8 से 12 अप्रैल 2018 तक भारतीय वायु सेना के द्वारा भारत में गगन शक्ति अभ्यास 2018 किया गया जिसमें सभी अभियान एवं रसद सम्बन्धी अभ्यास किये गये। किन्तु इन अभ्यास का महत्त्व क्या है?
उत्तरी-पश्चिम सीमा पर भारत कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। चीन बहुत तेजी से अपनी वायुसेना का आधुनिकरण कर रहा है। उसने तिब्बत में भी अपनी सैन्य संरचना को नया विस्तार दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान ने भी अपने रक्षा बजट 2018 में 19.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। उसे चीन से भी सैन्य-सहायता प्राप्त हो रही है। पाकिस्तान अपनी वायुसेना में JF-10 नामक नये विमान का प्रयोग शुरू करने जा रहा है। अतः भारतीय वायुसेना को इन चुनौतियों से निबटने के लिए तैयार होने की आवश्यकता है। भारतीय वायुसेना के पास विषम परिस्थितियों में भी उचित रूप से काम करने के लिए पर्याप्त साधन व् तैयारी होनी ही चाहिए। गगन अभ्यास 2018 का उद्देश्य यही था की वर्तमान समय में भारतीय वायुसेना की राष्ट्रीय सुरक्षा से निबटने की तैयारी का एक परिक्षण इसके माध्यम से किया जा सके।
इस अभ्यास का पैमाना काफ़ी विस्तृत था। 11,000 धावे बोले गये जिनमें से 9000 लड़ाकू विमानों द्वारा किये गये थे। यह अभ्यास समुद्र और भूमि पर, भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर संयुक्त रूप से किया गया। इस अभ्यास का एक मुख्य उद्देश्य भारतीय थलसेना और भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त सैन्य अभियान में भाग लेना भी था, जैसा की पिछले वर्ष ‘संयुक्त सैन्य सिद्धांत’ में तय किया गया था।
भारतीय वायुसेना के कई पक्ष हैं जो आम जनता को समझ नहीं आते। दो हफ़्तों तक चले इस अभ्यास से सम्बंधित खबरें कई जगह प्रकाशित हुईं जिसका श्रेय सीधे तौर पर सरकार को जाता है। इससे जनता में भारतीय सेना की एक सकारात्मक छवि बनने में मदद मिलेगी।
सम्पूर्ण अभ्यास नेटवर्क-सेंट्रिक मोड में किया गया। प्रथम चरण में यह अभ्यास पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण कमांड्स के बीच हुआ जिसमें थलसेना और नौसेना के कारक भी सक्रिय रहे। द्वितीय चरण में सेनाओं को 48 घंटों के भीतर ही नयी जगह पर पहुँचा दिया गया। गगन शक्ति के आयाम काफ़ी प्रभावशाली रहें। इस अभ्यास के कुछ विशेषताएं इस प्रकार है:
• हवाई युद्ध के कई अभ्यास किये गये थे।
• हवाई सुरक्षा छतरी का निर्माण जमीन पर मौजूद सेना की मदद हेतु करने का अभ्यास किया गया।
• भारतीय नौसेना की लम्बी दूरी वाली समुद्री-स्ट्राइक को जमीन पर मौजूद टुकडियों के सहयोग के माध्यम से परिक्षण हेतु प्रयोग में लाया गया।
• हवाई चेतावनी और नियंत्रण उपकरण (AWACS), हवाई माध्यम में ही यानों में ईंधन भरना, बटालियन समूह पैराशूट ड्राप, गरुड़ कमांडो के विशेष अभियान, विरोधी के इलाके से तकनीकी सहायता से साथियों को निकालना, समुद्री बचाव एवं राहत अभियान और जमीन से भी कई विशेष अभ्यास किये गये।
• 48 वर्षों तक के चिकित्सा की दृष्टि से व् अन्य सभी रूप से योग्य सैनिकों को अभ्यास के लिए शामिल किया गया।
• हवाई सहयोग के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के साथ हवाई सहयोग भी स्थापित किया गया।
• संचार साधनों पर निर्भरता, हवाई रक्षा संचार तंत्र और सॉफ्टवेयरों के परिक्षण किये गये।
• युद्ध सामग्री जैसे विमान, मिसाइल उपकरण, राडार आदि का परीक्षण किया गया।
• ‘सर्ज ऑपरेशन’ जिसके तहत लड़ाकू विमान एक घंटे की अवधी में सर्वाधिक धावा बोलते है, का भी अभ्यास किया गया। वायु-से-जमीन तक की सभी रेंजों को भारत में सक्रिय किया गया।
• हाल ही में प्राप्त किये हल्के लड़ाकू विमान(एलसीए) तेजस की कार्यप्रणाली आदि का परीक्षण, असल परिस्थितियों के बीच किया गया।
• C-17 और IL-76 जैसे विमानों की समय-अवधी के दौरान प्रदर्शन और C-170 और AN-32 की रणनैतिक हवाई उड़ानों की जाँच की गयी
ये अभ्यास बहुत अच्छी तरह से संपन्न हुए। इन अभ्यासों की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है:-
• भारतीय वायुसेना ने विमानों के क्रियान्वन में 80 प्रतिशत परिणाम हासिल किये वहीँ राडार, जमीन-हवाई संपर्क उपकरणों के क्रियान्वन में 97 प्रतिशत परिणाम प्राप्त किये। यह भारतीय वायुसेना की एक बड़ी उपलब्धी है।
• युद्ध सामग्री की प्रेषण दर 95 प्रतिशत तक प्राप्त की गयी।
• युद्ध सहयोग तंत्र 100 प्रतिशत सक्रिय पाए गये।
• हाल (एचऐएल), बेल (बीऐएल) और डीआरडीओ से बेहतरीन सहयोग प्राप्त हुआ।
•बम से क्षतिग्रस्त होने के पश्चात रनवे की मरम्मत के विशेष प्रबंधों का अभ्यास किया गया।
• रेल के साथ इन अभियानों में सहयोग की प्रणाली को बेहतर ढंग से प्राप्त किया गया।
गगन शक्ति अभ्यास की सबसे खास बात यह थी की ये अभ्यास भारतीय सेना की संयुक्त अभियान सिद्धांत पर आधारित थे। भारतीय वायुसेना और भारतीय थलसेना दोनों ने उत्तरी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में आईवीटीटी (इंटर वैली ट्रूप ट्रान्सफर) यानी आपस में सैनिकों की अदला-बदली का प्रशिक्षण भी लिया। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर कुछ दिनों का समय लगता है जिसे इस अभ्यास के दौरान महज कुछ घंटों के भीतर करने के प्रयास सफलतापूर्वक हुए। भारतीय वायुसेना ने भारतीय नौसेना के पी-8 आई समुद्री आवलोकन विमान के साथ, समुद्री इलाके में कई चुनौतीपूर्ण अभ्यास किये।
26 अप्रैल 2018 को विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय अधिष्ठान में एयर चीफ़ मार्शल बी। एस। धनोआ ने अपने संबोधन में भी कहा की सभी अभ्यास बिना किसी परेशानी के पूरे हुए हैं। भारतीय वायुसेना और भारतीय थलसेना के अभियान सिद्धांतों का इन अभ्यासों के दौरान पूरा परिक्षण किया गया। इन अभ्यासों पर निश्चित रूप से पाकिस्तान और चीन की कड़ी नज़र रही होगी और उन्होंने उससे अपने लिए आवश्यक सबक सीख लिए होंगे।
रक्षा के क्षेत्र में बदलते हुए परिदृश्य के सन्दर्भ में गगन अभ्यास की भूमिका काफ़ी अहम रही। एयर चीफ़ ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय वायुसेना 19 देशों के 32 विभिन्न मंचों पर कार्य कर रही है। इस अभ्यास से उन सभी आयामों का परीक्षण करने के साथ ही उनकी आपस में सक्रियता को भी जाँचा गया। उनके अनुसार, भारतीय सेना ने गतिशील लक्ष्यभेद क्षमता और सुस्पष्टता के साथ लक्ष्य-भेद क्षमता हांसिल की है। साथ ही भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रनों की कमी से निबटने के लिए भी उचित कदम उठाये है। मिराज-2000, एमआईजी-29 और जैगुआर लड़ाकू विमानों को आधुनिकृत किया गया वही तेजस एलसीऐ को इसमें शामिल किया गया।
भविष्य में वायुसेना को राफेल विमान भी प्राप्त हो जायेंगे जिसके लिए अनुबंध पहले ही तय हो चुका है। हवाई चेतावनी और नियंत्रण उपकरण (AWACS) और ईंधन विमान (FRA) को भी उपयोग में लाया गया। परिवहन विमान जैसे सी-130J और सी-17 से वायुसेना की हवाई-उड़ानों की क्षमता में काफ़ी विकास हुआ है। गगन शक्ति अभ्यास से भारतीय वायुसेना और देश, दोनों का गौरव बढ़ा है।
(ये लेखक के निजी विचार है और वीआईएफ़ का इन विचारों से सहमत होना बाध्यकारी नहीं है)
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