कोरोना वायरस महामारी से उपजे वैश्विक संकट के मद्देनजर, जिम ओ'नील की भारतीय शासन व्यवस्था के बारे में टिप्पणी न केवल अस्वाभाविक थी, बल्कि गैर-जरूरी भी थी।1 चर्चा इस बाबत थी कि पश्चिमी देशों को घातक कोरोना वायरस के संदर्भ में चीन द्वारा तेज और आक्रामक उपायों की कला कैसे सीखनी चाहिए। इसमें भारत का उल्लेख करने की आवश्यकता ही नहीं थी, लेकिन उन्होंने कहा कि "भगवान का शुक्र है कि यह भारत जैसे देश में शुरू नहीं हुआ" क्योंकि वहां की शासन संरचना इस तरह के प्रभावी नियंत्रण की अनुमति नहीं देती। बेशक, महामारी की शुरूआत भारत से नहीं हुई! पिछली दो शताब्दियों में भारत में कितने अंतरराष्ट्रीय महामारियों की उत्पत्ति हुई है? बहरहाल, यह इस बारे में नहीं है कि बीमारी कहाँ से उत्पन्न हुई है, बल्कि इस बारे में है कि हमें इसका सामना कैसे करना चाहिए।
खैर, चीनी मॉडल का पालन करने के संबंध में फिर ओ'नील के बयान पर वापस आते हैं, क्या हम वास्तव में चीनी उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं? हां या ना। बेशक, जहाँ तक महामारी विज्ञान का सवाल है, दुनियाभर में वर्तमान परिस्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन अगर हम शासन के पहलू को देखें, तो चीनी उदाहरण का कितना अनुसरण किया जा सकता है? पहले से ही गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर बहस चल रही है, लेकिन यहां उसपर चर्चा नहीं की जाएगी। हम इसपर भी चर्चा नहीं करेंगे कि चीन ने त्वरित रूप से कार्रवाई की - क्योंकि यह स्पष्ट है कि उन्होंने नहीं की (चीनी सरकार द्वारा इस तथ्य से प्रारंभिक रूप से इनकार किया जाता रहा कि उसके नागरिक एक नई बीमारी से पीड़ित थे)।2 यह एक निर्विवादित तथ्य है। हमें अब यह सोचने की जरूरत है कि आगे की परिस्थिति कैसी दिखाई पड़ती है। विशेष रूप से हमें किस चीज से सतर्क रहने की आवश्यकता है?
आगे चर्चा करने से पहले, एक अन्य मौलिक प्रश्न है - चीन में जो कार्य सफल हो गया वह शायद कहीं और काम नहीं कर सकता है। हमें इस तरह की पुरातत्व विश्व के पश्चिमी सर्वव्यापी सोच को छोड़ने की जरूरत है कि एक ही मॉडल हर जगह कारगर सिद्ध होगा। सफलता सबसे अच्छी रणनीति पर निर्भर नहीं करती है; सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि किसी की रणनीति उसके संदर्भ में कितनी व्यापक है। वास्तव में, किसी के संदर्भ के बाहर अच्छी रणनीति नहीं है। इसका आशय है यहां यह जानना आवश्यक है कि चीन ने क्या किया और यह भी जानना कि उसे अपने संदर्भ के अनुरूप स्थितियां तैयार कीं। उदाहरण के लिए, भारत और चीन कई मामलों में समान हैं, लेकिन हमारा समाज दो अलग तरह का समाज है (जनता) और अर्थव्यवस्था। भारत में किसी भी समाधान के लिए उसे भारतीय स्थिति के अनुरूप बनाना होगा।
न ही चीन की हर कोई प्रशंसा कर रहा है। ब्लूमबर्ग स्तंभकार, क्लारा फ़ेरेरा मार्किस ने कहा: “हमने यह भी सीखा है कि बल का प्रयोग - अल्पावधि में ही काम करता है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह चीन के बाहर या वास्तव में सभी के लिए प्रभावी हो सकता है, जहां ड्रोन से मास्क उपयोग की निगरानी की जाती है, रोड-ब्लॉक कर दिए जाते हैं और मध्यम रूप से संक्रमित लोगों को बड़े पैमाने पर आइसोलेशन केंद्रों में उनके परिवारों से अलग रखा जाता है। संक्रमणों को कम करने में सफलता ऐसे उपायों को स्थायी या आकर्षक नहीं बनाती हैं।”3 पश्चिमी लोकतांत्रिक देश चीनी तरीकों को लेकर आलोचनात्मक रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इस कारण को अलग-अलग तरीकों और श्रेणी में व्यक्त किया है।4 दूसरी ओर, चीन ही एकमात्र मॉडल नहीं है। दक्षिण कोरिया ने बड़े पैमाने पर फ्री टेस्टिंग परीक्षण किए हैं।5 ताइवान के दृष्टिकोण को "उदारवादी", "तकनीकी" होने के साथ ही "दयापूर्ण" है तथा उसके "उदार मूल्यों के अनुरूप" भी है।6
हमें इस बात पर यकीन करना होगा कि "तेज और आक्रामक" उपाय का एक दूसरा पक्ष भी है, और वह है थकावट। चीन अपने चरम उपायों को कब तक कायम रख सकता है? रोबोट को मास्क वितरित करने के लिए तैनात किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर और देखभाल करने वाले मनुष्य इंसान हैं, रोबोट नहीं। और इसलिए वह रोगी और संभावित रोगी हैं। फेरेरा मार्किस के अनुसार, थकान दूसरी कोविड तरंग की वाहक होगी।7 चीनी लोगों में थकान पहले से ही दिखाई दे रही है। चूंकि, चीन में इसकी संख्याएं स्थिर हो गई है इसलिए, वे अब इसमें ढिलाई बरत रहे हैं।8 यह आत्मसंतोष से अधिक, सामान्य और सुगम थकान है, और "अकेलापन" भी निहित है।9 लेकिन ये इसलिए नहीं है कि कठोर अलगाववादी उपाय नहीं किए जाने हैं। यूनाइटेड किंगडम ने यही गलती की। वे "व्यवहारिक थकान"10 के बारे में चिंतित थे और प्रारंभिक दौर में उन्होंने प्रतिबंध लागू नहीं किए। दूसरी ओर, भारत ने चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधों की शुरुआत की। एक तरह से, इसने नागरिकों को इस बारे में तैयार किया कि इस संबंध में क्या उम्मीद की जाए। लेकिन यहां तक कि यह तैयारी भी एक बिंदु से इतर कारगर नहीं होगी, अगर लोगों के पास अकेलेपन से निपटने के उपाय नहीं है। अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं। इसके बढ़ते मामले सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे पर भारी पड़ेंगे - न केवल भारत में बल्कि दुनिया के किसी भी अन्य देश में। गणितीय मॉडल की भविष्यवाणी के अनुसार स्थिर होने से पहले इसके मामलों में तीव्र गति से इजाफा होगा। यह स्थिति महीनों तक रह सकती है। और इसके बाद आर्थिक मंदी आएगी। इस वर्तमान परिदृश्य के साथ और भारत में जब सीमित परीक्षण सुविधाओं (जिसके उचित कारण हैं) के साथ आइसोलेशन ही वायरस को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका है। ऐसे समय में, हमें उतनी ही मनोवैज्ञानिक सहायता प्रणाली की आवश्यकता है, जितनी हमें दवा, बुनियादी ढांचे और प्रभावी प्रशासन की आवश्यकता है।
जैसा कि भारत अब अंततः लॉक-डाउन मोड में चला गया है, हमें कुछ तथ्यों से अवगत होने की आवश्यकता है। फरेरा मार्केस हमें चेतावनी देते हैं: “कोई भी इस पैमाने और संभावित अवधि की महामारी में सामान्य व्यवहार को बनाए रखने हेतु सटीक रहस्य नहीं जानता है… मनुष्य उच्च सतर्कता की स्थिति बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं। वे डगमगा जाते हैं।”11 अंततः, इस मानव व्यवहार के साथ ही इसका अंत होता है। एक सकारात्मक दृष्टिकोण, सरकारी सलाह का पालन करना, सावधानी और एहतियात कोरोना वायरस के सफल नियंत्रण की कुंजी है।
मन न केवल अत्यधिक गतिविधि से, बल्कि गतिविधि की कमी से भी थका हुआ है, जो आगे की अनिश्चितता पर चिंता से घिरा है। तो, मन को विचार करने के लिए पौष्टिक भोजन चाहिए। यदि हमारे सोचने और व्यवहार करने के तरीके में कुछ भी विशिष्ट है, तो हम, एक व्यक्ति के रूप में, अपने स्वयं के पारंपरिक संसाधनों- प्रार्थना, ध्यान, संगीत, परिवार का समर्थन, समुदाय का समर्थन, कृतज्ञता, प्रकृति के प्रति श्रद्धा, और दूसरों की देखभाल व गहराई से चिंतन करना चाहिए। दूसरों के लिए एक सरल जीवन और गहरी सोच। दूसरी ओर, यह जानना अच्छा है कि एक संकट अक्सर हमें अधिक केंद्रित बना सकता है और यह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर सच है। इसलिए, यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसे प्रतिकूलता के रूप में देखते हैं या अवसर के रूप में। याद रखें, कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण भारतीयों (हमारे स्वतंत्रता सेनानियों) ने जेल में ही अपने जीवन का अधिकतर समय व्यतीत किया है (अलीपुर जेल में अरबिंदो घोष के जेल कोठरी में खिड़की भी नहीं थी)। फिर भी इन सभी ने अद्भुत काम किया और जेल में रहते हुए अद्भुत अंतर्दृष्टि प्राप्त की। उसकी तुलना में हमारे अपने घरों में आइसोलेशन क्या है?
इस स्थिति का एक भावनात्मक आयाम भी है। हम इसमें साथ हैं। हमें एक-दूसरे की देखभाल करके एक-दूसरे को संकट से बचाना होगा। देखरेख करने वालों के मनोबल को उठाकर, हमारे लिए काम करने वालों (उदाहरण के लिए, घरेलू मदद) की देखभाल अपने आप हमारी और उनकी मनोदशा में परिवर्तन लाएगा। प्रधानमंत्री अपने भाषणों के माध्यम से ऐसा करते रहे हैं और कोई भी इसके महत्व को कोई कमतर नहीं कर सकता है। अगर लोगों का मनोबल टूटता है तो भी सरकार की सर्वश्रेष्ठ मशीनरी विफल हो जाएगी। इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच महत्वपूर्ण कारक हैं, समय पर चिकित्सा सेवाओं के अलावा, घातक बीमारियों से लड़ने में (कैंसर रोगियों को इसके केंद्र में रख सकते हैं)।
हमें घबराहट और निर्दयता दो तरह के चरम को दूर करना होगा। हम बिना बेचैन हुए सतर्क रहें। वायरस अपनी अवधि को जीएगा। यह स्थिर होने से पहले तीव्रता से बढ़ेगा। संकल्प, संकल्प और संकल्प समय की मांग है। स्वास्थ्य सोचिए, सकारात्मक सोचिए।
Links:
[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2020/march/31/bharat-me-covid-19-ranniti-manav-vhavhar-par-kendrit
[2] https://www.vifindia.org/author/arpita-mitra
[3] https://www.cnbc.com/2020/03/11/thank-god-this-didnt-start-in-india-jim-oneill-praises-chinas-coronavirus-response.html
[4] https://www.bbc.com/news/world-asia-china-51364382
[5] https://economictimes.indiatimes.com/news/international/world-news/fatigue-will-be-the-carrier-of-the-second-coronavirus-wave/articleshow/74725529.cms
[6] https://thehill.com/opinion/international/488407-one-reason-democracies-handle-crises-better-than-authoritarians
[7] https://www.forbes.com/sites/kenrapoza/2020/03/12/china-and-south-korea-models-seem-like-only-way-to-contain-covid-19/#74170b8c47d3
[8] https://www.theguardian.com/world/2020/mar/20/chinese-life-slowly-gets-back-to-normal-as-the-epidemic-subsides-coronavirus
[9] https://www.theatlantic.com/health/archive/2020/03/coronavirus-pandemic-herd-immunity-uk-boris-johnson/608065/
[10] https://www.vifindia.org/2020/march/24/covid-19-in-india-strategy-has-to-address-human-behavior
[11] http://www.facebook.com/sharer.php?title=भारत में COVID-19: रणनीति मानव व्यवहार पर केंद्रित होनी चाहिए&desc=&images=https://www.vifindia.org/sites/default/files/660-3_0.jpg&u=https://www.vifindia.org/article/hindi/2020/march/31/bharat-me-covid-19-ranniti-manav-vhavhar-par-kendrit
[12] http://twitter.com/share?text=भारत में COVID-19: रणनीति मानव व्यवहार पर केंद्रित होनी चाहिए&url=https://www.vifindia.org/article/hindi/2020/march/31/bharat-me-covid-19-ranniti-manav-vhavhar-par-kendrit&via=Azure Power
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