रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक की भिन्न रीतियां उनके दलों के दर्शन और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में उतरे दोनों उम्मीदवारों के परस्पर विरोधी व्यक्तित्वों में झलकती हैं। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में जहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और व्यवस्था तथा करों की निम्न दरों पर जोर देते हैं; वही उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार जोए बाइडेन का आग्रह सामाजिक न्याय, नस्लीय समानता और चिकित्सकीय देखभाल का रहता है। ट्रंप जहां चीन पर जमकर हमलावर रहते हैं जबकि बाइडेन उस देश के बारे में एक सरसरी टिप्पणी भर करते हैं। इस तरह, बाइडेन एक मध्यम मार्ग का अनुसरण करते दिखते हैं तो यह एक तरह से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन चुनाव में विजयी हुए उम्मीदवारों का अपने मतदाताओं से वोट पाने का एक परंपरागत नजरिया ही दिखाता है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने 28 अगस्त को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से नामांकन को स्वीकार करते हुए व्हाइट हाउस का उपयोग इसमें राष्ट्रपति के रूप में रहने वाले गौरवशाली नेताओं की याद ताजा करने में किया। इस स्थल का चयन करने के लिए उन्हें तीखी आलोचना झेलनी पड़ी और इसे व्हाइट हाउस की परम्परा से प्रस्थान बताया गया। जो भी हो, इस मौके के लिए अपने पूर्ववत्तिर्यों के नामों का चयन सर्वाधिक दिलचस्प रहा। ट्रंप एक दखलकारी विदेश नीति का प्रतिनिधित्व करते हैं। टेडी रुजवेल्ट का एक प्रसिद्ध कथन है, ‘‘मीठा बोलो और बडा.डंडा भी साथ लिये रहो।’’ राष्ट्रपति एंड्रय़ू जैक्सन ने अमेरिकी सीमा का विस्तार किया था। ग्रांट और आइजनहावर तो सेना के जनरल ही थे। उन्होंने राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन और अब्राहम लिंकन का भी उल्लेख किया था, जो अमेरिकी विरासत के जीवंत हिस्सा हैं। राष्ट्रपति रूजवेल्ट को द्वितीय वियुद्ध के संदर्भ में रेखांकित किया गया था। यह उनके मजबूत रक्षा तंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के दर्शन में बिल्कुल सटीक बैठता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध ट्रंप के भाषण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। उनकी वैश्विक दृष्टि का विस्तार चीन, नाटो, व्यापार समझौते और मध्य पूर्व में अमेरिकी नौकरियों के संरक्षण करने तक था, लेकिन चीन का संदर्भ विदेश नीति के दायरे से बाहर अपनी नौकरियों को लेकर चिंतित अमेरिकन वोटरों तक फैला था। उन्होंने बाइडेन की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें वोट देने का मतलब अपने यहां की नौकरियों को चीन और अन्य दूरस्थ देशों को सौंप देना होगा1। उन्होंने जोर दिया कि उनके प्रशासन ने अमेरिका के अब तक के इतिहास में चीन के खिलाफ सबसे कड़ा, साहसिक, मजबूत और कड़ी कार्रवाई के कदम उठाए हैं।’2 उन्होंने कहा कि बाइडेन ने’’ चीन के अभ्युदय का विश्व के सकारात्मक विकास के रूप में अभिनंदन किया था।3’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘यही वजह है कि चीन जोए बाइडेन का समर्थन करता है और वह उन्हें किसी भी तरह जिताना चाहता है।4 उन्होंने कहा कि अगर बाइडेन चुनाव जीत गए तो हमारा देश चीन का हो जाएगा।’5
सचमुच में राष्ट्रपति ट्रंप ने कोविड-19 के उद्गम-स्रोत का पता लगाया, जिसने विश्व की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। उन्होंने कहा कि ‘एक शताब्दी में चीन का योगदान इस वैश्विक महामारी को पूरे विश्व में फैलने देना है।’6 उन्होंने आगे कहा कि वे (चीन) चाहते तो इसे फैलने से रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे फैलने दिया।’7 ट्रंप ने कहा कि जैसे ही चीन के इस वायरस ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू किया, हमने इसके विरुद्ध दूसरे विश्व युद्ध की जैसी बड़ी लामबंदी शुरू कर दी थी।8 उन्होंने कोविड-19 के रोकने के अपने प्रशासन के तमाम प्रयासों का उल्लेख किया। इसी के साथ उन्होंने बाइडेन की ‘जरूरत के मुताबिक लॉकडाउन करने’ के विचार से अपने को अलग ही रखा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने वाइडेन को,‘समाजवाद का ट्रोजन हॉर्स’(लकड़ी का बनाया गया अंदर से पूरी तरह खोखला एक बड़ा घोड़ा जिसे यूनानीयों ने ट्रोजन वार के समय ट्रॉय शहर के बाहर छोड़ दिया था) बताय़ा।9 उनकी यह तीखी प्रतिक्रिया डेमोक्रेटिक पार्टी के वामपंथी धड़े का बाइडेन को उन्हें दिए जानेवाले समर्थन के बारे में थी। उन्होंने पूछा, ‘यदि जोए बाइडेन के पास अति उग्र मार्क्सवादी बर्नी सैंडर्स और उनके कट्टरवादी अनुयायियों के खिलाफ खड़े होने का दम नहीं है’ तो वह आपके लिए कैसे खड़े होंगे।’10 ट्रंप ने बाइडेन के कई मसलों पर उनके वोटिंग रिकॉर्ड का विस्तार से जिक्र किया और कहा कि उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में चीन के प्रवेश का समर्थन किया था, जो अब सबसे बड़ा सर्वकालिक आर्थिक विनाश है।’ 11. यह सच हो सकता है, लेकिन इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि चीन के साथ अमेरिकी रोमांस की शुरु आत रिपब्लिकन राष्ट्रपति निक्सन के प्रशासन ने ही की थी। सोवियत संघ को रोकने के लिए किसिंगर ने भी चीन के साथ संबंध विकसित करने की मुखर वकालत की थी। अगर यह शीत युद्ध तक सीमित रणनीतिक प्रतिक्रिया भर थी तो उसके समाप्त होने के बाद इसके जारी रहने देने का कोई औचित्य नहीं था। उस समय अमेरिका में बिल क्लिंटन के रूप में डेमोक्रेटिक प्रशासन सत्ता में था। चीन का डब्ल्यूटीओ में प्रवेश 2001 में हुआ, जब राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सत्ता में थे।
डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बाइडेन ने 21 अगस्त को पार्टी की तरफ से नामांकन स्वीकार करने के मौके पर दिए गए भाषण में ट्रंप की तरह विदेश नीति का जिक्र नहीं किया। उन्होंने ‘हमारे देश को चिकित्सकीय आपूर्ति और संरक्षण देने वाले उपकरणों की जरूरत है’12 का उल्लेख करने के क्रम में चीन का केवल सरसरी तौर पर जिक्र किया था। उन्होंने कहा, ‘हम इन्हें अमेरिका में बनाएंगे’। इसी प्रसंग में उन्होंने जोड़ा ‘इस तरह हम चीन या अन्य दूसरे देशों की दया पर निर्भर नहीं रहेंगे।’13. बाइडेन का भाषण मुख्य रूप से घरेलू मामलों पर केंद्रित था और उसमें वैश्विक महामारी, खराब आर्थिक परिस्थिति और घटते रोजगार को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप के कदमों की आलोचनाएं की गई थीं।
बाइडेन ने भय पर उम्मीद को तरजीह दी। उन्होंने कहा, ‘हम सब एक होकर अमेरिका में इस समय़ छाये अंधकार को दूर कर सकते हैं और दूर करेंगे। हम डर के बजाए आशाओं को, कल्पनाओं के बजाय तथ्यों को और विशेषाधिकार के बजाय पारदर्शिता का चुनाव करेंगे।’14. उन्होंने वादा किया कि वह राष्ट्रपति के रूप में निष्पक्षता की नीति का अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैं एक डेमोक्रेटिक उम्मीदवार होऊंगा, लेकिन मैं एक अमेरिकी राष्ट्रपति होऊंगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति का काम, सभी का प्रतिनिधित्व करना है, केवल अपने आधार और अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करना ही नहीं है।’15 उन्होंने कहा कि ‘अमेरिका संक्रमण के मोड़ पर खड़ा है।’16
बाइडेन ने वैश्विक महामारी, अमेरिका की गिरती अर्थव्यवस्था और रोजगार के नुकसान को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप पर हमला बोला। उन्होंने मतदाताओं से कहा कि वे ‘इस राष्ट्रपति का मूल्यांकन तथ्यों के आधार पर करें।’17 उन्होंने कहा कि कोविड-19 से लगभग 5 मिलियन (लगभग 50 लाख) लोग संक्रमित हुए थे, जिनमें 170,000 अमेरिकियों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि 50 मिलियन बेरोजगार लोगों ने अपना निबंधन कराया है और इस साल 10 मिलियन लोग अपना स्वास्थ्य बीमा गंवाने जा रहे हैं।’18 उन्होंने कहा. ‘देखभाल अधिनियम पर प्रहार जारी रहेगा।’19 उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की विरासत का पुनर्आख्यान किया।
दोनों उम्मीदवारों ने नस्लीय संबंधों पर भी अपने विचार रखे। राष्ट्रपति ट्रंप ने दासता उन्मूलन और नागरिक अधिकारों कानूनों को पारित किए जाने को एक ऐतिहासिक संदर्भ में विवेचित किया। उनका सर्वाधिक जोर कानून और व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ करने को लेकर था। बाइडेन ने जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या और जॉन लेविस के प्रसिद्ध उद्धरण का विशेष तौर पर जिक्र किया जिसमें कहा गया था ‘अमेरिका आखिरकार घृणा के भारी बोझ को उतार देने के लिए तैयार हो गया था।’20 बाइडेन ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था फटेहाल है।’21 उन्होंने अमेरिका के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया यद्यपि इन्होंने इसको विस्तार से व्याख्यायित नहीं किया। उन्होंने आर्थिक समृद्धि के लिए एक नई बुनियाद के ढांचागत विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। यद्यपि उन्होंने संरक्षणवादी रास्ते पर चलने से बचते रहे, अपने भाषणों में ‘अमेरिका का भविष्य बनाने के लिए ‘मैन्युफैक्चरिंग और तकनीकी क्षेत्र में 5 मिलियन रोजगार उपलब्ध कराने’ का उल्लेख किया।22 शायद उनकी नीति भी अमेरिकी नौकरियों को अपने नागरिकों के लिए संरक्षित करने की ट्रंप की नीति से अलग नहीं है।
दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहां ट्रंप और बाइडेन सर्वथा विरोधी थे, वे हैं-जलवायु परिवर्तन और करों के निर्धारण का मसला। यहां वे दोनों अमेरिकी राजनीति की परंपरागत दोषपूर्ण पद्धति का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। बाइडेन ने कहा, ‘हम जलवायु परिवर्तन के बारे में समझौता कर सकते हैं और करेंगे। यह केवल संकट ही नहीं है, बल्कि यह बेशुमार अवसर भी है।’23 उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा और ‘नई बेहतर पगार देने वाली मिलियंस नौकरियों’24 के संदर्भ में इस अवसर का उल्लेख किया। राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘असंगत और भारी कीमत वसूलने वाले पेरिस जलवायु समझौते’25को समाप्त करने का श्रेय खुद को दिया। बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन को ‘एक अस्तित्वकारी चुनौती’ बताया।26
राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘कीस्टोन एक्स एल और डकोटा एक्सेस पाइपलाइन’ की अनुमति देने को रेखांकित किया।27 उन्होंने ‘पहली बार अमेरिकी ऊर्जा आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए प्रशासन की सफलता का उल्लेख किया।28 इसका श्रेय अमेरिकी विशेषज्ञों और उद्यमियों को दिया जाता है, जिन्होंने शेल गैस तकनीक को विकसित किया। इसने ट्रंप और उनके प्रशासन को अग्रणी बनाया।
करों के मसले पर बाइडेन ने कहा,‘हमें ऐसी कर-संहिता की जरूरत नहीं है, जो काम को पुरस्कृत करने के बदले अधिक संपत्ति अर्जन को सम्मानित करती हो।’29 उन्होंने आगे कहा, ‘समृद्ध लोगों और बड़े कारपोरेट घरानों ने इस देश में अपना बेहतर दाय दिया है।’30 राष्ट्रपति ट्रंप ने आत्मश्लाघा से कहा, ‘हमने रिकॉर्ड सेटिंग टैक्स और रेगुलेशन की दरों में कटौती की, वैसा उनके पहले किसी ने भी नहीं किया था।’ 31
फिलहाल, बाइडेन आगे चल रहे हैं, लेकिन यह एक खुली दौड़ है। दुनिया के कहीं किसी भी लोकतांत्रिक देश के चुनावों की तरह अमेरिकी चुनाव के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। कौन उम्मीदवार जीता है, इससे कोई नहीं फर्क पड़ता। अमेरिका पूरे वि के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण देश बना रहेगा। यद्यपि अमेरिका का ध्यान स्वयं की तरफ है, जहां राष्ट्रपति ट्रंप और उम्मीदवार बाइडेन अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रोजगार के मसले पर ध्यान दे रहे हैं। अब देखना है कि यह कैसे संभव होता है। यह आव्रजन और व्यापार-भारतीय हितों के लिहाज से भी दो क्षेत्र-के मसले पर अमेरिकी नीतियों में बदलाव की संभावना को संकरा कर देता है। एक तीसरा क्षेत्र चीन के मसले पर उनके अपने-अपने विचार हैं। यहां अमेरिका में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक व्यापक सहमति की गुंजाइश हो सकती है।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
Image Source: https://bostonglobe-prod.cdn.arcpublishing.com/resizer/l2FUYhZzBKxyf6Lf-QS8WYe62mY=/1024x0/arc-anglerfish-arc2-prod-bostonglobe.s3.amazonaws.com/public/YF5TJEYP3ZGPBII56TBNQVVOEY.jpg
Post new comment