कजाकस्तान के विदेश मंत्रालय ने 14 अप्रैल 2020 के चीन के राजदूत झांग श्याओ को तलब किया और एक प्रमुख चीनी वेबसाइट सोहू डॉट कॉम पर एक लेख के प्रकाशन पर औपचारिक विरोध जताया। यह वेबसाइट 2008 के पेइचिंग ओलिंपिक खेलों में इंटरनेट सामग्री सेवा की आधिकारिक प्रायोजक थी।1 ‘व्हाई इज कजाकस्तान ईगर टु गेट बैक टु चाइना’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया था कि कजाकस्तान अतीत में चीनी भूभाग का हिस्सा था और कई कजाक जनजातीय नेताओं ने चीनी सम्राटों के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी। लेख में यह भी लिखा था कि कजाकस्तान की जनता मानती है कि चीन ने उसकी जमीन पर बार-बार आक्रमण किया और उसे शायद इस पर कोई आपत्ति भी नहीं है।2 कजाकस्तान ने चीनी राजदूत और चीनी विदेश मंत्रालय के सामने यह मुद्दा उठाया। राजदूत के साथ बैठक के बाद कजाक मंत्रालय ने बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस तरह के मुद्दे दोनों देशों के बीच सितंबर 2019 में हुए ‘स्थायी व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ समझौते की भावना के खिलाफ हैं।3
हाल ही में नाइजीरिया और फ्रांस जैसे देशों को एक के बाद एक चीन के साथ राजनयिक समस्याएं हुई हैं। उसी तर्ज पर कजाकस्तान की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाते चीनी ऑनलाइन मीडिया के लेख से दोनों देशों के रिश्ते राजनयिक समस्याओं में उलझ गए हैं।4 राजदूत को बुलाया जाना अचंभित करने वाला कदम है क्योंकि मध्य एशिया के देश आम तौर पर चीन की आलोचना से बचते हैं।
कजाकस्तान की सीमा का बड़ा हिस्सा चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनच्यांग से लगा हुआ है। चीन ने कजाकस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा खासा निवेश कर रखा है और उसका बड़ा निर्यात बाजार है। चीनी माल का यूरोप को निर्यात कजाकस्तान के रास्ते होता है, जिससे कजाकस्तान को अच्छी-खासी कमाई होती है। कजाक जनजातियों के करीब 15 लाख लोग शिनच्यांग में रहते हैं और आबादी के लिहाज उइगर समुदाय के बाद यह चीन का सबसे बड़ा मुस्लिम समुदाय है।5 खबरें हैं कि चीनी प्रशासन ने उइगर के साथ ही कजाक जनजातियों के लोगों को भी शिविरों में नजरबंद कर दिया है। कजाक जनजातीय लोगों को इन शिविरों में बंद करने और यातना देने के मसले पर कजाकस्तान के अल्माटी और नूर-सुल्तान जैसे शहरों में कई चीन-विरोधी प्रदर्शन हुए हैं।6 इसके उलट चीन का दावा है कि ये शिविर आतंकवाद के सफाये के लिए और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं और उनमें जनजातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन नहीं किया जाता।
जनजातीय अल्पसंख्यकों के बारे में पेइचिंग की नीतियों ने शिनच्यांग में जनजातीय कजाकों की जिंदगी पर बहुत अधिक असर डाला है मगर कजाक सरकार ने इस मसले पर कभी चीन की आलोचना नहीं की है।7 हाल ही में बेल्ट एंड रोड कार्यक्रम की वजह से मध्य एशिया में चीन का प्रभाव बढ़ गया है।8 इस समय कोविड-19 से लड़ने के लिए चीन ने कजाकस्तान को चिकित्सा सहायता दी है। 9 अप्रैल 2020 को चीन से एक चिकित्सा दल कोविड-19 के संकट को रोकने के कजाक सरकार के प्रयासों में मदद करने के लिए कजाकस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान पहुंचा। 10 सदस्यों के इस दल के साथ चिकित्सा सामग्री भी थी, जिसमें 4,800 एन95 रेस्पिरेटर, 49,600 डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क, 2,000 सुरक्षा पोशाक, दो वेंटिलेटर और अन्य औषधियां शामिल थीं।9 लेकिन मध्य एशिया में कूटनीतिक प्रभाव के बाद भी चीन को वहां के लोग उसकी महत्वाकांक्षाओं के कारण अक्सर शक की नजर से देखते हैं।
जिस लेख के कारण कजाकस्तान को विरोध करना पड़ा, वह इकलौता लेख नहीं था। चीन के प्रभावी सोशल प्लेटफॉर्मों पर ऐसे ही शीर्षक वाले लेख दूसरे देशों के बारे में भी प्रकाशित किए गए हैं। इनमें मंगोलिया, वियतनाम, उत्तरी म्यांमार का कोकांग क्षेत्र और भारत में मणिपुर के बारे में लेख शामिल हैं। इस लेख में लिखा था कि मणिपुर के साथ चीन का रिश्ता 202 ईसा पूर्व से चला आ रहा है। ये लेख कहते हैं कि “हालांकि ये क्षेत्र भौतिक रूप से अलग राष्ट्र हैं मगर वे काफी समय से दोबारा अपनी मातृभूमि में मिलना चाहते हैं।”10
चीन के पड़ोसी देश इंटरनेट पर अपनी भूमि के बारे में चीन के नजरिये पर बारीक नजर रखते हैं और किसी भी विवादित विचार पर उनका ध्यान फौरन जाता है क्योंकि उन्हें द्विपक्षीय मसलों खास तौर पर अपनी संप्रभुता के बारे में विचारों के प्रति संदेह है। हालांकि चीन सरकार इन विचारों का समर्थन नहीं करती मगर पड़ोसियों के साथ चीन के राजनयिक संबंधों को ये मुश्किल में डाल देते हैं। इन देशों में चीन की असरदार उपस्थिति है, इसलिए यदि वे अपनी संप्रभुता के खिलाफ चीनी अति राष्ट्रवाद का मामूली संकेत भी देखते हैं तो उनका चिंतित होना स्वाभाविक है।12
चीन के विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स को बयान भेजकर स्पष्ट किया कि लेख में चीन सरकार के विचार नहीं हैं। इसीलिए दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते और दोस्ती पर इसका असर नहीं पड़ना चाहिए।12 चीन की दो प्रमुख सोशल मीडिया वेबसाइट वीबो और वीचैट भी इस घटना के बाद हरकत में आई हैं। वीचैट के मुताबिक उसने ऐसी गतिविधियों में लिप्त 153 अकाउंटों पर रोक लगा दी है और ऐसे 200 से अधिक लेख मिटा दिए हैं।13चीन ने जोर दिया कि ये लेख भ्रामक हैं और कोरोनावायरस महामारी के कारण उपजे अति-राष्ट्रवाद का नतीजा हैं। चीन की नीतियों पर इनका प्रभाव भी नहीं पड़ता। ये लेख एक जैसे हैं और ठोस प्रमाण के बगैर फर्जी जानकारी से भरे हैं। ऐसे लेखों की कोई अहमियत नहीं है क्योंकि उनमें से ज्यादातर को कुछ हजार लोगों ने ही देखा है। लेकिन चूंकि वे कुछ बड़ी वेबसाइटों पर प्रकाशित हुए हैं, इस कारण बाहरी दुनिया की नजर में आसानी से आ गए हैं। इसके बाद गलत सामग्री को हटा दिया गया है और उसे फैलाने वाले अकाउंटों पर भी रोक लगा दी गई है।14
कजाकस्तान की कठोर प्रतिक्रिया के कारण चीनी विदेश मंत्रालय और मुख्यधारा के मीडिया को कजाकस्तान की संप्रभुता पर इस तरह के नुकसादेह हमलों से खुद को अलग करना पड़ा है। ऐसे ही हमले झेल रहे दूसरे पड़ोसी देश भी यही तरीका अपना सकते हैं चाहे चीन को उनकी चिंताओं की कितनी भी कम फिक्र हो।
Image Source: https://s1.reutersmedia.net/resources/r/?m=02&d=20190904&t=2&i=1426110281&r=LYNXNPEF830X1&w=1280
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