पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 19 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बारे मे एक वक्तव्य दिया। उन्होने न तो हमले को आतंकवादी हमला कहा न ही इस नृशंस हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के साथ सहानुभूति व्यक्त की। इसके बजाय, उन्होने कश्मीर पर भारत को एक व्याख्यान दे दिया। उन्होंने पाकिस्तानी जांच के लिए "पेशकश" की, बशर्ते भारत पाकिस्तान को "कार्रवाई योग्य खुफिया" जानकारी प्रदान करे। भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने इमरान खान की असंवेदनशील टिप्पणियों पर उचित प्रतिक्रिया दी है। बयानबाजी के अलावा, इमरान खान के बयान मे कुछ ऐसे कुछ बिंदु हैं, जिनका विश्लेषण करने की आवश्यकता है। अपने वक्तव्य मे इमरान खान कहते है कि:
पीएम इमरान खान ने इस तथ्य को आसानी से नजरअंदाज कर दिया कि जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। JeM के प्रमुख मसूद अजहर एक पाकिस्तानी नागरिक हैं जो पाकिस्तान में रहते हैं। वह नियमित रूप से पाकिस्तान में रैलियों और मीडिया में भारत को सीख-सिखाने की बात करते है। JeM भारत की संसद पर हमले सहित कई और हमलों में शामिल रहा है। अल-कायदा के साथ JeM के संबंध अच्छी तरह से प्रलेखित हैं। जनरल मुशर्रफ ने 2002 में पाकिस्तान में JeM पर प्रतिबंध भी लगा दिया था। मसूद अज़हर किस प्रकार पाकिस्तान मे स्वतंत्र रूप से घूमता है? पाकिस्तान का इस बारे क्या जवाब है? यह भी जानने योग्य है की पुलवामा हमले के नौ दिन पहले मसूद अजहर के भाई अब्दुल रौफ-अशगर ने कराची की एक रैली में दिल्ली को दहलाने की कसम खाई थी।
यह तर्क किसी को प्रभावित नही करेगा. यह लोगो को गुमराह करने के लिए पाकिस्तान के द्वारा नियोजित एक जानी - पहचानी चाल है। जैसा कि भारतीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने पूछा कि जब पुलवामा आतंकवादी हमला नियोजित करने वाले पाकिस्तान मे खुले रुप से घूम रहे है, ऐसे मे पाकिस्तान को किस तरह क सबूत चाहिये? इमरान खान से ये भी पुछा जा सकता है कि मुंबई अटैक के अपराधियों को बुक करने के लिए पाकिस्तानियों ने अब तक क्या किया है? पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान को जो सबूत दिये गये थे, उसके बाद क्या हुआ? इस बात की क्या गारंटी है कि इस बार भी वे कुछ करेंगे? कार्रवाई के लिए खुफिया जानकारी मांगना और फिर कुछ भी नहीं करना पाकिस्तानियों द्वारा ध्यान हटाने के लिए एक जानी-पहचानी तकनीक है। यह उन्हें इनकार मोड में बने रहने में मदद करता है।
पाकिस्तानियों को खुद को आतंकवाद के शिकार के रूप में प्रस्तुत करना बहुत पसंद है लेकिन इस बात कि वे अनदेखी कर देते है कि वे ही तरह तरह के आन्तकवादी गुटो को पालते पोसते है। तहरीक-ए-तालिबान (TTP) इसका एक उदाहरण है। तथ्य यह है कि पाकिस्तान में आतंकवाद उनकी अपनी नीतियों का परिणाम है। इसके विपरीत, भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित है। यह एक बड़ा अंतर है। विश्व जानता है की पाकिस्तान आतंकवाद का स्रोत है।
यह उल्टा चोर कोतवाल को डाटे वाला मामला है. पाकिस्तान ने एक दशक तक खालिस्तानी आतंकवाद को समर्थन किया। 1980 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत से, पाकिस्तान स्थित आन्तक वादी समूह कश्मीरी युवाओं को भर्ती कर रहे है और कट्टरपंथी बना रहे हैं। यही मुख्य समस्या है। जब स्थिति सामान्य होने लगती है, तो पाक स्थित आतंकवादी समूह स्थिति को अस्थिर करने के लिए आतंकी हमले करते हैं। पाकिस्तानी समर्थन के बिना, कश्मीरी समस्या को हल कर लिया जाएगा। भारत ने कश्मीर में नियमित चुनाव कराए हैं। कश्मीरी छात्र पूरे भारत में पढ़ रहे है। भारत के पास उग्रवाद और उग्रवादियो से निपटने के लिए पर्याप्त अनुभव है। पाक-प्रायोजीत आतन्क वाद और जिहाद ने कश्मीर की स्थिति को जटिल बना दिया है।
यह पाकिस्तान की असुरक्षा को दर्शाता है। भारत सभी संबंधित कारकों को ध्यान में रखते हुए अपनी प्रतिक्रिया तैयार करेगा। पाकिस्तानी ब्रावो से भारतीय प्रतिक्रिया को प्रभावित नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान को अपनी सरजमीं पर आतंकी समूहों के खिलाफ ईमानदारी से सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। समस्या खुद हल हो जाएगी।
अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने क्या किया है यह जगजाहिर है. अफगानिस्तान के हस्तक्षेप के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराने वाले अफगान नेताओं के बयानों को सुनिये। इरान कि प्रतिक्रिया को सुनिये। पाकिस्तान बहुत चालाक हो रहा है। पहले, आप आतंकवाद और जिहाद के माध्यम से तबाही पैदा करते हैं और फिर संवाद चाहते हैं।
यह घ्यान योग्य है कि 13 फरवरी को स्थित पाकिस्तान एक आतंकवादी समूह जैश-उल-अदल ने 27 ईरानी सिपाहीयो को सिस्तान-बलूचिस्तान में एक आन्तकवादी हमले के मार दिया। ईरान ने पाकिस्तान को इस घटना का जिम्मेवार माना है और चेतावनी दी है की पाकिस्तान को इसकी भारी कीमत चुकानी पडेगी अगर उसने ठोस कार्यवाही न की। अफगानिस्तान तो बरसो से पाकिस्तान स्थित आतन्कवादी गुटो द्वारा हमलों का शिकार है। पिछ्ले दिनो वहा एक बडा हमला हुआ है। आतन्कवाद के संदर्भ् मे तीनो देश पाकिस्तान से पीडित है। तीनो को पाकिस्तान के विरुद्ध समुचित कार्यवाही साझा रुप से करनी चाहिये। तीनो देश मिलकर एक साझा बयान इस बारे मे जारी कर सकते है।
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