हम आज का विमर्श दिवंगत वाईस एडमिरल श्री केके नय्यर को याद करते हुए शुरू करेंगे । एडमिरल नय्यर का 18 सितंबर 2018 को स्वर्गवास हो गया।
सम्मानित एडमिरल नय्यर विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष थे। वह पिछले 10 वर्षों में वीआईएफ के विकास के कार्य में निकटता से जुड़े थे। उन्होंने खुद को देश में रणनीतिक विचारकों के मजबूत समुदाय के निर्माण के प्रयासों में शामिल किया। 1986 में भारतीय नौसेना के उपाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद एडमिरल नय्यर कई थिंक टैंकों के विकास से जुड़े थे।
वे दयालु और उदार प्रकृति के व्यक्ति थे। उन्होंने कई युवाओं को राष्ट्रहित के विषयों पर शोध के लिए प्रोत्साहित किया। एक गर्वपूर्ण भारतीय होने के नाते, वह राष्ट्र हितों के प्रबल समर्थक थे। उनके जाने से वी आई ऍफ़ को जो क्षति हुई उसको पूरा करना कठिन होगा।
मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि एडमिरल केके नय्यर की याद में एक मिनट का मौन करें और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करे।
यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने "देश, व्याक्ति और समाज" विषय आज विमर्श व्याख्यान के लिए सहमति व्यक्त की है। उनके व्याख्यान के माध्यम से हम 125 साल पहले शिकागो में स्वामी विवेकानंद के उस प्रसिद्ध भाषण को भी याद कर रहे हैं जिसका उन्होंने दुनिया को भारतीय आध्यात्मिक सोच व चिंतन के प्रति जागृत किया था। विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन को 125 साल पहले स्वामी विवेकानंद द्वारा आध्यात्मिकता और भारत पुनर्जागरण से निरंतर प्रेरित होती है ।
स्वामी अवधेशानंद जी महामंडलेश्वर के आचार्य हैं और जुनापीठ के अधयक्ष हैं। स्वामी अवदेशानंद गिरि महाराज एक प्रसिद्ध आचार्य, दार्शनिक, लेखक और वेदांत के ज्ञाता हैं। वह धार्मिक नेताओं की विश्व परिषद के सदस्य है और सामाजिक उत्थान और संस्कृति के प्रचार के विषय में डी. लिट् भी हैं। स्वामीजी ज्ञान, विज्ञान, कला और धर्म के माधयम से वयक्ति निर्वाण चाहतें हैं । वह युवाओं को राष्ट्र की शक्ति के रूप में देखते हैं। वह एक चरित्र निर्माता है जो भारतीय परंपरा, धर्म और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं में युवाओं को प्रशिक्षण देतें है। स्वामीजी, एक प्रखर वक्ता हैं । उनके भाषण और व्याख्यान दुनिया भर में लोकप्रिय हैं।
दोस्तों, 150 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने भारत के पुनर्जागरण के बारे में बात की थी। आज फिर हम तुरंत महसूस करते हैं कि भारत पुनर्जागरण के दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है। भारत में दुनिया की युवाओं की सबसे बड़ी आबादी है। युवा ऊर्जा का यह विशाल जलाशय भारत को विश्व की उच्चत्तर कक्षा में ले जा सकता है। हालांकि, यह अपने आप से ही नहीं होगा। हमारे देश और समाज में अभी भी कई कमियां हैं । बढ़ती आय- असमानताओं से देश ऑफ़ समाज में अधिक विकृति और परेशानी आ सकती है। भारत में बड़ी मात्रा में धन का अर्जन तो हुआ है, लेकिन हम घोर भौतिकवादी प्रवृत्तियों का प्रचलन भी देख रहे हैं । इसका समाज पर अपना दुष्प्रभाव होता है। हमारी शिक्षा और हमारे दिन प्रतिदिन के व्यवहार मैं नैतिक मूल्यों और आधात्मिक्ता की कमी है ।
मैं स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज से राष्ट्र, समाज और व्यक्ति को मजबूत करने के तरीके पर उनके विचार और सलाह साझा करने का अनुरोध करता हूं।
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