बोको हराम के जिस घातक इस्लामी आतंकवाद ने अब तक 20,000 से अधिक नागरिकों और सैन्यकर्मियों की जान ली है, उसके शुरू होने के छह साल बाद आखिरकार नाइजीरियाई सेना बेनिन, चाड, नाइजर और कैमरून की फौजों के साथ मिलकर इस चरमपंथी गुट के खिलाफ सैन्य अभियान में कुछ सफल होती दिख रही है।
उत्तर पूर्वी नाइजीरिया के बोर्नो, योबे और अदामावा राज्यों में पिछले साल काफी भूभाग पर कब्जा रखने वाले बोको हराम का नियंत्रण इसमें से अधिकतर हिस्से से खत्म हो गया है।
बोको हराम से निपटने के लिए नाइजीरियाई सेना को दिए जाने वाले धन के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार का सफाया करने के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बुहारी के कदमों से उत्साहित नाइजीरियाई सेना उत्तर पूर्वी नाइजीरिया में उन शहरों पर दोबारा कब्जा करने में कामयाब रही है, जिन पर बोको हराम ने इस्लामी खिलाफत कायम करने के इरादे से कब्जा कर लिया था। 8,700 जवानों वाली बहुराष्ट्रीय क्षेत्रीय सेना उन शहरों में व्यवस्था बहाल करने में सफल रही है, जिन शहरों में पिछले साल बोको हराम शरिया कानून थोपकर बर्बरता भरा शासन करने लगा था।
हालांकि बोको हराम पिछले साल जितना ताकतवर नहीं रह गया है, जब ऐसा लग रहा था कि वह इस्लामी खिलाफत की बुनियाद डाल ही देगा। लेकिन खतरा अब भी टला नहीं है। याद रखना चाहिए कि बोको हराम को जुलाई 2009 में भी जबरदस्त झटका लगा था, जब नाइजीरियाई कार्रवाई में उसके 1,000 से अधिक सदस्य मारे गए थे और उसका संस्थापक प्रमुख मोहम्मद यूसुफ नाइजीरियाई पुलिस के हाथों मारा गया था।
लेकिन 2009 में नाइजीरियाई प्रशासन के हाथों मात खाने के बाद यह गुट मैनडारा पहाडिय़ों और संबिसा जंगलों के सुदूर इलाकों में लौट गया, जहां उसे ठहरने, दोबारा एकजुट होने और पहले से भी अधिक घातक ताकत के रूप में उभरने का पर्याप्त समय मिल गया। इस बात की संभावना बढ़ रही है कि हाल में मिले गंभीर झटके के बाद यह गुट छापामार लड़ाई की पुरानी रणनीति दोबारा अपना सकता है, जिसमें वह छिटपुट हमले कर तबाही मचाएगा और लोगों की जान लेगा। बोको हराम आत्मघाती विस्फोटों का भी प्रभावी प्रयोग कर सकता है।
बोको हराम द्वारा अतीत में अपनाई गई रणनीतियां देखते हुए इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि नाइजीरिया तथा अन्य सीमावर्ती देशों जैसे कैमरून, चाड तथा नाइजर में सिलसिलेवार आत्मघाती हमले हो सकते हैं। वास्तव में इस साल के पहले तीन महीनों में बोको हराम ने नाइजीरिया के उत्तरी भागों और कैमरून तथा नाइजर में कई आत्मघाती हमले किए हैं। इस साल 29 जनवरी को आत्मघाती हमले में 12 साल के एक बच्चे ने गोंबी शहर में एक अंतरराष्ट्रीय बाजार की अनाज मंडी में खुद को उड़ा दिया, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई। इस हमले से पहले भी बोको हराम के लड़ाकों ने इजगेकी और इजगे नाम के दो दूरवर्ती गांवों पर हमले किए थे, जहां उन्होंने ढेरों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। एक लड़ाके ने तो खुद को ही उड़ा लिया, जिससे हमले से बचने की कोशिश कर रहे लोग भी मारे गए।
नाइजीरिया और उसके पड़ोसी देशों नाइजर तथा कैमरून के बीच सीमा पर अधिक निगरानी नहीं होने के कारण इस गुट को कैमरून और नाइजर के सीमावर्ती इलाकों में हिंसा करने का मौका मिल जाता है। यह बात इसी से साबित हो जाती है कि इस साल ही उत्तरी नाइजीरिया से लगने वाले नाइजर तथा कैमरून के हिस्सों में बोको हराम के आतंकवादियों द्वारा कई आत्मघाती हमले तथा छापामार हमले किए जा चुके हैं। इस साल 13 जनवरी को एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को कैमरून में कूयापे में एक मस्जिद के भीतर उड़ा लिया था, जिसमें दर्जन भर लोग मारे गए थे।
आत्मघाती हमलों की अधिकतर घटनाएं विभिन्न शहरों और गांवों में चहल-पहल भरे बाजारों में हुई हैं। जबरदस्त मात खा चुका बोको हराम ढेरों लोगों की भीड़ वाले बाजारों को निशाना बनाकर अधिक से अधिक हिंसा करना चाहता है और अधिक से अधिक लोगों को मारना चाहता है। बोको हराम आत्मघाती हमलों के द्वारा नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट करने तथा इस तरह उत्तरी नाइजीरिया में पहले ही आर्थिक रूप से कंगाल क्षेत्र में स्थिति और ज्यादा बिगाडऩे की कोशिश भी कर रहा है। यह बात इसी तथ्य से स्पष्ट है कि आत्मघाती हमलों का बढ़ता खतरा देखकर नाइजीरियाई सेना को हाल ही में मैदुगुरी शहर में अफ्रीका की सबसे बड़ी पशु मंडियों में से एक बंद करनी पड़ी। बोको हराम की बुनियाद भी इसी शहर में पड़ी थी।
सेना ने आरोप लगाया है कि चुराए गए पशुओं को बेचकर मिलने वाली रकम से बोको हराम के लड़ाकों की मदद की जा रही है। मैदुगुरी की मंडी तथा देश के उत्तरी हिस्से में ऐसे ही कई बाजारों के बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं और देश भर में गोमांस की कमी हो गई है।
इसलिए ऐसा लगता है कि बोको हराम ने स्वयं को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए अधिक से अधिक हिंसा करने और अधिक से अधिक लोगों को शिकार बनाने के सबसे अच्छे हथियार के रूप में आत्मघाती हमलों का इस्तेमाल करने का निर्णय कर लिया है। हाल में लगे झटकों को देखते हुए बोको हराम यही पसंद करेगा कि उसके हमलावरों का कम से कम नुकसान हो। आत्मघाती हमलों से नाइजीरियाई सेना और सरकार की कमजोरी और खामियां भी सामने आ जाएंगी क्योंकि आत्मघाती हमले रोकने की निपुणता तथा क्षमता उनके पास नहीं है। आत्मघाती हमले इस आतंकवादी गुट को अधिकाधिक प्रचार देते दिख रहे हैं और गुट का सफाया किए जाने के नाइजीरियाई सरकार के दावे को खोखला साबित करते दिख रहे हैं।
इस प्रकार इस बात की संभावना है कि आने वाले महीनों में बोको हराम संबिसा जंगलों तथा मैनडारा पहाडिय़ों में उसके ठिकानों के करीब बसे दूरवर्ती गांवों पर आत्मघाती हमलों तथा छापामार हमलों समेत छिटपुट हमले करता रहेगा। बोको हराम नाइजीरिया की सीमा से लगने वाले कैमरून और नाइजर के शहरों तथा गांवों को भी निशाना बना सकता है। शक्तिशाली क्षेत्रीय सेना से मिल रही मात के बीच संबिसा जंगलों में छिपकर फिर एकजुट होने का समय पाने के लिए गुट इस तरह की रणनीति अपना सकता है।
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[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2016/may/06/africa-me-boko-haram-ki-chunauti
[2] https://www.vifindia.org/author/saket-jog
[3] http://www.vifindia.org/article/2016/april/26/heading-the-boko-haram-challenge-in-africa
[4] http://www.dailymail.co.uk
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