नए भारत के लिए मोदी का मंत्र
Arvind Gupta, Director, VIF

चुनाव परिणाम आने के बाद अपने अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत के विचार पर विस्तार से बात की है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 का कार्यकाल गरीबी कम करने के लिए समर्पित रहा, लेकिन दूसरे कार्यकाल में जनता की आकांक्षाएं पूरी कर ‘नए भारत’ के निर्माण के लिए काम किया जाएगा। नया भारत आकांक्षाओं या अरमानों भरा भारत होगा। नए भारत के दो प्रमुख स्तंभ होंगे गरीबी हटाना और विश्व में भारत का कद ऊंचा करना। दोनों मिलकर भारत को विजयी भारत बनाएंगे।

लेकिन नए भारत का निर्माण कैसे होगा? प्रधानमंत्री मोदी ने नया भारत बनाने की अपनी रणनीति के कुछ संकेत दिए। उन्होंने एक खाका खींचा और आगे का रास्ता दिखाया। इसके अनुसार सरकार समावेशी नीतियों पर चलने पर जोर देगी।

नए भारत की परियोजना का पहला घटक भारत के सभी लोगों का विश्वास जीतना होगा। मोदी के आलोचक बार-बार कहते रहे हैं कि भाजपा का दर्शन विभाजनकारी और बहुमतवादी है। उनके अनुसार अल्पसंख्यकों का बड़ा वर्ग विशेषकर मुस्लिम, जिनकी आबादी लगभग 17 करोड़ है, हाशिये पर धकेला गया महसूस कर रहे हैं और ‘डर’ के बीच जी रहे हैं। यह अतिशयोक्ति है। मोदी ने 25 मई, 2019 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के निर्वाचित प्रतिनिधियों के सामने अपने संबोधन में इस पर सीधी बात की। उन्होंने कहाः

“कई वर्षों से अल्पसंख्यकों के लिए डर का माहौल बनाया गया, लेकिन उनके बुनियादी मुद्दों पर या उन समुदायों के भीतर से ही नेतृत्व विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया ताकि वे केवल वोट बैंक बने रहें। इस कार्यकाल में हमें डर का यह भ्रम तोड़ना है। 2022 में हमें आजादी मिले 75 वर्ष हो जाएंगे और जिस तरह 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में सभी समुदाय एक होकर लड़े थे, उसी तरह की एकता और समावेश की भावना हमें एक बार फिर बढ़ानी होगी।”

विश्वास निर्माण के लिए भरोसा दिलाना जरूरी है। यदि लोगों को तंत्र में भरोसा नहीं है और किसी भी कारण से वे अपने आपको हाशिये पर धकेला गया महसूस करते हैं तो प्रचंड बहुमत का भी कोई लाभ नहीं होगा। इसीलिए मोदी ने समावेश पर ज्यादा जोर दिया है। उन्होंने ‘सबका साथ सबका विकास’ के पुराने नारे में ‘सबका विश्वास’ भी जोड़ दिया है। उन्होंने संसद के नवनिर्वाचित सदस्यों से हर किसी का भरोसा जीतने के लिए कहा है चाहे उसने उन्हें वोट दिया हो या नहीं दिया हो।

नए भारत का दूसरा घटक होगा राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के बीच तालमेल बिठाना। केंद्र और राज्यों को एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होगा। मोदी ने एक नया नारा - नारा - देकर बताया है कि भारत को आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के बीच तालमेल जरूरी है। दोनों के बीच मेल नहीं हुआ तो देश के लिए संकट की बात हो सकती है।

तीसरा घटक गरीबी समाप्त करना और इस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे लोगों को सशक्त बनाना है। यह नए भारत के निर्माण के मोदी के दर्शन का बहुत जरूरी स्तंभ है। 2019 के जनादेश को विकास के लिए; जाति, समुदाय, धर्म और अन्य भेदों से परे जाकर बिना भेदभाव के विकास के लिए जनादेश माना गया है। ऐसा नहीं हो सकता कि भारत गरीब भी हो और विश्व का अग्रणी देश भी हो। गरीबी उन्मूलन पर लगातार ध्यान देने से भारत मजबूत होगा।

नए भारत का चौथा घटक होगा उत्तम प्रशासन देना। इसके लिए प्रशासनिक सुधार करने होंगे और नए सिरे से सोचना होगा कि हम किस प्रकार का शासन दें। संस्थाओं को मजबूत करना, उनके बीच तालमेल बेहतर करना, उन्हें 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक मजबूत करना बेहद जरूरी है। भारत को चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार, पुलिस सुधार, प्रशासनिक सुधार आदि करने होंगे। ये सुधार लंबे समय से अटके हुए हैं। अगले पांच वर्ष में उन्हें पूरा करने का समय आ गया है। जब तक पुरानी पड़ती शासन व्यवस्था में सुधार नहीं किया जाता है तब तक क्रियान्वयन में सुधार नहीं हो सकता। पिछले कुछ वर्षों में जिम्मेदारी और क्षमता की कमी को लेकर कई संस्थाओं पर सवाल उठाए गए हैं, जो उचित भी है। संस्थाओं के बीच तालमेल भी जरूरी है ताकि वे अपनी डफली अपना राग अलापते हुए एक दूसरे के विपरीत काम न करने लगें।

नए भारत का पांचवां घटक राष्ट्रवाद होगा। भारत की खामियों के बावद भी हरेक भारतीय को इस पर गर्व करना चाहिए। राष्ट्रहित के प्रति संकल्प से लोगों की सामूहिक ऊर्जा सामने आएगी। भारत को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए आज उसी स्वतंत्रता संग्राम की भावना फिर जगाने की जरूरत है, जब लोगों ने भारत की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान किया था। राष्ट्रवाद को वैसा गंदा शब्द नहीं बनाना चाहिए, जैसा यह पश्चिम में हो गया है। सभ्यता और संस्कृति के मूल्यों में विश्वास होना जरूरी है। हमारे बुनियादी मूल्य हमारी नीतियों में झलकने चाहिए। किसी भी व्यक्ति के अधिकार बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारतीय संविधान उनकी गारंटी देता है। लेकिन साथ ही राष्ट्रहित के लिाए व्यक्ति का कर्तव्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

निर्वाचित प्रतिनिधियों का हर समय लोगों के साथ सीधे संपर्क में रहना छठा घटक है। प्रधानमंत्री मोदी ने नवनिर्वाचित सांसदों से कहा है कि जनता से विनम्रता से मिलें और सेवा की भावना अपनाएं। राजग के सांसदों को वीआईपी संस्कृति त्यागकर उदाहरण पेश करने के लिए कहा गया। हमारे सांसद अक्सर सेवा के इम्तिहान में नाकाम हो जाते हैं और इस तरह पूरा राजनीतिक समुदाय बदनाम हो जाता है। अफसरशाहों समेत जिन पर भी प्रशासन की जिम्मेदारी है, उन सभी को सेवा और बलिदान का भाव अपने भीतर लाना होगा।

नए भारत का प्रधानमंत्री का सपना कितना व्यावहारिक है और मजबूत भारत बनाने की उनकी रणनीति कितनी प्रभावी है? क्या उनके इस सपने को राजग में सभी दिल से स्वीकार करते हैं? निश्चित रूप से प्रधानमंत्री इतनी मजबूत स्थिति में हैं कि वे राजग के घटक दलों से सही दिशा में चलने के लिए कह सकें। लेकिन भारतीय राजनीति पिछले कुछ समय से बिगड़ गई है। कुछ ही राजनेताओं ने व्यापक राष्ट्रीय समावेशी दृष्टि रखने का साहस दिखाया है। आम तौर पर उन्हें किसी भी कीमत पर वोट हासिल करने की ही फिक्र रहती है। चुनाव बहुत महंगे हो गए हैं। काले धन के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है। राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में अधिक पारदर्शिता की जरूरत है। वोट बैंक की राजनीतिक जोरों पर है। प्रधानमंत्री ने बलिदान की जिस भावना की बात कही, वह आम तौर पर दिखाई नहीं देती।

प्रधानमंत्री ने निर्वाचित प्रतिनिधियों से अपने बयानों और कार्यों में सतर्कता बरतने की अपील भी की। अनर्गल बयानों और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से देश को बहुत नुकसान होता है। सभी राजनीतिक दलों पर अपने उन तत्वों को काबू में करने की जिम्मेदारी भी होगी, जो अक्सर अपने नेताओं के उच्च आदर्शों से भटक जाते हैं। विश्वास बहाल करना है तो भटकने वाले तत्वों के खिलाफ कठोर और त्वरित कार्रवाई जरूरी होगी।

भारत में कानून का शासन होना और जाति, संप्रदाय तथा विचारधारा पर ध्यान दिए बगैर जवाबदेही तय करना जरूरी है। सत्तारूढ़ वर्ग के बिगड़े हुए सदस्यों को बचाकर रखने के लिए अतीत में ढेर सारे समझौते किए गए हैं। भारत की जनता उससे बेहतर की चाह रखती है।

भारत विविधता भरा देश है, जहां अलग-अलग नजरिये और विचारधाराएं हैं। इस विविधता को बरकरार रखना जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्वामी विवेकानंद के कथन के अनुसार विविधता में सौहार्द बना रहे। वह सौहार्द तैयार करने का जिम्मा नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों पर है।

क्या प्रधानमंत्री का सपना पूरा होगा? यह तो समय ही बताएगा। लेकिन यह भी सच है कि मजबूत, समृद्ध और विश्वास भरे भारत का सपना पूरा करने का इससे बेहतर समय कोई और नहीं हो सकता। वह ऐसा भारत होगा, जिसमें समाज के वंचित वर्गों को गरीबी से ऊपर उठाया जाएगा और समाज के सभी वर्ग साथ मिलकर काम करेंगे। इसमें नाकाम रहे तो देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।


Translated by Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नए भारत के विचार

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