चीन और अमेरिका तिब्बत मुद्दे पर एक-दूसरे के विरोधी के रूप में उभर सकते हैं
Jayadeva Ranade

चीन के कम्युनिस्ट अधिकारी लगभग 18 महीने पहले इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके थे कि 16वें दलाई लामा के देहधारण के चयन का समय निकट आ रहा है। तब से उन्होंने तिब्बती लोगों के दिलों और दिमागों पर कब्जा करने और तिब्बती बौद्ध धर्म को "चीन के समाजवाद की विशेषताओं" के अनुकूल बनाने के प्रयासों को बढ़ाया है। चीन की आधिकारिक मीडिया ने हाल ही में "चीनी बौद्ध धर्म" का संदर्भ दिया है! बौद्ध धर्म को चीनी रूप में पेश करने के प्रयास का स्पष्ट संकेत भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग द्वारा प्रकाशित लेख में था, जो पिछले वर्ष नवंबर में एक भारतीय समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था। लेख में दावा किया गया कि "बौद्ध धर्म को तिब्बत से तांग साम्राज्य में पेश किया गया था", लेकिन इसमें इस बात को पूरी तरह से अनदेखा किया गया है कि पद्म सम्भव सहित अन्य ऋषियों ने बौद्ध धार्मिक ग्रंथों के साथ भारत से लेकर तिब्बत और चीन की यात्रा की थी।

बीजिंग का मुख्य उद्देश्य 16वें दलाई लामा के चीन और दुनियाभर में रहने वाले तिब्बतियों पर प्रभाव को कम करना है और यह सुनिश्चित करना है कि वह चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा चुने गए दलाई लामा को स्वीकार करें। यह बीजिंग के लिए तिब्बत पर अपनी पकड़ को वैध करने और सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है। इस बीच, दलाई लामा ने घोषित किया कि वह तब तक जीवित रहेंगे, जब तक वह कम से कम 113 वर्ष के नहीं होंगे और यह स्पष्ट कर दिया कि उनका देहधारण सत्तावादी शासन के अधिकार क्षेत्र में नहीं होगा, विशेष रूप से, चीन के अधिकार क्षेत्र में। इसके अलावा, उन्होंने संदेह व्यक्त किया है कि क्या वह "देहधारण" होगा या यह उस प्रक्रिया के तहत चुन सकता है जो उसे "मुक्ति" का चयन करने की अनुमति देगी। बीजिंग ने तब से जोर देकर कहा है कि अगले दलाई लामा का देहधारण किया जाना चाहिए!
बीजिंग के लिए एक अन्य समान रूप से महत्वपूर्ण उद्देश्य चीन विरोधी या विशेष रूप से चीनी विरोधी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) को लेकर तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और ननों के बीच नकारात्मक भावना को खत्म करना है। तिब्बती बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को "चीनी विशेषताओं के परिप्रेक्ष्य में समाजवाद" के अनुकूल बनाने के लिए तथा उन्हें बीजिंग में कम्युनिस्ट शासन के प्रति वफादार बनाने के लिए "देशभक्ति की शिक्षा" दी जा रही है। पिछले एक साल में इन प्रयासों में तेजी आई है और 1995 में चीनियों द्वारा वैध पंचेन लामा के रूप में नियुक्त तिब्बतियों और बौद्धों के विश्व व्यापी गॉल्सत्सेन नोरबू के बीच स्वीकृति को बढ़ावा देने के सीसीपी (CCP) के प्रयास एक-दूसरे से मेल खाते हैं। चीन द्वारा नियुक्त पंचेन लामा की तिब्बत की शुरुआती संक्षिप्त यात्राओं में लंबे अंतराल तक वहां रहने पर जोर दिया गया है, जो पिछले साल से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में विस्तारित अवधि के लिए रह रहा है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने पहली बार शिगात्से से बाहर टीएआर में अन्य स्थानों और क्षेत्रों की यात्रा आरंभ की, जैसे पूर्वी तिब्बत के लेब्रंग क्षेत्र (अमडो) में लाबरंग ताशीखिल मठ, भारत के अरुणाचल प्रदेश के सम्मुख निंगची और भारत के लद्दाख के सम्मुख नगरी (अली)। इसका उद्देश्य उन्हें तिब्बती बौद्धों के 'गेलुग' स्कूल में दूसरे सर्वोच्च रैंकिंग वाले धार्मिक व्यक्ति के रूप में स्वीकार करना है और पारंपरिक ऐतिहासिक भूमिका में उनकी धारणा को देहधारण दलाई लामा के ट्यूटर के रूप में स्वीकार कराना है।

अन्य उपायों को भी लागू किया जा रहा है। बीजिंग ने (टीआर) में पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए हैं कि वह पुलिस और लोगों के बीच 'न के बराबर दूरी बनाए रखने’ के लिए’ दस मिलियन घरों में दस लाख पुलिसकर्मियों के साथ एक नया प्रोपेगैंडा अभियान शुरू करें। एक वर्ष तक चलने वाले इस अभियान की शुरुआत 14 जनवरी को हुई और दिसंबर 2020 तक चलने वाला यह अभियान, चारागाह क्षेत्रों, मठों, ननों, परिसरों, बाजारों, निर्माण स्थलों, घरों और सीमा क्षेत्रों सहित समुदाय के सभी क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले नागरिक पुलिस इकाइयों की परिकल्पना करता है, जिससे आम लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाया जा सके। टाउनशिप पुलिस इकाइयों को वर्चुअल वीचैट समूहों में प्रवेश करने के लिए कहा गया है। इन निर्देशों के बाद पुलिसकर्मियों द्वारा परिवारों से मिलना और उन्हें खाद्य तेल, चावल, आटा, सब्जियाँ आदि देना शुरू कर दिया गया है। यह टीएआर के प्रत्येक गाँव में एक पार्टी कैडर को तैनात करने की नीति के अतिरिक्त है।
इसी तरह, टीएआर पीपल कांग्रेस ने इस साल जनवरी के अंत में टीएआर में 'राष्ट्रीय एकता मामलों के कार्यालय' (नेशनल यूनिटी अफेयर्स ऑफिस) की स्थापना का निर्णय लिया। इसके लिए जातीय एकता पर काम करने के लिए सरकार, कंपनियां, सामुदायिक संगठन, गांवों, स्कूलों, सैन्य समूहों और धार्मिक गतिविधि केंद्र के सभी स्तरों की आवश्यकता होती है, ताकि उनकी संस्कृति के अनुसार "जातीय एकता को सुनिश्चित किया जा सके"। भिक्षुओं और ननों को 'राष्ट्रीय एकता' को अपने व्यक्तिगत उद्देश्य के रूप में मानने और धार्मिक क्षेत्र में सद्भाव और स्थिरता बनाए रखने में योगदान करने को कहा गया है। यह उपाय पहले से ही "मॉडल देशभक्त" भिक्षुओं और "मठवासी भिक्षुओं" के एक कैडर के माध्यम से मठों और ननों को नियंत्रित करने के लिए अन्य प्रयासों को बढ़ाते हैं जो मठों की निगरानी और प्रबंधन करते हैं।

चीन की योजनाओं को विफल करने के लिए 'तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम' (तिब्बत पॉलिसी एन्ड सपोर्ट एक्ट) 28 जनवरी को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव द्वारा पारित किया गया था, यह 2002 के अधिनियम में संशोधन करता है, जो 392-22 के बहुमत के साथ पारित हुआ था। चूंकि तिब्बत मुद्दे पर व्यापक समर्थन है, इसलिए यह विधेयक जल्द ही सीनेट द्वारा पारित होने की संभावना है और फिर यह अमेरिकी राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। दलाई लामा के समर्थन में संशोधित 'तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम’ अधिक प्रत्यक्ष है और संभावित दंडात्मक उपाय भी इसमें शामिल हैं।

विशेष रूप से इसमें सिफारिशें हैं कि चीनी अधिकारी दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों या पूर्व-निर्वाचित तिब्बती समुदाय के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं के साथ बातचीत शुरू करें; अगले दलाई लामा के 'देहधारण' प्रक्रिया व वीजा मंजूरी में हस्तक्षेप करने वाले चीनी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों का प्रावधान; और अमेरिकी संपत्ति को फ्रिज करना तथा चीन के अधिकारियों, अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों के बीच व्यापार लेनदेन के निलंबन को मंजूरी देना। यह तिब्बती बौद्ध धर्म और समुदाय के साथ असंगत तरीके से किसी भी भविष्य के दलाई लामा सहित तिब्बती बौद्ध धर्म के नेताओं की पहचान, चयन, शिक्षित या स्थापित करने के चीनी अधिकारियों के किसी भी प्रयास का विरोध करता है। इसमें यह भी कहा गया है कि अमेरिकी प्रशासन को चीन को अधिकृत नहीं करना चाहिए कि वह अमेरिका में कोई अतिरिक्त वाणिज्य दूतावास स्थापित करे जब तक कि अमेरिका का वाणिज्य दूतावास ल्हासा में स्थापित न हो जाए। ये नई सिफारिशें चीन को तिब्बत पर अपनी नीति बदलने के लिए दबाव बनाएंगी।

चीन की सुसंगत स्थिति यह रही है कि बातचीत केवल दलाई लामा की व्यक्तिगत चिंताओं को दूर करने के लिए की गई है, निर्वासित तिब्बती प्रशासन के संबंध में नहीं। इसलिए, दलाई लामा के दूतों और CCP सेंट्रल कमेटी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (UFWD) के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत को सीमित कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप "तिब्बती समुदाय के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं" के विचार को कम कर दिया गया है। "बिना किसी पूर्व शर्त के" इसका संदर्भ अमेरिकी कांग्रेस की ओर इशारा करता है कि मुद्दों की चर्चा को शामिल करने के विचार-विमर्श के दायरे को 16वें दलाई लामा के काल के उपरांत व्यापक बनाना चाहिए।

प्रस्तावित प्रतिबंध अधिनियम को प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स अखबार ने चीन के रेनमिन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर, डायो डेमिंग के हवाले से कहा कि यह "न्याय क्षेत्र" का चीनी अधिकारियों पर सीमित प्रभाव है, लेकिन अखबार ने इस बात को नजरअंदाज किया कि कई चीनी कैडर अमेरिका की यात्रा करते हैं, उनके रिश्तेदारों के निवास हैं और उनके बच्चे अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ते हैं। ये सभी संभवतः प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

वीजा प्रतिबंधों का एक उदाहरण है। 2013 में स्पेन के राष्ट्रीय न्यायालय ने तिब्बत में "नरसंहार" के आरोप में पूर्व चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन, पूर्व प्रधानमंत्री ली पेंग और चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ सहित पांच पूर्व चीनी नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। स्पेन के सर्वव्यापी क्षेत्राधिकार की मान्यता के तहत उनके खिलाफ मामला मानवाधिकार समूहों द्वारा लाया गया था - इसमें यह सिद्धांत है कि मानवता के खिलाफ अपराध में सीमाओं के इतर मुकदमा चलाया जा सकता है। परीक्षण के लिए विषय आने से पहले स्पेन के राष्ट्रीय न्यायालय ने 2014 में चीन के दबाव में स्पेनिश कानून में बदलाव पेश किए। संशोधन ने स्पैनिश न्यायाधीशों को नरसंहार के अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच में अपराधियों के स्पेन के नागरिक होने या ऐसे विदेशी जो अपराध करने के दौरान स्पेन के ही निवासी रहे थे।

अमेरिकी कांग्रेस ने 2021 से 2025 तक, जो निर्वासित तिब्बती तथा भारत, नेपाल और टीएआर के तिब्बती समुदायों और फ्री एशिया, वॉइस ऑफ अमेरिका रेडियो को कुल $9 मिलियन डॉलर का अनुदान अधिकृत किया था। हालांकि यह राशि पिछले वर्ष के समान ही है, यह वित्तीय सहायता तिब्बतियों को अमेरिकी समर्थन जारी रखे जाने की पुष्टि करता है और इस वित्तीय सहायता से चीनी अधिकारियों को असुविधा होगी।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित विधेयक दलाई लामा की चीन के साथ बातचीत की स्थिति को बढ़ावा देता है। एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह अमेरिका को एक अतिरिक्त प्रभाव देगा। इस समय 18 जनवरी को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की म्यांमार यात्रा के दौरान जारी किया गया 16-बिंदुओं का संयुक्त प्रेस वक्तव्य दिलचस्प है। "म्यांमार पक्ष ने वन चाइना पॉलिसी की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और ताइवान, तिब्बत और शिनजियांग के मुद्दों को हल करने के चीन के प्रयासों का समर्थन किया, जो कि चीन के अविभाज्य अंग हैं ”, संभवतः यह संकेत देते हैं कि तिब्बत मुद्दा अभी सुलझा नहीं है! पिछले साल अक्टूबर में काठमांडू में शी जिनपिंग ने चेतावनी देते हुए कहा था कि "देश के किसी भी हिस्से में चीन को विभाजित करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति का अंत कुचले हुए शरीर और टूटी हुई हड्डियों के साथ समाप्त हो जाएगा। और चीन को विभाजित करने वाले इस तरह के प्रयासों का समर्थन करने वाले किसी भी बाहरी शक्ति को चीनी लोगों द्वारा खोखले सपने की तरह देखा जाएगा!" " अब यह और अधिक प्रासंगिक लगता है।


Translated by Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image source: https://img.republicworld.com/republic-prod/stories/promolarge/xxhdpi/knw2ycgafodmn6vo_1580291109.jpeg?tr=w-812,h-464

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