लगभग 8.8 करोड़ सदस्यों वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सीसीपी का आगामी 19वां अधिवेशन केवल शी चिनफिंग और चीन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि चीन के पड़ोसियों और दुनिया के लिए भी इसका महत्व है। इससे वह मार्ग प्रशस्त होगा, जिस पर चीन को चलना है।
19वें अधिवेशन के लिए जरूरी तैयारियां पिछले साल से ही चल रही हैं। सीसीपी के 8.8 करोड़ सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 2300 प्रतिनिधियों को जून, 2017 में चुना जाएगा। उन्हें कामगारों, किसानों, खेतिहरों, सैनिकों, महिलाओं, उद्यमियों आदि का प्रतिनिधित्व करने वाले 40 समूहों में बांटा जाएगा। सीसीपी केंद्रीय समिति (सीसी) का मुख्य कार्यालय और सेवानिवृत्त होने के बाद भी बेहद प्रभावशाली बुजुर्ग सदस्यों वाले सीसीपी सीसी के गुट उस रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसे शी चिनफिंग पढ़ेंगे। इस बात के संकेत हैं कि पार्टी के संविधान में संशोधन किया जा सकता है और शी चिनफिंग के भाषणों तथा निर्देशों को ‘शी चिनफिंग के विचार’ अथवा ‘शी चिनफिंग के सिद्धांत’ के रूप में उसमें शामिल किया जा सकता है। पार्टी की आधिकारिक सैद्धांतिक पत्रिका ‘क्यू शी’ (सत्य की खोज) ने जुलाई, 2014 में शी चिनफिंग को “चीन के उन महानतम साम्यवादी नेताओं में से एक” बताया था, जिन्होंने “नए विचारों, नए दृष्टिकोण और नए निष्कर्षों” को आगे बढ़ाया। हाल ही में सीसीपी सीसी मुख्यालय के प्रमुख लियु झांशू ने फरवरी में दिए पीपुल्स डेली के विदेश संस्करण में 30 अप्रैल, 2017 को प्रकाशित और एक आंतरिक संबोधन में कहा कि शी चिनफिंग के प्रमुख भाषणों से एक “संपूर्ण सैद्धांतिक प्रणाली” तैयार होती है। उन्होंने कहा, “उनमें सुधार तथा स्थायित्व, घरेलू तथा कूटनीतिक मामलों, सैन्य कार्यवाही और पार्टी नियमों के सभी पहलू शामिल होते हैं।” सीसीपी के किसी अन्य प्रमुख को अभी तक यह दर्जा हासिल नहीं हुआ है!
19वें अधिवेशन में तथा उसमें चुनी गई केंद्रीय समिति में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की संख्या पहले जैसी रहती है या नहीं, स्पष्ट नहीं है। पीएलए को दुरुस्त किया जा रहा है और उसका आकार घटाया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि सीसी में उसके पूर्ण सदस्यों तथा बारी-बारी से बदले जाने वाले सदस्यों की संख्या कम हो सकती है। 7 सैन्य क्षेत्रों की जगह 5 थिएटर कमान बनाए जा चुके हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि शी चिनफिंग पिछले वर्ष से पीएलए को पेशेवर बनाने पर जोर दे रहे हैं और खामोशी से उसे पहले जैसा बना रहे हैं। पिछले साल आधिकारिक खबरों में पता चला था कि पीएलए के मेजर जनरल और उससे ऊपर के पद वाले 86 अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने 27 मार्च, 2017 को कहा कि 2016 में कुल 4,885 सैन्य अधिकारियों को अनुशासन संबंधी आरोपों में दंड दिया गया। उसने पीएलए की दैनिक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कार्मिकों से संबंधित कार्यों विशेषकर प्रोन्नति और सैन्यकर्मियों के चयन में सख्ती बरतने के लिए कहा गया। पीएलए रिपोर्ट में कहा गया कि “राजनीतिक अफवाहें फैलाने, पार्टी के सिद्धांतों एवं नीतियों पर अनर्गल टिप्पणी करने और अवैध गठबंधनों से जुड़ने जैसे कदाचार पर प्रतिबंध होना चाहिए और दंड दिया जाना चाहिए।” पीएलए ने सैन्यकर्मियों से ध्यान भटकने नहीं देने और मजबूत सेना तैयार करने एवं युद्ध प्रशिक्षण में ध्यान लगाए रहने का आग्रह किया। ऐसे प्रांतों की संख्या बहुत कम हो गई है, जहां प्रांतीय पार्टी की स्थायी समिति में पीएलए के प्रतिनिधि हैं। हो सकता है कि शी चिनफिंग इस अधिवेशन में पीएलए का प्रतिनिधित्व घटाने का समर्थन नहीं करें, लेकिन 20वें अधिवेशन में ऐसा निश्चित रूप से हो जाएगा।
पिछले अधिवेशन से पूर्व ही पीएलए और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) में वरिष्ठ स्तर की नियुक्तियां कर ली गई थीं, जो अतीत के चलन से अलग था। इस बार भी ऐसा ही हो सकता है। पीएलए के नौसेना कमांडर और दक्षिणी कमान के कमांडर - पहली बार पीएलए के नौसेना अधिकारी - की नियुक्ति इस जनवरी में ही कर ली गई। पिछले साल से ही खबरें चल रही है। कि पीएलए वायुसेना के अगले कमांडर और कुछ अन्य नियुक्तियों के बारे में फैसले पहले ही लिए जा चुके हैं।
19वें सीसीपी सीसी में सैन्यकर्मियों का बड़ा जमावड़ा होगा। 367 सदस्यों वाली केंदीय समिति में 200 से अधिक या 60 प्रतिशत से ज्यादा रिक्तियां होने की अनुमान है, जिनका कारण मृत्यु, लोगों का सेवानिवृत्ति की उम्र तक पहुंचना ओर भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त किया जाना है। आकलन है कि केंद्रीय समिति के 208 सदस्य कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त होने वाले हैं और लगभग 35 भ्रष्टाचार के आरोपों में निकाल दिए गए हैं। यदि 17वें अधिवेशन में अनौपचारिक रूप से तय हुआ सेवानिवृत्ति का मानदंड लागू रहा तो पोलितब्यूरो स्थायी समिति (पीबीएससी) के वर्तमान 7 सदस्यों में से 5 और पोलितब्यूरो के 25 सदस्यों में से 11 सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इन संस्थाओं में सबसे अहम पीबीएससी है और पीबीएससी में शामिल करने के लिए सदस्यों के चयन पर शी चिनफिंग का ही नहीं बल्कि पार्टी के ‘बुजुर्गों’ का भी पूरा ध्यान रहेगा।
किंतु अक्टूबर, 2016 में शी चिनफिंग को “पार्टी नेतृत्व का केंद्र” नियुक्त करने वाली पार्टी की छठी विस्तृत बैठक के बाद से ही पेइचिंग में खबरें चल रही हैं कि शी चिनफिंग अपने स्कूली मित्र और केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीडीआईसी) के वर्तमान अध्यक्ष वांग किशां को पीबीएससी में बरकरार रख सकते हैं। 68 वर्ष के वांग के हाथ में भ्रष्टाचार रोधी अभियान की कमान है। ऐसा हुआ तो शी चिनफिंग पार्टी के 17वें अधिवेशन से चले आ रहे उन औपचारिक नियमों की अनदेखी करेंगे, जिनके अनुसार 67 वर्ष की उम्र के सदस्य को पीबी अथवा पीबीएससी में शामिल नहीं किया जा सकता। किंतु “विशेष मामलों” के लिए ऐसे बदलाव पर विचार किया जा रहा है, जिसका संकेत सीसीपी सीसी के नीति अनुसंधान कार्यालय के निदेशक देंग माओशेंग की टिप्पणियों से मिलता है। देंग ने नवंबर, 2016 में इसे “विशेष व्यवस्था भर” बताया था। उन्होंने कहा कि “परिस्थितियों के अनुसार यह व्यवस्था बदल सकती है और उम्र से संबंधित नियम पत्थर की लकीर नहीं है।”
यदि ऐसा किया जाता है तो पीबीएससी के सदस्य लियु युनशुन, जो वांग किशां से ठीक एक वर्ष बड़े हैं, भी दावा ठोक सकते हैं। वह शक्तिशाली और महत्वपूर्ण प्रचार तंत्र की कमान संभाल चुके हैं और पिछले एक दशक में शिक्षा जगत, आधिकारिक मीडिया, सांस्कृतिक परिदृश्य आदि पर सख्त नियंत्रण के तरीके तैयार कर चुके हैं और लागू कर चुके हैं। वह सीसीपी सीसी के महत्वपूर्ण सचिवालय के मुखिया भी हैं और यह सचिवालय शी चिनफिंग की सरकार में बहुत ताकतवर है। इससे शी चिनफिंग के लिए भी 20वें अधिवेशन के बाद तक पद पर बने रहने का रास्ता खुल जाता है।
इसके अलावा पेइचिंग में ये खबरें भी हैं कि पीबीएससी के सदस्यों की संख्या वर्तमान 7 से घटाकर 5 की जा सकती है या उसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। उसे खत्म किया गया तो स्वाभाविक रूप से शी चिनफिंग का दबदबा बहुत बढ़ जाएगा और संभवतः सीसीपी में सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया पर भी भारी पड़ जाएगा। इससे नए रास्ते पर चीन की चाल तेज हो जाएगी, जहां वह ओबीओआर, सीपीईसी, एससीओ, एआईआईबी आदि के जरिये अपनी आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक ‘पहुंच’ को सीमाओं से पार ले जा रहा है। शी चिनफिंग के अनुयायी 2013 से ही कहते आ रहे हैं कि शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन 30 वर्ष के एक नए युग में प्रवेश कर गया है, जैसा उनसे पहले माओत्से तुंग तथा देंग शियाओपिंग कर चुके हैं।
शी चिनफिंग केंद्रीय समिति, पोलितब्यूरो और पोलितब्यूरो स्थायी समिति में अपने अधिक से अधिक शिष्यों को शामिल करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने अभी तक जो नियुक्तियां की हैं, उनसे अनुमान लगता है कि शी चिनफिंग जिन सदस्यों को चुनेंगे, उनमें से अधिकतर पीढ़ियों से चीनी प्रशासन में काम करने वाले परिवारों (रेड फैमिली) से होंगे, जिनकी सैन्य/रक्षा पृष्ठभूमि होगी, शिक्षित सदस्य होंगे, जो गुइझोउ जैसे कठिन, सुदूर अथवा गरीबी भरे प्रांतों में काम कर चुके हों और ऐसे सदस्य नहीं होंगे, जो किसी जीवित वरिष्ठ नेता के गुट से जुड़े हों। शी चिनफिंग के शिष्यों के रूप में पहचाने गए अधिकतर युवा सदस्य हैं, जो 1956 में या उसके बाद जन्मे हैं और कई केंद्रीय समिति में पहली बार शामिल होंगे। फरवरी, 2017 तक शी चिनफिंग 130 सदस्यों को महत्वपूर्ण पदों पर प्रोन्नत कर चुके हैं और नियुक्त कर चुके हैं।
शी चिनफिंग के प्रमुख सदस्यों में से कुछ जैसे लियु झांशु का पोलितब्यूरो स्थायी समिति में शामिल होना लगभग तय माना जा सकता है। वह रेड फैमिली की तीसरी पीढ़ी से हैं, गरीबी से ग्रस्त प्रांत में काम कर चुके हैं और शी चिनफिंग के बहुत पुराने और बेहद भरोसेमंद सहयोगी हैं। वह पोलितब्यूरो के सदस्य पहले से हैं और यदि उम्र को मानदंड माना जाए तो वह प्रोन्नति के योग्य हैं क्योंकि वह 1950 में जन्मे थे और 67 वर्ष के हैं। दिंग शुएशियांग (जन्मः 1963) जैसे अन्य भी हैं, जो इस समय 18वीं कार्य समिति के क्रमवार सदस्य हैं, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें लियु झांशु की जगह नियुक्त किया जाएगा और 19वें अधिवेशन में उन्हें पोलितब्यूरो का सदस्य भी बनाया जा सकता है। अन्य लोगों में पोलितब्यूरो सदस्य हू चुनहुआ (जन्मः 1963) शामिल हैं, जो ग्वांगदोंग के महत्वपूर्ण प्रांत के पार्टी सचिव हैं; सुन झेंगचाई (जन्मः 1963) हैं, जो चोंगकिंग नगरपालिका के पार्टी सचिव हैं; और उप प्रधानमंत्री वांग यांग (जन्मः 1955) हैं। इन सभी को हू चिंताओ के कार्यकाल में उच्च दायित्वों के लिए चुना गया था। जिन अन्य लोगों की पोलितब्यूरो में शामिल होने की संभावना है, उनमें ह्वांग कुनमिंग (जन्मः 1956) सामान्य राजकुमार और 18वीं कार्यसमिति के क्रमवार सदस्य हैं और ली शुलेई (जन्मः 1964) बचपन से ही विलक्षण प्रतिभासंपन्न हैं और 18वीं कार्यसमिति के सदस्य हैं।
अंत में पार्टी के 19वें अधिवेशन के चीन के पड़ोसियों तथा दुनिया पर भी प्रभाव होंगे। यदि अपेक्षा के अनुसार शी चिनफिंग अधिवेशन से और ताकतवर होकर निकलेंगे तो चीन का आक्रामक रवैया और भी मुखर हो जाएगा। किंतु इस बात के संकेत हैं कि सामरिक मामलों में कुछ वर्गों के शी चिनफिंग से मतभेद हैं। उदाहरण के लिए जब शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात का अनुरोध किया तब पीएलए के सेवानिवृत्त मेजर जनरल चिन यिनान, जो सुरक्षा रणनीति के विशेषज्ञ हैं और पीएलए की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजी स्टडी के निदेशक भी रह चुके हैं, ने इंटरनेट पर एक पोस्ट डालकर मुलाकात के समय पर सवाल खड़ा कर दिया। इस पोस्ट का चीन के भीतर बहुत प्रचार भी हुआ। दक्षिण चीन सागर पर प्रभुत्व कायम रखने का चीन का प्रयास और मजबूत होगा। शी चिनफिंग के लिए विश्व मंच पर चीन का कद और भी बड़ा करना आवश्यक है।
‘चीन का सपना’ और ओबीओआर प्रमुख राष्ट्रीय परियोजनाएं हैं, जिनकी पहचान शी चिनफिंग से जुड़ी है। उनकी लक्षित तारीख क्रमशः 2021 या सीसीपी की जन्मशती और 2049 या चीनी गणराज्य की स्थापना का सौवां वर्ष है! शी चिनफिंग दोनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे। इससे देशों पर ओबीओआर स्वीकार करने का अधिक दबाव पड़ेगा ओर चीन का पहले से आक्रामक रवैया और भी सख्त हो जाएगा।
(लेखक भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव रह चुके हैं और सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रैटेजी के अध्यक्ष हैं।)
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