प्रासंगिक मुद्दे
राजनीतिक और सैन्य मकसद पूरे करने के लिए आतंकवाद को युगों से हथियार बनाया जाता रहा है। आजकल अक्सर इसे चौथी पीढ़ी का युद्ध बता दिया जाता है। मोटे तौर पर यह बेतरतीब हथियार है, जिसका इस्तेमाल कमजोर और अव्यवस्थित पक्ष आसान और मुश्किल लक्ष्य के खिलाफ करता है। आतंकवाद की कोई स्वीकार्य परिभाषा नहीं है। इसकी किसी भी परिभाषा को सभी की मान्यता नहीं मिली है और यही समस्या की जड़ है। आतंकवाद के मुख्य घटक स्पष्ट हैं और यह हैं राजनीतिक मकसदों के लिए ऐसे लक्ष्यों के साथ हिंसा की हरकतें करना, जो युद्ध में लिप्त नहीं हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद की औपचारिक परिभाषा तय किए जाने की जरूरत बताई है।
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के पर्याय दाएश की स्थापना दूसरे खाड़ी युद्ध के बाद इराक में की गई थी क्योंकि सुन्नियों को उनकी चौकियों से भगाया जा चुका था और उनका एकजुट होकर बगावत करना लाजिमी था। उनमें से कई ने आतंकी गुट बना लिए और अमेरिका ने उन्हें इराक में बुका शिविर में बंदी बना लिया। कैदी रहते हुए उन्होंने सत्तारूढ़ ताकतों के खिलाफ योजना बनाई और अंत में समर्पित संगठन बना लिया, जिसे दाएश कहा जाता है।
जून, 2014 में इस गुट ने औपचारिक रूप से ऐलान किया कि जमीन पर ‘अल्लाह के नायब’ यानी खलीफा ने खिलाफत की बुनियाद रख दी है। शरिया के कायदों पर चलने वाले प्रशासन को खिलाफत कहा जाता है। उसने दुनिया भर के मुसलमानों से अपने नेता के प्रति वफादारी की कसम खाने और उसके नियंत्रण वाले इलाके में रहने आने के लिए कहा। यह गुट अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ सीधे टकराव की आशंका के लिए तैयार है क्योंकि वह उसे मुसलमानों और उनके ‘दुश्मनों’ के बीच टकराव के खात्मे का संकेत मानता है।
गुट का कुछ इलाकों पर कब्जा है और वह गैरकानूनी सरकार चला रहा है। दुनिया भर में आतंकी हमले करते रहे आईएसआईएस का इराक और सीरिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा है और वह दूसरे इलाकों पर भी कब्जा करना चाहता है। इस समय आईएसआईएस ने एक दर्जन से भी ज्यादा देशों तक अपना शिकंजा फैला दिया है और कई आतंकवादी समूह उसके वफादार हो गए हैं। नक्शे में वे इलाके हैं, जो आईएसआईएस के निशाने पर हैं। इसमें स्पेन, यूरोप के हिस्से, उत्तरी अफ्रीका से पश्चिम एशिया और अंत में चीन भी है। वैश्विक शांति और सुरक्षा को आईएसआईएस से उत्पन्न खतरे को बढ़ाचढ़ाकर बताने जैसा कुछ नहीं है, यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है, जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं। दक्षिण फिलीपींस में मिंडनाओ द्वीप पर हाल ही में हुए हमले से पता चलता है कि आईएसआईएस दक्षिण पूर्व एशिया में भी फैल गया है। इस हमले के कारण 23 मई, 2017 को मरावी शहर में सैन्य शासन लगाना पड़ा। इस हमले से पता चला है कि इंटरनेट, सोशल मीडिया और अपने लड़ाकों का इस्तेमाल कर आईएसआईएस फिलीपींस के अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया में भी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
कार्रवाई की मौजूदा तस्वीर
मोरो कहलाने वाले मिंडनाओ द्वीप के मुसलमान अपनी कट्टरता के लिए जाने जाते हैं। अपनी आजादी के लिए उन्होंने सदियों तक स्पेनवासियों, अमेरिकियों और जापानियों से जंग लड़ीं। आज वे उसी कौशल और महारत के साथ फिलीपींस की सरकार से भी लड़ रहे हैं। कई मोरो संगठनों ने दाएश के प्रति वफादारी जताई है। यह अनूठा मामला है क्योंकि पहली बार उन्होंने गठबंधन बनाया है। वे शेख मुजाहिद अबू अब्दुल्ला के नाम से मशहूर इस्निलोन हैपिलोन की अगुआई में एकजुट हो रहे हैं। इंडोनेशिया के सेनाध्यक्ष के अनुसार लगभग 1200 ऐसे लड़ाके हैं, जिनका मिंडनाओ द्वीपसमूह में मरावी के शहरी इलाकों में बड़े हिस्सों पर नियंत्रण हो सकता है। बताया जाता है कि इनमें से कई लड़ाके सीरिया में सक्रिय भूमिका निभाकर लौटे हैं और फिलीपींस के लोग उनके सामने कहीं नहीं टिकते।
मरावी में लड़ाई इसीलिए हो रही है क्योंकि सुरक्षा बलों ने दाएश के दबदबे वाले इलाके पर हमला किया था। हमला 23 मई, 2017 को हैपिलोन को पकड़ने के लिए किया गया था। विद्रोहियों ने जवाब में अमाई पकपक अस्पताल पर कब्जा कर लिया और कैंप रनाओ में फिलीपीन सेना की 103 ब्रिगेड के शिविर पर हमला कर दिया। उन्होंने सिटी हॉल पर कब्जा कर लिया और दो जेलों से 146 कैदी आजाद कर दिए तथा संचार खत्म कर दिया। उसके बाद उपद्रव फैल गया और विमानों से लैगुइंडिगन हवाई अड्डे पर अतिरिक्त सेना उतारनी पड़ी। धीरे-धीरे सेना ने बड़ा हिस्सा आतंकियों से मुक्त करा लिया। भीषण लड़ाई हुई और 16 जून, 2017 तक कानून-व्यवस्था कुछ कायम होती दिखी। हवाई बमबारी जारी है और नुकसान रोकने की पूरी कोशिश के बाद भी 30,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। खबरों से पता चलता है कि करीब 200 लड़ाके मारे गए हैं। ईद के मौके पर 25 जून को लड़ाई रोकने का ऐलान किया गया, लेकिन हवाई बमबारी समेत लड़ाई अभी जारी है।
<संयुक्त कार्रवाई
मलेशिया और इंडोनेशिया ने फिलीपींस सरकार को मदद का प्रस्ताव दिया है। तीनों देश 19 जून, 2017 से समुद्री गश्त कर रहे हैं ताकि दाएश के लड़ाके उनके यहां घुसपैठ नहीं कर सकें। इसके अलावा वे दाएश के किसी भी हमले के खिलाफ अपने ठिकानों को मजबूत कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने मरावी के आसपास इलाके की देखभाल के लिए दो एपी-3 सी ओरियन समुद्री गश्ती विमान मुहैया कराए हैं। फिलीपींस सरकार की गुजारिश पर अमेरिका फिलीपीनवासियों को तकनीकी एवं सैन्य सहायता दे रहा है।
शुरू हो जाएगा सिलसिला
दाएश का इस क्षेत्र में पैठ बनाने का तरीका एकदम अलग रहा। इसमें कोई शक नहीं कि इंटरनेट, सोशल मीडिया और इराक तथा सीरिया से प्रशिक्षित लड़ाकों की वापसी ने पूर्व विद्रोहियों को एकजुट होने में मदद की है। दाएश की अधिक उपस्थिति का यह सिलसिला जारी रहने की संभावना है और वह पड़ोसी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी पहुंच सकता है। यही देखकर इंडोनेशिया और मलेशिया ने यह सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त समुद्री गश्त शुरू की है कि कोई भी लड़ाका उनके यहां दाखिल नहीं हो सके। ऑस्ट्रेलिया को भी यह खटका है कि दाएश उनके सुरक्षा तंत्र को भेदने में कामयाब हो सकता है, इसीलिए वह देखभाल करने और टोह लेने में सक्रियता के साथ जुटा हुआ है। ताजा खबरों के मुताबिक दाएश का नेता बच निकला है। फिलीपींस के राष्ट्रपति दुतेरते ने हालात स्थिर करने के लिए सुरक्षा बलों की तारीफ की है और शहर के पुनर्निर्माण का वायदा भी किया है।
दाएश के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई के इस चलन में दक्षिण पूर्व एशियाई देश पहली बार एकजुट होकर इस समस्या को देख रहे होंगे, जिससे खुफिया तंत्र और तालमेल बेहतर होगा। यह कदम सही दिशा में है।
भारत के लिए सबक
दाएश ने अपने सोशल मीडिया के जरिये भारतीयों को संगठन में शामिल होने के लिए लुभाना जारी रखा है। वे लुभावनी जगहों को निशाना बनाने की कोशिश करेंगे और हमारे सुरक्षा बलों को सतर्क रहना होगा। आईएसआईएस से निपटना खुफिया जानकारी प्राप्त करने की क्षमता पर निर्भर करता है। इस संगठन के खिलाफ बढ़त हासिल करने के लिए खुफिया एजेंसियों को इस मामले में अधिक सक्रिय होना पड़ेगा। भारत की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी इस संगठन पर लगातार नजर रखने के मामले में चौकन्नी रही है।
Links:
[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2017/july/27/dakshin-philippines-me-daesh-ke-khilaf-snyukt-sanya-abhiyan
[2] https://www.vifindia.org/node/1677
[3] http://www.vifindia.org/article/2017/july/10/joint-military-operations-against-daesh-in-southern-philippines
[4] http://newsinfo.inquirer.net/904080/duterte-retracts-call-for-rebels-to-help-troops-fight-terrorists
[5] http://www.facebook.com/sharer.php?title=दक्षिण फिलीपींस में दाएश के खिलाफ संयुक्त सैन्य अभियान&desc=&images=https://www.vifindia.org/sites/default/files/duterte-camp-iranun-troops_0.jpg&u=https://www.vifindia.org/article/hindi/2017/july/27/dakshin-philippines-me-daesh-ke-khilaf-snyukt-sanya-abhiyan
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