विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) के आमंत्रण पर एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ ने “राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय वायु सेना की भूमिका” विषय पर सार्वजनिक संबोधन किया। संबोधन में सामरिक समुदाय के सदस्य, आम जनता और स्कूल-कॉलेजों के छात्र मौजूद रहे।
तथ्यपरक लेकिन रोचक प्रस्तुति में एयर चीफ मार्शल धनोआ ने लोगों को बताया कि भारतीय वायु सेना को किस सामरिक माहौल में अपनी भूमिका निभानी है। वायु सेना प्रमुख की इस प्रस्तुति का उद्देश्य राष्ट्र को आश्वस्त करना था कि भारतीय वायु सेना विरोधियों की चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है।
पूरी जानकारी रखने वाली जनता किसी संपत्ति से कम नहीं होती। जनता को वायु सेना की भूमिका और कामकाज के बारे में सरल शब्दों में बताने के लिए वायु सेना प्रमुख की सराहना होनी चाहिए। उदाहरण के लिए कुछ लोग जानते हैं भारतीय वायु सेना देश को सैन्य आक्रमण से तो बचाती ही है, लगभग 4 करोड़ वर्ग किलोमीटर के वायु क्षेत्र की रक्षा भी करती है। साथ ही वायु सेना ने आपात स्थितियों के दौरान नागरिक प्रशासन की मदद करने में भी शानदार भूमिका निभाई है।
विभिन्न विषयों पर बोलते हुए वायु सेना प्रमुख ने प्रमुख पड़ोसी देशों की वायु सेनाओं की क्षमता, लगातार चल रहे सैन्य संघर्षों और मानवीय सहयोग एवं आपदा राहत अभियानों में भारत एवं भारतीय वायु सेना की भूमिका के बारे में जानकारी दी।
अपने विरोधियों को किसी भी प्रकार के दुस्साहस से रोकने के लिए भारत को सैन्य ताकत बढ़ाने की जरूरत है। सर्वविदित है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन ने तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में विशाल सैन्य बुनियादी ढांचा खड़ा कर लिया है। भारत को इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर ध्यान देना होगा। विश्वसनीय सैन्य निवारण क्षमता तैयार करने के लिए तेजी से आधुनिकीकरण करना ही होगा। वायु सेना प्रमुख ने बताया कि भारतीय वायु सेना का काम हवाई क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बनाए रखना और हवाई क्षमता में दूसरों से ऊपर रहना है। भारतीय वायु सेना इसी की तैयारी कर रही है।
भारतीय वायु सेना के आधुनिकीकरण के संदर्भ में बोलते हुए वायु सेना प्रमुख ने बताया कि हाल के वर्षों में वायु सेना में कितने नए विमान, नए हेलीकॉप्टर, मिसाइल, कमांड एवं नियंत्रण प्रणालियां तथा अन्य उपकरण शामिल किए गए हैं। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जारी है।
स्वदेशीकरण के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता जताते हुए एयर चीफ मार्शल ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में स्वदेश में ही बने हुए आठ हल्के लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए हैं। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि भारत आगे चलकर उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) भी बनाएगा।
मिल-जुलकर काम करना ही प्रभावी तरीके से युद्ध लड़ने की कुंजी है। वायु सेना प्रमुख से यह सुनकर अच्छा लगा कि भारतीय वायु सेना, सेना एवं नौसेना के बीच मिल-जुलकर काम करने के मामले में कितनी अधिक प्रगति हो चुकी है।
वायु सेना प्रमुख ने आधुनिकीकरण के अलावा तत्परता एवं प्रशिक्षण पर भी बहुत अधिक जोर दिया। हाल ही में संपन्न हुए विशाल अभ्यास ‘गगन शक्ति, 2018’ का उद्देश्य समूची सेना की तैयारी एवं तत्परता परखना, उसकी सैन्य संचालन एवं युद्ध लड़ने की क्षमताओं का प्रदर्शन करना और भारतीय नौसेना एवं थल सेना के साथ मिलकर काम करने के उसके तरीके को हरी झंडी देना था। वायु सेना प्रमुख ने गगन शक्ति अभ्यास के से जुड़ी कुछ जानकारी भी प्रदान कीं। 8 से 22 अप्रैल, 2018 तक हुए इस अभ्यास में चढ़ाई करने के कई अभियान अंजाम दिए गए और विमानों ने 11,000 बार धावा बोला। इनमें से 9,000 धावे लड़ाकू विमानों ने बोले थे। भारतीय वायु सेना की सभी कमानों को सक्रिय कर दिया गया। इस दौरान विमान 80 प्रतिशत और रडार 97 प्रतिशत उपयोगी पाए गए। अभ्यास बिना किसी दुर्घटना के संपन्न हुआ।
वायु सेना प्रमुख की प्रस्तुति से यह स्पष्ट हो गया कि भारत की सैन्य क्षमता का उद्देश्य सैन्य आक्रमण रोकने की विश्वसनीय क्षमता तैयार करना है। मीडिया में आए कुछ लेखों में कही गई बातों के उलट वायु सेना प्रमुख ने बताया कि चीन की वायु सेना समेत दुनिया की विभिन्न वायु सेनाओं के साथ भारतीय वायु सेना के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। चीनी वायु सेना के साथ यह रिश्ता हाल ही में संपन्न हुए एयरो-इंडिया शो के दौरान खूब नजर आया था। उन्होंने यह भी कहा कि “दोनों पक्ष वायु क्षेत्र में विश्वास निर्माण के उपायों का सम्मान करते हैं और गगन शक्ति अभ्यास के दौरान दोनों पक्षों ने हवाई क्षेत्रों का कोई भी उल्लंघन नहीं किया।” उन्होंने चीनी सेना की पश्चिमी वायु कमान के प्रमुख के साथ अपनी मैत्रीपूर्ण बातचीत के बारे में भी बताया। उस दौरान उन्होंने चीनी अधिकारी से कहा कि “हमें नीचे ज्यादा मुलाकात करनी चाहिए ताकि हमें हवा में न टकराना पड़े।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और चीन अपने संबंध को मजबूत कर रहे हैं और इसी कारण द्विपक्षीय व्यापार 80 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। इसके बाद भी भारत को भू-राजनीतिक माहौल में हो रहे बदलावों के प्रति सतर्क रहना होगा और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
वायु सेना प्रमुख की बातचीत टाउन हॉल के अंदाज में हुई थी। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट और घबराहट के जनता के तीखे प्रश्नों के उत्तर दिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में सनसनी फैलाना किसी के भी हित में नहीं है और इसीलिए उम्मीद करनी चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसलों से जुड़े वरिष्ठ सरकारी अधिकारी जनता से नियमित रूप से संवाद करते रहेंगे। इनसे प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित इन मुद्दों पर स्वस्थ एवं जानकारीपरक बहस में मदद मिलेगी। मीडिया को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर परिपक्वता के साथ और मसले को पूरी तरह समझने के बाद ही बोलना और लिखना चाहिए।
(लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से वीआईएफ का सहमत होना जरुरी नहीं है)
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