस्पी रखते हैं, जिनकी छवि खेलों के स्थगित होने से बदरंग हो जाएगी। घड़ी की सूई सुगा के लिए तेजी से भाग रही है और इसके पहले कि काफी देर हो जाए, उन्हें सही निर्णय लेना है।

पाद टिप्पणियां
  1. पेट्रीसिया क्लॉस, “टोक्यो ओलम्पिक्स सुड बी कैंसिल्ड लंदन ऑर्गेनाइजर सेज,” 21 जनवरी 2021, https://greekreporter.com/2021/01/21/tokyo-olympics-should-be-cancelled-london-organizer-says/
  2. “प्राइम मिनिस्टर सुगा, प्लीज कॉल ऑफ दि ओलंपिक्स दिस समर”, आसई शिम्बुन, संपादकीय, 26 मई, 2021, http://www.asahi.com/ajw/articles/14357907
  3. कोसुके ताकाहाशी “व्हाई दि टोक्यो ओलंपिक्स मस्ट बी कैंसिल्ड”, 22 जनवरी 2021, https://asia.nikkei.com/Opinion/Why-the-Tokyo-Olympics-must-be-canceled
  4. “जापान 'कोर्नर्ड' इनटू होल्डिंग गेम्स, सेज लोकल ओलम्पियन,” 4 जून 2021, https://www.rediff.com/sports/report/japan-olympic-committee-board-member-blasts-tokyo-games-oc/20210604.htm

Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)


Image Source: https://www.aljazeera.com/wp-content/uploads/2021/05/000_9A68MT.jpg?resize=770%2C513

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