कुर्दिस्तान और कैटेलोनिया में हुए दो जनमत संग्रहों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। वे अलग-अलग हिस्सों में हुए हैं और उनके पीछे ऐतिहासिक संदर्भ भी अलग हैं। लेकिन एक बात समान है। दोनों ने लोकतंत्र में स्व-निर्णय की संभावना की सीमाओं को कसौटी पर कसा है। प्रतिक्रिया से साफ पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय विभाजन की ओर ले जाने वाले और स्थापित देशों के टुकड़े कराने वाले स्व-निर्णय के पक्ष में नहीं है। प्रक्रिया अभी चल रही है। लेकिन प्रमुख रुझान साफ दिख रहे हैं।
इराक के कुर्द इलाके में जनमत संग्रह का आह्वान इराकी कुर्दिस्तान के राष्ट्रपति बरजानी ने 25 सितंबर, 2017 को किया था। उसमें 72 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें से 92 प्रतिशत लोगों ने स्वतंत्रता के पक्ष में मतदान किया। कैटेलोनिया के जनमत संग्रह में केवल 43 प्रतिशत लोग शामिल हुए और उनमें 90 प्रतिशत ने आजादी पर मुहर लगाई।
कुर्द जनमत संग्रह
इराक के कुर्द स्वायत्तशासी क्षेत्र में हुए जनमत संग्रह का इराकी केंद्रीय सरकार ने और दोनों पड़ोसी देशों ने विरोध किया। मतदान से पहले तुर्की के राष्ट्रपति ने कुर्द क्षेत्र से तुर्की में होकर गुजरने वाली पाइपलाइन काट देने की धमकी तक दे डाली। ईरान ने कुर्दिस्तान की सीमा पर सेना तैनात कर दी। इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अबदी ने कुर्द क्षेत्र से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की आवाजाही के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने की घोषणा कर दी। उन्होंने यह घोषणा भी कर दी कि सीमा पर जिस आवाजाही को स्वायत्तशासी कुर्द क्षेत्रीय सरकार संचालित करती है, उस पर नियंत्रण के लिए भी इराकी कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे। इराकी सरकार की शिकायत के बाद इराकी सर्वोच्च न्यायालय ने जनमत संग्रह रोकने का आदेश दिया। इसके बावजूद कुर्द क्षेत्रीय सरकार ने मतदान कराया। इराकी सरकार के रुख को इराक के शीर्ष शिया नेता अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी ने भी समर्थन दिया और जनमत संग्रह को खारिज कर दिया।
जनमत संग्रह को अमेरिकी समर्थन भी नहीं मिला। अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने 29 सितंबर को जारी बयान में दोहराया कि “अमेरिका कुर्द क्षेत्रीय सरकार द्वारा सोमवार को कराए गए इकतरफा जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देता है। मतदान और परिणाम वैध नहीं हैं और हम अटूट, संघीय, लोकतांत्रिक तथा संपन्न इराक का समर्थन जारी रखेंगे।” बयान में इराकी केंद्रीय सरकार अथवा इराक के पड़ोसियों को बल का प्रयोग नहीं करने की सलाह दी गई। अमेरिका की चेतावनी के बावजूद इराकी सेना आगे बढ़ गई है और किरकुक को घेर लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान में कहा गया, “आईएसआईएस/दाएश के खिलाफ जंग खत्म नहीं हुई है और चरमपंथी गुट अस्थिरता तथा विवाद का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। अपने इराकी साथियों से हमारा अनुरोध है कि वे आईएसआईएस/दाएश को हराने में लगे रहें।” लेकिन दाएश के खिलाफ मोर्चा कमजोर होना तय है क्योंकि सीरिया में कुर्द जमीनी सेना का इस्तेमाल आईएसआईएस की संचार व्यवस्था खत्म करने के लिए किया जा रहा था।
कैटेलोनिया का जनमत संग्रह
कैटेलोनिया की क्षेत्रीय सरकार के राष्ट्रपति पुजदेमोन ने 1 अक्टूबर को जनमत संग्रह का आह्वान किया। स्पेन के प्रधानमंत्री राहोई ने जनमत संग्रह का विरोध किया और कसम खाई कि उसे नहीं होने देंगे। स्पेन की राष्ट्रीय पुलिस के दंगा-निरोधक दस्ते और सिविल गार्ड ने बल का प्रयोग किया, जिसके कारण पुलिसकर्मियों समेत सैकड़ों लोग कथित तौर पर घायल हो गए। मतदान के बाद 10 अक्टूबर को पुजदेमोन ने पहले तो स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले जनमत को मान लिया, लेकिन बाद में स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की ताकि बातचीत हो सके। इस विरोधाभास के पीछे असली राजनीति की खींचतान काम कर रही थी।
कैटेलान स्पेन के सबसे संपन्न प्रांतों में शामिल है। लेकिन उसे भाषाई भेदभाव सहना पड़ता है। स्पेनिश ही स्पेन की एकमात्र आधिकारिक भाषा है। इस शिकायत को स्पेन में रहते हुए ही अधिक स्वायत्तता के जरिये दूर किया जाए या नया देश बनाया जाए, इनमें से एक विकल्प चुना जाना है। 1978 के स्पेन के संविधान ने कैटेलोनिया को स्वशासन का अधिकार दिया है। किंतु क्षेत्रीय स्वायत्तता का मतलब अलग होना नहीं होता। कैटालोनिया की क्षेत्रीय संसद ने सितंबर में “स्व-निर्णय जनमत संग्रह कानून” पारित कर दिया। स्पेन के सर्वोच्च न्यायालय ने इसे राष्ट्रीय संप्रभुता तथा “स्पेन राष्ट्र की अटूट एकता” के खिलाफ करार दिया। स्पेन के प्रधानमंत्री संविधान के अनुच्छेद 155 की मदद लेने की कोशिश में हैं। उन्होंने घोषणा कर दी है कि वह कैटेलोनिया की सरकार को बर्खास्त कर देंगे और छह महीने के भीतर नए सिरे से चुनाव कराएंगे। अनुच्छेद 155 स्पेन की सरकार को असाधारण कदम उठाने का अधिकार देता है। प्रस्तावित कदमों को अब स्पेन की सीनेट ने मंजूरी दे दी है।
ब्रसेल्स में 20 अक्टूबर को हुए यूरोपीय संघ (ईयू) के शिखर सम्मेलन में कैटेलोनिया पर बातचीत नहीं की गई। हालांकि बेल्जियम के प्रधानमंत्री ने मैड्रिड पुलिस द्वारा की गई हिंसा की निंदा की। ईयू परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने कहा कि संघ के 27 अन्य नेताओं के अपने-अपने ‘आकलन, विचार, विश्लेषण हो सकते हैं किंतु औपचारिक रूप से कहा जाए तो इस मामले में ईयू के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।’ यूरोपीय संसद के अध्यक्ष अंतोनियो तजानी ने दोटूक शब्दों में कहाः “यूरोप में कोई भी आजाद कैटेलोनिया को मान्यता नहीं देगा।”
निहितार्थ
कुर्दिस्तान के जनमत संग्रह का प्रभाव इराक की क्षेत्रीय अखंडता पर ही नहीं बल्कि तुर्की, सीरिया और ईरान पर भी पड़ सकता है। इन तीनों के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कुर्द आबादी रहती है। हालांकि जनमत संग्रह के पैरोकारों ने वृहत्तर कुर्दिस्तान की बात नहीं की है, लेकिन पड़ोसियों को डर है कि यदि ऐसा देश बन गया तो उन देशों में मौजूद कुर्द अल्पसंख्यक भी उसकी ओर आकर्षित होंगे। कैटालोनिया में जनमत संग्रह से पड़ोसी देशों को किसी तरह का खतरा नहीं है। फिर भी उन्हें न तो यूरोपीय संघ से और न ही स्पेन के पड़ोसियों से प्रोत्साहन मिला।
कुर्द क्षेत्र और कैटेलोनिया हर ओर से जमीनी प्रदेश से घिरे हैं। दोनों में काफी संसाधन मौजूद हैं। इराक के 30 प्रतिशत तेल संसाधन कुर्द क्षेत्र में ही हैं, लेकिन वहां कोई स्वतंत्र आउटेट नहीं है। तेल का निर्यात तुर्की के रास्ते होता है और वहां भी अच्छी खासी कुर्द जनसंख्या है। कैटालोनिया स्पेन का सबसे अमीर प्रांत है। चूंकि जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा हो गई है, इसलिए राजनीतिक विकल्प बेहतर नहीं होते हैं तो दोनों क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति खराब होगी। इराक का कुर्द क्षेत्र किरकुक का नियंत्रण इराकी सरकारी सेना के हाथों गंवा चुका है। आईएसआईएस के उभरने के बाद से ही कुरकिक पर कुर्द आतंकियों पेशमर्गा का कब्जा था। वहां इस क्षेत्र के सबसे बड़े तेल भंडार तथा रिफाइनरी मौजूद है।
दक्षिणी सूडान
कुर्दिस्तान और कैटेलोनिया के जनमत संग्रह पर तो अभी काम चल रहा है, लेकिन उन जनमत संग्रहों का क्या, जिनके कारण वास्तव में देश बने हैं? दक्षिण सूडान को ही लीजिए, जहां 99 प्रतिशत दक्षिण सूडानियों ने आजादी के पक्ष में मत दिया है। सूडान के इसी क्षेत्र में तेल मिलता है। लेकिन निर्यात के लिए सूडान के बंदरगाह तक जाने वाली पाइपलाइन सूडान के क्षेत्र से होकर गुजरती है। आजादी के बाद से दक्षिण सूडान पाइपलाइन के शुल्क को लेकर सूडान के साथ विवाद से जूझ रहा है। इसी बीच डिंका और नुएर कबीलों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया है, जिससे तेल का उत्पादन बहुत कम हो गया है।
कुर्द जनमत संग्रह के नतीजे को तुर्की, ईरान और इराक नकार चुके हैं। उसे अमेरिका का समर्थन भी नहीं मिला है। कैटेलोनिया के जनमत संग्रह को यूरोपीय संघ का समर्थन भी नहीं मिल पाया। दक्षिणी सूडान को आजादी तो मिल गई, लेकिन वह और भी गहरे संकट में फंस गया। राजनीतिक, आर्थिक अथवा सामाजिक तकलीफों का समाधान समाजों और कई जातियों वाले समाजों को बांट देने में नहीं है।
(लेख में लेखक के निजी विचार हैं और वीआईएफ का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है)
Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
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