राजनीतिक उथलपुथल
हिन्द महासागर का यह टापू देश, मालद्वीप, उस वक़्त यकायक राजनैतिक घमासान में लिप्त हो गया जब देश की सर्वोच्च अदालत ने 1 फ़रवरी 2018 को पूर्व राष्ट्रपति नशेद समेत 9 अन्य राजनीतिक कैदियों को, जिन्हें वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन की सरकार ने बंदी बनाया था, रिहा करने का फैसला सुनाया| न्यायलय के अनुसार पिछली सुनवाई और सम्बंधित कार्यवाही राजनीति से प्रेरित और अन्यायपूर्ण थी| इसके अलावा सर्वोच्च न्यायलय ने उन 12 सांसदों को उनके पदों पर नियुक्त करने का आदेश दिया है जिन्हें वर्तमान सरकार द्वारा उनके पद से हटा दिया था|
अदालत का यह निर्णय, पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद (यूनाइटेड किंगडम में निर्वासित) एवं मॉमून अब्दुल गयूम के द्वारा दाख़िल की गयी याचिका की हफ्तों तक विलंबित सुनवाई के बाद आया है| यह याचिका उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति यामीन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए दाख़िल की थी| स्थिति तब चिंताजनक होने लगी जब राष्ट्रपति ने न्यायलय का फैसला मानने से इंकार कर दिया और विपक्ष समेत अन्य सहयोगी सरकार के ख़िलाफ़ और अदालत के फैसले के पक्ष में माले की सड़कों पर उतर आए| मुख्य न्यायधीश अब्दुल्ला सईद के आवास के बाहर लोगों ने काफ़ी हंगामा किया और लोगों की पुलिस से झड़प भी हुई|
क्षति नियंत्रित करने की कड़ी में प्रशासन ने पुलिस प्रधान को निरस्त भी किया जिसका कारण था की वे न्यायलय के आदेश का पालन करने के अपने दायित्व को निभा रहे थे| पीपल्स माजलिस यानि मालद्वीप की संसद में इस पर मुद्दे को न उठने देने के लिए संसद का संचालन 6 फरवरी के बाद करना सुनिश्चित किया गया| महान्यायवादी न्यायलय के फैसले से उपजी समस्यायों के विषय में कुछ आदेश जारी करेंगे इस तरह के निर्देश भी जारी किये गये| इसी के चलते उन्होंने यह साफ़ किया भी की सरकार ने राजनैतिक कैदियों के केस की एक बार फिर समीक्षा करना तय किया है|
पूर्व राष्ट्रपति नशीद, जो राष्ट्रपति यामीन के सत्तावादी शासन के खिलाफ अपने अभियान चला रहे थे, ने पत्रकारों से बात करते हुए अदालत के फैसले की प्रशंसा की और कहा की इस साल के अंत में होने वाले चुनावों में वे अवश्य भाग लेंगे| यामीन द्वारा सत्ता बचाने के लिए देश में आपातकाल लागू करने की संभावनाओं के बीच भी नशीद कहते है, कि यदि न्यायलय के फैसले का सम्मान नही हुआ तो देश में और अधिक हिंसा और अशांति फ़ैल सकती है|
संवैधानिक तौर पर स्थिति क्या है?
वर्तमान सरकार के लिए यह फैसला कई कारणों से चिंताजनक है| पहला कारण यह कि इससे नशीद को सत्ता के गलियारों में वापसी का एक अच्छा जरिया मिलेगा क्यूँकी उनके ऊपर लगाये गये आरोप झूठे सिद्ध हुए है| दूसरा, राष्ट्रपति द्वारा निलंबित 12 सांसदों की पुनः वापसी के बाद संसद की संरचना में भी बड़ा बदलाव आएगा| 85 सांसदों की संख्या वाली संसद में, 12 सांसदों की वापसी से विपक्ष को बहुमत प्राप्त हो रहा है, जिससे वर्तमान सत्ता गिर जाएगी और यहाँ तक की राष्ट्रपति पर महाभियोग भी चलाया जा सकता है| मालद्वीप के संविधान (अध्याय तीन: पीपल्स माजलिस, क्रमांक 100)के तहत यदि संसद में लाए गये प्रस्ताव पर संसद की कुल संख्या का दो-तिहाई बहुमत मौजूद हो तो राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ेगा| इसी अध्याय के 74 क्रमांक पर यह भी स्पष्ट है कि सांसदों के कार्यकाल की वैधता न्यायलय के निर्णय का विषय है| यदि संसद की कार्यवाही शुरू होती है तो राष्ट्रपति यामीन पर महाभियोग लगाये जाने का भी खतरा है| फ़िलहाल सरकार ने संसद को बंद कर रखा है और न्यायलय के निर्णय अनुसार कैदियों को रिहा करने के बजाए संसद में मौजूद विपक्ष के दो अन्य सांसदों को भी गिरफ्तार कर लिया है|
पत्रकारों को संबोधित करते हुए महान्यायवादी ने कहा की न्यायलय के पास राष्ट्रपति को हटाने का अधिकार नही है| संविधान को देखते हुए यह सही है की न्यायलय राष्ट्रपति को उनके पद से हटा नही सकती| वह केवल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की समीक्षा कर सकती है और इसके अलावा पीपल्स माजलिस द्वारा राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के अपने निर्णय की समीक्षा कर सकती है|
विपक्ष द्वारा देश में आपातकाल लगाये जाने की सम्भावना कहीं न कहीं गौर करने लायक है| संविधान में लिखित अध्याय 9 और क्रमांक 253 के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडी गंभीर परिस्थिति के दौरान देश में आपातकाल की घोषणा कर सकते है| हालाँकि इस निर्णय को संसद में मंजूरी मिलनी भी आवश्यक है साथ ही यह शुरूआती स्तर पर केवल 30 दिन तक लागू होगा| 30 दिनों के पश्चात् आपातकाल की अवधी बढाया जाना संसद के अधिकार का विषय है| फ़िलहाल यदि नज़र डाले तो राष्ट्रपति संसद के पुनर्गठन को रोकने के लिए उचित कदम उठा चुके है|
सुरक्षा का प्रबंध
राष्ट्रपति इस समय सुरक्षा बालों पर काफ़ी भरोसा करते हुए, उन्हें किसी भी तरह विरोधियों के प्रदर्शन को रोकने के आदेश दे चुके है| आक्रोषित जनता पर आँसू गैस और लाठीचार्ज का उपयोग सुरक्षा बालों द्वारा किया जा रहा है| सेना ने संसद को घेर रखा है और अन्य सरकारी दफ्तर जहाँ प्रमुख रूप से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, वहाँ पर भी पुलिस बाल और दंगे से निबटने के लिए विशेष पुलिस तैनात है|
पुलिस प्रधान अहमद अरीफ को उपद्रव के दो दिनों के भीतर हटा दिया गया क्यूँकी उन्होंने न्यायलय के फैसले का पालन करने का निर्णय लिया था| उनकी जगह उनके कनिष्ठ अहमद साऊधी ने ली मगर उन्हें भी बिना किसी वजह के हटा दिया गया| अब उप-पुलिस कमिश्नर अब्दुल्ला नवाज़ को अस्थायी तौर पर पुलिस चीफ बनाया गया है| इन घटनाओं से जाहिर है कि यामीन सरकार खुद भी अपनी सुरक्षा बालों की वफादारी के प्रति संदेह में है| इस सन्दर्भ में यह गौर करने लायक है कि अध्याय नौ और क्रमांक 239 बिंदु ब के तहत सुरक्षा बल संसद के अधिकार क्षेत्र में आती है| क्रमांक 243 बिंदु ब के तहत हालाँकि राष्ट्रपति ही सेनाध्यक्ष होता है मगर उनका यह अधिकार पीपल्स माजिलिस द्वारा छीना जा सकता है| संसद में बहुमत खो देने के पश्चात् इन सभी प्रावधानों के चलते राष्ट्रपति के पास अपनी सत्ता बचाने का केवल यही उपाय है की वह संसद की कार्यवाही न होने दे जिसके पूरे प्रयास वे कर रहे है|
अंतरराष्टीय प्रतिक्रिया
इस फैसले का कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने स्वागत किया है जिसमे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय, यूरोपियन संघ, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और भारत सरकार भी शामिल है| “लोकतंत्र की आत्मा और न्याय के शासन में मालद्वीप की सरकार व् उसके सभी अंगों के लिए यह जरूरी है कि वे न्यायलय के निर्णय का सम्मान करें और उसका पालन करें”| मालद्वीप में अमेरिका के राजदूत ने ऐसा कहते हुए वहाँ की सरकार से अदालत के फैसले का सम्मान करने की गुहार लगायी|
आगामी चुनावों पर असर
राष्ट्रपति यामीन ने इस बात के संकेत पहले भी दिए थे कि इस वर्ष अक्टूबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को वे आगे लम्बे समय के लिए टाल सकते है| उनके इस कदम का उनके आने वाले दिनों पर एवं उनकी राजनीती पर सीधा असर पड़ सकता है| इसी कड़ी में अभी यह स्पष्ट नही हो पाया है कि नशीद चुनाव लड़ेंगे या नही| पिछले चुनाव भी कई तरह के विवादों के बीच संपन्न हुए थे| सितम्बर में हुए चुनावों का रद्द होना, उसके बाद बेहद कम समयसीमा, मतदान पंजीयन की समस्या और उसपर भी अक्टूबर 19 से नवम्बर 2013 तक लगातार चुनावों का टलना आदि के विषय में हिमल दक्षिणी एशिया की अज़रा नसीम ने एक विस्तृत लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है, जिसमे उन्होंने उस समय में यामीन की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालद्वीप (पीपीएम) की गतिविधियों का ब्यौरा भी दिया है| चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लगातार प्रयास किये गये थे| चुनावों के परिणामों से यामीन को फायदा मिला जिन्होंने बेहद काँटे की टक्कर से जीत हाँसिल की थी| यामीन की वोट हिस्सेदारी 51.39 प्रतिशत थी तो वही उनके प्रतिद्वंदी मोहम्मद नशीद की वोट हिस्सेदारी 48.61 प्रतिशत थी|
मालद्वीप चुनाव आयोग आने वाले महीने में फिर से देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने की कसौटी से गुजरने वाला है| स्थिर लोकतंत्र की तरफ़ देश को ले जाने की चुनौती पर एक बार फिर प्रश्न चिन्ह लगते दिख रहे है|
इस मसले पर भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण है| खासतौर पर यदि राष्ट्रपति यामीन, जैसा की माना जा रहा है अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल की घोषणा करते है तब| सांसद ईवा अब्दुल्ला जो मल्दिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी से ताल्लुक रखती है, के द्वारा भी ऐसा ही कहा गया| एएनआई की एक रिपोर्ट में उन्होंने कहा, “देश (मालद्वीप) में कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ रही है”| उन्होंने सुरक्षा बालों द्वारा लोगों पर कालीमिर्च स्प्रे और आँसू गैस के गोले छोड़े जाने को लेकर और देश में फैली अशांति को लेकर चिंता भी जताई| “हम इस वक़्त हमारे पड़ोसियों की सहायता चाहते है| हम चाहते है की हमारे मित्र देश न्यायलय के फैसले को लागू करवाने में मालद्वीप सरकार से उचित कार्यवाही करने का भरोसा ले”, उन्होंने आगे कहा| वर्तमान में, भारत को इस मसले पर सावधानी से प्रतिक्रिया देने की जरूरत है| भारत अभी विदेश मंत्रालय द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी कर सकता है जिसमें यह साफ हो को भारत ‘इस घटनाक्रम को लेकर संवेदनशील है और इसपर लगातार अपनी कड़ी नज़र बनाए हुए है’.
Sources:
• Al Jazeera News, Protests in Maldives amid pressure to release prisoners, Zahina Rashid, 3rd Feb, 2018.
• Associated press, Ex-Maldives president vows to run for office after prisoners freed, 2nd Feb, 2018.
• Associated Press, Exiled Ex-Maldives Leader Will Seek Presidency Again, Mohamed Sharuhaan and JayampathyPalipane.
• Associated Press, Maldives president says he's willing to hold early election, Mohamed Shahuraan, 3rd Feb, 2018.
• Al Jazeera, Maldives army seals off parliament, arrests MPs, 4th Feb, 2018.
• ANI, Maldives police 'uses pepper spray' against Chief Justice supporters, 4th Feb, 2018.
• http://www.presidencymaldives.gov.mv/Documents/ConstitutionOfMaldives.pdf [4]
(ये लेखक के निजी विचार हैं और वीआईएफ का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है)
Links:
[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2018/march/09/maldives-me-rajnitik-ghamasan
[2] https://www.vifindia.org/node/4403
[3] https://www.vifindia.org/author/shri-c-d-sahay
[4] http://www.presidencymaldives.gov.mv/Documents/ConstitutionOfMaldives.pdf
[5] https://www.vifindia.org/target=
[6] https://tvtsonline.com.au/en/news/world-news/maldives-leader-seeks-approval-extend-state-emergency/
[7] http://www.facebook.com/sharer.php?title=मालद्वीप में राजनितिक घमासान&desc=&images=https://www.vifindia.org/sites/default/files/2018-02-09T165828Z_755046048_RC12B5D862F0_RTRMADP_3_MALDIVES-POLITICS-min.jpg&u=https://www.vifindia.org/article/hindi/2018/march/09/maldives-me-rajnitik-ghamasan
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