2019 में चीन में स्थिति
Jayadeva Ranade

2019 की 5 फरवरी से चीन का ‘सुअर का वर्ष’ शुरू हुआ है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेतृत्व तथा माओत्से तुंग के बाद अभूतपूर्व ताकत हासिल कर चुके चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए शायद यह साल अच्छा नहीं रहेगा। अर्थव्यवस्था की सुस्ती और स्थिरता बरकरार रखने जैसी घरेलू समस्याएं और भी गंभीर हो रही हैं और नेतृत्व के एजेंडे पर इन्हीं की सबसे अधिक प्राथमिकता होगी। चीनी सही मानते हैं कि उनके देश के खिलाफ अमेरिका के दोतरफा ‘व्यापार युद्ध’ के पीछे चीन का उभार रोकने की मंशा है और यह व्यापार युद्ध भी दबाव बढ़ाएगा।

तकनीक पर केंद्रित चीन के ‘मेड इन चाइना 2025’ कार्यक्रम पर पहले ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि उन्नत यूरोपीय राष्ट्र अमेरिका के साथ मिलकर चीन को उच्च तकनीक देने से इनकार कर रहे हैं और उसकी दूरसंचार कंपनियों को नए बाजार में जाने तथा उन्नत 5जी नेटवर्क प्राप्त करने से रोक रहे हैं। शी चिनफिंग की प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना को पीछे धकेलना शुरू किया जा चुका है। पार्टी के भीतर शी चिनफिंग की आलोचना और विरोध बढ़ने की संभावना है, जिससे वह लोगों का ध्यान बंटाने का प्रयास कर सकते हैं और उन्हें दिखा सकते हैं कि उनकी नीतियों नतीजे सामने आ रहे हैं तथा ‘चाइना ड्रीम’ पूरा करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ा जा रहा है। ताइवान के साथ फिर एकीकरण पर 2 जनवरी को उनके बयान इसके उदाहरण हैं। चीन की मंशा के बारे में क्षेत्र में लगातार अनिश्चितता बनी रहेगी।

पिछले कुछ वर्षों में चीनी बुद्धिजीवियों और छात्रों ने पार्टी की नीतियों की सार्वजनिक आलोचना की है, जो बहुत दुर्लभ बात रही। ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि पार्टी एक के बाद एक नियंत्रणकारी प्रतिबंध थोप रही है और निगरानी भी बढ़ा रही है। 2017 में पार्टी के 19वें सम्मेलन से पहले कई महीनों तक चीन के शिक्षाविदों के बीच असंतोष पनपता रहा है, जिसका प्रमाण पेइचिंग में प्रतिष्ठित सेंट्रल पार्टी स्कूल स्थित चाइना फॉरेन पॉलिसी सेंटर के प्रमुख लुओ च्यानपो ने दिया, जब उन्होंने चीन की ताकत को जरूरत से अधिक मानने के खिलाफ आगाह किया और ‘दंभ’ से बचकर रहने की चेतावनी दी। अन्य चीनी सामरिक विश्लेषकों ने सलाह दी है कि तंग श्याओफिंग की ‘चुप बैठने और सही वक्त का इंतजार करने’ की नीति को छोड़ देना जल्दबाजी में उठाया गया कदम था।

चीन के राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की तय अवधि खत्म करने और 67 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के पार्टी सदस्यों को पोलितब्यूरो में शामिल नहीं करने के नियम की अनदेखी करने के लिए शी चिनफिंग के खिलाफ अभूतपूर्व सार्वजनिक विरोध हुए थे। चीनी पत्रकारों को बताया गया कि मार्च, 2018 में पीकिंग विश्वविद्यालय में एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षाविद द्वारा किए गए विरोध को अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे तंग श्याओफिंग की नीतियों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों के विचार पता चलते हैं। सीसीपी और केंद्रीय समिति (सीसी) में ऐसे सदस्यों की बड़ी संख्या है, जिन्होंने सांस्कृतिक क्रांति के दौरान कष्ट सहे और तंग श्याओफिंग जिन्हें वापस लाए। उन्हें लगता है कि माओत्से तुंग के जमाने जैसे ‘एक व्यक्ति के शासन’ को वापस आने तथा सांस्कृतिक क्रांति का दोहराव रोकने के लिए तंग श्याओफिंग ने सतर्कतापूर्वक जो उपाय किए थे, उन्हें खत्म किया जा रहा है। 24 जुलाई को जिंगहुआ विश्वविद्यालय के विधिक विद्वान शू झांगरन का 10,000 अक्षरों का निबंध पूरे चीन में गूंजने लगा। यह भी सभी अधिकार हड़पने और खुद को मसीहा साबित करने के शी चिनफिंग के प्रयासों का विरोध ही था।

चीन की रेड नोबिलिटी यानी कम्युनिस्ट पार्टी के आला अधिकारियों तथा सत्ताधीशों के परिजनों का समर्थन भी कम हो गया है। ‘लाल क्रांतिकारियों’ के ताकतवर परिवारों से आए ‘रसूख वाले छोटे राजकुमार’ जैसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के दिवंगत पूर्व महासचिव हू याओपांग के पुत्र हू तेफिंग और तंग श्याओफिंग के पुत्र तंग फुफांग के सतर्कता भरे सार्वजनिक भाषण संकेत देते हैं कि वे ‘चुप रहने और अपना समय आने का इंतजार करने’ की नीति पर लौटने की हिमायत कर रहे हैं। मार्क्सवादी नजरिये वाले छात्रों के बीच भी बेचैनी के संकेत मिल रहे हैं। इससे समस्या हो सकती है।

सुस्त होती अर्थव्यवस्था, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तथा वाहन बिक्री में कमी, काम से निकाले गए लाखों कामगारों समेत तमाम लोगों द्वारा चीन भर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों की बढ़ती संख्या तथा हजारों निजी कारोबारों का बंद होना आदि चिंता के बड़े विषय हैं। शी चिनफिंग व्यापक गहन सुधारों के लिए बने ताकतवर केंद्रीय नेतृत्व समूह और वित्तीय एवं आर्थिक मामलों के केंद्रीय अग्रणी समूह के प्रमुख हैं एवं आर्थिक नीतियों की बढ़ती आलोचना ने नेतृत्व के लिए चिंता बढ़ा दी है। सुधार के उपायों का कोई नतीजा नहीं मिला है। दिसंबर के मध्य में रेनमिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्यांग सोंगझुओ ने एक सार्वजनिक समारोह में अर्थव्यवस्था पर गंभीर संदेह जताए, जिन्हें चीन के इंटरनेट पर फौरन प्रतिबंधित कर दिया गया। उन्होंने चीन की वास्तविक वृद्धि दर पर सवाल खड़ा किया और कहा कि “एक महत्वपूर्ण संस्था के शोध समूह” ने एक आंतरिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि इस वर्ष चीन की जीडीपी वृद्धि दर 1.67 प्रतिशत ही रहेगी, चीन में निजी कारोबार की स्थिति खराब है और विश्वास की कमी है। कुछ ही दिन में च्युंग केई ग्रुप के चेयरमैन और चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के सदस्य चेन होंगतिअन ने मुख्य रूप से शेनझेन और हॉन्गकॉन्ग के करीब 150 उद्योगपतियों को आगाह किया कि चीन के निजी व्यापारियों तथा उद्यमियों को “उम्मीद से ज्यादा सर्द और लंबे जाड़े” के लिए तैयार रहना चाहिए। समूह में टेनसेंट के चेयरमैन पोनी मा, कारनिर्माता बीवाईडी के चेयरमैन वांग चुआनफू और कूरियर सेवा कंपनी एसएफ एक्सप्रेस के चेयरमैन वांग वी शामिल थे। इस बीच सरकार के स्वामित्व वाले उपक्रम विस्तार करते हुए आर्थिक गतिविधि के करीब हरेक क्षेत्र में दाखिल हो चुके हैं।

शी चिनफिंग ने निजी उद्यमियों का भरोसा बढ़ाने के लिए अक्टूबर में उनमें से सैकड़ों को चिट्ठियां लिखीं तथा उनसे मुलाकात की। लेकिन निजी संपत्ति तथा निजी उद्यमियों की भूमिका के बारे में अनिश्चितता बनी हुई हैं। सुपरमार्केट दिग्गज तथा वूमार्ट स्टोर्स के संस्थापक झांग वेनझोंग ने 1 नवंबर को एक मंच में उद्यमियों से कहा कि अदालतों ने 5 वर्ष तक जेल में रखने के बाद उन्हें रिहा किया था और उनकी संपत्ति लौटाई थी। उन्होंने उद्यमियों को आगाह किया कि उनमें से किसी के भी साथ ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि “हमारी बुनियादी आर्थिक व्यवस्था देश तथा पार्टी के संविधान में लिख दी गई है। यह बदलने वाली नहीं है।” शी चिनफिंग ने सुधार लागू करने तथा अर्थव्यवस्था खोलने की 40वीं वर्षगांठ पर 18 दिसंबर को पेइचिंग में अपने भाषण में किसी सुधार का ऐलान नहीं किया।

2025 तक तकनीकी रूप से उन्नत वैश्विक ताकत बनने के चीन के ऐलान के खिलाफ हुई प्रतिक्रिया को हलका करने के लिए शी चिफिंग अमेरिका को सोची-समझी रियायतें देने पर विचार कर रहे हैं। चीन की तकनीकी क्षमताओं के उन्नयन के लिए बनी ‘मेड इन चाइना 2025’ पर फिर काम किया जा रहा है ताकि “विनिर्माण में दबदबा कायम करने के चीन के दांव को दबाया जाए और विदेशी कंपनियों की प्रतिभागिता को उसमें और जगह दी जाए।” पुर्जों तथा सामग्री में घरेलू हिस्सेदारी बढ़ाकर 2020 तक 40 प्रतिशत और 2025 तक 70 प्रतिशत करने के ‘मेड इन चाइना 2025’ के प्रावधानों को कम किया जा सकता है। पेइचिंग के महत्वाकांक्षी औद्योगिक कार्यक्रम को 2035 तक टाला जा सकता है।

सीसीपी की तथा स्वयं अपनी वैधता तथा विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए राष्ट्रवाद एवं विचारधारा को बढ़ावा देने के बाद शी चिनफिंग कमजोर दिखने का खतरा नहीं उठा सकते। अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए शी चिनफिंग शायद सरकारी नियंत्रणों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। चाइना ड्रीम पूरा करने तथा चीन के कम्युनिस्ट नायकों के दल में माओत्से तुंग तथा तंग श्याओफिंग के बराबर खड़े होने की शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षा में कमी आने के आसार नहीं हैं।

यदि आर्थिक गिरावट और गंभीर हो जाती है तो शी चिनफिंग राष्ट्रवादी भावना के पत्ते खेल सकते हैं। ताइवान, जापान या भारत के खिलाफ ताकत के प्रदर्शन दिखाया गया तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की उसमें मुख्य भूमिका होगी। पुनर्गठन और आधुनिकीकरण अभी अधूरा है और पीएलए के करीब 60 प्रतिशत अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है या वे जेल में हैं। इसीलिए शी चिनफिंग को दूसरे विकल्पों की जरूरत होगी। दक्षिण चीन सागर में शी चिनफिंग सैन्य टकराव के बगैर ही उपलब्धियों का दावा कर सकते हैं, इसलिए वह चाइना ड्रीम की दिशा में सच्ची प्रगति दिखाने के लिए प्रचार तथा यूनाइटेड फ्रंट के उपायों को तेज करेंगे। ताइवान के बारे में इस वर्ष उनकी टिप्पणियां तथा भारत में प्रभाव बढ़ाने के उनके प्रयास इसकी बानगी हैं। तिब्बत से जुड़े मसलों जैसे दलाई लामा या करमापा पर अहम फैसले भी हो सकते हैं।

(लेखक भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव रह चुके हैं और फिलहाल सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रैटेजी के अध्यक्ष हैं)
(आलेख में लेखक के निजी विचार हैं। लेखक प्रमाणित करता है कि लेख/पत्र की सामग्री वास्तविक, अप्रकाशित है और इसे प्रकाशन/वेब प्रकाशन के लिए कहीं नहीं दिया गया है और इसमें दिए गए तथ्यों तथा आंकड़ों के आवश्यकतानुसार संदर्भ दिए गए हैं, जो सही प्रतीत होते हैं)


Translated by Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
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