करीब 20 साल के बाद भारत में बहुमत से एक मजबूत सरकार केन्द्र में बनी। देश में चारों तरफ सकारात्मक एवं राष्टीय भावना से ओतप्रोत माहौल बनने लगा तथा अशांति फैलाने वाले तत्वों पर लगाम लगी जिसका उदाहरण है कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में कमी। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों का एक दूसरे के साथ औपचारिक तथा अनौपचारिक मेलमिलाप जैसेकि प्रधानमंत्री मोदी का लाहौर जाकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पोती को शादी के समय आर्शीवाद देना यह सब पाकिस्तान की सेना तथा उनकी आइएसआइ को बिल्कुल पसन्द नहीं आ रहा है। क्योंकि 1971 की हार के बाद पाक सेना के भारत से बदला लेने का संकल्प उन्हें पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। इसीलिए भारत की खुफिया एजेंसियों को इस बात की पक्की सूचना मिली है कि पाक सेना तथा आइएसआइ कश्मीर में आतंकवाद की आग को नए सिरे से सुलगाने की कोशिश में है। घाटी में युवाओं को नए सिरे से आक्रामक तरीके से गलियों में उतरने और आतंकियों के जनाजे में हजारों की संख्या में पहुंचाने का काम काफी सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। इसका उदाहरण है कि किस प्रकार भारतीय सेना की तरफ से एक कश्मीरी लड़की से दुव्र्यहार की अफवाह पूरी घाटी में फैला दी गयी। इससे खुफिया एजेसिंयों का शक पूरे विश्वास में बदल गया। इसीलिए भारत की एजेंसियां सरकार के साथ साथ सेना को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दे रही है। दोनों देशों के रिश्ते सामान्य करने की दिशा में पहली बार पाक सरकार ने पठानकोट हमले की जांच के लिए अपना दल भारत भेजा और एक बार फिर अपनी आदत और निर्णय से मजबूर पाक सेना ने पाक सरकार के इस प्रयास पर भी पानी फिराने के इरादे से उनके जाचं दल की रिपोर्ट को इस प्रकार बदलवाया कि रिश्ते सुधरने की जगह और तनावपूर्ण हो गये। पाक सेना को यह भी अच्छी प्रकार से ज्ञात है कि कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है कि यदि इसे भड़काया जाये तो दोनों देशों की सरकारों को बातचीत से हटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इस हथियार को पाक सेना 80 के दशक से बार बार अपना चुकी है और पाक सेना की इसी साजिश का ताजा उदाहरण है अभी अभी कश्मीर के कुपवाड़ा की घटना। इस घटना के अनुसार उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंडवारा इलाके में युवती से सेना के जवान द्वारा छेड़छाड़ की झूठी खबर के कारण एक बार फिर कश्मीर के इस भाग में तनाव है तथा उग्र प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण करने में सुरक्षाबलों के गोली चलाने से तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी है। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ एवं बदसलूकी के आरोप लगा लगा कर कश्मीर घाटी में सभी अलगाववादी तत्व भारतीय सुरक्षाबलों खासकर भारतीय सेना तथा केन्द्रीय सुरक्षा बल को बदनाम करने का प्रयास हर समय करते रहते हैं। अलगाववादी भारतीय सुरक्षा बलों को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने उसी प्रकार दिखाना चाहते हैं जैसे विश्व के कुछ हिस्सों जैसे सीरिया, इराक तथा अन्य अफ्रीकी देशों में उनके सैनिक वहां पर महिलाओं का शोषण करके उन्हें गुलाम बनाकर रखते हैं। यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत पाकिस्तान की कुख्यात आइएसआइ के इशारे पर हो रहा है। इस समय कश्मीर में सुरक्षाबलों और खासकर सेना की सक्रियता से आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है। इसका प्रमाण है 01 जनवरी 2016 से लेकर आज तक सेना ने 28 पाक समर्थित आतंकवादियों को मार गिराया है जो पिछले 6 वर्षों में सबसे ज्यादा है और इस समय दक्षिणी कश्मीर जिसमें राजौरी, मुंछ तथा जवाहर सुरंग के आगे पीछे का क्षेत्र आता है, के अंदर आतंकवाद को करीब करीब पूरी तरह से कुचल दिया गया है। अब आइएसआइ की पूरी कोशिश है कि वह उत्तरी कश्मीर जिसमें सोपोर तथा बारामुला इत्यादि जिले आते हैं के अंदर आतंकवाद को और हवा देकर इसे पूरी घाटी में फैलाया जाये और इसके लिए उनकी रणनीति होती है कि महिला जो हर समाज का एक संवेदनशील हिस्सा होती हैं के बारे में अफवाह उड़ाकर वहां की जनता में तनाव व रोष पैदाकर भारत विरोधी भावनाएं जगाना तथा इस प्रकार हिंसक प्रदर्शनों में सैनिक ठिकानों पर हमला करने की कोशिश करके सैनिकों को उत्तेजित करके उन्हें गोली चलाने पर मजबूर करना और इस गोलीबारी में यदि मौत हो जाये तो उसे पूरी दुनिया को दिखाना। सुरक्षा बलों की चोकसी एवं राज्य एवं केन्द्रीय सरकारों के विकास एवं जनहित एजेंडा के कारण कश्मीर घाटी की जनता के सामने पाकिस्तानी प्रोपेगेन्डा तथा उसके समर्थक एजेंटों सैय्यद अली शाह गिलानी तथा मसरत आलम जैसे अलगाववादियों की असलियत सामने आ गयी है। इसके अलावा पिछले मानसून में आइ भीषण बाढ़ ने रही सही सारी कमी पूरी कर दी। अब वहां पर सेना को अपने दुश्मन के स्थान पर रक्षक के रूप में देखा जाने लगा है। इस प्रकार के वातावरण को देखकर आइएसआइ बौखला गयी है और उसने अपने एजेंटों गिलानी इत्यादि को चेतावनी दी है कि या तो वे कुछ करें अन्यथा उनकी आर्थिक मदद जिसके बारे में मीडिया में आता रहता है को बंद कर दिया जायेगा। इसलिए उत्तरी कश्मीर जहां पर उन लोगों के थोड़े समर्थक हैं यहां पर ये भारत विरोधी प्रदर्शन एवं ऊपर वर्णित जैसी हरकत करते रहते हैं। अपना वजूद कायम रखने के लिए आयशा इन्द्रावी और उनके समर्थक मौका मिलते ही पाकिस्तानी झंडा फहराकर पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को विश्वास दिलाते रहते हैं कि कश्मीर में भारत विरोधी मुहिम जारी है।
पाक आइएसआइ केवल कश्मीर तक ही सीमित नहीं है उसने पूरे भारत में आतंकवादरूपी आग लगाने की योजना बनाकर इस पर काफी पहले से अमल शुरू कर दिया है। इसके लिए उसने पहले मुस्लिम संगठन सिमी का गठन किया और इसको और धार देने के लिए 2003 में इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) नामक कट्टर आतंकी संगठन तैयार किया। अमेरिका के अनुसार आइएम का इरादा दक्षिण एशिया में खालिफात स्थापित करके शरिया कानून लागू करना है। इस आतंकी संगठन को आइएसआइ लश्करे तैयवा द्वारा प्रशिक्षित तथा हर प्रकार की मदद पहुंचा रही है। आइएम ने भारत में आतंक एवं दहशत फैलाने के लिए 2008 में उ0प्र0, जयपुर, बंगलौर तथा अहमदाबाद शहरों में एक के बाद एक धमाके करवाये। इसके बाद 2010 में पूणे, बनारस में बम धमाके के अलावा दिल्ली की जामा मस्जिद में हथियारों से हमला करवाया। 2011 में मुम्बई में सीरियल बम धमाके तथा 2013 में बौद्धों के धार्मिक स्थल बौद्धगया में दिल्ली की जामा मस्जिद जैसा हमला करवाया। इस प्रकार कश्मीर से लेकर बंगलौर तक हमलों से ज्ञात होता है कि इंडियन मुजाहिद्दीन का जाल पूरे देश में फैला हुआ है। आइएम भी दक्षिण एशिया में आइएसआइएस की तरह ही अपना साम्राज्य स्थापित करना चाह रहा है।
आइएस एक कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकी संगठन है। इसलिए इसकी भी कार्यप्रणाली अन्य इसी प्रकार के संगठनों की तरह है। इनको फलने फूलने के लिए देश में कमजोर तथा भ्रष्टाचार में लिप्त शासनतंत्र चाहिए। शासनतंत्र की इन कमजोरियों के कारण देश की जनता के साथ हो रहे अन्याय एवं भेदभाव का हल ये शरियत के कानून द्वारा जनता को बताकर भोलेभाले युवाओं का हृदय परिवर्तन कर देते हैं। जैसाकि सर्वविदित है मुस्लिम समाज में शिक्षा का स्तर कम होने के कारण बेरोजगारी चरम पर है इसलिए बेरोजगार नौजवान रोजगार ना होने के स्थान पर आतंकी गतिविधियों को ही रोजगार के रूप में अपनाने के लिए तैयार होकर इन संगठनों के कैडर में शामिल हो जाते हैं। आइ एम का कैडर दो प्रकार का है। एक सक्रिय जो पूर्णतया आतंकी गतिविधियों में लग गया है और दूसरा है जिसका हृदय परिवर्तन तो हो गया है परन्तु वह आतंकी गतिविधियों में सक्रिय नहीं है परन्तु आकाओं का हुक्म आने पर सक्रिय हो सकता है। इन्हें स्लीपिंग माड्यूल के नाम से पुकारा जाता है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार पूरे पश्चिमी उ0प्र0, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, केरल तथा कर्नाटक के कुछ हिस्सों में इन स्लीपिंग माड्यूलों का जाल बिछा हुआ है। इसी का परिणाम है कि इन क्षेत्रों में 2008 से लेकर 2011 के बीच लगातार बम धमाके एवं हमले हुए। ये माड्यूल सक्रिय आतंकियों को रहने सहने की सुविधा के साथ साथ सटीक सूचनाएं भी उपलब्ध करवाते हैं।
एक प्रसिद्ध हिन्दी दैनिक के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या के पीछे भी पश्चिम उ0प्र0 में इस प्रकार के माड्यूलों पर उनकी निगरानी भी एक कारण बतायी जा रही है। अब सूचना तथा सोशल मीडिया के युग में समय आ गया है कि हमें दुश्मन देश की चालों को समझकर अपने आसपास के लोगों को इस बारे में समझाना चाहिए। इसके अलावा हमें यह भी देखना चाहिए कि इस प्रकार की गतिविधियों के पैदा करने वाले पाकिस्तान की स्वयं की आंतरिक दशा कैसी है। क्या वहां विकास, न्याय तथा खुशहाली है। इसको देखते हुए उनके प्रोपेगेन्डा को नकारते हुए उसकी चालों को नाकाम कर देना चाहिए।
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