दक्षिण चीन सागर में पिछले कुछ हफ्तों में दो समुद्रीय घटनाएं हुई हैं। पहली घटना फिलिपींस और चीन के बीच हुई है और दूसरी, वियतनाम एवं चीन के बीच। इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर दक्षिण चीन सागर में अधिकार के विवादित दावों और चीन की आक्रामक भाव-भंगिमाओं से जटिल होती स्थितियों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा है। फिलिपींस और वियतनाम इस घटना के नतीजे भुगते दो देशों ने चीन की कार्रवाइयों से भिन्न तरीके से निबटा है, जो प्रतिक्रियात्मक उपायों की उपयुक्तता को दर्शाता है-क्या कारगर हो सकता है और क्या काम नहीं आ सकता। पर इसने चीन की ग्रे जोन चालबाजियों को भी उजागर किया है और उससे निबटना अब एक चुनौती है।
चीनी नौका 9 जून को फिलिपींस की मछली पकड़ने वाली नौका F/B Gem-Ver 1 से टकरा गई थी। यह घटना विवादित दक्षिण चीन सागर के पालावान के उत्तर में रीड बैंक पर आधी रात को हुई थी। जैसा कि बताया जाता है कि इस घटना के बाद चीनी नौका ने 22 फिलिपीनो मछुआरे को वहां मरने के लिए छोड़ते हुए अपनी बत्ती गुल की और फिर भाग खड़ी हुई थी। फिलिपीनो मछुआरे वियतनाम की नौका के पहुंचने तक छह घंटे वहां पड़े रहे थे।
चीन ने इस घटना को महज दुर्घटना करार दिया। उसके मुताबिक चीनी नौका को कुछ फिलिपीनो मत्स्य नौकाओं ने धमकाया था और इससे तेजी से बचने के प्रयास में उसकी नौका F/B Gem-Ver 1 से जा टकराई। उसने यह भी जोड़ा कि चीनी नौका ने उन मछुआरों को बचाने का प्रयास इसलिए नहीं किया कि फिलिपीनो नौका उसका पीछा कर रही थी। बीजिंग ने तथ्यों की जांच किये बिना इस घटना के राजनीतिकरण के लिए मनीला पर दोष मढा। उसने इस घटना को एक मामूली समुद्रवर्त्ती घटना बताया।
मनीला ने चीन के इस ब्योरे पर आपत्ति जताई है। चीनी नौका की कार्रवाइयां और जैसा कि यह वास्तविकता है कि फिलिपीनी नौका लंगर में बंधी थी। इसलिए व्यापक रूप से विश्वास किया जाता है कि यह मामला अनजाने में टकराने का नहीं बल्कि जानबूझ कर टक्कर मारने का है। मनीला ने टक्कर में घायल हुए अपने देश के मछुआरों को यों ही मरने के लिए छोड़ कर भाग जाने के लिए चीन की कड़ी आलोचना की। उसने 14 जून को बीजिंग के साथ राजनयिक स्तर पर अपनी औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। फिलिपींस की सरकार ने चीन के इस रवैये को स्प्राटली द्वीप समूहों में फिलिपींस के मछुआरों की उपस्थिति को उसी तरह हतोत्साहित करने वाला माना, जैसा कि चीन ने पैरासेल्स में वियतनामी मछुआरों के साथ किया था।
फिलिपीनी तटरक्षक और समुद्रीय उद्योग प्राधिकरण ने रीड बैंक पर हुई इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसकी आधिकारिक रिपोर्ट 20 जून को जारी की गई। इस जांच रिपोर्ट के मुताबिक F/B Gem-Ver 1 तट से लगी थी और उस समय नौका की एंकर लाइट्स एवं फ्लैश लाइट्स जल रही थी, जैसा कि समुद्र में नौकाओं से टकराव टालने के अंतरराष्ट्रीय नियमन, 1972 (COLREG 72) के नियम 30 के अनुसार सही था। इसके अलावा, रिपोर्ट कहती है कि घटना के वक्त आकाश एकदम साफ था, जिससे यह भी नहीं कहा जा सकता कि F/B Gem-Ver 1 दिखाई नहीं दिया। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि चीनी नौका टकराव टालने का उपाय करने में विफल रही और इसने ‘20 जख्मी मछुआरों को सहायता देने में भी विफल रही।’1 हालांकि रिपोर्ट यह जिक्र नहीं करती कि क्या यह जानबूझकर टक्कर मारने की घटना है। टक्कर मारने के मामले में जांच किये जाने की जरूरत है कि क्या जानबूझ कर ऐसा किया गया। इस रिपोर्ट को चीनी अधिकारियों को सौंपा जाएगा और फिर इसकी संभवत: संयुक्त जांच की जाए। फिलिपींस के सीनेटर ने संयुक्त जांच के विचार का विरोध किया है।
दूसरी घटना वियतनाम के तटरक्षकों और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर के स्प्राटली द्वीपों में वानगार्ड रीफ पर गतिरोध बनने की है। समुद्र से तेल निकालने वाली एक जापानी अर्ध-पनडुब्बी हकूरियू 5 (Hakuryu 5) रोजनेफ्ट वियतनाम के साथ करार के मुताबिक ही 12 मई को वियतनाम के ईईजेड में अपना काम रही थी। इसमें गतिरोध का कारण यह हुआ, जब 3 जुलाई को चीनी सर्वेक्षक जलपोत हययांग दीझी 8 (Haiyang Dizhi 8 ) वियतनाम के अधिकार वाले जलक्षेत्र में आ घुसा और उसने जापानी हकूरियू 5 के करीब आ कर उत्तर में भूकम्पीय सर्वेक्षण करने लगा। इस सर्वे नौका की रक्षा में दो तटरक्षक नौकाएं भी शामिल थीं, जो हेलीकाप्टर और चीन की समुद्र रक्षक सेना से लैस थीं। भूकम्प मापक इस सर्वेक्षण नौका के साथ सुरक्षा की एक और परत पीएलए नेवी जलपोतों की थी, जो तटरक्षक नौकाओं के पीछे अपनी पोजिशन ली हुई थी। इस घटना के बाद जैसी कि रिपोर्ट है, वियतनाम के चार तटरक्षक जहाज इस क्षेत्र की गश्त लगा रहे हैं।
अब जबकि दो समुद्रवर्त्ती देशों की तटरक्षक नौकाएं आमने-सामने आ गई हैं तो गतिरोध बन ही गया है। हालांकि कुछ स्वतंत्र रिपोर्टों के मुताबिक चीन के तेल खनन की रक्षा कुछ वाणिज्यिक नौकाएं कर रही हैं, जिनकी संख्या 30 के आसपास बताई जा रही है। इनमें से 10 नौकाएं स्वत: पहचान प्रणाली (ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम/एआइएस) के सिग्नल और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस/ओएसआइएनटी) से डेटा ले रही हैं। ये वाणिज्यिक नौकाएं चीनी तटरक्षक और समुद्री रक्षक सेनाओं के सहयोग व समन्वय से वहां के जलक्षेत्र में छितराई हुई हैं और वियतनामी नौकाओं से टक्कर जा रही हैं। यह भी रिपोर्ट है कि चीनी नौकाओं के नागरिक कप्तानों को 2nd क्लास मेरिट अवार्ड, योद्धाओं को दिये जाने वाले पुरस्कार के समान है, से नवाजा भी गया था। यह चीन के उस रुझान को जाहिर करता है, जहां वह अपने दावे वाले जल क्षेत्र में नागरिक नौकाओं का इस्तेमाल नौ सेना के विस्तार के रूप में कर रहा है।
चीन और वियतनाम दोनों ही अपनी सम्प्रभुता के सवाल पर आग-बबूला हो उठते हैं। वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फु अपने सैन्य नेतृत्व के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नौका चालकों से बातचीत कर स्थिति की समयोचित निगरानी कर रहे हैं। सम्प्रभुता के उल्लंघन वाली ऐसी घटनाएं आम तौर पर जनाक्रोश को भड़का देती हैं। यद्यपि स्थिति की गंभीरता के बावजूद दोनों देशों की सरकार इस मसले पर अभी चुप हैं। दोनों देशों के मीडिया में भी इस घटना का मुश्किल से उल्लेख मिलता है। वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ले थि थू ने कहा कि हनोई सम्प्रभुता हनन के घटना पर शांतिपूर्ण विरोध के लिए प्रतिबद्ध है और उनका देश इस बारे में अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक समग्र उपायों के जरिये शांतिपूर्वक अपने दायरे का काम कर रहा है।
उधर, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर में अपने हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चीन बातचीत के जरिये मतभेदों को सुलझाने के लिए भी कटिबद्ध है। यह चीन की एक मानक प्रतिक्रिया है, जिसकी पूरी दुनिया अभ्यस्त हो चुकी है। मौजूदा गतिरोध की घटना के मात्र दो महीने पहले ही दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने जल-विवादों को सद्भाव और संवाद से सुलझाने पर रजामंदी जताई थी। इसके पांच वर्ष पूर्व, चीन ने पैरासेल्स में तेल खनन स्टेशन बना कर वियतनाम की सम्प्रभुता का उल्लंघन किया था। इसके बाद वियतनाम में चीन विरोधी भावनाएं काफी उग्र हो गई थीं। कुछ लोगों की आशंका है कि मौजूदा गतिरोध से उस समय की भावनाओं में फिर से ज्वार पैदा कर सकता है। अत: सरकार इस कोशिश में लगी दिखती है कि किसी तरह का जन आंदोलन न खड़ा हो जाए।
हालांकि पर्दे के पीछे से हनोई अपनी सम्प्रभुता की हिफाजत के लिए काम कर रहा है। सरकारी बयान के मुताबिक,‘वियतनामी सरकार समुद्री क्षेत्र में शांतिपूर्ण और कानूनी तरीकों से वियतनामी सम्प्रभुता, सम्प्रभु अधिकारों और अपने अधिकार के जल क्षेत्र की रक्षा-सुरक्षा में लगी है। और उसकी वायु एवं नौ सेना जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह से सन्नद्ध हैं। 162.नवल ब्रिगेड ने उस घटनास्थल के करीब लाइव फायर अभ्यास भी किया था। यह खबर केवल वियतनामी मीडिया में ही छपी थी अन्य किसी अंतरराष्ट्रीय या अंग्रेजी अखबारों में नहीं आई थी। इसका मतलब यह है कि हनोई नहीं चाहता कि इस घटना को अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बना कर स्थिति को जटिल बना दिया जाए। लेकिन वहीं दूसरी ओर, उसने कुछ कदम भी उठाये हैं और अपने लोगों में यह खबर फैला दी है ताकि वे आश्वस्त रहें। अगर वियतनामी नागरिक यह महसूस करने लगे कि उनकी सरकार देश की सम्प्रभुता से कोई समझौता कर रही या चीनी आक्रामकता के सामने कमजोर पड़ रही है, तो इससे अशांति फैल जाएगी। एक कम्युनिस्ट देश में, सरकार के विरुद्ध जनाक्रोश (बीजिंग के आगे हनोई के कमजोर दिखने की सूरत में) विदेशी खतरों की तुलना में ज्यादा संगीन बात है।
फिलिपींस में तो उस घटना के बाद दिलचस्प मोड़ आए हैं। इसके राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते के मातहत फिलिपींस की विदेश नीति ने परम्परा से हट कर एक अपना एक अलग चेहरा बनाया है और मनीला का बीजिंग के प्रति बढ़ता रुझान इसका साक्ष्य है। लेकिन इसके बावजूद विवादित भूभाग को लेकर मनीला और चीन में संघर्ष होता रहता है। मनीला ने 2016 में चीन के खिलाफ हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) एक मुकदमा जीता था। हालांकि कि रोड्रिगो दुतेर्ते ने उस फैसले को लागू नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने चीन के साथ मौखिक संधि कर ली और फिलिपींस के ईईजेड में चीनी मछुआरों की आवाजाही की इजाजत दे दी। चीन के प्रति इस नरम नीति के लिए दुतेर्ते की व्यापक आलोचना हुई थी। राजनीतिकों ने उन्हें चीन से अपने राजदूत वापस बुलाने की मांग तक की थी, लेकिन दुतेर्ते ने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने इसको एक ‘मामूली समुद्री घटना’ बताते हुए तूल नहीं दिया और कहा कि वह चीन का पक्ष सुनना चाहते थे। उनके बजाय, सरकार में शामिल अन्य नेताओं ने एक कड़ा बयान दिया लेकिन अंतत: वह भी अपने राष्ट्रपति की लाइन लेने पर विवश हो गए। दरअसल, दुतेर्ते चीन की तरफ इस उम्मीद में लपक रहे हैं कि वह चीन से ढांचागत मद में भारी रकम पा जाएंगे और अर्थव्यवस्था बनाने में उसका वित्तीय सहयोग मिलेगा। उनका यह दृष्टिकोण फिलिपींस के आभिजात्य शासकों के विपरीत है, जो चीन के प्रति सावधान हैं। इनसे अलग, राष्ट्रपति यह आस लगाए बैठे हैं कि उनकी नीतियों के मनपसंद फल मिलेंगे, लेकिन दुर्भाग्य है कि नतीजे उनकी उम्मीदों के खिलाफ गए हैं। रीड बैंक घटना राष्ट्रपति दुतेर्ते के कार्यकाल की चौथी और इस वर्ष की तीसरी घटना है।
चीन की समुद्रीय आक्रामकता के विरुद्ध मनीला और हनोई की प्रतिक्रियाओं में एक ढर्रा है। दोनों देश बिना किसी अंतरराष्ट्रीय मदद के स्थिति से स्वयं निबटने में लगे हैं। दोनों ही देश स्थिति को एक हद से बाहर जाने देने से बच रहे हैं। लेकिन स्थिति को सम्हालने का उनके तरीके अलग हैं। वियतनाम जहां मजबूती से खड़ा है, वहां फिलिपींस चीन के पक्ष में है।
भूगोल और सम्बद्ध भूभाग की व्याख्या दक्षिण चीन सागर के विवाद को जटिल बनाता है। अब ग्रे-जोन चालकियां ने इस मसले का और दुरूह बना दिया है। ‘ग्रे-जोन चाल’ वह कार्रवाई है, जो स्वभावत: प्रतिरोधी और आक्रमणकारी होती हैं, लेकिन उनका स्तर परम्परागत सैन्य संघर्ष और दो देशों के बीच खुली जंग के बनिस्बत ऐहतियातन कम रखा जाता है।’2 ये गतिविधियां बढ़ रही हैं और इनसे निबटना सम्बद्ध देशों के लिए चुनौती होती जा रही है। इसने कानून लागू करने वाली एजेंसियों की कार्रवाई को सीमित कर दिया है और इस तरह ग्रे-जोन चालकियों से निबटने के विकल्प बहुत थोड़े रह गए हैं। कोई भी पक्ष इस तरीके से जवाब नहीं दे सकता कि आक्रामणकारी अपनी करतूत से बाज आ जाए; खास कर फिलिपींस और वियतनाम जैसे कम औकात की सैन्य क्षमता वाले देशों के लिए। इन देशों के पास निवारण और जवाबी क्षमता के पर्याप्त उपायों की कमी ने ही दक्षिण चीन सागर में लगातार विस्तार को लेकर चीन का मन बढ़ा दिया है।
कहा तो जाता है कि वियतनाम की समुद्री सेना चीन का जवाब देने में सक्षम है। अभी तक हनोई ने चीन की आक्रामकता का माकूल जवाब दिया है। हनोई के पास चीन के ग्रे-जोन चालकियों से अपने जल क्षेत्र की हिफाजत करने लायक सक्षम नेतृत्व है, जोशीला राष्ट्रवाद है, सटीक रणनीति और क्षमता है। किंतु यही बात फिलिपींस के बारे में नहीं कही जा सकती, जहां का नेतृत्व ही चीन के प्रति मुलायम रुख रखे हुए है और जिसकी सैन्य क्षमता अल्पविकसित है। फिलिपींस के इस नजरिये ने ही चीन को आगे बढ़ कर भूभाग पर दावा करने के लिए उसका मंसूबा बढ़ा दिया है। अपनी सुरक्षा के लिए फिलिपींस अमेरिका के साथ की गई उभयपक्षीय रक्षा संधि(एमडीटी) पर निर्भर है, जिस पर इस स्थिति में अमल नहीं हो सकता। राष्ट्रपति दुतेर्ते ने अमेरिका से अपने 7वें बेड़े दक्षिण चीन सागर में भेजने और चीन के साथ (यह बात व्यंग्य के रूप में कही जा रही है) जंग करने की मांग रखी थी, लेकिन मौजूदा घटनाओं के मद्देनजर तो जंग की कोई सूरत ही नहीं बनती। चीन धमकी दे रहा है और डरा रहा है, लेकिन वह फौज का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। लिहाजा, अमेरिका भी फौजी कार्रवाई नहीं कर सकता। ऐसे में बेहतर यही हो सकता है कि अबाध आवाजाही अभियानों (फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन्स/एफओएनओपीएस) पर अमल किया जाए और फिलिपींस को राजनीतिक समर्थन दिया जाए। उधर, चीन भी ऐसे व्यवहारों के जरिये अमेरिका-फिलिपींस दोस्ती की गहराई को तौल रहा है और शायद अपनी कार्रवाइयों के जरिये पड़ोसी देशों को यह संदेश-संकेत देने की कोशिश कर रहा है कि अमेरिका के साथ उनकी नजदीकियां भी इस क्षेत्र में चीन को अपनी ताकत के इस्तेमाल से रोक नहीं सकतीं।
इसके अलावा, पर्यवेक्षकों ने पाया कि चीनी नौकाएं अपने कब्जाए क्षेत्र के दायरे में आपूर्ति के लिए आवाजाही करती हैं। यह दिखाता है कि दक्षिण चीन सागर में अवस्थित चीन के अड्डे या कब्जाए क्षेत्र किस तरह उसकी ग्रे-जोन चालकियों का समर्थन करते हैं। हिन्द महासागर के तटवर्त्ती देशों, जैसे भारत, इस बात को पहले ही अनुमान लगा ले सकते हैं कि हिन्द महासागर में चीन की पहुंच और अड्डा भविष्य में उसके ग्रे-जोन चालबाजियों को बढ़ावा दे सकते हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया के देश हमेशा से यह मांग करते रहे हैं कि दक्षिण चीन सागर का बहुपक्षीय हल निकाला जाए। फिलिपींस एक दृष्टांत है कि किस तरह एक पक्ष चीन के साथ द्विपक्षीय समझौता कर सकता है। अत: यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित होगा कि जब भी चीन की आक्रामकता से मुकाबला करने की बात आए तो आत्म-निर्भरता और कठोर संकल्प से ही स्थिति बदलेगी।
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