पाकिस्तान पारंपरिक रूप से श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय समझौते, विशेष तौर पर रक्षा-सम्बन्धी समझौतों पर आपसी सहभागिता बढ़ाने में काफ़ी प्रयत्न कर रहा है। एक और अवसर पर श्रीलंका ने ईलम युद्ध के दौरान, पाकिस्तान की मदद के लिए आभार जताया जिसका सन्दर्भ उस समय से था जब युद्ध समाप्ति के दौरान उन्होंने श्रीलंका को बड़े हथियार उपलब्ध करवाए थे।
इस घटना को मद्देनजर रखते हुए, पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष, जनरल क़मर बाजवा ने जनवरी 16-18 तक श्रीलंका का आधिकारिक दौरा किया था जिससे इन दोनों देशों के बीच स्थापित संबंधों को और मजबूत किया जा सके। यह दौरा श्रीलंकाई सेनाध्यक्ष सेनानायेक के आमंत्रण पर किया गया। उनके इस दौरे में श्रीलंकाई सेना के उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत भी शामिल है। उन्होंने श्रीलंकाई रक्षा प्रमुख एडमिरल विजेगुनारात्ने के अथ उनके दफ़्तर में 16 जनवरी को मुलाकात की थी जिस दौरान दोनों अधिकारियों ने रक्षा और त्रि-सेवा जवानों के प्रशिक्षण से जुड़े मसलों पर बातचीत की थी। इसके अलावा उन्होंने नौसेना कमांडर वाईस एडमिरल राणासिंघे और वायुसेना कमांडर एयर मार्शल जयमपेथी से नौसेना और वायुसेना के मुख्यालयों पर क्रमशः मुलाकात की थी।
राजनैतिक तौर पर जनरल बजवा ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे से भेंट की थी जहाँ उन्होंने द्विपक्षीय समझौतों के महत्त्व और दक्षिणी-एशियाई क्षेत्र में आर्थिक प्रगति के मुद्दों पर बातचीत की थी। राष्ट्रपति सिरीसेना से राष्ट्रपति सचिवालय में उन्होंने 17 जनवरी को उन्होंने मुलाकात की थी। उन्होंने वह समय याद किया जब हालात स्थिर थे और श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पाकिस्तान आई थी, जबकि राष्ट्रपति ने दोनों देशों की मित्रता और पाकिस्तान द्वारा युद्ध में सहायता करने के उन क्षणों को याद किया।
कोलोंबो पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका में मौजूद पाकिस्तानी उच्चायुक्त डॉ। हशमत को 4 जनवरी को राष्ट्रपति सिरिसेना का बुलावा आया था, जहाँ उन्होंने उनको यह सूचना दी कि जल्द ही विशेषज्ञों का एक समूह जल्द ही पाकिस्तान के पूल्लानारुवा क्षेत्र में भेजा जायेगा जहाँ वे डेरी फार्म खोलने के लिए स्थितियों के अनुकूल/प्रतिकूल होने का निरक्षण करेंगे। राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए हाल ही में श्रीलंका में हुई उर्वरकों की कमी के दौरान मदद करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके अलावा उच्च आयुक्त द्वारा पाकिस्तानी-निवेश से चल रहे विकास की कई परियोजनाओं और 200 मिलियन डॉलर्स के ऋण सीमा पर कार्यकारी योजनाओं पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने राष्ट्रपति को उनकी वर्तमान स्थितियों की जानकारी उपलब्ध करवाई।
नियमित उच्च-स्तरीय बातचीत
श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच नियमित रूप से होने वाली उच्च-स्तरीय बातचीत के कारण सम्बन्ध मधुर है। इनमे कुछ गौर करने वाली बातें इस प्रकार है- 2012 में पाकिस्तान से आये शक्तिशाली रक्षा प्रतिनिधियों ने दोनों देशों के बीच औपचारिक बातचीत की शुरुआत की जिसमें की उन्होंने आपसी अनुभव साझा किये; 2013 में पाकिस्तान से चार-सदस्यों वाले नौसेना के प्रतिनिधि मंडल ने श्रीलंका के रक्षा प्रशिक्षण संस्थानों में श्रीलंकाई सेना की चुनौतियों को लेकर कुछ अहम प्रयास किये थे।
राजनैतिक स्तर पर, राष्ट्रपति सिरिसेना, अप्रैल 5-7 2015 के दौरान पाकिस्तान का आधिकारिक दौरा किया था। इस बीच आपसी हितों के मसलों से लेकर द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ावा देने और दोनों देशों की आपसी समझ को और बेहतर करने हेतु बातचीत हुई थी। श्रीलंकाई पक्ष द्वारा युद्ध में पाकिस्तान द्वारा राहत प्रयासों में सहयोग को लेकर आभार व्यक्त किया। शिक्षा को लेकर उच्च-स्तरीय सहयोग एवं पाकिस्तान द्वारा श्रीलंका सरकार को पहचान पत्र व्यवस्था स्थापित करने में राष्ट्रीय डाटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण का सहयोग उपलब्ध करवाने की पेशकश की गयी है। राष्ट्रपति सिरिसेना ने पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय उड़ानों (पीआईए) को दोनों देशों के बीच नियमित विमान यात्रा की सुविधा को बनाए रखने का प्रस्ताव पेश किया जिससे लोगों और वस्तुओं के परिवाहन में कम से कम व्यावधान पैदा हो। दोनों देशों के परमाणु-ऊर्जा और गैर-नारकोटिक्स एजेंसीयों द्वारा छह समझौते और साधन स्थापित किये गये। साथ ही, आपदा प्रबंधन को लेकर पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कारपोरेशन और सीलोन शिपिंग कारपोरेशन लिमिटेड पर भी सहमती बनती नज़र आई।
राष्ट्रपति सिरिसेना के दौरे के तुरंत बाद तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का श्रीलंकाई दौरा संपन्न हुआ। श्रीलंकाई पक्ष ने नवाज़ शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और विकास में सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। शिक्षा, रक्षा, पर्यटन, रसद आदि क्षेत्रों में कई तरह के समझौतों पर विमर्श किया गया। दोनों पक्षों ने व्यापार और कारोबार से सम्बंधित द्विपक्षीय-समझौतों को बढ़ावा देने के लिए 1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश लक्षित किया है और इसके साथ ही कारोबारी संबंधों को बेहतर करने के लिए संयुक्त कार्यकारी समिति का गठन करना सुनिश्चित किया है। दोनों देशों के बीच 2005 से निशुल्क कारोबारी समझौते स्थापित है।
इस द्वीप में विभिन्न आर्थिक, औद्योगिक एवं तकनीकी इलाक़ों के अलावा महानगरों के विकास की योजना पर भी विचार किया जा रहा है जिसके लिए पाकिस्तान से निवेशकों को आमंत्रित किया जायेगा। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की ओर से श्रीलंका में चीनी, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, फर्मास्यूटिकल और आधारभूत संरचना के विकास में निवेश का भरोसा दिया। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान में बिजली की आपूर्ति पर श्रीलंका की ओर से मदद भी सुनिश्चित की, क्यूंकि बिजली-उत्पाद में श्रीलंका काफ़ी बेहतर है।
दोनों नेताओं ने अपने अपने देशों की विरासत और आपसी ऐतिहासिक एवं संस्कृति में सहभागिता पर चर्चा की और कला, खेल और पर्यटन के जरिये इसमें इजाफ़ा करने को लेकर आपसी सहमती बनाई। श्रीलंका ने पाकिस्तान के साथ स्वास्थ, विज्ञान एवं तकनीक, संस्कृति, आभूषण एवं गहने, व्यापार, आतंकवादी-फंडिंग, मनी लौन्ड़ेरिंग और सांख्यकी समेत कुल 8 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किये है। मत्स्यिकी, ऊर्जा-उत्पादन, व्यापार एवं निवेश पर संयुक्त इकाइयाँ स्थापित करने हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये है। युवा एवं कौशल विकास के क्षेत्रों पर, जनसँख्या के आंकड़ों का आदान-प्रदान और वित्तीय आसूचना जैसे मुद्दों को भी इसमें शामिल किया गया है।
व्यापार एवं सांस्कृतिक सहयोग
श्रीलंका में 26 जनवरी 2018 को आयोजित पाकिस्तान एकल राष्ट्रीय प्रदर्शनी के तृतीय संस्करण का आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति सिरिसेना ने पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री परवेज मलिक और पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मौजूदगी में किया था। मंत्री ने यह साफ़ किया की पाकिस्तान के लिए व्यापार से जुडाव के मामले में श्रीलंका एक महत्वपूर्ण देश है और इस प्रदर्शनी से कारोबार-से-कारोबार जोड़ने में आसानी होगी और पाक-श्रीलंका के कारोबारी हितों को बल मिलेगा। यह प्रदर्शनी पाकिस्तान की कारोबार विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें पाकिस्तान की कई कपडा, कृषि-उत्पाद, अभियंता, हस्त-शिल्प, उपस्कर, फर्मास्यूटिकल और सेवाओं से जुडी कई कंपनियाँ शामिल थी।
बुद्ध पूर्णिमा में वेसाक समारोह में 15 सदस्यों वाली श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षुओं के दल ने भाग लिया था। इस दल का प्रतिनिधित्व दाया गमागे ने किया जिन्होंने पाकिस्तानी सरकार को पौराणिक बौद्ध स्मारकों की रक्षा के लिए काफी सराहा। उन्होंने पाकिस्तान के मरदान जिले में स्थित तख़्त-ए-भाई नामक मठ जैसे भवन का भ्रमण किया जिसे गंधार सभ्यता के शहरीकरण के दौरान स्थापित किया गया था। इसका अविष्कार 1836 में हुआ था। यह यूनेस्को द्वारा एक विरासत स्थल घोषित किया गया है। इस बात का जिक्र भी यहाँ होना चाहिए कि दोनों देश में जितने भी समझौते हुए है उनमें धार्मिक, कूटनीतिक, आपसी-सम्मान और इस्लाम-बौद्ध में जुडाव एक समान पैमाना रहा है।
विश्लेषकों का यह मानना है कि पाक-श्रीलंका के सम्बन्ध चीन के द्वारा पाकिस्तान को उपलब्ध की जाने वाली आर्थिक मदद के चलते, आने वाले समय में और मजबूत हो जायेंगे। ऐसे में भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस मामले पर नज़दीकी से निगरानी करे।
सन्दर्भ:
• Press releases, News, The High Commission of Pakistan in Sri Lanka।
• Colombo Page, Pakistan expert’s team to visit Sri Lanka to explore possibility of establishing a dairy farm in Polonnaruwa; 5th January, 2018।
• Media releases, Ministry of Foreign Affairs, Sri Lanka।
• The Daily Mirror, Lankan delegation visits Pakistan to promote religious and cultural tourism; 9th June, 2016।
• Daily News, Pakistani General Praises Lanka’s achievements; 19th January, 2018।
• News first, Pakistan Chief of Army meets President Maithripala Sirisena, Keshala Dias, 18th January, 2018।
(ये लेखक के निजी विचार हैं और वीआईएफ का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है)
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