कश्मीर घाटी में एक बार फिर देश विरोधी तत्वों ने वहां पर शांति भंग करके हिंसा भड़काने की कोशिश की है। श्रीनगर के पास बड़गाम में सुरक्षाबलों को सूचना मिली कि हिजबुल मुजाहिद्दीन का कुख्यात आतंकी तौसीफ अहमद एक मकान में छुपा हुआ है। इस सूचना के आधार पर सेना तथा अन्य सुरक्षाबलों ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी। इसी समय पाक आइएसआइ ने सोशल मीडिया पर कश्मीरी जनता को भड़काऊ संदेश देकर जहां आतंकी छिपा था, वाले स्थान पर एकत्रित होकर सुरक्षा बलों को अपना काम करने से रोकने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। आइएसआइ के स्थानीय एजेंटों ने युवाओं को एकत्रित करके सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस पत्थरबाजी से वहां पर अफरातफरी का माहौल बन गया और अक्सर ऐसी ही अफरातफरी का फायदा उठाकर आतंकी सुरक्षाबलों के घेरे को तोड़कर भाग निकलते हैं। आतंकी ने ऐसे समय में सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसके जबाव में सुरक्षाबलों ने भी फायरिंग की। बार बार दी गयी चेतावनियों के बावजूद आतंकी के समर्थक स्थानीय युवा घेरा तोड़कर सुरक्षाबलों की फायरिंग रेंज में घुस गये और इस कारण आतंकी के साथ दो और लोग भी इस मुठभेड़ में मारे गये।
अभी कुछ समय पहले छदम मानवाधिकार समर्थकों ने भारतीय सेना प्रमुख जन0 रावत की उस चेतावनी का भारी विरोध किया था जिसमें उन्होंने इस प्रकार की आतंकी घटनाओं में जानबूझकर पत्थरबाजी या प्रदर्शन इत्यादि करके प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों तथा सेना की वैधानिक कार्यवाही में बाधा पहुंचाकर आतंकियों की मदद करते हैं। ऐसे लोगों के बारे में उन्होंने कहा था कि कानून के अनुसार ऐसे प्रदर्शनकारियों को भी आतंकी गतिविधियों में लिप्त मानकर इनके विरूद्ध भी आतंकियों जैसा ही बर्ताव किया जायेगा। यहां यह विचारणीय है कि क्या एक देशविरोधी तथा देश के कानून के खिलाफ हथियार उठाने वाला अपराधी है और क्या अपराधी की मदद करने वाला भी अपराधी है कि नहीं। बड़गाम की उपरोक्त घटना से सेना प्रमुख की चेतावनी कानून की उपरोक्त कसौटी पर खरी उतरती नजर जाती है। यहां पर बस एक ही अन्तर है कि एक सैनिक की तरह सेना प्रमुख ने ये बातें साफ साफ कह दी और इसी बात को एक राजनीतिज्ञ घुमा फिरा कर कहता है।
अभी अभी बड़गाम घटना के समय सोशल मीडिया पर आइएसआइ के दुष्प्रचार ने एक बार फिर आइएसआइ की पोल खोल दी है कि किस प्रकार वह कश्मीर में अपने पैसों के बल पर खरीदे एजेंटों के द्वारा प्रदर्शन तथा पत्थरबाजी कराकर घाटी की शांति भंग करके दुनिया को यह दिखाना चाहती है कि कश्मीर की जनता भारत के साथ नहीं रहना चाहती जबकि सच्चाई इसके विपरीत है।
देश के 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मिली भारी जीत से पाकिस्तान के राजनैतिक गलियारों में हलचल मच गयी है। एक बार फिर पाक सरकार एवं आइएसआइ को लगने लगा है कि इस जीत से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथ और मजबूत हो गये हैं तथा अब वे हो सकता है कश्मीर पर कोई सख्त फैसला लेकर पाकिस्तान के सपने को पूरी तरह चूर चूर कर दें। इसीलिए आइएसआइ के इशारे पर भारत में पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल वासित ने पाकिस्तान दिवस के अवसर पर कश्मीर में आतंकी हिंसा को कश्मीर की आजादी से जोड़कर इसे उचित ठहराते हुए आतंकियों की सफलता की कामना की थी। पाकिस्तान दिवस जैसे औपचारिक अवसर पर इस प्रकार का बयान पूरी तरह से राजनयिक परम्परा तथा गरिमा के पूरी तरह से प्रतिकूल तथा खिलाफ है। इसी तरह का बयान पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी पाकिस्तान में पाकिस्तान दिवस पर देकर यह सिद्ध कर दिया है कि अब्दुल वासित तथा पाक राष्ट्रपति के बयान एक सोची समझी साजिश के तहत दिये गये तथा इन बयानों का उद्देश्य एक बार फिर कश्मीर में आतंकियों के मनोबल को बढ़ाकर वहां पर हिंसा तथा पत्थरबाजी करवाकर माहौल को अशांत करने का है। जब भारत बार बार कह चुका है कि जम्मू कश्मीर भारत का अटूट अंग है तब पाकिस्तान के उपरोक्त बयान भारत के आंतरिक मामलों में दखल का साफ उदाहरण है।
आइएसआइ किस प्रकार कश्मीर में अलगाववादियों एवं आतंकियों तक धन पहुंचा रही थी। इसका खुलासा अभी अभी केन्द्र की जांच संस्था, राष्ट्रीय जांच संस्था (एनआइए) ने किया है। एनआइए ने अपनी जांच में पाया कि भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली के लिए भारत के कश्मीर तथा पाक अधिग्रहित कश्मीर के बीच सीमा के आरपार सड़क द्वारा की गयी व्यवसायिक गतिविधियों के द्वारा आइएसआइ धन देश विरोधी तत्वों तक पहुंचा रही थी। कश्मीर के ऊर्री क्षेत्र के इस्लामाबाद तथा पुंछ के चक्कनदाबाग शहरों से कुछ भारतीय कम्पनियां पाकिस्तानी कम्पनियों के साथ सड़क मार्ग से सूखे मेवों तथा अन्य सामान का व्यापार कर रही थी। इस व्यापार का टर्नओवर करीब 3000 करोड़ वार्षिक था। इस व्यापार में लगी 5 कम्पनियों की जॉंच में पाया गया कि ये आइएसआइ के इशारे पर अपने मुनाफे का काफी भाग अलगाववादियों एवं आतंकियों तक पहुंचा रही थी और इस धन से ये वहां के बेरोजगार नौजवानों से देशविरोधी गतिविधियां जैसे हिंसक प्रदर्शन एवं पत्थरबाजी करवा रहे थे। इसके अलावा एनआइए ने एक और खुलासा किया है कि पाकिस्तान से आने वाले ट्रकों की बॉडी में जगह बनाकर उनमें आतंकियों के लिए हथियारों तथा गोला बारूद की खेप कश्मीर में आतंकियों तक आसानी से पहुंचाई जा रही थी। इस प्रकार आइएसआइ भारत के विश्वास को धोखा देकर अपनी गतिविधियों को चला रही थी।
कश्मीर के अलावा आइएसआइ हर समय भारत में अपना नेटवर्क बढ़ाने का प्रयास करती रहती है इसके लिए वह अपने दूतावास तथा पाकिस्तान की यात्रा करने वाले भारतीयों का इस्तेमाल करती है। जैसाकि सर्वविदित है पाकिस्तानी दूतावास का वीजा विभाग पूरी तरह से इस कार्य में लिप्त है। अभी अभी इसका जीवंत उदाहरण उस समय देखने को मिला जब भारत की पवित्र सूफी निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के प्रमुख आसिफ निजामी तथा उनके भतीजे निजाम निजामी का पाकिस्तान के करॉची की यात्रा करते समय आइएसआइ ने अपहरण कर लिया था। उन्हें चुपचाप सिंध प्रांत के एक दूर दराज के इलाके में कैद करके अपने जाल में फंसाने का प्रयास किया। वो तो समय रहते उनके अपहरण की सूचना भारत में प्राप्त हो गयी तथा भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से वे वहां से मुक्त होकर सकुशल भारत लौट आये। इसी प्रकार आइएसआइ अन्य भारतीय नागरिकों को उनकी पाक यात्रा के समय अपने जाल में फंसाने का प्रयास करती है और कभी कभी वे सफल हो जाते हैं और इस प्रकार ये एजेंट देश के विभिन्न हिस्सों में स्लीपिंग एजेंटों के रूप में अपने पाकिस्तानी आकाओं के इशारों पर देश विरोधी गतिविधियां जैसे दुष्प्रचार तथा साम्प्रदायिक दंगे इत्यादि करवाते रहते हैं। जैसाकि उ0प्र0 के मुजफ्फरनगर दंगों के समय स्वयं कांग्रेस के राहुल गांधी ने माना। इन्हीं एजेंटों ने उ0प्र0 में विधानसभा चुनावों के समय रेल यातायात भंग करने के उद्देश्य से जगह जगह रेल पटरियों को क्षति पहुंचाने की कोशिश की तथा अभी अभी उ0प्र0 में ही रेल लाइन का बड़ा हिस्सा कटा पाया गया है। इस प्रकार ये एजेंट देश में भय का वातावरण पैदा करके अव्यवस्था फैलाना चाहते हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे कि पाकिस्तान में हर रोज देखने को मिलता है और इस प्रकार स्वयं अपने देश में आतंकवाद की फसल उगाकर आज पाकिस्तान विश्व में एक फेल गणराज्य की लिस्ट में आ चुका है।
कश्मीर की ज्यादातर जनता असलियत को पहचानती है कि पाकिस्तान के अन्दर किस प्रकार से चारों तरफ आतंकवाद तथा भय का वातावरण है। पाक अधिग्रहित कश्मीर में स्थानीय कश्मीरी जनता दूसरी श्रेणी के नागरिकों की तरह पहचानी जाती है जबकि वहां पर ज्यादातर कृषि भूमि पर पंजाबी जमींदारों का कब्जा है और इन्होंने यहां पर इन जमीनों पर बड़े कृषि फार्म बना रखे हैं। इस समय करीब 44 आतंकी कैम्प पाक अधिग्रहित कश्मीर में चलाए जा रहे हैं जिनके कारण वहां की जनता भय तथा आतंक के माहौल में जीवन व्यतीत कर रही है। इसके अलावा पाकिस्तानी सरकार ने इस क्षेत्र में पश्थूनिस्तान तथा उत्तर पश्चिमी प्रांतों से लोगों को लाकर यहां पर बसा कर कश्मीरियों को अल्पसंख्यक बना दिया है। पाकिस्तान में अक्सर शियाओं तथा अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों में तोड़फोड़ तथा बम विस्फोट की खबरें आती रहती हैं। पाक की सेना सुन्नी कट्टरपंथियों की हिमायती बनकर देश में इनको बढ़ावा दे रही है। इसी विचारधारा को ही पाकिस्तानी आइएसआइ अपने एजेंटों के द्वारा भारतीय कश्मीर में प्रचारित कर रही है।
जबकि पूरा विश्व जानता है कि इस प्रकार के माहौल तथा विचारधारा में विकास की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। जैसा कि पूरे मुस्लिम देशों में देखा जा सकता है। विश्व का ज्यादातर तेल इन्हीं देशों में पैदा होता है परन्तु फिर भी इन देशों में विश्व की ज्यादातर गरीबी पिछड़ापन तथा अशिक्षा देखी जा सकती है। पाकिस्तान में विदेशी निवेश ना के बराबर आ रहा है। उद्योग धंधे ना होने के कारण बेरोजगारी चरम पर है और इन्हीं बेरोजगारों को आतंकी सरगना धन के लालच में अपने संगठनों में मिलाकर उनकी जिन्दगी बर्बाद कर देते हैं। अब समय आ गया है जब भारत सरकार को कश्मीरी जनता को पाकिस्तान की असली तस्वीर सोशल मीडिया तथा अन्य प्रचार के माध्यमों से बतानी चाहिए। सरकार को वहां के अलगाववादियों की देशविरोधी गतिविधियों को बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर नहीं चलने देना चाहिए। जब ये अलगाववादी अपने आपको भारतीय नागरिक ही नहीं मानते तो फिर इन्हें भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार भी नहीं मिलने चाहिए। कश्मीर का नौजवान देश की मुख्यधारा में जुड़ना चाहता है इसका प्रदर्शन वह सेना तथा अर्धसैनिक बलों की भर्तियों के समय दे चुका है। सरकार को कश्मीर की जमीनी तथा साइबर स्पेस पर पूरी निगरानी रखकर पाक आइएस के चलाये मनोवैज्ञानिक युद्ध को पूरी तरह से ध्वस्त करके कश्मीर में दोबारा से अमन शांति का माहौल कायम करना चाहिए।
संदर्भ-
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[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2017/april/05/pakistan-isis-ki-kashmir-me-gatividhiya
[2] https://www.vifindia.org/author/col-shivdan-singh
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