सेय्चेल्लेस गणतंत्र, हिन्द महासागर का एक द्वीप समूह है। इस देश में 115 द्वीप है जिनकी राजधानी विक्टोरिया है। सेय्चेल्लेस के आसपास मॉरिशस, रीयूनियन, मेडागास्कर, कोमरोस जैसे कई द्वीप है। सेय्चेल्लेस की जनसंख्या 96,000 हज़ार है जो किसी भी अफ़्रीकी देश से कम है। सेय्चेल्लेस ने 1976 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त की थी और वर्तमान में यह संयुक्त राष्ट्र, दक्षिण अफ़्रीकी विकास समुदाय, कॉमनवेल्थ ऑफ़ नेशन और अफ़्रीकी संघ का सदस्य है।
भारत-सेय्चेल्लेस के रिश्तों पर एक नज़र
भारत और सेय्चेल्लेस के कूटनीतिक सम्बन्ध, सेय्चेल्लेस की स्वतंत्रता के बाद यानी 1976 के बाद स्थापित हुए थे मगर इससे पहले भी दोनों देशों के बीच सबंध रहें हैं। 1987 में सेय्चेल्लेस की राजधानी विक्टोरिया हेतु पहला भारतीय रिहायशी मिशन प्रारंभ किया गया मगर इससे पहले 1979 में दार-ए-सलेम में राजदूत स्थापित करते हुए एक भारतीय मिशन शुरू किया गया था जिसको सेय्चेल्लेस ने मान्यता भी प्रदान की थी। 2008 में सेय्चेल्लेस ने भारत के लिए रिहायशी मिशन की शुरुआत करते हुए नई दिल्ली के लिए अपने दरवाजे खोल दिए।
वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापर-सम्बन्धी रिश्ते काफ़ी बेहतर है। जहाँ भारत से सेय्चेल्लेस चावल, खाद्य सामग्री, सीमेंट, लिनेन, सूत, वाहन, दवा, यंत्र और चिकित्सा सम्बन्धी यंत्र आयात करता है तो वहीँ भारत सेय्चेल्लेस से मेवा, सूखा एवं ताजा लौह अपशिष्ट और कूड़ा आयात करता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में सेय्चेल्लेस का दौरा किया था और इस देश के साथ चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे जो इस प्रकार है:
• नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग पर सहमती ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये;
• हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग हेतु ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किये;
• नेविगेशनल चार्ट/विद्दुतीय नेविगेशनल चार्ट की बिक्री हेतु नियम एवं प्रक्रिया पर सहमती; और;
• अस्स्मप्शन (काल्पनिक) द्वीपों पर सुविधाओं का विकास।
प्रधानमंत्री के दौरे के बाद 2015 में राष्ट्रपति जेम्स अलिक्स मिचेल के दौरे पर निम्न बन्दुओं पर पांच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए:
• द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौता;
• कृषि और शिक्षा सम्बंधित मसलों पर ज्ञापन पत्र पर सहमती;
• नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग;
• कर सूचना का आदान-प्रदान; और,
• डोर्निएर विमान की पूर्ती हेतु ज्ञापन पत्र I
भारत और सेय्चेल्लेस के सम्बन्ध हमेशा से महत्वपूर्ण रहें हैं। 2015 में कौशल-विकास एवं इंटरप्रेन्योरशिप मंत्री, श्री। राजीव प्रताप रूडी, प्रधानमंत्री श्री। नरेन्द्र मोदी द्वारा भेजे गये निजी आमंत्रण पत्र लेकर सेय्चेल्लेस पहुँचे थे जहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री के पत्रों के माध्यम से तीसरी भारत-अफ्रीका फ़ोरुम समिट में हिस्सा लेने के लिए सेय्चेल्लेस के राष्ट्रपति व् विदेश मंत्री को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया। यह समिट नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। हाल ही में सेय्चेल्लेस के वित्त, कारोबार एवं आर्थिक नीति-निर्माण मंत्री ने प्रतिनिधित्व करते हुए एक मंडल के साथ अफ्रीकी विकास बैंक समूह की सलाहकार मंडल की 2017 की बैठक में हिस्सा लिया था।
भारत-सेय्चेल्लेस के संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयास
27 जनवरी 2018 को भारत और सेय्चेल्लेस ने बीस वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके माध्यम से भारत इन अस्स्मप्शन द्वीपों पर सैन्य आधारभूत संरचना का निर्माण, विकास, परियोजना व् सुविधाओं का प्रबंध करने में सक्षम हो सकेगा। यह सेय्चेल्लेस द्वीप समूह से 1140 किमी दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित है। इस समझौते पर दोबारा हस्ताक्षर किये गये है ताकि समुद्री सुरक्षा से सम्बंधित मसलों पर भी गौर किया जा सके। पहला समझौता 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे को दौरान किया गया था। हाल ही में इस समझौता पर पूर्व भारतीय विदेश सचिव सुब्रामण्यम जयशंकर और सेय्चेल्लेस के राजकीय सचिव बैरी फ़ौर ने हस्ताक्षर किये है।
संशोधित समझौते में ज्यादा अहमियत सैन्य क्षमता की वृद्धि करने और सेय्चेल्लेस विशेष आर्थिक क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा और निगरानी पर ज्यादा जोर दिया गया, जो लगभग 1।3 मिलियन वर्ग किमी के दायरे में फैली हुई है। श्री। जयशंकर ने यह भी कहा कि चूँकि भारत और सेय्चेल्लेस समुद्री पडोसी है इसलिए उन दोनों की सुरक्षा एक-दूसरे पर बहुत अधिक रूप से निर्भर करती है। इसलिए दोनों देशों को इसमें साथ आकर पायरेसी-विरोध अभियान जैसे मसलों पर काम करना चाहिए। साथ ही, समुद्री सीमा की निर्ग्रानी, चौकसी पर ध्यान देते हुए आर्थिक उल्लंघनकर्ताओं पर नज़र रखनी चाहिए। उन्होंने इसमें ड्रग्स, मानव तस्करी, अवैध मत्स्यिकी आदि को भी चुनौती बताया। इसलिए यह संधि भारतीय नौसेना के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे अपेक्षा की जाती है कि वह अपने नौसैन्य उपकरणों का इस द्वीप में उचित प्रयोग करेगी। इससे अलग सेय्चेल्लेस पीपल्स डिफेन्स फ़ोर्स के चीफ ऑफ़ स्टाफ़ ने भी कहा, “अस्स्मप्शन पर आधुनिक उपकरणों की सुविधा भी होगी जिसके माध्यम से कोस्ट गार अपने उपकरण और वायु सेना के यानों को द्वीप पर उतार सकें”।
इस समझौते को अनुसमर्थन हेतु सेय्चेल्लेस कैबिनेट और राष्ट्रीय सभा में पेश किया जायेगा। एक बार सहमती लेने के बाद ही अड्डे के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया जायेगा। इस परियोजना को सम्पूर्ण वित्तीय पोषण भारत सरकार देगी मगर सेय्चेल्लेस के पास भी अड्डे की पूरी हकदारी होगी। इसके पास यह अधिकार भी होगा की यह महामारी के दौरान इस अड्डे के सैन्य-उपयोग पर प्रतिबंध लगा सकती है या फिर यदि भारत में युद्ध होता है तब भी, क्योंकि यह एक सैन्य-अड्डा नहीं है। साथ ही, भारत सरकार को सभी सुविधाओं को इस्तेमाल करने का अधिकार होगा मगर इस अड्डे का प्रयोग परमाणु हथियार के परिवहन या भण्डारण हेतु नही किया जायेगा।
निष्कर्ष
सेय्चेल्लेस में भारतीय मूल के दस हज़ार लोग निवास करते है। गुजरात और तमिलनाडु से मूल रूप से आने वाले यह भारतीय, इस देश के सबसे शुरूआती निवासियों में से एक रहें हैं। इससे पहले वे व्यापारी, कर्मचारी या मजदूर के रूप में आते थे और अब व्यवसायी के रूप में आते है। हाल ही में दोनों देशों के बीच जो करार स्थापित हुआ है उससे न केवल इन दोनों देशों के सम्बन्ध बेहतर हुए है और उन्हें एक नया आयाम प्राप्त हुआ है। इससे भारत को कल्पना द्वीप में एयरक्राफ्ट लैंडिंग स्ट्रिप और पोतकों के लिए अवतरण मंच के निर्माण में सेय्चेल्लेस की मदद प्राप्त हो सकती है। सेय्चेल्लेस और मॉरिशस के अगलेगा द्वीप में इस तरह की सुविधा प्राप्त होने के भारत की हिन्द महासागर तक और अधिक पहुँच हो जाएगी जो की भारत के हित में है।
(लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से वीआईएफ का सहमत होना जरुरी नहीं है)
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