उ0प्र0 के दादरी में हिंसा, लखनऊ में रेलवे पटरी का कटा पाया जाना एवं फरूखाबाद रेलवे स्टेशन पर बम का होना ऐसी घटनाएं हैं जिनको केवल संयोग या आम घटना समझकर हल्के मे नहीं लिया जा सकता बल्कि यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को क्षति पहुंचाने का प्रयास है।
काफी दिनों से गुप्त सूत्रों से खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान की आएसआइ ने अपने कुछ आतंकवादियों को दिल्ली व उसके आसपास उ0प्र0 में पहुंचा दिया है और इन आतंकवादियों का मुख्य उद्देश्य भारत में त्यौहारों के सीजन में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाना है। आखिर सवाल उठता है उ0प्र0 ही क्यों तो उ0प्र0 इसलिए क्योंकि मुसलमानों की आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा अकेले उ0प्र0 का निवासी है और यदि यहां पर हिन्दू मुस्लिम सौहार्द को बिगाड़ने मे आइएसआइ सफल हो जाती है तो उ0प्र0 भारत का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण यहां पर अशांति एवं तनाव के कारण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को भारी क्षति लगेगी और बिना युद्ध लड़े ही वे भारत को कमजोर बनाने मे सफल हो जायेंगे। इसके अलावा यह सूचना भी आ रही है कि उ0प्र0 में बड़े पैमाने पर नकली नोटों को भी चलाने का प्रयास दुश्मन देश कर रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा के अनुसार देश की बाह्य अर्थात् सीमाओं की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा जिसमें देश के संसाधनों, सम्पत्ति एवं साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आर्थिक स्थिति इत्यादि आते हैं। इस परिभाषा के अनुसार पाकिस्तान देश में साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए दंगे, राष्ट्रीय सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने के लिए रेल की पटरी काटने एवं स्टेशन पर बम रखवाने जैसी नापाक हरकतें करके देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। इस प्रकार की हरकतों के पीछे दुश्मन का दूसरा उद्देश्य होता है देश में भय एवं शंका का माहौल पैदा करना और यह वह हासिल कर ही लेता है चाहे वह अपने पहले उद्देश्य में सफल हो पाये या ना।
इस समय पाकिस्तान इस प्रकार की हरकतें करके वहां पर पाक अधिग्रहित कश्मीर एवं ब्लूचिस्तान में वहां की सैना के द्वारा जनता को दबाने के लिए किये जा रहे अत्याचारों से वहां एवं विश्व बिरादरी का ध्यान हटाना चाह रहा है। अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के एक लोकप्रिय धार्मिक नेता मौलाना सैय्यद अजहर हुसैन देहलवी ने पाक अधिग्रहित कश्मीर का पांच दिन का दौरा किया और उन्होंने अपने दौरे के आखिर में कहा कि पिछले बरसात के मौसम मे कश्मीर में आयी भीषण बाढ़ के समय जिस प्रकार पूर्ण समर्पण, सेवाभाव एवं लगन के साथ भारतीय सेना ने कश्मीर निवासियों को मदद पहुंचायी उसको देखकर तथा पाक सेना के द्वारा किये व्यवहार की तुलना करने पर पाक अधिग्रहित कश्मीर की 99 प्रतिशत आबादी भारत में विलय होना चाह रही है। यहां के लोग अब पाक सरकार से पूछने लगे हैं कि 1963 में क्यों उनका 5180 वर्ग कि0मी0 वाला गिलगित एवं वालिस्तान इलाका चीन को भेंट कर दिया गया और इसके अलावा भारत में भेजने के लिए 63 आतंकी कैम्प भी यहां पर चलाये जा रहे हैं। इन कैंम्पों में ज्यादातर पाकिस्तान के अपराधी प्रवृत्ति के लोगो को इस प्रकार कहकर लाया जाता है या तो भारत में आतंकवाद फैलाओ या जेल में जाओ। इस प्रकार के लोगों को पाकिस्तान के पंजाब एवं ब्लूचिस्तान इत्यादि सूबों से लाकर बसाया जा रहा है। ये लोग समय समय पर अपनी अपराधिक प्रवृत्ति के कारण पाक अधिग्रहित कश्मीर में लूटपाट, हत्या एवं अपहरण जैसे अपराध करके वहां की जनता को भय एवं असुरक्षा के माहौल में जीने के लिए मजबूर कर रहे हैं। यहां कुछ पाक सेना ने शेख मुजीर्बुररहमान के एक लोकप्रिय नेता बनकर उभरने पर उस समय के पूर्वी पाकिस्तान एवं अभी के बंगलादेश में 1969-1971 तक किया था और उसी अत्याचार का परिणाम था कि बंगलादेश की जनता ने स्वतंत्रता का युद्ध पाक सेना के विरूद्ध लड़ा और इसमें भारत को भी मजबूर होकर तब लड़ना पड़ा जब बंगलादेश के दो करोड़ शरणार्थी भारत में आ गये एवं पाक ने बंगलादेशियों के संघर्ष को भारत जनित बताकर भारत पर आक्रमण कर दिया। इस समय यही हालात ब्लूचिस्तान एवं वहां के कश्मीर में बने हुए हैं। ब्लूचिस्तान 1947 से आज तक स्वतंत्रता के लिए तथा कश्मीर भारत में विलय के लिए आवाज उठा रहा है और अपनी आदत के अनुसार फिर इन सबके लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है।
इन तथ्यों एवं जमीनी हालातों का आंकलन करके राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि पाकिस्तान अपने देश के हालातों के लिए भारत से बदला लेने के लिए देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को इस प्रकार नुकसान पहुंचाने की नापाक हरकत कर रहा है। दंगों में जानमाल दोनों की बड़े पैमाने पर हानि होती है। अकेले मुजफ्फर नगर दंगों में 958 करोड़ हर्जानों, 250 करोड़ 50000 शरणार्थियों के रहन सहन एवं 1000 करोड़ की राष्ट्रीय सम्पत्ति के नुकसान का आंकलन किया गया है और इसके अलावा हिन्दू मुसलमानों के साम्प्रदायिक सौहार्द में आयी दरार को लम्बे समय तक ठीक नहीं किया जा सकता और इसी प्रकार का प्रयास दादरी के बिसहाड़ा गांव मे किया गया। यदि वे अपने प्रयास में सफल हो जाते तो पूरा पश्चिमी उ0प्र0 दंगों की आग में जल जाता। इसलिए देश की सुरक्षा संस्थाओं, जिला प्रशासन एवं पुलिस को उसी प्रकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा जिसमें साम्प्रदायिक सौहार्द, देशवासियों के जानमाल एवं राष्ट्रीय सम्पत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए जिस प्रकार एक सैनिक सीमाओं पर सीमा की सुरक्षा करने के लिए दिन रात चौकन्ना रहता है।
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