क्या वैश्विक वित्तीय बाजारों को अस्थिर कर देगा सऊदी अरब?
Prof R Vaidyanathan

इस विषय के केंद्र में अमेरिकी संसद की 28 पृष्ठों की वास्तविक रिपोर्ट है, जिसमें ट्विन टॉवर्स पर 11 सितंबर को हुए हमले की जांच की गई थी। ये 28 पृष्ठ कभी सार्वजनिक नहीं किए गए क्योंकि माना जाता है कि इसमें सऊदी अरब के कुछ व्यक्तियों को उस अपराध में शामिल बताया गया है।

अब अमेरिकी संसद एक विधेयक पर विचार कर रही है, जो इस बात की अनुमति देगा कि सऊदी सरकार को 11 सितंबर, 2001 के हमलों में किसी भी प्रकार की भूमिका के लिए अमेरिकी अदालतों में जिम्मेदार ठहराया जा सके।

चुनावी वर्ष में दो खेमों में बुरी तरह बंटी हुई संसद में अभी तो इस विधेयक की कोई संभावना नहीं है। इसे टैक्सस के रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कॉर्निन और न्यूयॉर्क के डेमोक्रेट सीनेटर चक शूमर ने प्रस्तुत किया है। इसे लिबरल और कंजर्वेटिव सीनेटरों के एक अप्रत्याशित गठबंधन का समर्थन प्राप्त है, जिसमें मिनेसोटा के डेमोक्रेट अल फ्रैंकेन और टैक्सस के रिपब्लिकन टेड क्रूज भी शामिल हैं, जो राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन प्रत्याशी बनने की होड़ में हैं। इस विधेयक को जनवरी में न्यायिक समिति से निर्विरोध मंजूरी मिल गई।

सऊदी अधिकारी लंबे समय से इस बात से इनकार करते रहे हैं कि 11 सितंबर के षड्यंत्र में वहां की सरकार का कोई हाथ था और 11 सितंबर के आयोग को “इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले कि सऊदी सरकार ने संस्थागत रूप से अथवा सऊदी अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से संगठन की वित्तीय सहायता की थी।” किंतु आलोचकों ने ध्यान दिलाया कि आयोग की इस सीमित भाषा में इस बात की संभावना दिखती है कि संभवतः कुछ वरिष्ठ अधिकारियों अथवा सऊदी सरकार के कुछ अंगों ने इसमें भूमिका अदा की हो। 2002 में संसद ने हमलों की जो जांच की थी, उसके निष्कर्ष के कारण भी कुछ सीमा तक संदेह मंडराता रहा है क्योंकि उस रिपोर्ट में इस बात के प्रमाण दिए गए थे हमलों के समय अमेरिका में रह रहे सऊदी अधिकारियों का षड्यंत्र में हाथ था।

रिपोर्ट के 28 पृष्ठों में शामिल उन निष्कर्षों को अब भी सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है।

अब सऊदी अरब ने धमकी दी है कि यदि अमेरिकी संसद ने इस मामले में कदम आगे बढ़ाए तो वह अपने पास रखी लगभग 750 अरब डॉलर की अमेरिकी हुंडियां बेच देगा। उसे लगता है कि इस विधेयक के आगे बढ़ने पर प्रभावित नागरिक सऊदी अरब सरकार पर बड़ी संख्या में दावे कर सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के एक समाचार के अनुसार सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने यह धमकी दी है और बाजारों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

http://www.nytimes.com/2016/04/16/world/middleeast/saudi-arabia-warns-ofeconomic-fallout-if-congress-passes-9-11-bill.html?_r=0#sthash.X2Ujja9Y.dpuf

ओबामा प्रशासन को प्रस्तावित विधेयक के असफल रहने की बहुत चिंता है। तर्क दिया जा रहा है कि इससे विदेश में अमेरिका की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि विदेशी अपने अधिकार क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों के कार्यों पर कानूनी रूप से प्रश्न उठा सकेंगे। किंतु समर्थकों का तर्क है कि इस विधेयक को छोटा किया जा सकता है, जिससे इसमें अमेरिका पर 11 सितंबर को हुए हमले जैसी आतंकी गतिविधियों को ही शामिल किया जा सके।

सऊदी हुंडियों के बिकने से बाजारों में होने वाली अस्थिरता की अपेक्षा ओबामा प्रशासन इस बात से अधिक चिंतित प्रतीत होता है कि आतंकी हमलों में कुछ सऊदी अमीरों की संभावित भूमिका का खुलासा होने के क्या परिणाम होंगे।

सऊदी सरकार के नेताओं के साथ बुश और चेनी के संबंधों की प्रकृति पर भी प्रश्न खड़े हो सकते हैं। सऊदी अरब से अमेरिका के बहुत महत्वपूर्ण - सैन्य/कूटनीतिक/आर्थिक - संबंध हैं और यह चिंता जताई जा रही है कि यह विधेयक उन सबसे पर्दा हटा सकता है।

यह भी प्रमुख तथ्य है, जिसके कारण संसदीय रिपोर्ट के 28 पृष्ठों को “अत्यंत गोपनीय” घोषित कर दिया गया और कभी सार्वजनिक नहीं किया गयां

सीबीएस न्यूज के 60 मिनट कार्यक्रम में हाल ही में 28 पृष्ठों की बात की गई। इसमें कहा गया

स्टीव, क्या यह संवेदनशील है, क्या इससे मुसीबतों का पिटारा खुल सकता है या कुछ खतरनाक बातें सामने आ सकती हैं, बिल्कुल। “60 मिनट्स” का ताजा कार्यक्रम इन्हीं पंक्तियों के साथ समाप्त हुआ। (सीबीएस न्यूज - 10 अप्रैल, 2016)

यह टिप्पणी 11 सितंबर की संसदीय जांच रिपोर्ट के अंतिम अध्याय के संदर्भ में की गई थी, जिसे गोपनीय होने के कारण रिपोर्ट से बाहर कर दिया गया है। संसदीय जांच रिपोर्ट वह रिपोर्ट है, जो पूरी हो चुकी थी और 11 सितंबर के आयोग को सौंपी गई थी, जिसनमें अंत में अंतिम “आधिकारिक” रिपोर्ट तैयार की।
जो 28 पृष्ठ गोपनीय रखे गए थे, उन्हें कुछ चुनिंदा व्यक्तियों ने ही देखा है और इसमें सऊदी सरकार की संलिप्तता के अन्य संकेतों के साथ ही अपहर्ताओं को कथित रूप से उस समय सहायता देने वाले संभावित सऊदी तंत्र का ब्योरा भी दिया गया है, जब वे अमेरिका में थे।

दस्तावेजों को गोपनीयता सूची से हटाए जाने के दबाव का नेतृत्व खुफिया विषयों पर सीनेट की प्रवर समिति (सेलेक्ट कमिटी) के तत्कालीन अध्यक्ष और पूर्व सीनेटर बॉब ग्राहम कर रहे हैं, जो दस्तावेजों को गोपनीयता सूची से हटाए जाने के उसी समय से प्रबल समर्थक रहे हैं, जब 2003 में राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से बुश प्रशासन ने उन्हें गोपनीयता सूची में डाला था।

डेमोक्रेटिक सीनेटर ने दोटूक कहा कि अपहर्ताओं को सऊदी सरकार से और उस देश में धर्मार्थ संगठनों तथा धनी व्यक्तियों से “अत्यधिक” सहायता प्राप्त हुई।
सांसद ग्राहम अधिक मुखर थे।
ग्राहम ने कहा, “मुझे लगता है कि यह विश्वास करना अकल्पनीय है कि 19 व्यक्ति, जिनमें से अधिकतर अंग्रेजी नहीं बोलते थे, जिनमें से अधिकतर पहले कभी अमेरिका नहीं आए थे, जिनमें से अधिकतर ने हाईस्कूल की शिक्षा भी प्राप्त नहीं की थी, अमेरिका के भीतर ही बिना किसी समर्थन के इतना जटिल कार्य कर सके।”
इस समय मुट्ठी भर लोग, जिन्होंने 28 गोपनीय पृष्ठों की सामग्री देखी है, ही निश्चित रूप से कुछ जानते हैं। और यहां इन 28 पृष्ठों को वास्तव में पढ़ने वाले लोगों में से कुछ के उल्लेखनीय बयान हैं:
मेरे खयाल से यह मानना असंभव है कि 19 व्यक्ति, जिनमें से अधिकतर अंग्रेजी नहीं बोलते थे, जिनमें से अधिकतर पहले कभी अमेरिका नहीं आए थे, जिनमें से अधिकतर के पास हाईस्कूल की शिक्षा नहीं थी, अमेरिका के भीतर किसी सहायता के बगैर इतना जटिल कार्य कर सके।
साक्षात्कारकर्ताः आपको लगता है कि सहायता सऊदी अरब से आई?
ग्राहमः काफी हद तक।
साक्षात्कारकर्ताः जब आप सऊदी कहते हैं तो आपका अर्थ सरकार है, देश में धनी लोग हैं, धर्मार्थ संगठन हैं।
ग्राहमः ये सभी।
आप ऐसा नहीं कर सकते कि आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराएं और फिर कहें कि वे जो कर रहे थे, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
11 सितंबर के आयोग को षड्यंत्र का प्रत्येक विवरण नहीं मिल पाया। हमारे पास समय नहीं था, साधन नहीं थे। और निश्चित रूप से हमने सऊदी अरब के मामले में पूरी तरह जांच नहीं की।<
दस्तावेज इस समय अमेरिकी संसद की इमारत (कैपिटॉल) के नीचे पहरे वाले एक कमरे में बंद हैं, जिसे सेंसिटिव कंपार्टमेंटेड इन्फॉर्मेशन फैसिलिटी (एससीआईएफ) कहा जाता हे। उन स्थानों पर बहुत कम लोगों को प्रवेश की अनुमति है।

http://nypost.com/2016/04/17/how-us-covered-up-saudi-role-in-911/

अन्य समाचारों के अनुसार वास्तव में सऊदी संलिप्तता को हमारी सरकार के सर्वोच्च स्तरों पर जानबूझकर ढका गया। छिपाने के लिए सऊदी रिपोर्ट के 28 पृष्ठों को अमेरिकी संसद की इमारत के तहखाने में ही नहीं रखा गया। जांच पर भी दबाव डाला गया। षड्यंत्र में सहयोग करने वालों को बचकर जाने दिया गया।
कुछ सऊदी अपहर्ताओं के काम करने के ठिकानों वॉशिंगटन और सैन डिएगो में संयुक्त आतंकवाद कार्य बल में मैंने इस मामले पर काम करने वाले जिन एजेंटों का साक्षात्कार किया, उनका और 11 सितंबर के कई प्रमाणों की जांच करने वाले फेयरफैक्स कंट्री पुलिस विभाग के जासूसों का कहना है कि प्रत्येक प्रमाण ने वॉशिंगटन में सऊदी दूतावास और लॉस एंजलिस में सऊदी वाणिज्य दूतावास की ओर पहुंचाया। फिर भी बार-बार उन्हें जांच से हटने के लिए कहा गया। एक ही बहाना था, “राजनयिक अभयदान।”
ये समाचार भी थे कि 11 सितंबर की घटना के फौरन बाद सऊदी नागरिक विमानों में अमेरिका से बाहर भेज दिए गए, जबकि वास्तव में सभी उड़ानों पर पूरी तरह प्रतिबंध था।
अमेरिका में सऊदी अरब के तत्कालीन राजदूत बंदर ने 13 सितंबर, 2001 को जब व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति बुश से भेंट की थी, जहां दोनों पुराने पारिवारिक मित्रों ने ट्रूमन बालकनी पर एक साथ सिगार पिए थे तब एफबीआई ने विभिन्न शहरों से दर्जनों सऊदी अधिकारियों को सुरक्षित निकाला था, जिनमें ओसामा बिन लादेन परिवार का कम से कम सदस्य भी था, जो आतंक संबंधी जांच की सूची में था। सऊदियों से पूछताछ करने के बजाय एफबीआई एजेंटों ने उनके सुरक्षाकर्मियों की तरह काम किया, यद्यपि उस समय यह पता चल चुका था कि 19 अपहर्ताओं में से 15 सऊदी नागरिक थे।

http://www.zerohedge.com/news/2016-04-16/saudi-arabia-threatens-us-it-will-liquidate-its-treasury-holdings-if-congress-passes

ब्लूमबर्ग ने सऊदी अरब के पास मौजूद अमेरिकी हुंडियों के संबंध में लिखा कि अभी यह पता ही नहीं है कि अमेरिकी संपत्तियों में सऊदी अरब का कितना निवेश है चूंकि “उनकी संपत्ति रहस्य बनी रहती है क्योंकि अमेरिका तो अपने पास रखी अन्य देशों की सभी हुंडियों का स्पष्ट खुलासा करता है किंतु सऊदी अरब की संपत्तियों का आधिकारिक खुलासा किसी अज्ञात कारण से नहीं किया जाता है। यह विशाल अमेरिकी हुंडी बाजार का रहस्य है, जो तेल की किल्लत तथा शक्तिशाली पेट्रोडॉलर के समय से ही चला आ रहा है।”
ब्लूमबर्ग लिखता है, “नीति के अंतर्गत अमेरिकी राजकोषीय विभाग ने सऊदी अरब की संपत्ति का खुलासा कभी नहीं किया, जो अस्थिर मध्य पूर्व में प्रमुख सहयोगी रहा है और उसके बजाय उसे 14 अन्य देशों के साथ रख दिया गया है, जिनमें कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और नाइजीरिया समेत अधिकतर तेल उत्पादक एवं निर्यातक देश (ओपेक ) हैं।” ब्लूमबर्ग ने यह भी बताया कि लगभग प्रत्येक देश के लिए नियम अलग-अलग हैं। लेकिन उसने लिखा कि “सऊदी अरब के ‘रहस्य’ को ‘अमेरिकी राजकोषीय विभाग के असामान्य पर्दे’ में सुरक्षित रखा गया है, किंतु चीन से लेकर वेटिकन तक सौ भी अधिक अन्य देशों के बारे में विभाग इस बात का विस्तृत ब्योरा देता है कि उनके पास कितनी अमेरिकी वित्तीय संपत्तियां हैं।”

इस बीच ओबामा प्रशासन को सऊदी बिक्री के बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव की न के बराबर चिंता है और अधिक चिंता इस बात की है कि 11 सितंबर के हमले में सऊदी भूमिका की वास्तविक जांच में क्या खुलासा होगा (और किस पर अंगुली उठेगी) तथा परिणामस्वरूप वह आम नागरिक के नाम पर यह तर्क दे रहा है कि इस कानून के कारण विदेश में अमेरिकियों पर कानूनी खतरा आ जाएगा। वास्तव में न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है, “ओबामा इस विधेयक के विरुद्ध इतनी अधिक लामबंदी कर रहे हैं कि कुछ सांसद एवं 11 सितंबर की घटना में शिकार हुए व्यक्तियों के परिवार क्रोधित हैं। उन्हें लगता है कि ओबामा प्रशासन ने लगातार सऊदी अरब का पक्ष लिया है और आतंकी षड्यंत्र में कुछ सऊदी अधिकारियों की भूमिका के बारे में सत्य जानने के उनके प्रयासों को विफल किया है।”

11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में अपना पति गंवाने वाली मिंडी क्लाइनबर्ग कहती हैं, “यह चौंकाने वाला विचार है कि हमारी सरकार अपने नागरिकों के बजाय सऊदियों का समर्थन करेगी।” मिंडी पीड़ितों के परिजनों के उस समूह की सदस्य भी हैं, जो इस कानून के लिए प्रयास कर रहा है।

“वास्तव में चौंकाने वाला है, फिर भी 2011 के आतंकी हमलों की तह में जाने का प्रयास करने पर ‘अमेरिकी’ राष्ट्रपति उन्हीं के साथ खड़े होते हैं।”

http://www.zerohedge.com/news/2016-04-16/saudi-arabia-threatens-us-it-will-liquidate-its-treasury-holdings-if-congress-passes

यह लगातार स्पष्ट होता जा रहा है कि उन 28 पृष्ठों में 11 सितंबर के हमलों में सऊदियों की भूमिका के संबंध में विस्फोटक जानकारी है। यदि सऊदी अरब नहीं बल्कि जब सऊदी अरब अपनी धमकी के अनुरूप अमेरिकी संपत्ति बेचेगा तो यह बात स्पष्ट रूप से सामने आएगी और वैश्विक बाजार आज की तरह नहीं रह जाएंगे।
वैश्विक बाजार पहले ही अमेरिका में संभावित मंदी की संभावना से दबाव में हैं तथा विशेष रूप से बॉण्ड बाजार में खलबली मची है। कई बड़े बैंक डांवाडोल हो रहे हैं और ब्रेक्जिट यानी ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के खतरे से स्थिति और खराब हो रही है।

अमेरिका को चुनना होगा कि आतंक फैलाने वालों - चाहे वे कोई भी हों - को सजा देनी है या सऊदी अरब द्वारा अमेरिकी संपत्तियां बेचे जाने से वैश्विक बाजार में अस्थिरता आने देनी है।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Published Date: 29th April 2016, Image Source: www.telegraph.co
(Disclaimer: The views and opinions expressed in this article are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of the Vivekananda International Foundation)

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