पाकिस्तान के रक्षा बजट में वृद्धि: निहितार्थ
Prateek Joshi

पाकिस्तान का बजट पिछले महीने पेश किया गया, जो अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनावों से पहले सत्तारूढ़ मुस्लिम लीग के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट था। सभी मदों के लिएा आवंटन में से रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन सुर्खियों में रहा क्योंकि रक्षा बजट पिछले वर्ष के 920.2 अरब रुपये के आवंटन से 19.6 प्रतिशत बढ़कर 1,100 अरब रुपये तक पहुंच गया। 2013-14 में यह आंकड़ा 630 अरब रुपये था और इस तरह पिछले पांच वर्ष में आवंटन लगभग दोगुना हो गया है। वित्त वर्ष 2016 और 2017 के दौरान रक्षा आवंटन क्रमशः 11 प्रतिशत और 7 प्रतिशत बढ़ा था।1 इस वृद्धि में सैनिकों की पेंशन के 260 अरब रुपये शामिल नहीं हैं।2 साथ ही सबसे ज्यादा 21.4 प्रतिशत बढ़ोतरी नौसेना के लिए आवंटन में की गई, जो सेना की 19.4 प्रतिशत वृद्धि से अधिक है। इससे संभवतः यह संकेत मिलता है कि चीन के साथ सीपीईसी के लिए किए गए सामुद्रिक वायदों और पनडुब्बी सौदे के लिए खर्च बढ़ाया जा रहा है।3

वृद्धि की मात्रा से यह जांचना जरूरी हो जाता है कि इसके निहितार्थ क्षेत्र से बाहर भी हैं या नहीं क्योंकि यह घटनाक्रम तब हुआ है, जब सर्जिकल स्ट्राइक के बाद द्विपक्षीय संबंध बहुत खराब हैं, जब नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन बहुत बढ़ गया है और कश्मीर में अशांति भी बढ़ गई है। पाकिस्तान ने रक्षा पर भारत के बढ़ते व्यय पर चिंता भी जताई थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने इसके बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव को कथित रूप से जानकारी भी दी थी।4 व्यापक पृष्ठभूमि देखें तो देश में सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति के बीच यह वृद्धि तब हुई है, जब तालिबान को बातचीत के लिए राजी करने के दबाव के बीच अमेरिका के साथ रिश्ते बिगड़ चाहे न रहे हों, कमजोर तो हो ही रहे हैं।

1,100 अरब रुपये के आवंटन से पता चलता हैः-

1. 423 अरब रुपये कर्मचारियों से संबंधित खर्चों के लिए आवंटित किए गए हैं, जिनमें सैन्यकर्मियों एवं असैन्य कर्मचारियों के वेतन और भत्ते शामिल हैं।5
2. 253.5 अरब रुपये परिचालन खर्चों के लिए हैं, जिनमें परिवहन, पेट्रोलियम, ऑयल और ल्यूब्रिकेंट, राशन, इलाज, प्रशिक्षण शामिल हैं।6
3. 282 अरब रुपये हथियारों और गोला-बारूद की स्थानीय खरीद तथा आयात के लिए, और 141 अरब रुपये सिविल कार्य के लिए हैं, जिनमें मौजूदा बुनियादी ढांचे के रखरखाव एवं नई इमारतों के निर्माण के लिए निश्चित रकम शामिल है।7

खर्च बढ़ने का कारण सीपीईसी की रक्षा के लिए 15,000 जवानों वाले स्पेशल सिक्योरिटी डिविजन का परिचालन आरंभ करने और जर्ब-ए-अज्ब के बाद ड्यूरंड रेखा पर बाड़ लगाने और उसे मजबूत करने जैसे सुरक्षा उपायों समेत कुछ सामरिक गतिविधियां हो सकती हैं किंतु वृद्धि को विशुद्ध रूप से खतरा नहीं मानना चाहिए क्योंकि घरेलू राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दे भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं और इस पर गहन विचार करने से कई संभावनाएं सामने आती हैं।

बजट के आवंटन का काम तो नागरिक प्रशासन यानी सरकार का है, लेकिन पाकिस्तान में नागरिक प्रशासन और सेना के समीकरण के बीच रक्षा पर खर्च ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सैन्य प्रतिष्ठान का पलड़ा भारी रहता है।

पाकिस्तान संसद में अभी ऐसी कोई स्पष्ट चर्चा नहीं हुई है, जिससे रक्षा पर होने वाले खर्च से संबंधित सही प्रणाली का पता चल सके। तब तक बजट की कई प्रकार से व्याख्या होती रहेगी।8 साथ ही जिन प्रमुख खरीद कार्यों की येाजना बनाई गई है, उन्हें इस वृद्धि से बाहर रखा गया है, इसीलिए केवल इन सीधे-साधे आंकड़ों को देखकर और उनके पीछे दिए गए उद्देश्य को जानकर सेना की मंशा के बारे में बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता।9

इससे कम से कम यह तो समझा ही जा सकता है कि रक्षा बजट में बढ़ोतरी उस समय हुई है, जब नवाज शरीफ के निर्वासन के बाद देश में नागरिक प्रशासन और सेना के रिश्ते नाजुक दौर से गुजर रहे हैं और जब सेना ने खंडित जनादेश सुनिश्चित करने के लिए अन्य राजनीतिक संस्थाओं के सामने भी मैदान साफ कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चुनाव नजदीक आने के साथ ही शरीफ भी खुद को शिकार दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि सरकार और सेना के रिश्तों में इतना नाजुक दौर होने के बाद भी सरकार ने रक्षा पर खर्च के लिए अधिक आवंटन कर दिया है।

अटकलें छोड़ दें तो पाकिस्तान की बढ़ती सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दरें भी अच्छे खासे अतिरिक्त संसाधन तैयार कर रही है, जिसका इस्तेमाल रक्षा पर खर्च के लिए किया जा सकता है और किसी भी बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में ऐसा होना स्वाभाविक है। पिछले दो वर्ष में अर्थव्यवस्था क्रमशः 5.4 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत बढ़ी है और संघीय राजस्व बोर्ड के मुताबिक पिछले पांच वर्ष में राजस्व संग्रह की बात करें तो आंकड़ा इस वर्ष के अंत में 4,888 अरब रुपये होने का अनुमान है, जो 2013 में 1,980 अरब रुपये ही था।10

निष्कर्ष यह है कि बजट के आंकड़े किसी खतरनाक गतिविधि की ओर संकेत नहीं करते, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रूस और अमेरिका जैसी ताकतों के साथ पाकिस्तान का बढ़ता रक्षा संपर्क आगे चलकर कैसा रहता है। चूंकि विशेषकर रूस के साथ कुछ महंगी खरीद होना तय है, इसलिए इन रिश्तों का असर उन देशों के साथ भारत के रक्षा संबंधों पर भी पड़ सकता है।

संदर्भः

1. “Budget 2018-19: Standout features and key talking points”, द डॉन, इस्लामाबाद, 28 अप्रैल, 2018; और “Defence budget set at Rs 920.2bn for FY2017-18”, द डॉन, इस्लामाबाद, 26 मई, 2017.
2. कामरान यूसुफ, “Defence budget up by around 20%”, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून, इस्लामाबाद, 28 अप्रैल, 2018.
3. बाकिर सज्जाद सईद, “Budget 2018-19: Rs1.1 trillion proposed for defence”, द डॉन, इस्लामाबाद, 28 अप्रैल, 2018.
4. शफाकत अली, India’s massive military spending upsets Pakistan, द नेशन, इस्लामाबाद, 05 मई, 2018.
5. कामरान यूसुफ, “Defence budget up by around 20%”, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून, इस्लामाबाद, 28 अप्रैल, 2018.
6. उपरोक्त.
7. उपरोक्त.
8. उपरोक्त.
9. अनंत श्रेयस, “Pakistan budget allocation for defence rises by 19.6% in 2018-19 fiscal year”, फाइनेंशियल एक्सप्रेस, नई दिल्ली, 30 अप्रैल, 2018.
10. स्टाफ रिपोर्टर, “Budget to expand economy, encourage businesses, protect vulnerable people: Miftah”, पाकिस्तान ऑब्जर्वर, इस्लामाबाद, 30 अप्रैल, 2018, और “Despite challenges: Growth rate at all-time high 5.8pc in 13 years”, द न्यूज, इस्लामाबाद, 27 अप्रैल, 2017.

(लेख में संस्था का दृष्टिकोण होना आवश्यक नहीं है। लेखक प्रमाणित करता है कि लेख/पत्र की सामग्री वास्तविक, अप्रकाशित है और इसे प्रकाशन/वेब प्रकाशन के लिए कहीं नहीं दिया गया है और इसमें दिए गए तथ्यों तथा आंकड़ों के आवश्यकतानुसार संदर्भ दिए गए हैं, जो सही प्रतीत होते हैं)


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: http://saudigazette.com.sa/uploads/imported_images/2016/03/3-15.jpg

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