भारत के विरूद्ध पाकिस्तान का प्रोपेगेन्डा/मनोवैज्ञानिक युद्ध
कर्नल शिवदान सिंह

आतंकवाद को और ज्यादा प्रभावशाली तथा सफल बनाने के लिये आतंकवाद चलाने वाला देश इसके साथ प्रोपेगेन्डा तथा मनोवैज्ञानिक युद्ध का भी इस्तेमाल करता है और यही सब हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान पिछले लम्बे समय से भारत के विरूद्ध कर रहा है। जैसा कि पूरा विश्व जानता है वर्ष 1971 के बंगलादेश युद्ध में करारी हार मिलने के बाद पाकिस्तान ने भारत से बदला लेने के लिये पहले अपनी सीमा से लगते पंजाब में खालिस्तान के नाम पर आतंकवाद तथा साम्प्रदायिक फूट डालने की कोशिश की और जब वह इसमें सफल नही हुआ तो उसने अपना फोकस जम्मू कश्मीर में तथा खासकर कश्मीर घाटी पर केन्द्रित कर लिया। आतंक बुरहान वानी की मौत पर हुए हिंसक प्रर्दशन पाकिस्तानी प्रोपेगेन्डा का एक उदाहरण है कि किस प्रकार काफी समय तक इसके कारण घाटी में तनाव रहा जिसके कारण वहां पर कर्फ्यू लगाना पड़ा। कूटनैतिक, आर्थिक तथा सेना के द्वारा लड़े जाने वाले युद्ध से भी ज्यादा प्रभावशाली प्रोपेगेन्डा तथा मनोवैज्ञानिक युद्ध साबित होता है। इसका जीवंत उदाहरण इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन के द्वारा सीरिया तथा ईराक जैसे देशों के विरूद्ध पूरे विश्व से लड़ाकू एकत्रित करके और रूस जैसे शक्तिशाली देश की परवाह ना करते हुए ईराक तथा सीरिया के बड़े भू-भागो पर कब्जा इस प्रकार के युद्ध की तकनीक होती है, लक्षित भाग की जनता की विचारधारा को क्रमबद्ध तरीके इस प्रकार प्रबन्धन करना कि वह प्रोपेगेन्डा करने वालों की बातों को सत्य तथा हितकारी मानकर अपनी विचारधारा उसके अनुकूल बना ले, और यही सब पाक आइ॰एस॰आइ॰ ने आंतकी संगठनों जैसे मुहम्म्द लष्कर-ए-तैय्यबा तथा जमात-उद-दावा ताकि उनके सरगनाओ महमूद अज़हर, हाफिज सईद तथा सैय्यद सलाहुददीन आदि ने कश्मीर में करवाया। इस प्रकार ऑपरेसन के दो भाग होते है पहला ज़मीन पर आतंकी हरकत तथा इसका दोष रोपड़ भारतीय सुरक्षाबलों पर सोशल मीडिया इंटरनेट तथा ट्वीटर के जरिये करके जनता की भावनाओं को भड़काना बुरहान वानी की मौत के वाद फेसबुक तथा ट्वीटर के द्वारा यही सब घाटी में हुआ और इसमें 50 लोगों को जान गँवानी पड़ी। कश्मीरी युवाओ द्वारा सुरक्षबलों पर पत्थरबाजी तथा अन्य हमले सब पाक प्रोपेगेन्डा का ही परिणाम है। इस सबको आगे बढ़ाते हुये हाफिज सईद तथा सलाहुदद्ीन ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पाक दौरे के समय उग्र प्रर्दशन किये जिनमें उनके आतंक के कारण उन्हे पाक जनता का खूब सर्मथन मिला तथा इसी का परिणाम था कि इनके दवाब में पाकिस्तानी गृहमंत्री ने भारतीय गृहमंत्री को उनकी गरिमा के अनुसार प्रोटोकाल तथा आदर नही दिया, जिसके कारण उन्हें उनके द्वारा आयोजित लंच का बहिष्कार करना पड़ा। इस आतंकी सरगनाओ के प्रोपेगेन्डा इतने बड़े पैमाने पर है कि अब पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी कहने लगे हैं कि एक दिन कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होगा।

मनोवैज्ञानिक युद्ध का मुख्य उद्धेश्य प्रमाणित क्षेत्र के निवासियों की विचारधारा को बदलना होता है परन्तु इस स्थिति तक पहुँचने के लिये पहले उस क्षेत्र की जनता के नैतिक मूल्यों तथा विश्वास को भी बदलना होगा, क्योंकि विचारधारा इन्हीं के द्वारा बनती है और इस प्रकार उनकी भावनाएँ भी बदल जाती हैं और इसीलिये कश्मीर में पाक प्रोपेगेन्डा मुख्य केन्द्र इस्लामी एजेण्डा होता है। इसलिये हाफिज सईद जैसे कट्टरपंथी उन्हें इसी प्रकार इस्लाम खतरे में है का नारा लगाकर तथा भारत को इस्लाम विरोधी बताकर यहाँ के युवाओं को भारत विरोधी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। रूसी सेनाओं द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के विरोध में अमेरिका की सी॰आई॰ए॰ ने पाकिस्तान को अपना मुख्य अड्डा बनाकर पाक सेना की आई॰एस॰आई॰ को आतंकवाद एवं प्रोपेगेन्डा लड़ाई में पूरी तरह आधुनिक तकनीक के अनुसार तैयार किया। 80 के दशक में रूसी सेना अफगानिस्तान को छोड़कर वापस चली गयी और उसके बाद आई॰एस॰आई॰ ने अपने पक्के दुश्मन भारत के विरूद्ध अपनी वही गतिविधि शुरू कर दी जो वह अफगानिस्तान में कर रही थी। पाक सेना की इण्टर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन पूरा मीडिया प्रबन्धन करती है तथा आई॰एस॰आई॰ अपने आतंकियों द्वारा उस मीडिया में दिये प्रोपेगेन्डा को ज़मीन पर असल रूप देती है। वर्ष 1989-90 में कश्मीर घाटी में भारत विरोधी माहौल बनाने के लिये इन्हांेने विश्व में जगह-जगह सरकार विरोधी विद्रोही की तस्वीर सैटेलाईट टी॰वी॰ के जरिये दिखानी शुरू कर दी। इसके अलावा भारतीय सेनाओं को बदनाम करने के लिये झूठे दृश्य जिनको पाक में शूट किया जाता है, इनमें भारतीय सेना को कश्मीर में जुल्म करते दिखाकर जनता को सेना विरोधी बनाने की कोशिश की गई। इसके साथ साथ वहपं भय तथा डर का माहौल कायम करने के लिये कश्मीर के प्रमुख राजनैतिक तथा धार्मिक नेताओ की हत्या की गई जिनमें वहाँ के मुख्य मुफ्ती मीर जायज ऊमर फाररूख के पिता तथा अब्दुल गनी लोन मुख्य थे। बुरहान बानी ने स्वयं वहां के दो संरपचो की सरेआम हत्या की थी। दूर-दराज़ के क्षेत्रों में सेना की वर्दी में कश्मीरी महिलाओ का बलात्कार पाक आतंकियो ने किया जिसका आरोप सेना पर डाला गया। इस प्रकार कश्मीरियों के नैतिक मूल्यों तथा भावनाओं को परिवर्तित करके उनके अन्दर भारत विरोधी भावनाएं भर दीं। आई॰एस॰आई॰ ने भारत विरोधी प्रर्दशनों तथा मुहिम को चलाने के लिये वहां पर ओवर ग्राउण्ड एजेण्ट भी तैयार किये हुये हैं, जिनकी बहुतयात दक्षिण कश्मीर के दाम्पोर क्षेत्र में है। इनमें प्रमुख है, सैय्यद मीर शाह गिलाना, मसरत आलम हाफिज सईद इत्यादि। इनकी गतिविधियो को चलाने के लिये पाक आई॰एस॰आई॰ हवाले के द्वारा बड़ी धनराशि यहां पर भेज रही हैं। अभी कुछ दिन पहले प्रकाश में आया कि घाटी में पत्थरबाजी के लिये आई॰एस॰आई॰ ने 60 करोड़ रूपये भेजे थे। इस प्रकार पूरी तैयारी तथा संचालन के द्वारा पाक की सरकारी संस्थाएँ आई॰एस॰पी॰आर॰ तथा आई॰एस॰आई॰ कश्मीर में भारत विरोधी अपना अभियान चल रहा है और इसी का परिणाम है कि वहाँ पर भारत विरोधी प्रर्दशनों में पाकिस्तानी झण्डे फहराये जा रहे हैं। इसके साथ सबसे बड़ी दुखद बात है कि वहाँ पर उत्पीड़न तथा भारत विरोधी भावनाओं के कारण श्रीनगर के एन॰आई॰टी॰ तकनीकी संस्थान से भारत के अन्य स्थानों से आये लोगों को वहाँ से हटाना पड़ा। इस प्रकार इन हरक़तो से कश्मीर में अव्यवस्था तथा अशान्ति का माहौल बनाकर विश्व विरादरी को अपने प्रोपेगेन्डा से यह बताना कि कश्मीर की जनता भारत के साथ नहीं रहना चाहती। आई॰एस॰आई॰ केवल कश्मीर तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में कश्मीर जैसी हरकतें करने के सपने देख रही है। इसके लिये वह समय-समय पर छोटी-छोटी घटनाओं पर देशवासियों की भावनाओ को भड़काकर तथा इस्लाम खतरे में है का नारा देकर साम्प्रदायिक दंगे करवाती है।

यह एक कटू सत्य है कि जो देश अपने नागरिकों को विदेशी तथा देश के दुश्मनों के दुष्प्रचार से नही बचाता वह राष्ट्र पिलपिले देशों की श्रेणी में गिना जाता है और विश्व में ऐसे अनेक उदाहरण है जहाँ पर इसी प्रकार देशों के टुकड़े-टुकड़े हुए। सोवियत संघ का विभाजन शीत युद्ध के समय अमेरिकी दुष्प्रचार एवं प्रोपेगेन्डा का ही परिणाम था। तथ्यों के आधार पर देखने से ज्ञात होता है कि पाकिस्तान एक फेल गणराज्य है जहाँ पर कानून व्यवस्था की स्थिति आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण बहुत दयनीय है। तरह-तरह के सम्प्रदाय जैसे अहमदिया, शिया, सुन्नी, दाऊदी बोहरा, बलूची इत्यादि अपने वजूद के लिये एक दूसरे से लड़ रहे है। तो ऐसे देश को अपनी सहनशीलता के नाम पर अपने देश की जनता को बरगलाने के प्रयासों को ना रोकना ना ही राष्ट्र धर्म है बल्कि यह मानवता के प्रति भी एक सेवा है, क्योकि पाकिस्तानी एजेंसियाँ इन्हे स्वर्ग से नर्क मे ले जाने का प्रयास कर रही हैं।

इस समय देश में कोई ऐसी संस्था कार्यरत नही है जो पाकिस्तानी प्रोपेगेन्डा तथा दुष्प्रचार का संज्ञान लेकर उसका माकूल जवाब दे। आज के युग में जहां तरह-तरह के आधुनिक इलेक्ट्रोनिक संसाधन जैसे डी॰टी॰एच॰ टी॰वी॰ इण्टरनेट सोशल मीडिया तथा ट्वीटर प्रचार तथा प्रोपेगेन्डा के लिये उपलब्ध है, वहीं पर एक ऐसा विभाग केन्द्रीय सरकार को बनाना चाहिये जो दुष्प्रचार वाली साइटों को ब्लॉक करे तथा आक्रमक रूख अख़्तियार करके कश्मीरी जनता तथा देश के अन्य भाग के देशवासियों को पाकिस्तान की असली आन्तरिक स्थिति के बारे में जानकारी दे। वहाँ पर चल रहे आतंकी कैम्पों तथा उनमें पल रहे कसाब जैसे गरीब परिवारों के नौजवानो को आतंकी बनाने की कहानी को सचित्र दिखाना चाहिये। इसके अलावा वहाँ पर चल रही सामंती व्यवस्था जिसमें केवल 242 परिवारों के पास पाकिस्तान की 60 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है और अभी भी बड़े-बड़े जागीरदार अपनी प्राइवेट जेलों में रखकर गरीबो से बेगार करवाते है। इस प्रकार वहाँ की असली तस्वीर देखकर भटके हुए नौजवानों को असलियत पता लगेगी तथा वहां पाकिस्तानी एजेण्टो के चंगुल में आने से बचेंगे। इसके अलावा सख़्ती से हवाला इत्यादि से आने वाले धन को देश विरोधी तत्वों तक जाने से रोकना चाहिये जिससे वे पत्थरबाजी जैसी घटनाएँ दोबारा ना करवा सकें।


Published Date: 12th September 2016
(Disclaimer: The views and opinions expressed in this article are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of the Vivekananda International Foundation)

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