प्रसिद्ध लेखक एचजी वेल्स का दि वॉर ऑफ दि वर्ल्डस लेख 1897 में ब्रिटेन की पीअर्सन पत्रिका और अमेरिका के कॉस्मोपोलिटन में धारावाहिक प्रकाशित हुआ था। यह मंगल ग्रह (मॉर्स) के आक्रांताओं और हमारे बीच एक असमान युद्ध की परिकल्पना पर एक उत्कृष्ट विज्ञान कथा थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि मंगलग्रह से कोई भी धरती पर नहीं आ रहा है, उल्टे पृथ्वी के लोगों में ही मंगल पर जाने की एक होड़ शुरू हो रही है। ये लोग तो मंगल पर बस्तियां बनाने की सोच रहे हैं। आज के समय में एक ग्रह से दूसरे ग्रह की यात्रा कल्पना की उड़ान नहीं रह गई है। कहानी से आई वास्तविकता? और मंगल ग्रह की इस महान यात्रा में महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दे रही हैं।
इन सबके प्रयासों से मंगल ग्रह मानव जाति के अन्वेषण का एक नया गंतव्य बन गया है। और मंगल के आसपास अंतरिक्ष निश्चित रूप से भीड़-भाड़ वाला हो गया है। अभी इस समय ही, संयुक्त अरब अमीरात का अमल/होप मिशन, चीन का तियानवेन-1. और इस क्रम में ताजा मंगल पर उतरने वाला उपग्रह नासा का प्रिजर्वेंस हैं। इसके पहले, नासा की तरफ से ही भेजा गया मार्स ओडिसी (2001), रिकॉन्सेंस, यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के एक्सप्रेस और रिस्कॉसमॉस के साथ एक्सोमार्स ट्रेस गैस आर्बिटर के साथ मंगल की कक्षा में घूम रहा है। भारत मंगलयान, को मंगल पर भेजने वाला पहला एशियाई देश बना। और, स्वयं मंगल पर नासा की क्यूरिसिटी रोवर और इन्साइट लैंडर तथा रूस का अन्य लेंडर्स लगातार सूचनाएं प्रेषित कर रहा है। रूस के अन्य लैंडर्स जो काम तो कर रहे हो सकते हैं, पर वे कम्युनिकेट नहीं कर रहे हैं।
नासा का प्रिजर्वेंस मंगल पर सुरक्षित है और वहां से नियमित तौर पर हमें तस्वीरें और ग्रह की ध्वनियां भेज रहा है! नासा के इस मिशन के पीछे भारतीय मूल की महिला स्वाति मोहन हैं। वे इंट्री, डिसेंट, लैंडिंग (ईडीएल) टीम के अभियान का नेतृत्व कर रही हैं। माथे पर लाल बिंदी के साथ वह अपनी जड़ों का प्रतिनिधित्व करती और नीली लकीरों से घिरे हुए बालों को सितारों के साथ बांधी हुईं थी, इसका अनुरोध स्वयं उनकी टीम ने किया था, जिसने प्रिजर्वेंस के मंगल पर प्रक्षेपण को पूरा कराया था। और फिर स्वाति मोहन की आवाज ने वह ऐतिहासिक घोषणा की, जिसकी उनकी टीम और पूरा विश्व सुनने के लिए बेताब था-टचडाउन कन्फर्म्ड!
फर्स्ट पोस्ट के अनुसार,“ रोवर के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण ईडीएल टीम के लिए भी महान ऐतिहासिक क्षण था। अंतरिक्ष अभियान में किसी उपग्रह के प्रक्षेपण को अतिविशिष्ट चरण माना जाता है। मंगल पर विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा भेजे अभियानों में अभी तक केवल 40 फीसदी ही सफल रहे हैं। वास्तव में, बीते 50 वर्षों में केवल आठ बार ही प्रक्षेपण सफल हुआ है। नासा के वाल पर स्वाति मोहन ने इस अभियान में अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए लिखा है “मैं मंगल 2020 के गाइडेंस, नैविगेशन और कंट्रोल (जीएनएंडसी) अभियान की मुखिया हूं। जीएनएंडसी उप-पद्धति अंतरिक्ष यान की “आंखें और कान” होती हैं। मंगल की तरफ अग्रसर होने के विशिष्ट चरण के दौरान हमारा काम यह देखना था कि हम किस तरह से गंतव्य की तरफ बढ़ रहे हैं। यह सुनिश्चित करना था कि अंतरिक्षयान अंतरिक्ष में सही तरीके से सीधी रेखा में बढ़े (सूर्य के लिए सौर-सरणियां और पृथ्वी के लिए एंटीना) और इसके लिए प्रयास करना था कि हम जहां यान अंतरिक्ष में जहां ले जाना चाहते थे, वह वहीं जाए। मंगल पर यान के प्रवेश, उसके उतरने और पहुंचने के दौरान, जीएनएंडसी अंतरिक्षयान की स्थिति को तय करता है और इसको सम्हालने का आदेश देता है ताकि उसके सही तरीके से प्रक्षेपण में सहयोग हो सके। जैसे अभियान आगे बढ़ा, मैं जीएनएंडसी उप-प्रणाली और परियोजना से जुड़ी बाकी ईकाइयों के बीच संवाद का प्राथमिक स्रोत बन गई हूं। मैं जीएनएंडसी टीम की ट्रेनिंग, जीएनएंडसी के लिए मिशन नियंत्रणकर्मियों को निर्धारित करने तथा मिशन नियंत्रण कक्ष में जीएनएंडसी द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली जिन नीतियों/ प्रक्रियाय़ों के लिए उत्तरादायी हूं।”
तब चीन का तियानवेन-1 भी मंगल के समीप की कक्षा में है। चीनी भाषा में इसका मतलब ‘स्वर्ग पर सवाल’ है, जो क्यू युवान रचित एक कविता से लिया गया है। क्यू 340-278 ईसा पूर्व के प्रसिद्ध प्राचीन कवि हैं। चीन के पहले अंतर्ग्रहीय अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन के लिहाज से यह नाम समीचीन है। जुलाई 2020 में छोड़े गए उपग्रह तियानवेन-1 में एक आर्बिटर, लैंडर और रोवर भी शामिल है। अभी, यह मंगल की परिक्रमा कर रहा है और अपनी उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे से मई में यूटोपिया बेसिन में निर्धारित प्रक्षेपण की तस्वीरें भेज रहा है। यह बेसिन मंगल भूमध्य रेखा से उत्तर में है। एक बार रोवर मंगल पर है, वह निर्देशों द्वारा निर्देंशित वैज्ञानिक अन्वेषण को अंजाम देगा और इसकी सूचना आर्बिटर को देगा, जो इसको उन सभी के साथ चीन के अध्ययन केंद्र को भी भेजेगा। इस मिशन के लक्ष्यों में वायुमंडल तथा मंगल की संरचना और सतह का अध्ययन भी शामिल है। रोवर की संभावित आयु मंगल का 90 दिन या पृथ्वी के तीन महीने होती है, जबकि आर्बिटर की डिजाइन इस तरह से की गई है कि वह मंगल का एक वर्ष या पृथ्वी के 687 दिनों तक काम करे।
लेकिन प्रिजर्वेंस अभी चर्चा में है,यह इस साल मंगल की सतह पर उतरने वाला पहला यान है, जैसे कि अरब का पहला अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन, दि अमीरात मंगल अभियान (ईएमएम) है, जिसे जापान के तनेगशिमा अंतरिक्ष केंद्र से अमल अंतरिक्षयान के साथ प्रक्षेपित किया गया था, जो अमीरात के 50 साल पूरे होने को द्योतित करता है। सऊदी अमीरात के इस मिशन का उप प्रबंधक और अमल मंगल मिशन की विज्ञान को नेतृत्व देने वाली एक महिला सारा अल अमीरी हैं। सारा ने कहा, "इस मिशन को ‘होप’ नाम दिया गया है क्योंकि हम एक ग्रह के बारे में विश्व की समझदारी बढ़ाने में अपना योगदान कर रहे हैं। हम मौजूदा समय में अपने क्षेत्र की एक विध्वंस क्षेत्र में बनी पहचान से ऊपर और उसके पार जा रहे हैं। हम विज्ञान के क्षेत्र में एक सकारात्मक योगदानकर्ता हो गये हैं।" यह मिशन उस समाज के नियम-कायदों में सारवान परिवर्तन का भी संकेतक है। नेचर पत्रिका के अनुसार, 34 फीसद महिलाएं इन मिशनों का हिस्सा होती हैं और इसकी साइंस टीम में 80 फीसदी महिलाएं होती हैं। यह मौजूदा समय में अरब अमीरात के समूचे कार्यबल में 28 फीसदी से भी ज्यादा महिलाओं की भागीदारी है।
जबकि अवसर की दूसरी खिड़की 2022 में खुलेगी, हमारे पास निजी उद्यमी भी हैं, जो विश्व के सबसे धनी व्यक्ति एलोन मस्क के साथ मंगल अभियान से अपने आपको जोड़ रहे हैं। मस्क कहते हैं, उनका स्पेसएक्स 2024 में दूसरा अवसर देगा और इसके आगे भी वह पूरे “आत्मविश्वास” के साथ कहते हैं कि उनकी कम्पनी मंगल पर मानव को अवश्य पहुंचाएगी, जो संभव हो सकने वाला लक्ष्य है, “अब से लगभग अगले छह साल में हासिल हो जाएगा”। वह कहते हैं,"मैं सोचता हूं कि अंतरिक्ष-यात्री सभ्यता और बहु-ग्रहीय प्रजाति का होना मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण है। मंगल पर शहर बसाने के लिए ढेर सारे संसाधन लगने वाले हैं। मैं चाहता हूं कि इस शहर को बसाने में जितना अधिक संभव हो, अपना योगदान देने में सक्षम हो सकूं। इसका सिर्फ एक ही मतलब है ढेर सारी पूंजी की दरकार।" इसी साल 7 जनवरी को सीईओ ने 2018 के पुराने ट्वीट को अपने टिवटर एकांउट पर शेयर किया, जिसमें "उल्कापात से पृथ्वी के गरम हो कर, या डायनासोर या तीसरे युद्ध के कारण नष्ट होने या हम स्वयं को बरबाद कर लेने की स्थिति में जीवन के नैरन्तैर्य (सभी प्रजातियों) को सुनिश्चित करने के लिए" अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा मंगल पर नगर बसाने के काम में लगा देने का वादा किया गया था।
और यहां तक कि इसरो के निदेशक के. सिवन भी कहते हैं कि हमारा फिलहाल ध्यान चंद्रयान-3 और गगनयान और अगले मंगलयान पर है जो केवल एक आर्बिटर होगा। कुछ भी हो सकता है!! आखिरकार, हम पूरी दुनिया में अकेला देश हैं, जो 2014 में मंगल ग्रह के अपने पहले अभियान में ही सफल हो गया था। उसके बाद, इसी मार्च महीने में अमीरात का अमल मिशन सफल हुआ है। हालांकि मंगलयान का जीवन छह महीना ही मुकर्रर है, पर यह विगत 6 सालों से हजारों तस्वीरें हमें भेज रहा है। इस पूरे मिशन पर 450 करोड़ (70 मिलियन डॉलर) का खर्चा आया है, जो काफी कम है। नासा का प्रिजर्वेंस का अपना जीवन चक्र पूरा करने तक 2.9 बिलियन डॉलर्स खर्च होने का अनुमान है।
यहां एक बार फिर ऋतु करिधाल, नंदिनी हरिनाथ, मौउमिता दत्ता, और मीनल सम्पत ने मंगलयान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निश्चित रूप से अंतिम परिणाम के लिए मिशन में लगे स्त्री और पुरुष दोनों ही जिम्मेदार हैं। जैसा कि इस परियोजना की निदेशक नंदिनी हरिनाथ हंसती हुई कहती हैं,“कई बार मैं इस बात पर चकित रह जाती हूं, जब सारा ध्यान हम महिला वैज्ञानिकों पर केंद्रित कर दिया जाता है...मेरे पुरुष सहकर्मी भी समान रूप से कठिन परिश्रम करते हैं, सो वह भी इसके श्रेय के बराबरी के भागीदार हैं, ठीक? लेकिन कभी-कभी मैं स्वयं भी महसूस करती हूं कि उन तरह के उदाहरणों की जरूरत महिलाओं को है, ताकि वे जानें कि उनके लिए भी (विज्ञान के क्षेत्र में सफलता) संभव है और इसलिए उन्हें इससे बाज नहीं आना चाहिए।” ऋतु करिधाल जो इस परियोजना की निदेशक और उप संस्थान प्रबंधक थीं, जो इस यान के धरती से छोड़ने के अभियान और मंगल के परिक्रमा पथ में प्रवेश करने के अतिमहत्वपूर्ण अभियान के लिए जवाबदेह थीं। मौउमिता दत्ता मंगल के लिए मीथेन संवेदी की परियोजना प्रबंधक थी और समूचे चाक्षुष तंत्र (आप्टिकल सिस्टम) के विकास के लिए उत्तरदायी थीं। मीनल सम्पत ने स्पेस एप्पलिकेशन सेंटर (एसएसी) के लिए उपकरणों का निर्माण और उनका परीक्षण किया था। उस समय इसरो कर्मियों में हालांकि महिलाएं महज 20 फीसदी से भी कम थीं, मंगलयान मिशन में 40 फीसदी महिलाओं ने पुरुष की बराबर भूमिकाएं निभाईं थीं।
हालांक कि जॉन गे यह दावा कर सकते हैं कि पुरुष मंगल ग्रह से आए हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आई हैं, लेकिन वे जिस तरह से मंगलमिशन में लगी हैं, तो यह भी संभव है कि मंगल पर पहला चरण महिलाओं के ही पड़े। और निश्चित रूप से यह महिला ही होगी, जो मंगल पर मानव को पहुंचाने तथा शहर बसाना संभव करेगी।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English) [3]
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[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2021/march/09/mangal-aaya-pahunch-mein-mahila-ka-pariprekshy
[2] https://www.vifindia.org/author/vandana-m-kumar
[3] https://www.vifindia.org/2021/march/05/mangal-within-reach-a-woman-s-perspective
[4] https://www.boldsky.com/img/2019/07/coverimage-1563951891.jpg
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