अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने 2 मार्च 2020 को राज्य भर में साढ़े सात घंटे बिजली कटौती की, श्रीलंका में यह 26 साल में सबसे लंबी बिजली कटौती थी। 1996 तक, श्रीलंका अपनी अधिकांश बिजली की जरूरतों के लिए पनबिजली पर निर्भर था परन्तु 1996 में उसे भारी सूखे की मार झेलनी पड़ी थी।[1] इसको देखते हुए श्रीलंका ने अपने विद्युत उत्पादन को अन्य स्रोतों से प्राप्त करने की एक नीति बनाई। वर्तमान विद्युत संकट से निपटने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने ट्रेजरी और सेंट्रल बैंक को गैसोलीन आयात सुरक्षित करने का निर्देश दिया है, सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कई कदम भी उठाए हैं। उसने ऊर्जा बचाने के लिए सरकारी कार्यालयों से एयर कंडीशनिंग को बंद करने का आग्रह किया गया है।
दूसरी ओर, लोक उपयोगिता आयोग ने वर्तमान समस्या को ऊर्जा संकट की बजाय ईंधन संकट के रूप में चिह्नित किया है। नियामक प्राधिकरण ने कहा,"हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, वह बिजली उत्पादन क्षमता का मुद्दा नहीं है, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार का संकट है, क्योंकि ईंधन का आयात करने के लिए देश में विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त नहीं है।"[2] यह द्वीप-राष्ट्र कई वर्षों से आर्थिक उथल-पुथल से गुजरा रहा है। जनता द्वारा खर्च को बढ़ावा देने के लिए, नव-निर्वाचित राजपक्षे सरकार ने 2019 में मूल्य वर्धित कर (वैट) को वस्तुतः घटा दिया परन्तु, कोरोना महामारी और पर्यटन क्षेत्र में दुर्दशा ने संयुक्त रूप से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बहुत हानि पहुंचाई। राजपक्षे सरकार की असमर्थता इससे पता लगती है कि बैंक ऑफ सीलोन ने आनन-फानन में 40,000 टन पेट्रोलियम के शिपमेंट के भुगतान के लिए 23 फरवरी को 35.5 बिलियन डॉलर जारी किए, जो कि सरकार द्वारा भुगतान करने में असमर्थता के कारण कोलंबो बंदरगाह पर चार दिनों से लंगर डाले हुए थे।
श्रीलंका के आयात में रूस और यूक्रेन का 2% और 2020 में निर्यात का 2.2% हिस्सा था। श्रीलंका के लिए दोनों देश गेहूं के लिए महत्त्वपूर्ण आयात-स्रोत हैं और श्रीलंका काली चाय का निर्यातक है। रूस औकोजर यूक्रेन श्रीलंका द्वारा निर्यात की जाने वाली लगभग 18% किण्वित काली चाय खरीदते हैं। इसी तरह, श्रीलंका अपनी कुल जरूरत का 45% गेहूं का आयात रूस और यूक्रेन से करता है। श्रीलंका के आधे से अधिक आयातित सोयाबीन, सूरजमुखी तेल और बीज, और मटर यूक्रेन से आता है। इसके अलावा, रूस और यूक्रेन एस्बेस्टस, लौह और इस्पात के अर्द्ध-तैयार उत्पादों, तांबा (कैथोड) और उर्वरक के लिए पोटेशियम क्लोराइड के महत्त्वपूर्ण आयात-स्रोत हैं। जब तक यूक्रेन संकट का तत्काल समाधान नहीं हो जाता, ईंधन और कमोडिटी की कीमतों में और तेजी आ सकती है। पश्चिमी बाजारों में, विशेष रूप से यूरोप में, उच्च ऊर्जा की कीमतों की वजह से और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण मुद्रास्फीति का बनने वाला दबाव, उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को घटा सकता है, श्रीलंका द्वारा निर्यात किए गए सामानों की मांगों को भी कम कर सकता है। परिणामस्वरूप श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर विपरीत दवाव बनना लाजमी है।[3]
श्रीलंका लम्बे समय से अपने पड़ोसी देशों जैसे भारत, चीन और बांग्लादेश के साथ खाद्यान और दवाओं के लिए क्रेडिट लाइनों और मुद्रा स्वैप पर निर्भर है और अपने विदेशी मुद्रा भंडार के आवश्यक स्तर को बनाये रखने की कोशिश कर रहा है। भारत सरकार की ओर से फरवरी में विद्युत संकट से निपटने के लिए 40,000 टन ईंधन श्रीलंका को भेजा था। जनवरी में, भारत ने $400 मिलियन की क्रेडिट स्वैप सुविधा पर हस्ताक्षर किए और $515.2 मिलियन के एशियाई क्लियरिंग हाउस निपटान को कुछ समय के लिये स्थगित कर दिया, ताकि श्रीलंका अपने विदेशी मुद्रा भंडार को सुरक्षित रख सके। साथ ही भारत सरकार द्वारा ईंधन की तत्काल आपूर्ति के लिए श्रीलंका को 500 मिलियन अमरीकी डालर की एलओसी के जरिए उपलब्ध कराया गया था।[4]
भारत और श्रीलंका ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग सहित द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने के प्रयासों के तहत देश के पूर्वी बंदरगाह जिले त्रिंकोमाली में 100 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह प्रोजेक्ट भारत से नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) लिमिटेड और सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के बीच 100 मेगावाट सौर ऊर्जा विकसित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम है। यह एलओसी श्रीलंका में सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में मदद करेगा, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के प्रथम सम्मेलन के दौरान घोषित परियोजनाओं को शामिल किया गया है। श्रीलंका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि देश की 70 प्रतिशत बिजली की आवश्यकता 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी हो। यह 100 मिलियन डॉलर का एलओसी श्रीलंका में सौर ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में मदद करेगा, जिसमें घरों और सरकारी भवनों के लिए रूफटॉप सौर फोटोवोल्टिक सिस्टम लगाना प्रमुख है। भारत इस दिशा में श्रीलंका के राष्ट्रपति के दृष्टिकोण के तहत साझेदारी करने वाला पहला देश बन गया है ताकि 2030 तक श्रीलंका की राष्ट्रीय बिजली आवश्यकताओं का 70 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों द्वारा पूरा किया जाना सुनिश्चित किया जा सके।[5]
इसी तरह, अक्षय ऊर्जा में सहयोग के लिए दोनों देशों के निजी क्षेत्रों की भी महत्त्वपूर्ण रुचि देखी गयी है आने वाले वर्षों में क्षेत्र में और अधिक सहयोग बढ़ने की संभावना है, इसी दिशा में भारत के अदानी समूह ने कोलंबो में एक रणनीतिक बंदरगाह टर्मिनल परियोजना हासिल करने के छह महीने बाद, श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में दो बड़ी बिजली परियोजनाओं के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे अब वह बहुसंख्यक हिस्सेदारी के साथ क्रियान्वित कर रहा है। हालांकि भारतीय द्वारा अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को संयुक्त रूप से निष्पादित करने के समझौते पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा या बयान जारी नहीं किया गया है।
बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नाम पर छोटे देशों को अपनी कॉलोनियों में बदलने की चीन लंबे समय से रणनीतिक चाल चल रहा है। इसी रणनीति के तहत उसने भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका को भी अपने शिकंजे में ले लिया है। जनवरी 2021 में श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने फैसला किया है कि एक चीनी कंपनी सिनो सोर हाइब्रिड टेक्नोलॉजी जाफना तट से तीन द्वीपों पर 'हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा प्रणाली' का निर्माण करेगी। श्रीलंका की इस घोषणा से भारत बहुत हैरान हुआ। श्रीलंका के इन तीन उत्तरी द्वीपों, डेल्फ़्ट, नागदिपा और अनलाथिवु वह स्थान है, जो इसे रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाता है। ये द्वीप भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। इसलिए यहां ऊर्जा परियोजना के नाम पर चीन की घुसपैठ की कोशिश से भारत के कान खड़े हो गए। नई दिल्ली ने इन परियोजनाओं के खिलाफ दो आधारों पर आपत्ति दर्ज कराई। पहला, यह पर्यावरण की दृष्टि से सही नहीं है क्योंकि डीजल इस हाइब्रिड परियोजना का एक हिस्सा था। दूसरा, जिस चीनी कंपनी को ठेका दिया गया था, वह केवल नाम में निजी कंपनी है। दरअसल, इस पर चीन सरकार का पूरा नियंत्रण है।
जाफना प्रायद्वीप के पास श्रीलंका के तीन द्वीपों से चीन को हटाने के लिए भारत लगभग एक साल से प्रयासरत था। अंततः चीन को यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि वह श्रीलंका के तीन द्वीपों से जुड़ी हाइब्रिड बिजली परियोजना को निलंबित कर रहा है। कोलंबो में चीनी दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया कि तीसरे पक्ष द्वारा “सुरक्षा चिंता” के कारण परियोजना को निलंबित कर दिया गया है। यहाँ तीसरे पक्ष के लिए भारत की ओर एक स्पष्ट संकेत किया गया था।
श्रीलंका की प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में बायोमास, पेट्रोलियम, कोयला, जलविद्युत परियोजना और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं। प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में बायोमास और पेट्रोलियम का प्रभुत्व है। 2018 के अंत तक, पेट्रोलियम ऊर्जा आपूर्ति का प्रमुख स्रोत बन गया, जिसमें 40.2% की हिस्सेदारी शामिल है। देश की पेट्रोलियम आपूर्ति आयातित कच्चे तेल के प्रसंस्करण के माध्यम से की जाती है। श्रीलंका की एकमात्र रिफाइनरी, जो सपुगस्कंदा में स्थित है, आयातित कच्चे तेल को परिष्कृत उत्पादों में परिवर्तित करती है, ताकि देश की पेट्रोलियम आवश्यकता का लगभग आधा हिस्से की आपूर्ति की जा सके। इस रिफाइनरी की क्षमता को बढ़ाने की योजना है।
बायोमास या ईंधन लकड़ी, जो मुख्य रूप से एक गैर-वाणिज्यिक ईंधन है, देश की कुल ऊर्जा आपूर्ति का लगभग 36.2% प्रदान करता है। बायोमास, ऊर्जा आपूर्ति का सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध स्रोत है। प्रचुर मात्रा में उपलब्धता के कारण, कुल बायोमास उपयोग का केवल एक सीमित हिस्सा कमोडिटी बाजार के माध्यम से प्रसारित होता है और इसलिए बायोमास द्वारा प्राप्त ऊर्जा के मूल्य का ठीक से हिसाब नहीं किया जाता है। कोयला जो मुख्य रूप से बिजली उत्पादन के लिए आयात किया जाता है, वह वर्ष 2018 में प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति का 10.3 प्रतिशत था। वर्ष 2018 में कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में से प्रत्येक में पनबिजली का योगदान 9.7% था।
जलविद्युत श्रीलंका में प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा का एक मुख्य स्वदेशी स्रोत है। श्रीलंका में जल संसाधन की अनुमानित क्षमता लगभग 2000 मेगावाट है, जिसमें से महत्त्वपूर्ण संसाधन का पहले ही दोहन किया जा चुका है। बड़े पैमाने पर विकास से जुड़े सामाजिक और/या पर्यावरणीय प्रभावों के कारण जल संसाधनों का और अधिक दोहन कठिन होता जा रहा है। वर्ष 2018 में कुल ऊर्जा आपूर्ति (पवन, सौर, बायोमास, लघु जलविद्युत) में अन्य नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 3.7 फीसदी थी।
श्रीलंका में किफायती पवन और सौर क्षमता का इष्टतम तरीके से दोहन करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें पहला वाणिज्यिक पवन ऊर्जा संयंत्र 2010 में स्थापित किया गया था और 2020 के अंत तक पवन ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 179 मेगावाट थी। पहला बड़े पैमाने पर पवन फार्म मन्नार द्वीप में 2020 में चालू किया गया था। पहला वाणिज्यिक सौर ऊर्जा संयंत्र वर्ष 2016 में चालू किया गया था और 2020 के अंत तक वाणिज्यिक सौर ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 67 मेगावाट थी। 2018 में प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में बायोमास (4629ktoe), पेट्रोलियम (5144ktoe), कोयला (1313ktoe), हाइड्रो (1239ktoe) और अन्य नवीकरणीय स्रोत (475ktoe) शामिल थे।[7]
श्रीलंका में बिजली की मांग पिछले 5 वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ी है और इसकी औसत दर 5.7 फ़ीसदी रही है। श्रीलंका दक्षिण एशिया में सर्वाधिक संपन्न राष्ट्रों में से एक है जिसकी प्रति व्यक्ति आय भारत व बांग्लादेश जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से भी अधिक है। परंतु श्रीलंका सरकार की आर्थिक नीतियों व कोविड-19 के कारण श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था संकट में दौर से गुजर रही है, जिसका सीधा प्रभाव ऊर्जा उत्पादन पर पड़ रहा है। जैसा कि ऊपर यह स्पष्ट किया गया है कि श्रीलंका अपनी ऊर्जा उत्पादन का अधिकतर भाग नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से प्राप्त करता है, जिसमें पेट्रोलियम प्रमुख है। ध्यातव्य है कि श्रीलंका पेट्रोलियम का आयातक देश है और वर्तमान समय में आलम यह है कि श्रीलंका के पास कुछ दिनों का भी इंधन खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल के दामों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, विश्व व्यापार में भी गिरावट आई है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव श्रीलंका की टूरिज्म इंडस्ट्री पर भी देखा जा सकता है। आने वाले दिनों में यह संकट और गहरा सकता है श्रीलंका सरकार को चाहिए कि वह अपनी कर संबंधी अर्थव्यवस्था में मूलभूत बदलाव करें। साथ ही, ऊर्जा संकट से निपटने के लिए ऊर्जा उत्पादन के स्रोतों में बदलाव की दिशा में काम करें।
[1]सोनल गुप्ता, “समझाया: श्रीलंका ने 26 वर्षों में अपनी सबसे लंबी बिजली कटौती क्यों की है?”, इंडियन एक्सप्रेस, नई दिल्ली ,3 मार्च 2022.
https://indianexpress.com/article/explained/explained-why-has-sri-lanka-imposed-its-longest-power-cuts-in-26-years-7798030/ [3]
[2] ‘श्रीलंका में 26 साल में सबसे लंबी बिजली कटौती’, द हिंदू, 02 मार्च, 2022. https://www.thehindu.com/news/international/sri-lanka-imposes-longest-power-cuts-in-26-years/article65166862.ece [4]
[3]असंका विजेसिंघे, ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष: श्रीलंका के लिए आर्थिक निहितार्थ’, द आइसलैंड, कोलंबो, 01 मार्च, 2022.
https://island.lk/russia-ukraine-conflict-economic-implications-for-sri-lanka/ [5]
[3] रेजौल एच लस्कर और राजीव जायसवाल, ‘संकटग्रस्त श्रीलंका को 40,000 टन डीजल भेजेगा भारत’, हिंदुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली, 25 मार्च, 2022
https://www.hindustantimes.com/india-news/india-to-send-40-000-tonnes-of-diesel-to-crisis-hit-sri-lanka-101648147636126.html [6]
[5] मीरा श्रीनिवासन, ‘एनटीपीसी सौर परियोजना के साथ श्रीलंका के समपुर लौटी’, द हिंदू, 12 मार्च, 2022.
https://www.thehindu.com/news/international/ntpc-returns-to-sri-lankas-sampur-with-solar-project/article65217041.ece [7]
[6] दीप पाल, ‘दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव: चार देशों में कमजोरियां और लचीलापन’, कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस,13 अक्टूबर, 2021.
https://carnegieendowment.org/2021/10/13/china-s-influence-in-south-asia-vulnerabilities-and-resilience-in-four-countries-pub-85552 [8]
[7] ‘’श्रीलंका: ऊर्जा क्षेत्र का आकलन, रणनीति और रोड मैप'’, एशियाई विकास बैंक, दिसंबर 2019
https://www.adb.org/documents/sri-lanka-energy-assessment-strategy-road-map [9]
(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>
Links:
[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2022/april/04/srilanka-me-blackout-vidyaut-shetre-pr-arthik-sankat-ka-dushprbhav
[2] https://www.vifindia.org/author/Nikhil-Sahu
[3] https://indianexpress.com/article/explained/explained-why-has-sri-lanka-imposed-its-longest-power-cuts-in-26-years-7798030/
[4] https://www.thehindu.com/news/international/sri-lanka-imposes-longest-power-cuts-in-26-years/article65166862.ece
[5] https://island.lk/russia-ukraine-conflict-economic-implications-for-sri-lanka/
[6] https://www.hindustantimes.com/india-news/india-to-send-40-000-tonnes-of-diesel-to-crisis-hit-sri-lanka-101648147636126.html
[7] https://www.thehindu.com/news/international/ntpc-returns-to-sri-lankas-sampur-with-solar-project/article65217041.ece
[8] https://carnegieendowment.org/2021/10/13/china-s-influence-in-south-asia-vulnerabilities-and-resilience-in-four-countries-pub-85552
[9] https://www.adb.org/documents/sri-lanka-energy-assessment-strategy-road-map
[10] https://psuwatch.com/india-sends-4000-mt-diesel-to-sri-lanka-power-crisis
[11] http://www.facebook.com/sharer.php?title=श्रीलंका में ब्लैकआउट विद्युत क्षेत्र पर आर्थिक संकट का दुष्प्रभाव&desc=&images=https://www.vifindia.org/sites/default/files/sri-lanka-power-cut-psu-watch-62484a23d30e3.jpeg&u=https://www.vifindia.org/article/hindi/2022/april/04/srilanka-me-blackout-vidyaut-shetre-pr-arthik-sankat-ka-dushprbhav
[12] http://twitter.com/share?text=श्रीलंका में ब्लैकआउट विद्युत क्षेत्र पर आर्थिक संकट का दुष्प्रभाव&url=https://www.vifindia.org/article/hindi/2022/april/04/srilanka-me-blackout-vidyaut-shetre-pr-arthik-sankat-ka-dushprbhav&via=Azure Power
[13] whatsapp://send?text=https://www.vifindia.org/article/hindi/2022/april/04/srilanka-me-blackout-vidyaut-shetre-pr-arthik-sankat-ka-dushprbhav
[14] https://telegram.me/share/url?text=श्रीलंका में ब्लैकआउट विद्युत क्षेत्र पर आर्थिक संकट का दुष्प्रभाव&url=https://www.vifindia.org/article/hindi/2022/april/04/srilanka-me-blackout-vidyaut-shetre-pr-arthik-sankat-ka-dushprbhav