चीन की 13वीं पंचवर्षीय योजना: धीमे कदमों के साथ मजबूत चीन का लक्ष्‍य
Vikas Khitha

चीन की मंदी पर वैश्विक चर्चा के अंतिम महीनों और इसके वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ने वाले असर के बीच चीन की नेशनल पीपुल्‍स कांग्रेस ने 13वीं पंचवर्षीय की शुरुआत कर दी है। इस पंचवर्षीय योजना की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण सुधारों के साथ 2020 तक के लिए 6।5 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्‍य रखा गया है। बारीक अध्‍ययन करने पर थोड़ी धीमी विकास दर के बावजूद चीन का प्रभाव और बढ़ेगा और बहुत संभव है कि कुछ क्षेत्रों में चीनी अर्थव्‍यवस्‍था वर्तमान स्थिति से ज्‍यादा मजबूत स्थित में पहुंच जाए। यहां पर बताया गया है कि चीनी अर्थव्यवस्‍था के कौन से क्षेत्र हैं जिनमें भविष्‍य में परिवर्तन आ सकता है-

निर्माण क्षेत्र

चीनी निर्माण क्षेत्र पिछले कुछ समय से विषम परिेस्थितियों में कुछ बेहतरीन कंपनियों और कुछ गैर निष्‍पादित फर्मों के साथ बेहतरीन काम कर रहा है। संभव है अब ध्‍यान आर्थिक प्रदर्शन, परिचालन क्षमता और उच्च उत्‍पादकता स्‍तर को बढ़ाने पर होगा। सफल सरकारी उद्यमों का विलय कर निर्माण की एक वृहद औद्योगिक इकाई का निर्माण किया जाएगा। इस वृहद इकाई की वजह से साथ मिलकर ज्यादा लाभ कमाने, साथ मिलकर काम करने और ठेके लेने की क्षमता का विस्तार होगा। साख और सुविधाओं में वृद्धि होगी, जो वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की दीर्घकालीन योजना में मददगार सिद्ध होगा।

हरित पहल

नवीकरणीय ऊर्जा के संसाधनों को विस्तार दिए जाने की चाह में देश के बड़े शहर प्रदूषण और ट्रैफिक के दुखों से कुछ निजात पा सकेंगे क्योंकि बड़े शहरों से भीड़ कम करने के लिए छोटे शहरों की तरफ नौकरियों का विस्थापन किया जाएगा। यह भी आर्थिक विकास में प्रेरक के तौर पर काम करेगा क्योंकि बड़े भू भाग का शहरीकरण किए जाने की संभावना बढ़ जाएगी।

निवेश की चाह

बाजार में अपना प्रभुत्‍व स्‍थापित करने की चाहत में यह उम्‍मीद की जा रही कि चीन अब मध्‍य एशिया के देशों के विकास पर वन रोड पॉलिसी के साथ ध्‍यान केंद्रित करना शुरू करेगा। ऐसा वह इसलिए करेगा क्‍योंकि उसे इसके जरिये प्राकृतिक संसाधनों को हासिल करने में आसानी होगी और यह अंतत: इससे उसे यूरोप में अपने पद चिन्‍ह स्‍थापित करने में मदद मिलेगी।

चीन और यूनाइटेड किंगडम के बीच रणनीतिक क्षेत्रों, जैसे परमाणु क्षेत्र, में बढ़े आर्थिक सहयोग में तेजी के साथ चीनी हितों के व्यापक विस्तार की संभावना है। यह विस्तार तकनीक, उपभोक्ता और यूरोपीय महाद्वीप के साथ बढ़े व्यापार को एक मंच प्रदान करने के लिए होगा।

बहुत हद तक यह रणनीति यूके लिए भी फायदेमंद है, जो आगामी 18 महीनों के दौरान यूरोजोन से बाहर निकलने पर विचार कर सकता है। उसके लिए व्‍यापार, उद्योग और मूलभूत संरचना विकास के क्षेत्र में आने वाले समय में चीन एक मूल्‍यवान सहयोगी साबित हो सकता है।

निश्चित रूप से यूके भी चीन के अति विनियमित वित्‍तीय क्षेत्र पर नजरें रखेगा। जिससे वह चीन के तेजी से आगे बढ़ते चीनी उपभोक्‍ताओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करेगा जो वित्‍तीय उत्‍पादों और सेवाओं को निवेश के उद्देश्‍य से देख रहे हैं। वर्तमान में चीनी उपभोक्‍ताओं के पास निवेश करने के लिए रियल स्‍टेट और स्‍टॉक मार्केट जैसे क्षेत्र मौजूद हैं जो वर्तमान समय में कमजोर साबित हो रहे हैं।

कृषि और खाद्य उत्‍पाद

कृषि आधारित अर्थव्‍यवस्‍थाएं जो चीन को निर्यात करती हैं, उन्‍हें एक बड़ी सौगात मिल सकती है क्‍योंकि कृषि और प्रसंस्‍कृत खाद्य के क्षेत्र में चीन में मांग में तेजी आ सकती है। प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात में भारतीय एफएमसीजी कंप‍नियों के यह एक सुअवसर हो सकता है।

मांग और पूर्ति में साम्‍य रखने के लिए निर्णय शक्ति चीनी केंद्रीय नेतृत्‍व के हाथों में ही रहेगी। उत्‍पादन करने की क्षमता में अत्‍यधिक विस्‍तार होने की वजह से यह भी देश की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए एक चुनौती की तरह है क्‍योंकि मांग में वास्‍तविकता में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि देश के राज्‍य के एक दूसरे के साथ प्रतिस्‍पर्धा कर रहे हैं।
संभव है वैश्विक निवेश समुदाय चीन द्वारा अपने देश और उभरती अर्थवयवस्‍थाओं में हितों के बदलाव के इन साहसी फैसलों को पुरस्‍कृत करे।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Published Date: 4th May 2016, Image Source: http://www.telegraph.co
(Disclaimer: The views and opinions expressed in this article are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of the Vivekananda International Foundation)

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