मोजांबिक पर कैटेगरी 4 के चक्रवात ‘इदई’ की गाज गिरने के बाद यह चक्रवात महाद्वीप में और भी चला गया, जहां इसने भारी तबाही मचाई और जिंबाब्वे तथा मलावी के लोग पानी में डूब गए। ध्यान रहे कि दक्षिणी गोलार्द्ध में आया यह चक्रवात मानव इतिहास में मौसम से जुड़ी सबसे भीषण आपदाओं में से एक है। मोजांबिक में लगभग 17 लाख और पड़ोसी देशों में करीब 9.2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए। तूफान और बाढ़ के बाद बचे हुए लोग पत्थरों, ईंटों और कंक्रीट के नीचे हताहतों को तलाशने में लगे हैं। तीनों देशों में स्थिति गंभीर है और हजारों लोग अब भी बाढ़ के पानी में फंसे हैं, जिनमें से कई छतों और पेड़ों पर हैं तथा बचाए जाने की बाट जोह रहे हैं। 18 मार्च को आए ‘इदई’ चक्रवात में 100 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली और 20 फुट ऊंचा तूफान उठा। तूफान के साथ भारी बारिश भी हुई, जिसके बाद बड़ी तादाद में भूखे, बेघर, घायल और खाना, पानी तथा आश्रय तलाशते लोग नजर आए। स्थिति और बिगड़ने पर प्रभावित राष्ट्रों की सरकारें तथा सहायता एजेंसियां मदद के लिए दौड़ते दिखे हैं।
दुर्भाग्य की इस घड़ी में भारत सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों तथा लोगों की सहायता की है। जैसे ही पहले देश मोजांबिक में चक्रवात ने तांडव किया, हिंद महासागर में मौजूद भारतीय नौसेना के तीन जहाजों को मानवीय सहायता एवं आपदा राहत के लिए उस अफ्रीकी देश की ओर रवाना कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि करते हुए कहा कि “पिछले कई दिनों से तीन भारतीय पोत - आईएनएस सुजाता, आईसीजीएस सारथि और आईएनएस शार्दूल - मापुतो में भारतीय उच्चायोग तथा स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत एवं बचाव गतिविधियों में लगे हुए हैं।” (विदेश मंत्रालय, 2019) जिन जहाजों को भेजा गया था, उनमें पीड़ितों को फौरन चिकित्सा राहत पहुंचाने के लिए तीन चिकित्सक तथा पांच नर्सें मौजूद थीं। इसके अलावा मानवीय सहायता एवं आपदा राहत कार्यों में हिस्सा लेने के लिए दवाओं, रेडी-टु-ईट भोजन, सूखी सामग्री, कपड़ों और रोजमर्रा के अन्य सामान के साथ एक अन्य पोत आईएनएस मगर को मोजांबिक भेजा गया। सबसे ज्यादा प्रभावित तीन देशों - मलावी, जिंबाब्वे और मोजांबिक में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इसीलिए जो जहाज भेजा गया, उसमें महामारी से बचाने के लिए पांच सौ किलोग्राम दवाएं और लोगों को खिलाने के लिए 4,000 टन चावल भी लदे थे।
देश के बुनियादी ढांचे को भीषण क्षति पहुंचाने के साथ ही चक्रवात ने भौगोलिक स्थिति भी बदल दी। हालांकि अभी मरने वालों की सही संख्या पता नहीं चली है, लेकिन विभिन्न स्रोतों से अभी तक मिली जानकारी के अनुसार यह संख्या निश्चित रूप से बहुत अधिक है। संयुक्त अरब अमीरात के उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तथा दुबई के शासकों ने पीड़ितों को मदद मुहैया कराने के लिए निजी जेट तथा विमान भेजे हैं। यूरोपीय संघ ने लगभग 40 लाख डॉलर भेजे हैं और ब्रिटेन ने सिर छिपाने के लिए तंबू और दूसरा सामान भेजा है क्योंकि ढेर सारे लोग अब भी बेसहारा हैं और उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। अभी बहुत कुछ और करने की आवश्यकता है क्योंकि प्रभावित देशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय तथा सरकार से लगातार मदद चाहिए। सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, साफ जल तथा बिजली की व्यवस्था भी बहाल करने की जरूरत है ताकि पानी से होने वाली बीमामियां न फैलने लगें।
संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय ने पहले ही और बाढ़ आने की चेतावनी दे दी है, जिसके कारण प्रभावित क्षेत्रों में पानी से फैलने वाली कई बीमारियां हो गई हैं। बेइरा से हैजा की खबरें आई हैं और अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस महासंघ तथा रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने भी लोगों को अन्य संक्रामक रोग फैलने के जोखिम के बारे में आगाह किया है (बीबीसी, 2019)। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि ऐसी अप्रिय और कष्टकारी स्थितियों के कारण कई संक्रामक रोग तेजी से फैल सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवतावादी सहयोगी “उदार दानकर्ताओं से मिली आरंभिक रकम के साथ राहत कार्य तेज कर रहे हैं।” इसके अलावा उन्होंने कहा कि सहायता के लिए 2 करोड़ डॉलर की राशि जारी होने के बाद भी अधिक सहयोग तथा अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है (वीओए, 2019)। नासा के अनुसार हिंद महासागर के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में अधिकतर उष्णकटिबंधीय गतिवधि अक्टूबर और मई के बीच होती हैं तथा जनवरी के मध्य और फरवरी से मार्च के आरंभ तक गतिविधियां बढ़ जाती हैं। चक्रवात ‘इदई’ 2018-19 के सत्र में बेसिन का सातवां भीषण उष्णकटिबंधीय चक्रवात है (स्टीफन लीही, 2019)। भारतीय नौसेना ने इस संकट में सबसे पहले प्रतिक्रिया की और विदेश मंत्रालय के अनुसार भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर चेतक को भी मोजांबिक के आपदा प्रबंधन अधिकारियों की मदद से हवाई सर्वेक्षण के जरिये सहायता प्रदान करने के लिए उस क्षेत्र में भेजा गया था। भारत और अफ्रीका के घनिष्ठ तथा मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। भारत अफ्रीका को बहुत अधिक प्राथमिकता देता है, इसीलिए इस त्रासद घड़ी में भारत सरकार मानवीय सहायता एवं सहयोग प्रदान कर प्रभावित लोगों तक पहुंचने के लिए तैया है।
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