दक्षिण अमेरिका का सबसे बड़ा एवं सबसे अधिक ताकतवर देश ब्राजील इस सदी के संभवतः सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है। हालांकि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने ब्राजील पर भी उसी तरह कहर ढ़ाया है, जैसा उसने अन्य तमाम विकासशील देशों को तबाह किया है। लेकिन महामारी के बाद के असर ने ब्राजील में उथल-पुथल ला दिया है। एक अनुमान है कि 5,68,000 लाख से भी अधिक ब्राजीलवासी महामारी के सुनामी के सबसे गंभीर रूप से पीड़ित हुए हैं। लेकिन वे इस समस्या को निबटने में ब्राजील सरकार की निर्णयों (या इनकी कमी के चलते) से भी आंशिक रूप से दुष्प्रभावित हुए हैं। दरअसल, महामारी से निबटने के लिए कारगर दूरगामी कदम उठाने को लेकर सरकार न केवल किंकर्त्तव्यविमूढ़ थी बल्कि शुरुआत में वहह बिल्कुल इसे खारिज करने की मनस्थिति में थी। पर महामारी ने आगे बढ़कर और भयंकर रूप ले लिया और उसे देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंच दिया, जो पहले से ही ह्रासोन्मुख थी।
कोविड-19 के प्रकोप ने राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की लोकप्रियता को धड़ाम से जमीं पर गिरा दिया। उनकी इस महामारी से निबटने और इसके प्रकोप की भयावता के सही आकलन में अक्षमता के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। बोल्सोनारो पर पिछले वर्ष कोरोना के फैलने के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, जिनमें भारत से हाइड़्रोक्लोरोक्वीन दवा के आयात का मामला भी शामिल था। इस साल भी भारत बायोटेक की दवा कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता के विचाराधीन रहने के दौरान ही वैक्सीन का आयात करने का आरोप लगा था। हालांकि यह सौदा बाद में रद्द कर दिया गया था। हालांकि बोल्सोनारो ने इस पर झुकने से इनकार कर दिया था। अपने समान ही दक्षिण पंथी विचारधारा वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद-चिह्नों का अनुसरण करते हुए, ब्राजील के राष्ट्रपति दावा करते रहे थे कि आने वाले चुनाव में उनकी हार को सुनिश्चित करने के लिए धांधली की जाएगी। इसलिए जहां तक संभव हो सकता था, वे ब्राजील की समूची निर्वाचन प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं सुप्रीम इलेक्ट्रो कोर्ट के चेयरमैन लुइस रॉबर्टो बैरोसो पर उनके “प्रतिद्वंदवी एवं पूर्व वामपंथी राष्ट्रपति लुइज़ इनासिओ लूला दा सिल्वा को लाभ पहुंचाने के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे।” लूला हालिया हुए जनमत सर्वेक्षण में बढ़त बनाए हुए हैं।
लुला एक आदर्श राजनीतिक शख्सियत हैं, जिन्होंने दो कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति पद नहीं करने की संवैधानिक बाध्यता के चलते पद छोड़ना पड़ा था, वे दो कार्यकाल तक ब्राजील के राष्ट्रपति रहे थे, वे बोल्सोनारो के बनिस्बत सरजमीनी सियासतदां हैं, उन्होंने भी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग सिस्टम की निर्दोषता पर सवाल उठाया है, और इसकी बजाए बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की मांग की है।
हालांकि देश के चुनाव प्राधिकरण ने मौजूदा वोटिंग सिस्टम में कोई दोष या गड़बड़ी होने से बार-बार इनकार किया है और बोल्सोनारो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने आरोप के समर्थन में एक भी वैध साक्ष्य पेश नहीं कर सके हैं। कहा जाता है कि बोल्सोनारो 2022 के चुनाव में अपनी संभावित हार के बारे में अपने समर्थकों के बीच संदेह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। अनुमान है कि ऐसा करके वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह विवाद उत्पन्न करने का माहौल बना रहे हैं, जैसा उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए होने वाले चुनाव में किया था।
इस बीच, ब्राजील कांग्रेस के निचले सदन, जहां 9 अगस्त 2021 को राष्ट्रपति के विरुद्ध महाअभियोग प्रस्ताव पर बहस होनी थी, उसकी कार्यवाही ब्रासीलिया की सड़कों पर सेना के आसामान्य मार्च की वजह से रोक देनी पड़ी थी, जबकि सेना का परेड राष्ट्रीय दिवस समारोहों के दौरान ही होता है। इसलिए आलोचकों ने सेना के मार्च के समय पर सवाल उठाते हुए इसे विपक्ष को धमकाने की राष्ट्रपति की एक कवायद बताया। कुछ विश्लेषकों का विचार है कि यह सैन्य मार्च दिखाता है कि “बोल्सोनारो ने या तो राजनीतिक जलवायु का गलत आकलन किया था या वे जानबूझ कर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के विरुद्ध तनाव सृजित कर रहे हैं।” हालांकि बाद में, हाउस ऑफ डिपुटिज (ब्राजील कांग्रेस के नीचले सदन) ने राष्ट्रपति द्वारा इलेक्ट्रोनिक वोटिंग सिस्टम के अलावा मत पत्र की रसीद रखे जाने के संविधान में संशोधन-प्रस्ताव को 218 वोटों के मुकाबले 239 वोटों से निरस्त कर दिया, जो उनके लिए एक और झटका है।
एक अन्य बड़ा मुद्दा जलवायु परिवर्तन का है, जिसे लेकर बोल्सानारो की आलोचना की जाती है। उनके आलोचकों का कहना है कि दक्षिणपंथी राष्ट्रपति को अबाध तरीके के खनन एवं व्यावसायिक खेती से गुरेज नहीं है, जिसका विनाशकारी दुष्परिणाम संरक्षित अमेजन जंगल एक बड़े हिस्से में कथित रूप से खनन लॉबी एवं दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा जानबूझ कर लगाई गई आग के रूप में झेलना पड़ा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा जुटाए गए डेटा के अनुसार, अमेजन में 5,104 स्वायर किलोमीटर के जंगल तो इस साल जनवरी से जून महीने तक बरबाद हो गए हैं। हालांकि ब्राजील पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किया हुआ है। इसके तहत, वह अपने देश में 2025 तक 37 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करने एवं 2030 तक 43 कार्बन उत्सर्जन करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन अभी वह डेडलाइन के आधे लक्ष्य तक नहीं पहुंचा है। ब्राजील के विदेश मंत्री अर्नेस्टो अरुजो, जो कि जलवायु संरक्षण के विरोधी माने जाते हैं, उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही अपने मंत्रालय में पहले से काम कर रहे जलवायु परिवर्तन की एक ईकाई को बंद कर दिया था। आलोचकों का तर्क है, बोल्सानारो की आग लगाने वाली बयानवाजी ने भी वनों की कटाई में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाई है। इसी बीच, आर्टिकुलेशन ऑफ इंडिजेनेस पीपुल ऑफ ब्राजील (एआइपीबी) ने भी राष्ट्रपति पर “देश के खिलाफ 2019 से ही स्पष्ट, व्यवस्थित एवं जानबूझ कर देश विरोधी नीतियां” अपनाने के आरोप में उन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ले खींच ले गए हैं।
ब्राजील की अर्थव्यवस्था पहले से ही बदतर स्थिति में हैं। उसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2018 के US$ 1,916. 93 बिलियन डॉलर से खिसक कर अगले साल $1,689.3 हो गया और विगत साल यानी 2020 में गोता लगा कर मात्र $1,434 बिलियन डॉलर रह गया। अगर दशक से तुलना करें तो पिछले दशक के दौरान 2011 में ब्राजील की जीडीपी जहां $ 2,616 बिलियन डॉलर थी, वह 2020 में खिसक कर $1,434 बिलियन रह गई। यह तीखी गिरावट इस तथ्य के बावजूद हुई कि ब्राजील दुनिया में कॉफी, चीनी, इथनॉल और सोया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जबकि मांस एवं पॉल्ट्री उत्पादों का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यह स्थिति तब है, जबकि वह अपनी खेती योग्य जमीन का मात्र 25 फीसद हिस्सा ही उपयोग कर पाता है। ब्राजील क्षेत्रफल में विश्व का पांचवां बड़ा देश है, और आबादी के लिहाज से सातवां है, वह दुनिया में 22 फीसदी से अधिक पीने योग्य पानी एवं जंगल दोनों का ही देश है। यह दुनिया में खनिज के लिहाज से भी काफी संपन्न है, उदाहरण के लिए; उसके पास लौह अयस्क का इतना विशाल भंडार है, जिससे विश्व की तमाम आवश्यकता की वह अगले 500 साल तक आपूर्ति कर सकता है!
ब्राजीली अर्थव्यवस्था के जबर्दस्त तरीके से विकसित होने के तमाम आवश्यक कारकों के होते हुए भी उसे विकसित न होने की मुख्य वजह व्यापक पैमाने पर देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला, आय की घनघोर असमानता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। भ्रष्टाचार खास कर ऊंच स्तर पर मौजूद भ्रष्टाचार ने ब्राजील को दूषित कर दिया है। हम पाते हैं कि ब्राजील में 1964 की सैन्य हुकूमत के दौर से ही भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कारनामे होते रहे हैं। तब से देश की हरेक सत्ता व्यापक पैमानों पर भ्रष्टाचार में संलिप्त रही है। यहां के नेताओं पर इसके आरोप लगते रहे हैं और इनके दायर मुकदमों में जेल की सजा भी काटते रहे हैं। वामपंथी कामगार पार्टी के अब तक के अंतिम राष्ट्रपति डिल्मा रौसेफ के विरुद्ध ब्राजील कांग्रेस में महाभियोग लगाए गए थे और इस वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। यही वजह है कि बोल्सानारो, जो खुद एक पूर्व सैन्यकर्मी हैं और तुलनात्मक रूप से चुनावी राजनीति में नौसिखिआ हैं, उन पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं है, वे दूसरे दौर के लिए चुने जा सकते थे। लेकिन स्त्रीद्वेषी उनकी टिप्पणियों, दक्षिणपंथी राजनीति से दूरी, भ्रष्टाचार के आरोप और कोरोना महामारी के प्रकोप को झुठलाने की उनकी कवायद ने ब्राजीली आबादी के बड़े हिस्से को नाराज कर दिया है।
ब्रिक्स, आइबीएसए, जी-20 के सक्रिय सदस्य होने, अपने कद्दावर वजन के चलते बेसिक एवं अन्य क्षेत्रीय राजनीतिक एवं आर्थिक मंच के सदस्य होने के कारण ब्राजील संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत, जापान एवं जर्मनी के साथ ही उम्मीदवार है। हालांकि इसकी पहाड़ जैसी दिक्कतें उसे अपने राष्ट्र जो क्षेत्रफल और आबादी में समूचे दक्षिण अमेरिका का आधा है, उस पर आवश्यक ध्यान देने के लिए प्रेरित नहीं करतीं।
चुनाव अब नजदीक हैं और यह बोल्सानारो के लिए कड़ा सबक होगा, सबसे पहले अपने विरुद्ध बने नकारात्मक जनमत के वातावरण को दूर करना। खास कर अपने जबरदस्त प्रतिद्दंद्वी लूला की लोकप्रिय अपील के बरअक्स अपनी अपील बनाना। हालांकि लूला को उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचारपूर्ण कारनामों से लाभान्वित होने की एवज में सजा सुनाई गई थी। अब इन दोनों प्रतिद्वंद्विंयों में से ब्राजील किसको अपना राष्ट्रपति चुनता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English) [3]
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[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2021/october/01/braazeel-in-da-aaee-of-da-storm
[2] https://www.vifindia.org/author/amb-jk-tripathi
[3] https://www.vifindia.org/2021/august/18/brazil-in-the-eye-of-the-storm%20
[4] https://akm-img-a-in.tosshub.com/indiatoday/images/story/202108/2021-08-05T214151Z_13079202_RC_1200x768.png?O2hXP4H.bkW.xojq8yEy95uzhIia0PaO&size=770:433
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