दान से बांध का निर्माण !
Arvind Gupta, Director, VIF

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उसे हजारों करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बनाने के लिए व्यक्तिगत दानकर्ताओं से धन इकट्ठा करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले भाषण में इमरान खान ने कहा कि दाइमेर-भाषा बांध पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी है और उसे बनाना पड़ेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के पास धन नहीं है और कहा कि यह बांध देश तथा विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों से मिले दान से बनाया जाएगा।

दाइमेर-भाषा बांध हर प्रकार से विराट परियोजना है। 895 अरब पाकिस्तानी रुपये की इस परियोजना की परिकल्पना मुशर्रफ के समय में 2007 में की गई थी। 272 मीटर ऊंची इस परियोजना में 81 लाख एकड़ फुट जल संग्रह की क्षमता है और इसे 4500 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए डिजाइन किया गया है। सिंधु नदी पर स्थिति इस बांध को देश की जल और ऊर्जा सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है।

बांध की बुनियाद तो 2013 में डाली गई थी, लेकिन रकम जुटाना बड़ी समस्या रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक बांध के लिए आर्थिक सहायता देने से इनकार कर चुके हैं क्योंकि यह गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में है, जो जम्मू-कश्मीर का अंग है और अंतरराष्ट्रीय वित्तदाता एजेंसियां इसे विवादित क्षेत्र मानती हैं। चीनी भी 2017 में इस परियोजना से पीछे हट गया क्योंकि इसकी वित्तीय व्यावहारिकता पर उसे संदेह था। परियोजना को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में भी शामिल नहीं किया गया।

धन प्राप्त करने का कोई भी व्यावहारिक विकल्प नहीं होने के कारण जुलाई, 2018 में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तान सरकार को देश और विदेश में बसे पाकिस्तानियों से मिले दान कीमदद से बांध निर्माण के लिए विशेष कोष बनाने का निर्देश दिया। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने दाइमेर और उससे जुड़े मोहम्मद बांधों के लिए कोष का खाता खोला है। इस कोष पर उच्चतम न्यायालय की नजर है। बताया जाता है कि पकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कोष के लिए 10 लाख पाकिस्तानी रुपये दान किए। अभी तक कोष में 118 करोड़ पाकिस्तानी रुपये जुट चुके हैं, जिनमें से अधिकतर देश में रहने वाले पाकिस्तानियों से आए हैं। लगभग 2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये विदेश में बसे पाकिस्तानियों से आए हैं।

दाइमेर भाषा बांध की घटना बताती है कि देश में पानी और बिजली का कितना अधिक संकट है। पाकिस्तान काउंसिल ऑफ रिसर्च इन वाटर रिसोर्सेस (पीसीआरडब्ल्यूआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, “यदि प्रशासन तुरंत कार्रवाई नहीं करता है तो 2025 तक देश में पानी का पूरा अकाल पड़ सकता है।” रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान ने ‘जल संकट की रेखा’ 2005 में ही लांघ ली। पाकिस्तान ने कई बांध बनाकर जल संग्रहण की भारी क्षमता तैयार करने का प्रयास किया है। पाकिस्तान की जल एवं बिजली विकास एजेंसी (डब्ल्यूएपीडीए) के अनुसार छह जलविद्युत परियोजनाएं “निर्माणाधीन” हैं और छह अन्य “निर्माण के लिए तैयार” हैं, जिनमें दाइमेर भाषा (4500 मेगावाट), मोहमंड (800 मेगावाट) और बुंजी (7100 मेगावाट) शामिल हैं। इन परियोजनाओं के लिए धन का इंतजाम करना होगा।

कर्ज के दमघोंटू बोझ और कर्ज के ब्याज की लगातार बढ़ती जरूरतों के कारण अर्थव्यवस्था की हालत बहुत बुरी है। ऐसे में पाकिस्तान सरकार के पास सामाजिक-आर्थिक तथा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर खर्च करने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है। विदेश से धन जुटाने की पाकिस्तान की क्षमता भी बहुत सीमित है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि खराब हुई है। इसका कारण काले धन को सफेद बनाने वाली जिन गतिविधियों के कारण आतंकवाद को वित्तीय मदद मिलती है, उन्हें रोकने के अपने कदमों के असरदार होने का यकीन वह वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) को नहीं दिला पाया है। पाकिस्तान इस समय एफएटीएफ की ‘ग्रे सूची’ में है। उसे कथित ‘काली’ सूची में डाला जा सकता है, जो एफएटीएफ की शब्दावली के मुताबिक ‘असहयोगी देशों अथवा क्षेत्रों’ की सूची है। इससे पाकिस्तान के लिए विदेश से धन जुटाना और भी मुश्किल हो जाएगा।

पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान अपना कर्ज चुकाने के लिए रकम उधार लेता रहा है। उसे एक बार फिर बड़े सहायता पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। सहायता हासिल करने के लिए उसे अमेरिका की नजर में अच्छा बनना होगा, जिसके साथ उसके रिश्ते आतंकवाद के मसले पर बिगड़ गए हैं। आतंकवाद की बात को जबरदस्ती नकारने से पाकिस्तान को आर्थिक और वित्तीय रूप से कोई फायदा नहीं होने वाला है।

इमरान खान पाकिस्तान को इस्लामी कल्याणकारी देश बनाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं। दान से कैंसर अस्पताल बन सकते हैं, बांध नहीं बन सकते। पाकिस्तान को पहले अपना घर संभालना पड़ेगा। आतंकवाद पर लगाम कसकर वह अच्छी शुरुआत कर सकता है।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: https://www.pakistantoday.com.pk/2011/07/30/decoding-the-economic-crisis-of-pakistan/

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