कोविड-19 संकट ने पूरी दुनिया को चीन के साथ सहयोग और प्रतिस्पर्धा की नीतियों के पुनरावलोकन पर विवश कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस विनाशकारी वायरस के उद्गम क्षेत्र की जांच करने की मांग की है, जिसने चीन को निशाने पर ला दिया है। हालांकि इस अभूतपूर्व समय ने भी पाकिस्तान को अपने ‘सभी मौसम के मित्र’ का सहयोग और समर्थन करने से नहीं रोक पाया है। वास्तव में चीन पाकिस्तान इकोनामिक कोरिडोर (सीपीईसी) ने पाकिस्तान और चीन के रिश्तों का नवीकरण कर दिया है, इसलिए कि हाल में ही नई जल विद्युत परियोजनाओं के समझौते पर दस्तखत किए गए हैं। हाल ही में इमरान खान ने एक उकसाने वाली घोषणा की, “पाकिस्तान किसी भी कीमत पर सीपीईसी को पूरा करेगा’’।1 उन्होंने यह भी कहा, “यह पाकिस्तान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अद्भुत परियोजना है।”2 स्पष्ट है कि पाकिस्तान के सत्ताधारी अभिजन चीन के दुष्ट व्यवहार को नजरअंदाज कर रहे हैं और इस बात से गाफिल हैं कि सीपीईसी सड़क कहीं नहीं है और यह व्यवहार्य नहीं है। सीपीईसी के इर्द-गिर्द रची जा रहीं गुलाबी कहानियों पर पाकिस्तान और चीन के उत्साही अभिजनों का नियंत्रण है, जो इसे आलोचना के दायरे से बाहर रखते हैं।3 ऐसे में यह जरूरी हो जाता है किसी भी इस परियोजना की गंभीर खामियों को उजागर किया जाए और चीन की कारगुजारियों का भंडाफोड़ किया जाए।
चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसे पाकिस्तानी अभिजनों द्वारा खेल बदलने वाला काम बताया गया था। इस परियोजना को आधिकारिक रूप से अप्रैल 2015 में लागू किया गया था। यह आर्थिक गलियारा शिजियांग के कासगर को बलूचिस्तान के ग्वादर से जोड़ता है। इसके शुरू होने के 5 साल बाद इसका दूसरा चरण प्रारंभ किया गया है। पहला चरण विद्युत परियोजनाओं और रेलवे लाइनें बिछाने से ताल्लुक रखता था जबकि दूसरे चरण में विशेष आर्थिक जोन, कृषि, उद्योग, व्यापार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर दिया गया है। इन परियोजनाओं को 15 साल में पूरा करने के लिए 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बजट रखा गया था। बाद में इस राशि को बढ़ाकर 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया गया। हालांकि यह प्रोजेक्ट दूसरे चरण में चला गया है, लेकिन इसके साथ कुछ रहस्य अब भी बना हुआ है। परियोजना के ब्योरे, निवेश और कर्ज के विवरण, परियोजना का पूरा विवरण और पाकिस्तान को द्वारा चुकाई चुकाने वाली कीमत अभी तक अबूझ बनी हुई है। आक्रामकता और चीन की अपारदर्शी वित्तीय शर्तें पाकिस्तान के कर्ज को बढ़ा दिया है और उसे भुगतान का संकट हो गया है। सीपीईसी संबंधित आयात खर्च के बढ़ते जाने के परिणामस्वरूप पाकिस्तान के चालू खाता घाटा सीपीईसी के 2015 में शुरुआत होने के बाद से बढ़कर 700 फीसद तक पहुंच गया है।4 कोविड-19 ने पहले से ही संकटग्रस्त पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को और संकट में ला दिया है। पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।5 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक अनुमान के मुताबिक संघीय सरकार का कर्जा प्रि-कोविड-19 जीडीपी के 80. 4 फीसद से बढ़कर पोस्ट-कोविड-19 में 85.4 फीसद हो गया है। पाकिस्तान ने सीपीईसी के फलस्वरूप सबसे अधिक 22 बिलियन डॉलर का कर्जा चीन से ले चुका है। एक अनुमान के अनुसार इस्लामाबाद टीचिंग की सीपीईसीसीपीसी संबंधित कर्ज के सधान में निबट जा सकता है क्योंकि चीन का सीपीईसी संबंधित निवेश पोर्टफोलियो 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो कर्ज और उस पर देय ब्याज स्कीम के तहत है, जिसके आज से 30 साल बाद 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने की संभावना है।6 हालांकि पाकिस्तान इस बात को जानता है कि वह चीन का कर्जा सधाने के काबिल नहीं है और वह धीरे-धीरे अपनी ही सरजमी पर संप्रभुता को गंवा बैठेगा। हाल ही में पाकिस्तान ने चीन से गुजारिश की है कि वह उसका कर्जा माफ कर दे या उसके कर्ज के रि-प्रोफाइलिंग करें तथा बिजली खरीद संधि पर फिर से बातचीत की इजाजत दें। सच तो यह है कि सीपीईसी कर्ज का एक जाल है। सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि पाकिस्तान उन सर्वाधिक कमजोर 8 देशों में है जिस पर कर्ज का तनाव बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा है।7 चीनी एक्जिम बैंक के ग्राहकों को ‘रियायत दर’ 2 से 2.5 फीसद ब्याज पर कर्ज दिया जाता है, लेकिन जैसा कि रिपोर्ट कहती है, पाकिस्तान के कुछ कर्जे 5 से 8 फीसद की ऊंची ब्याज दर पर दिए गए हैं।8 इस तरह वित्तीय समझौते चीन के पक्ष में बुरी तरह से तिर्यक झुके हुए हैं।
दरअसल, सीपीईसी की ज्यादातर परियोजनाएं जिनमें व्यावसायिक विद्युत परियोजना भी शामिल हैं, वह बेहद खर्चीली और और अव्यावहारिक हैं। वे ऊंची लागत वाली, कड़ी ब्याज दर तथा ईंधन के निम्न चुनावों पर आधारित हैं, जो पाकिस्तान में बिजली उत्पादन को खर्चीली बनाता है। “कमिटी फॉर पावर सेक्टर ऑडिट, सर्कुलर डेट रिजर्वेशन एंड फ्यूचर रोड मैप’’ की हाल ही में आई 278 पेज की रिपोर्ट ने परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और चीन द्वारा पाकिस्तान के संसाधनों का व्यापक पैमाने पर किए जा रहे दोहन को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट में स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में 100 बिलियन पाकिस्तानी रुपये के कदाचार को अधिसूचित किया गया है, जिनमें इसका एक तिहाई चीनी परियोजनाओं से संबंधित है।9 एक आंतरिक रिपोर्ट में चीन को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि चीन-पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर की परियोजना 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की है, जो भारत में बेहतर प्रौद्योगिकी वाली परियोजना के मुकाबले 234 फीसद खर्चीली है।10 तो सीपीईसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को विकसित करने की चीन की परहितायवादी प्रयास का हिस्सा नहीं है और वह किसी भी रूप में पाकिस्तान को दिया गया उपहार भी नहीं है। वास्तव में यह भू-रणनीतिक उपकरणों को पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए एहतियातन तैयार किया गया है ताकि उसके बाद पाकिस्तान पर राजनीतिक प्रभाव जमाने में उसका इस्तेमाल किया जाए, जबकि सीपीईसी के पक्ष में कोई आर्थिक तर्क नहीं है और यह पाकिस्तान की डांवाडोल अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी माना जा सकता है। इसके लिए उसे अपनी सुरक्षा परियोजनाओं के मद्देनजर कड़ी चुनौतियां झेलनी पड़ सकती हैं। उसके आतंकवादी चीनी निवेशकों और नागरिकों को अपने हमले का निशाना बना रहे हैं। सीपीईसी के लिए बलूचिस्तान में चुनौतियां बढ़ रही हैं, जहां सीपीईसी की परियोजना ग्वादर बंदरगाह पर काम चल रहा है। बलूच अलगाववादियों ने चीनी कामगारों और इंजीनियरों पर हमले कर रहे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय समूह की तरफ से बनाई गई रिपोर्ट “चाइना पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर: अपॉर्चुनिटी एंड रिस्कस’’ में इस बात को रेखांकित किया गया है कि बलूचिस्तान के स्थानीय बाशिंदों में असंतोष उभर रहा है क्योंकि उनकी नजर में ग्वादर बंदरगाह से इस सूबे को सीधा वित्तीय लाभ नहीं होगा और यह हाशिए पर धकेला जाने वाला क्षेत्र हो गया है, जहां स्थानीय लोग विस्थापित हो रहे हैं और आर्थिक जीवन रेखा के लाभ से वंचित हो रहे हैं।11
इसके अलावा, चीन विरोधी मानसिकता नए सिरे से बन रही है, जो सीपीईसी में चीन की मंशा के खिलाफ है। पाकिस्तान के स्थानीय लोग खासकर बलूचिस्तान, गिलगित-बालटिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की स्थानीय आबादी सीपीईसी को लेकर आवाज बुलंद कर रही है। उनका विरोध इस बात से है कि यह परियोजना उनकी मर्जी के खिलाफ बनाई जा रही है। सीपीईसी के बारे में आधिकारिक स्वर इन आम आलोचनाओं तथा रिपोर्टों में खामियां गिना कर उन पर पर्दा डालते हैं। वहीं, स्थानीय बाशिंदों जबरन जमीन अधिग्रहण और उस पर कब्जे की शिकायत करते हैं। इस जबरिया हरकत के चलते लोग-बाग बेघर हो रहे हैं, उन्हें वहां से जबरन भगाया जा रहा है, उनके संसाधनों का दोहन हो रहा है और इससे पर्यावरण की समस्या (प्रदूषण, वनों की कटाई आदि) बढ़ गई है और विशेष रूप से मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।12 सीपीईसी के खिलाफ नियमित रूप से प्रदर्शन हो रहे हैं। अभी हाल ही में बलूचिस्तान, सिंध, पीओके और गिलगित-बालटिस्तान में आजाद पाटन और कोहला जल विद्युत परियोजनाओं के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं, ये समझौते हालिया हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न मसलों को उठाया है जैसे वे चीनियों द्वारा संसाधनों के दोहन पर गहरी चिंता जता रहे हैं, बांधों के प्रति पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की बात करते हैं और इस परियोजना में समावेशी विकास के अभाव को उजागर करते हैं।
यद्यपि सीपीईसी को सांस्थनिक रूप दिया जा रहा है और सत्ता के शीर्ष पर इसको लेकर ढेर सारा उत्साह भी है, किंतु स्थानीय आबादी में चीन विरोधी मानसिकता और उनके गुस्से का पता चलता है। हालांकि चीन पाकिस्तान के अभिजनों को तो खरीद सकता है, लेकिन वह स्थानीय बाशिंदों का भरोसा जीतने में फेल हो गया है और यह उसके विनाश का व्यंजन हो सकता है। लिहाजा, सीपीईसी का भविष्य धुंधला दिखाई देता है और यह विरोधाभासों और जटिलताओं में घिरा रह सकता है। सीपीसी चीन के विश्वासघात का एक और उदाहरण है, जो पाकिस्तान को उसके एक मुवक्किल देश में तब्दील कर ही मानेगा।
Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English) [3]
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[2] https://www.vifindia.org/author/Aakriti-Vinayak
[3] https://www.vifindia.org/2020/september/11/deconstructing-china-pakistan-economic-corridor-is-it-viable
[4] https://www.thestatesman.com/wp-content/uploads/2017/08/1498783211-cepec.jpg
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