दुनिया भर में इंटरनेट अफ्रीकी देशों में ही सबसे तेज रफ्तार से अपनी पैठ बना रहा है। अफ्रीकी संघ ने यह खुलासा किया है कि पिछले पांच वर्षों में अफ्रीकी महाद्वीप में डिजिटल कनेक्टिविटी में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है और उसका अनुमान है कि वर्ष 2020 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में एक तिहाई योगदान डिजिटल अर्थव्यवस्था का होगा। ऐसे में यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र में साइबर-हमलों में बढ़ोतरी होती जा रही है। असल में कंप्यूटर और नेटवर्क से जुड़ी आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम या साइबर अपराध कहलाती हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए पैन-अफ्रीकन ब्लॉक द्वारा 16 से 18 अक्टूबर के बीच पहली अफ्रीकन फोरम ऑन साइबर क्राइम का आयोजन इथियोपिया की राजधानी आदिस अदाबा में किया गया। इस सम्मेलन के दौरान क्षेत्र में तकनीक के बढ़ते चलन के साथ साइबर अपराधों से जुड़े मामलों में आ रही तेजी पर भी चिंता जताई गई।
इस फोरम का आयोजन अफ्रीकी संघ आयोग द्वारा किया गया था। आयोग को यूरोपीय परिषद, यूरोपीय संघ, इंटरपोल, यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी), अमेरिकी न्याय एवं विदेश विभाग, ब्रिटिश सरकार और राष्ट्रमंडल सचिवालय जैसे अन्य सहयोगियों का भी साथ मिला। इंटरपोल का मकसद था कि अफ्रीकी गतिविधियों को विस्तार कर सुनिश्चित करे कि दूसरे क्षेत्र भी इनकी बात सुनें। वहीं यूएनओडीसी के साइबर क्राइम पर वैश्विक कार्यक्रम का लक्ष्य ही साइबर अपराधों की जांच एवं अभियोजन द्वारा ऑनलाइन बाल उत्पीड़न एवं यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने में सक्षमता प्राप्त करना है। पूर्वी अफ्रीका के लिए क्षेत्रीय क्षमता-विकास पहल कार्यक्रम यूएनओडीसी को ‘रणनीतिक, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय प्राथमिकता’ के परिप्रेक्ष्य में रखता है जिसे सदस्य देशों (अफ्रीकी संघ आयोग, 2018) द्वारा स्वीकृति भी मिली हुई है। इसी तरह राष्ट्रमंडल सचिवालय की दिलचस्पी साइबर अपराधों से निपटने में खुद को ढालने और उसका निदान तलाशने के साथ ही अफ्रीका के सदस्य देशों के साथ तालमेल बिठाने में रही। इससे पहले अप्रैल, 2018 में राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों ने राष्ट्रमंडल साइबर घोषणापत्र पर सहमति जताई थी। इस घोषणापत्र का मकसद साइबरस्पेस को पूरी तरह सुरक्षित, स्वतंत्र, खुला, समावेशी बनाने के साथ ही मानवाधिकार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने वाला बनाना था।
तमाम क्षेत्रीय संगठनों के अलावा नीति निर्माताओं, विधायी संस्थाओं और पचास अफ्रीकी देशों के आपराधिक न्याय प्राधिकरणों से जुड़े 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, राष्ट्रीय सरकारों और निजी क्षेत्रों ने भी इसमें शिरकत की। इसमें कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ही मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया। एक- साइबरक्राइम नीतियां और विधान, अंतरराष्ट्रीय मानक और आदर्श चलन। दूसरा- साइबर अपराधों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग। तीसरा-साइबर अपराध के मामलों (अफ्रीकी संघ, 2018) से निपटने के लिए आपराधिक न्याय प्राधिकरणों को सशक्त बनाने हेतु क्षमता निर्माण।
अफ्रीकी महाद्वीप में ही निजी डाटा की बड़े पैमाने पर चोरी भी हो रही है। मानवाधिकारों का मखौल, यौन उत्पीड़न और बाल प्रताड़ना जैसे कुछ गंभीर मामले कंप्यूटर गतिरोध, उकसावे, उत्पीड़न और साइबर अपराधों के अन्य स्वरूपों में सामने आते हैं। उत्तेजित करने वाले उन्मादी भाषण बढ़ रहे हैं, नस्लवाद और दूसरे देशों के लोगों के खिलाफ नफरत भी भड़काई जा रही है। इस महाद्वीप में हिंसक चरमपंथ और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले ये कुछ प्रमुख पहलू हैं। (द हेराल्ड, 2018)
अफ्रीकी संघ ने कहा यह फोरम उन चुनौतियों से जूझने में महत्वपूर्ण योगदान देगी जिनसे यह महाद्वीप जूझ रह है। फोरम के माध्यम से इन चुनौतियों से निपटने में क्षमता विकसित करने और सूचनाओं एवं ज्ञान को साझा करने में मदद करेगी। अवसंरचना एवं ऊर्जा के कमिश्नर महामहिम डॉ. अमानी अबू-जैद ने कहा, “हमारे महाद्वीप का जो डिजिटल कायाकल्प हो रहा है वह हमारे लिए एक बेहद खास अवसर है जिससे हम सामाजिक सौहार्द बढ़ाने, लोगों का जीवन बेहतर बनाने और शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता, रोजगार, शांति और सुरक्षा के साथ ही सुशासन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को विकसित कर सकते हैं जिसमें नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलने के साथ ही सरकार और नागरिकों के बीच बेहतर संवाद स्थापित हो सके। ऐसे में यह हमारे लिए एक बड़ा काम और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अफ्रीकी जनता और देशों के लिए एक सुरक्षित, भरोसेमंद और समावेशी साइबरस्पेस बनाएं।” (अफ्रीकी संघ आयोग, 2018)
अफ्रीकी संघ के लिए यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल की उप-प्रमुख एन्ना बर्योलो ने कहा, “दुनिया में आज हर जगह सभी समाज इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क्स और सूचना तंत्रों पर निर्भर हो गए हैं। डिजिटलीकरण जहां अपने साथ तमाम फायदे लेकर आता है वहीं इसके साथ कुछ गंभीर किस्म के खतरे भी जुड़े हैं। सूचना संचार तकनीक के विकास के साथ ही साइबर अपराधों के रूप में कुछ आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं जो नागरिकों, कारोबारी जगत, सरकारों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए गंभीर खतरा हैं । यह किसी देश विशेष की सीमाओं तक सिमटी हुई समस्या नहीं हैं....यही वजह है कि हमें एक साथ मिलकर इससे निपटने की जरूरत है। ऐसे में यूरोपीय संघ में हमें लगता है कि प्रत्येक स्तर पर साथ मिलकर इससे निजात पाने के लिए प्रयास करने होगे और हम साइबर सुरक्षा के लिए अपने आंतरिक प्रयासों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय साइबर सहयोग में भी निवेश कर रहे हैं।” (अफ्रीकी संघ आयोग, 2018)
ऐसे में हम देखते हैं कि अफ्रीकी सरकारों के पास साइबर कानून बनाने के तमाम विकल्प हैं जिनके माध्यम से वे आंतरिक स्तर के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों के साथ भी सहयोग कर सकती हैं। साइबर अपराध पर प्रथम अफ्रीकी फोरम एक ऐसा प्रयास है जिसमें क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय सरकारों को एक साझा मंच पर लाया गया। इसने राष्ट्रीय नीतियों की परख और चर्चा के लिए ऐसी बुनियाद उपलब्ध कराई है जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी मिल सके और साथ ही इससे एक ऐसा सशक्त तंत्र बनाने में भी मदद मिलेगी जो आपराधिक न्याय प्राधिकरणों को मजबूत बनाएगा।
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